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मनुष्य कि मूर्खता और लालच का परिणाम, Venus wonderfull story

                                                                        शुक्र

धरती पर तेजाब कि बरसात अब जाकर कहीे शुरू हुयी है। यह मनुष्य कि मूर्खता और लालच का परिणाम है। लेकिन शुक्र जन्म से ही तेजाब कि बरसात में नहा रहा है।
   Venus wonderfull story | शुक्र तेजाब कि बरसात




बुध के बाद सूर्य के सबसे निकट ग्रह है। बुध का दर्शन करना केवल मरिनर-10 के भाग्य में था। लेकिन शुक्र का अध्ययन करने के लिये अमेरिका,रूस के काफी यान चक्कर लगा रहे हैं शुक्र के आस पास चक्कर लगाने के लिये प्रयोगशालायें भी भेजी गयी। लेकिन उसके बावजूद शुक्र के बारे में मिली जानकारी कम ही है। क्योकि शुक्र है खानदानी घूघट का पर ना खेाले रे ऐसा कहकर घने कुहरे और बादलों में छिप कर बैठी है यह खानदानी रूपसुदंरी शुक्र के चारों ओर सचमुच गूढता का एक वलय है।

शुक्र का सूर्य से औसत अंतर है करीब दस करोड बयासी लाख किमी0 एक सेकेण्ड में 34 किमी0 कि गति से वह सूर्य कि परिक्रमा करता है। यानि गति कि दृष्टि से वह  हमारे सौरमण्डल में दूसरे  कृमांक का गृह है। बुध कि सूर्य कि परिक्रमा कक्षा अंडाकृति होती है। शुक्र कि भ्रमण कक्षा विल्कुल निराली है। शुक्र पर पश्चिम में सूर्य उदय और पूर्व में उसका अस्त होता है।

उसे धरती कि परिक्रमा करने के लिये उसे धरती के करीब 224 दिन लगते है। लेकिन उसके इस एक वर्ष में उसके दो दिन भी पूरे नहीं होते।

शुक्र के प्रष्ठ भाग पर 68 किमी कि उचाई एक बादल और वाष्प का घना आवरण है। लेकिन यह वाष्प पानी बा नहीं बल्कि तेजाब का है।

Venus

The acid rain on the earth has started going somewhere now. It is the result of man's foolishness and greed. But Venus has been taking bath in the rain of acid since birth.

The planet closest to the Sun is after Mercury. Visiting Mercury was only in the fate of Mariner-10. But to study Venus, many vehicles from America and Russia are circling, laboratories were also sent to orbit around Venus. But despite that information about Venus is scarce. Because Venus is not sitting on the veil of the family, it is sitting in a thick mist and clouds, saying that this family is literally a ring of occultism around Roopasundari Venus.

Venus' average difference from the Sun is about 10 crores eighty-two million km 0 in a second, it revolves around the Sun at a speed of 34 km. That is, from the point of view of speed, it is the home of the second Karmank in our solar system. The orbit of the Sun orbiting Mercury is elliptical. Venus's travel class is unique. Sun rises on Venus in the west and sets in the east.

It takes him about 224 days on earth to revolve around the earth. But even two days are not completed in this one year.


At the altitude of Venus, there is a cloud covering 68 km, and a thick covering of vapor. But this vapor is not water but acid.

आपको अपने जीवन मे नयी राह और चाह मिलेगी,Hindi short stories,Munshi Prem Chandra

                                             मन्त्र
                                 श्री मुन्शी प्रेमचन्द्र

प्रिय मित्रो आपके द्वारा दिया गये प्यार का मै आभारी हूॅ। इसी तरह अपना प्यार बनाये रखें और ज्ञान का आनन्द लेते रहें हम आपको हर दिन कुछ बेहतरीन देने कि  कोशिश  करेंगे 

 motivational | Mantra Mr. Munshi Prem Chandra मन्त्र श्री मुन्शी प्रेमचन्द्र

दोस्तो आज मैं आपको श्री मुन्शीप्रेम चन्द्र कि एक ऐसी कहानी सुनाउगां जिससे आपको अपने जीवन मे नयी राह और चाह मिलेगी इस कहानी में किस तरह प्रेम चन्द्र जी ने घमण्डी डा0 साहब और व्यवहारिक समाज कि बेहतरीन प्रस्तुती कि है। 

एक बार एक गांव में एक डा0 और एक बैध दोनो रहते थे, एक दिन बैध का लडका बीमार हो गया और बह अपने पुत्र को लेकर डा0 चडडा के पास गये बहुत विनती कि वह उनके पुत्र को एक नजर देख ले किन्तु डा0 चडडा ने उसकी दयनीय दशा पर कोई ध्यान नहीं दिया और सवेरे आने को कहकर गोल्फ खेलने चले गये। इस अप्रत्याशित और अभूतपूर्व व्यवहार से भगत स्तब्ध खडा रह गया। उसे विश्वास नही हो रहा था कि संसार मे ऐसे घटिया और कठोर हदय वाले व्यक्ति भी हेा सकते हैं जो अपने मनोरंजन को किसी कि जान से अधिक महत्व देते है। डा0 के व्यवहार ने उसे क्रुर सत्य पर विश्वास करने पर बाध्य कर दिया था। ये नगरवासी जो स्वयं को बडा सभ्य और सुसंस्कृत समझते है मानसिक रूप से कितने असभ्य और कठोर हृदय हैं इस सच्चाई से भगत का पहली बार और बडे पीडादायक रूप में सामना हुआ था। भगत का चकित और दुखी होना स्वाभाविक था क्योकि वह तो समाज कि उस पुरानी पीढी का प्रतिनिधि था जो कि सहयोग आौर सहानुभूति को ही सभ्यता का प्रमाण मानता था। अगर किसी के घर में आग लग जाती तो ये लोग स्वतः ही बुझाने पहुच जाते थे। किसी मुर्दे को श्मशान पहुचाने को तत्पर रहते थे। किसी के घर पर छप्पर रखवाना होता था तो उस पीढी के लोग स्वयं ही हाथ बटाने पहुच जाते थे। अपना कर्तव्य मानते थ्ेा। आज के तथाकथित सभ्यों से ये लोग निश्यच ही अधिक सभ्य थे।
फिर कुछ दिनो बाद डा0 चडडा के पुत्र कैलाश को सांप के द्वारा डस लिये जाने पर विष झाडने वाले ओझा ने आकर कहा कि जो होना था हो चुका , यह सुनकर डा0 चडडा चिड उठे और उसे फटकारने लगे। चडडा ने विष झाडने वाले ओझाा से कहा-अरे मूर्ख तू कैस्ेा कहता है जो होना था,वह हो चुका क्या हम यही होते देखाना चाहते थे,?? मां बाप तो चाहते है कि उनका बेटा सिर पर सेहरा बांधकर दूल्हा बनकर उनकी आंखेां को तृप्त करें। यह कहां हुआ??? हम अपने बेटे का विवाह कहां देख पाये हमारी भावी पुत्रवधू इस मृणालिनी कि मधुर कामनाएं बधू बनने के मनोहरी स्वप्न कहां पूरे हुए
और दोस्तो ओझा ही भगत है जो ओझा के नाम से अपनी पहचान बनाये है , भगत के मन में चेतना और उपचेतना का संघर्ष चल रहा था । चेतना उसे चडडा के व्यवहार का स्मरण कराकर उपचार हेतु जाने से रोकती थी और उसकी संस्कार जनित अन्तःप्रेरणा उसे मरते हुए सुवक कि प्राणरक्षा करने को ढेलती थी। भगत ने अपने आप को समझाया कि वह लडके का इलाज करने नहीं जा रहा है। वह वहां का दृष्य देखने और डा0 चडडा को रोते और पछाडे खाते देखने जा रहा है। मेरे मरणासन्न पुत्र पर जिसे एक नजर डालने का समय नही ंथा वही चडडा अब कैस्ेा रो रहा होगा। वह देखना चाहता है कि बडे लोग पुत्र शेाक में क्या करते है।इस प्रकार भगत अपने मन कि हिंसा और प्रतिशोध कि भावना को बहकाने कि चेष्टा कर रहा था और आगे बडता जा रहा था। और वहां पहुच कर उसका मन पलट गया और उसका उपचार कर दिया, और बगैर कुछ कहे चुप चाप वापस लौट गया। थेाडी देर बाद डा0 को याद आया कि यह तो वही बुडडा है जो  अपने मरणासन्न पुत्र को लेकर आया था और मैने उसके साथ निन्दनीय व्यवहार किया था डा0 चडडा आत्मग्लानि से म रा जा रहा था। वह जानता था कि भगत निस्वार्थ सेवी व्यक्ति है  । वह उपचार- प्राणदान का कोई मूल्य स्वीकार नहीं करेगा। भगत लोग तो निस्वार्थ जनसेवा से केवल यश अर्जन करने के लिये जीवन  बिताते है।

जो तोकूं कांटा बुबै,ताहि बोइ तू फूल 

आज भी ऐसे लोग है लेकिन दुख बात यह है कि कुछ तुच्छ लोगो के प्रवाह से ये संस्कृति समाप्त होने के कगार पर है अब रोड पर कुछ हो जाये सिर्फ भीड आती है और चली जाती है ।

जो तोकूं कांटा बुबै,ताहि बोइ तू फूल 

                                              Mantra
                                     Mr. Munshi Prem Chandra



Dear friends, I am grateful for the love you have given me. In the same way keep your love and keep enjoying the knowledge, we will try to give you something best every day.

Friends, today I will tell you a story of Mr. Munshiprem Chandra, which will give you a new path and desire in your life, how in this story Prem Chandra has made a wonderful presentation of proud mother and practical society.

Once both a Dr. and a Baidha lived in a village, one day the boy of Baidha fell ill and went with his son to Dr. Chadda and begged him to take a look at his son, but Dr. Chadda gave his pathetic Dasha paid no attention and went to play golf, asking to come in the morning. Bhagat was stunned by this unexpected and unprecedented behavior. He could not believe that even a person with such a poor and hard heart could be in the world who values ​​his entertainment more than anyone's life. Dr.'s behavior forced him to believe the cruel truth. These townspeople, who consider themselves to be very civilized and cultured, are mentally uncivilized and hard-hearted, for the first time Bhagat faced this truth in a very painful manner. It was natural for Bhagat to be astonished and sad because he was the representative of that old generation of society, which considered cooperation and sympathy as the proof of civilization. If there was a fire in someone's house, these people would automatically reach to extinguish it. He was always ready to deliver the crematorium to any dead. Had to have a shed at someone's house, the people of that generation used to reach out to arm themselves. He considered his duty. These people were certainly more civilized than the so-called civilians of today.

Then a few days later, when Dr. Chadda's son Kailash was bitten by a snake, the exorcist Ojha came and said that on hearing what had to happen, Dr. Chadda woke up and started reprimanding him. Chadda said to the exorcist Ojha - Hey fool, how do you say what was to happen, is that what we wanted to see happen, ?? The parents want their son to tie his head on the head and become a groom and satisfy their eyes. Where did this happen ??? Where could we see the marriage of our son, our future daughter-in-law, where did the sweetest wishes of Mrinalini fulfill her dream of becoming a boon

And friends, Ojha is the Bhagat who has made his mark in the name of Ojha, there was a struggle of consciousness and subconsciousness in Bhagat's mind. Consciousness reminded him of Chadda's behavior and prevented him from going for treatment, and his rites of inspiration inspired him to take care of his dying soul. Bhagat explained to himself that he was not going to cure the boy. He is going to see the scene there and see Dr. Chadda weeping and backstabbing. My dead son, who had no time to take a look, and the same chadda must be crying. He wants to see what the elders do in the son-shek. Thus Bhagat was trying to seduce the violence and feelings of vengeance in his mind and was moving forward. After reaching there, his mind was turned and healed him, and without saying anything, the silent arc returned. After a while Dr. remembered that it was the same Budda who had brought his dying son and that I had treated him blasphemously, Dr. Chadda was going to death with self-aggression. He knew that Bhagat was a selfless man. He will not accept any value of healing. Bhagat people spend their lives only to earn fame from selfless public service.

Jo Tokun Thorn Bubai, Tahi Boi Tu Phool

Even today there are such people, but the sad thing is that this culture is on the verge of ending with the flow of some insignificant people. Now if something happens on the road, only the crowd comes and goes.

Jo Tokun Thorn Bubai, Tahi Boi Tu Phool


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अगर कोई पुरूष एक स्त्री को या कोई स्त्री एक पुरूष को अपना प्रेम प्रदान कर देती है। ब्रहाम्चर्य life,control of sex

                                               ब्रहाम्चर्य

अब ब्रहाम्चर्य व्याख्या को उसके अर्थाे को ले । उसका धात्वर्थ यो किया जा सकता है वह आचरण जिससे ईश्वर के साथ सम्पर्क स्थापित हेाता है। यह आचरण है सब इन्द्रियों पर सम्पूर्ण नियंत्रण इस शब्द का सच्चा और ठीक अर्थ है।



आम तौर पर इसका अर्थ जननेन्द्रिय पर केवल शारीरिक नियंत्रण किया जाता है। इस संकुचित अर्थ से ब्रहाम्चर्य कि अधोगति हुयी है और उसका पालन लगभग असंभव बन गया है। सारी इन्द्रियों पर ठीक काबू हुए बिना जननेन्द्रियों पर काबू पाना असम्भव है। वे सब एक दूसरे पर निर्भर है। निम्न स्तर पर मन भी इन्द्रियों में शामिल है। मन पर काबू पाये बिना शारीरिक नियंत्रण थोडी देर के लिये हो भी सकता है तो इसका बहुत थ्ेााडा या कुछ भी उपयोग नहीं है।
                             
                                  हरिजन

अस्वाद ब्रत का ब्रहाम्चर्य पालन के साथ बडा गहरा संबंध है मैने अनुभव से पाया है कि यदि स्वाद पर काबू पा लिया जाये तो ब्रहाम्चर्य का पालन बहुत आसान हो जाता है।
                             
                                महात्मा गांधी
अगर कोई पुरूष एक स्त्री को या कोई स्त्री एक पुरूष को अपना प्रेम प्रदान कर देती है तो फिर बाहर कि दुनिया के लिये रह ही क्या जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि हम पहले और दूसरे सब बाद में ?? चूकि पवित्रता पत्नी को अपने पति के लिये सर्वस्य बलिदान करने के लिये तैयार रहना चाहिये और एक पत्नीव्रती पति को अपनी पत्नी के खातिर सब कुछ त्याग करने को तैयार रहना चाहिये। इसलिये स्पष्ट है कि ऐसे व्यक्ति विश्वप्रेम को अपना परिवार नहीं समझ सकते क्योकि वे अपने प्रेम के चारों ओर एक दीवार खडी कर देते है।उनका परिवार जितना बडा होगा उतने ही वे विश्वप्रेम से दूर रहेगें।इसलिये जिसे अहिंसा धर्म का पालन करना है वह विवाह नहीं कर सकता है।विवाह बंधन के बाहर विषय भेागी कि बात तो कर ही कैसे सकता है।
तो फिर जो विवाह कर च ुके है उनका क्या हो ??? क्या वे सत्य के दर्शन कभी नहीं कर सकेगे??? क्या वे मानवता कि वेदी पर कभी सर्वस्व का बलिदान नहीं का सकते??? उनके  लिये भी एक मार्ग है वे ऐसा व्यवहार करे मानो उनका विवाह हुआ ही नही जिन लोगो में यह सुखद अवस्था भोगी है वे इसकी गवाही दे सकेगे। मेरी जानकारी में अनेको ने सफलता पूर्वक यह प्रयोग किया है।
यदि दम्पत्ति में एक-दूसरे को भाई-बहन समझ ले तो वे विश्व सेवा के लिये मुक्त हो जाते है,संसार कि सारी स़्ित्रयां मेरी बहन ,माता,या पुत्रियां है, यह विचार ही मनुष्य को तुरंत उदात्त बनाकर उसके बंधन तोड डालेगा। इसमें पत्नी पति कुछ भी नहीं खोते इससे उनकी पूंजी और उनका परिवार बढता ही है। उनका प्रेम वासना कि अपवित्रता से मुक्त होकर और भी प्रबल बन जाते है।
                                  महात्मा गांधी 

The truth

Human beings often have to suffer in pursuing religion and duty, but they should not be distracted by fear of suffering. It is possible that a person's neighbor has become rich by cheating others with deceit and hypocrisy and has remained poor. It may also be that people have got a high job by false falsehood and the duty-seeking person has not got anything, and it may also be that they are happy by doing inferior deeds and are suffering the trouble of following the religion.

However, this cannot be interpreted to mean that that person too becomes alienated from duty. The satisfaction and joy that one experiences in living a life while performing his duty religion b. May never be found by the wealth and facilities obtained by the misdeeds, a person corrupted by duty always suffers from apprehension and guilt.

There are three things that hinder the efforts of a person performing duty. First is to be fickle of mind, if the mind does not concentrate, the person will not be able to perform duty. The second hurdle is uncertainty of purpose. Even if the purpose is to persist, man will be unable to follow religion. The third hurdle is that a person with a weak mind can never face obstacles and is therefore unable to perform his duties. While performing duty, a man has to come between two effects. On the one hand his soul warns him by knowing the proper improper deeds and on the other hand, laziness and selfishness wants to alienate him. Those who are strong-minded people. They work on the inspiration of the soul. And perform their duties religion.

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सही मित्र का चुनाव करना कोई साधारण कार्य नहीं है। friends

                                               मित्र

दोस्तो आज के विचार उन लोगो के लिये है जो विद्यार्थी अपने भविष्य कि नीव रख रहे हैं। बहुत महत्वपूर्ण कार्य
 jindagi may mitro ki bhumika | मित्र Friends,मित्र का चुनाव


प्रिय मित्रों सही मित्र का चुनाव करना कोई साधारण कार्य नहीं है। जिसने एक उपयुक्त मित्र का चुनाव कर लिया उसने अपना जीवन बना लिया। एक सच्चे मित्र से मनुष्य कसे जीवन मेें पग - पग पर सहायता मिलती हैै अच्छी या बुरी संगति के प्रभाव से कोई बच नहीं सकता। विशेष रूप से जीवन में प्रवेश करने वाले युवा- पुरूष का इस विषय में सावधान सहना चाहिये। युवाओं के चित्त कोमल होते है, उन पर अच्छे या बुरे संस्कार सहज ही अंकित हो जाते है। युवाओं कि भावनाओं में प्रौढता नहीं होती वे सहज ही भावावेश में आ जाते है और उनकी कार्यशैली भी अधकचरी होती है । युवा लोगो का स्वभाव कच्च्ी मिटटी कि मूर्ति के समान होता है। संगति उसे किसी भी रूप में बदल सकती है। अच्छी संगति मिलने पर वह देवताओं जैसा सच्चरित्र बन सकता है और बुरी संगति उसे दुराचारी राक्षस बना सकती है। अतः एक युवा व्यक्ति को मित्र का चुनाव बहुत सोच समझ कर करना चाहिये। एक विश्वास पात्र मित्र का मिलना वैसा ही है जैसे जीवन के समस्त कष्टों को मिटाने वाली कोई औषधि मिल जाये। यदि सच्चा मित्र सच्चा है तो श्रेष्ठ संकल्पों के निर्वाह में हमारी सहायता करेगा। वह सभी प्रकार के दोषों और भूलो से सावधान करेगा। सत्य के पालन ,पवित्र आचरण और अनुशासन को धारण करने में हमारी रूचि को बढायेगा । यदि हम गलत मार्ग पर जा रहे है तो सच्चा मित्र हमको सचेत करेगा। यदि हमारा उत्सााह भंग होगा तो यह हमको प्रोत्साहित करके सफलता के मार्ग पर बढने कि प्ररेणा देगा। सच्चा मित्र सम्मानपूर्वक जीवन बिताने में हमारी मदद करेगा। जैस्ेा श्रेष्ठ बैद्य रोगी के कष्ट को कुशलता पूर्वक जान लेता है उसी प्रकार एक सच्चा मित्र भी अपने मित्र के कष्टों और समस्याओं को जान लेता है,और उसकी सहायता करता है।

मित्र को मित्र का पूरक होना चाहिये एक सच्चा मित्र वह है जो कि अपने मित्र के प्रशंसनीय कार्यो के पूरा करने में हर प्रकार से सहयोग करें। उसे चाहिये कि मित्र का इतना उत्साह बर्धन करे उसमें इतना आत्मविश्वास जगा दे कि वह अपनी शक्ति से भी अधिक कार्य कर दिखााये। ऐसा एक मित्र ही कर सकता है।

सत्यता धर्म और कर्तव्य का पालन | Faithfulness and duty

                                            सत्यता

धर्म और कर्तव्य का पालन करने में मनुष्य को प्रायः कष्ट भोगने पडते हैं किन्तु कष्टों से डरकर उसे कर्तव्यविमुख नहीं हो जाना चाहिये। यह सम्भव है कि व्यक्ति के पडोसी छल कपट और पाखण्ड से औरो को ठगकर धनवान बन गये हो और वह निर्धन ही रह गया हो। यह भी हो सकता है कि लोग झूठी खुशामद करके उॅची नौकरी पा गये हो और कर्तव्यपालक व्यक्ति को कुछ न मिला हो और यह भी हो सकता है कि और नीच कर्म करके सुखी रह रहे हो और धर्म का पालन करने वाला कष्ट पा रहा हो । 



किन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं हो सकता कि वह व्यक्ति भी कर्तव्य विमुख हो जाये। अपने कर्तव्य धर्म का पालन करते हुए जीवन बिताने में जो संतोष और आन्नद अनुभव होता है बी दुष्कर्मों द्वारा प्राप्त धन सम्पत्ति और सुविधाओं से कदापि नही मिल सकता कर्तव्य से भ्रष्ट व्यक्ति सदा आशंका और अपराधबोध से पीढित रहता है।
कर्तव्य पालन करने वाले व्यक्ति के प्रयत्न में बाधा डालने वाली तीन चीज होती है प्रथम है चित्त का चंचल होना, यदि चित्त एकाग्र न होगा तो व्यक्ति कर्तव्य पालन नही कर पायेगा। दूसरी बाधा उददेश कि अनिश्चितता है। यदि उददेश्य बललता रहेगा तो भी मनुष्य धर्म पालन में असमर्थ रहेगा। तीसरी बाधा  दुर्बल मन वाला व्यक्ति कभी बाधाओं का सामना नहीं कर सकता अतः कर्तव्य पालन में असमर्थ रहता है। कर्तव्य पालन करते समय मनुष्य को दो प्रभावों के बीचसे निकलना होता है। एक ओर उसकी आत्मा उसे उचित अनुचित कर्मो का ज्ञान कराकर सावधान करती है तो दूसरी ओर आलस और स्वार्थ भावना उसे कर्तव्यविमुख करना चाहती है। जो दृढ संकल्पी व्यक्ति होते हैं। वे आत्मा कि प्ररेणा पर कार्य करते हैं। और अपने कर्तव्य धर्म का पालन करते है।

The truth

Human beings often have to suffer in pursuing religion and duty, but they should not be distracted by fear of suffering. It is possible that a person's neighbor has become rich by cheating others with deceit and hypocrisy and has remained poor. It may also be that people have got a high job by false falsehood and the duty-seeking person has not got anything, and it may also be that they are happy by doing inferior deeds and are suffering the trouble of following the religion.

However, this cannot be interpreted to mean that that person too becomes alienated from duty. The satisfaction and joy that one experiences in living a life while performing his duty religion b. May never be found by the wealth and facilities obtained by the misdeeds, a person corrupted by duty always suffers from apprehension and guilt.

There are three things that hinder the efforts of a person performing duty. First is to be fickle of mind, if the mind does not concentrate, the person will not be able to perform duty. The second hurdle is uncertainty of purpose. Even if the purpose is to persist, man will be unable to follow religion. The third hurdle is that a person with a weak mind can never face obstacles and is therefore unable to perform his duties. While performing duty, a man has to come between two effects. On the one hand his soul warns him by knowing the proper improper deeds and on the other hand, laziness and selfishness wants to alienate him. Those who are strong-minded people. They work on the inspiration of the soul. And perform their duties religion.

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स्व0 श्री सुभाषचन्द्र बोस जी का पत्र| 6 years imprisonment

                              स्व0 श्री सुभाषचन्द्र बोस जी 
                                         का पत्र
Letter | from Late Shri Subhash Chandra | Bose Ji | स्व0 श्री सुभाषचन्द्र बोस जी  का पत्र| 6 years imprisonment


दोस्तो जब मैने ये पत्र पढा तो दंग रह गया आप लोगो के साथ शेयर करना जरूरी हो गया किस तरह भयानक कठिनाइयों का सामना किया महापुरूषेंा ने और आज हम उन्हे भूलते चले जा रहें है प्रिय मित्रो ये बात उस समय कि जब श्री लोकमान्य बालगंगाधर तिलक को 6 बर्ष का कारावास हुआ था। 
श्री सुभाषचन्द्रज जी ने केलकर को अपने पत्र मे लिखा है कि श्री तिलक के पास तक जेल में कोई भी अखबार नहीं पहंुचता है। उन जैसे महान प्रतिष्ठित और देश के महान नेता के पास समाचार पत्र न पहुॅचने देना उनको एक प्रकार से मानसिक दुख पहुचाना है और इस मानसिक सजा को जो भ्ुागतता है वही उसकी महतता को जानता है। 
और यह भी स्पष्ट मालूम पडता है कि उनके कारावास में रहने के समय मे देश में रानीतिक जीवन का कार्य - कलाप बहुत धीमी रफतार से चल रहा था। इस विचार से उनको कोई सांत्वना नहीं मिली होगी कि जिस प्रयोजन हेतु उन्होने इस कार्य को अपनाया वह उनकी गैर मौजूदगी में आगे इतनी मंद गति से चल रहा था।

श्री सुभाष ने आगे श्री तिलक के बारे में लिखा है कि वह महान नेता जो मधुमेह जैसे गम्भीर रोग से पीढित होने पर भी इतने लम्बे समय तक (6 वर्ष ) के कारावास को बरदाश्त करता रहा है और उस काल में भी उसने अपनी बौद्विक क्षमता को सुदृढ बनाये रखा और अपनी संघर्ष शक्ति को सुस्त नहीं होने दिया और उस जेलखाने में रहने वाले दिनों में भी अपने देश भारत भूमि के लिये एक ऐसी अमूल्य भेट तैयार कि जिसके परिणमरूवरूप उनको विश्व के महान व्यक्तियों में प्रथम स्थान मिलना चाहिये। जो अमूल्य निधि कारावास में लिखी गयी वह गीता-भाष्य नामक ग्रन्थ था।
महापुरूष लोकमान्यबालगंगाधर तिलक ने अपने कारावास जीवन में प्रकृति के नियमों से भी मोर्चा लिया और उन्हें उन नियमों से बदला लेना जरूरी था सो लिया। जिस प्रकार अलीपुर जेल में देशबन्धु को उनके मृत्यु के निकट पहुचानें का क्रम पूरा हो चुका था उसी प्रकार लोकमान्य जब माण्डले जेल से छूटकर आये थ्ेा तब उनके जीवन के अंतिम क्षण रह गये थे। वे जर्जर शरीर थ्ेा। यह दुख का विषय था कि हम इसी प्रकार अपने महान पुरूषों को खोते रहे,परन्तु मैं साथ ही यह भी विचार करता हूॅ कि यह दुखदायी दुर्भाग्य किसी प्रकार से टाला नहीं जा सकता था,यह तो होना ही था।

Late Shri Subhash Chandra Bose

                                         Letter of


Friends, when I read this letter, you were stunned, it became necessary to share with people how the great difficulties faced by the great people and today we are going to forget them dear friends, at that time when Mr. Lokmanya Balagangadhar Tilak 6 years of imprisonment.

Mr. Subhash Chandra ji has written in his letter to Kelkar that no newspaper reaches the prison till Mr. Tilak. Not allowing newspapers like him to reach the great reputed and great leaders of the country is to give him some kind of mental grief and he who knows the importance of this mental punishment knows its importance.

And it is also clear that at the time of his imprisonment, the work of royal life in the country was going on very slowly. He would not have been comforted by the idea that the purpose for which he adopted this work was going so slow in his absence.

Mr. Subhash has further written about Mr. Tilak that the great leader who despite suffering from a serious disease like diabetes has endured imprisonment for so long (6 years) and even during that period he has shown his intellectual capacity Stayed strong and did not let his fighting power slow down and even during the days of that jail, he prepared such an invaluable gift for his country India land, which resulted in Neco should have first place in the great men of the world. The priceless fund which was written in imprisonment was a book called Geeta-Bhasya.

The great man Lokmanyabalgangadhar Tilak, in his imprisonment life, also took a break from the laws of nature and he needed to take revenge from those rules. Just as Deshbandhu in Alipur Jail was nearing his death, the order of completion was likewise when Lokmanya came out of the jail, he was left in the last moments of his life. They had a shabby body. It was a matter of sorrow that we kept losing our great men in this way, but I also think that this sad misfortune could not be avoided in any way, it was bound to happen.

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मृत्यु क्यों होती है और मृत्यु के पश्चात क्या होता है। Why death

                                              नचिकेता


नचिकेता के पिता का नाम वाजश्रवा था। एक बार वाजश्रवा ने एक बहुत बडा यज्ञ किया। यज्ञ के समाप्त होने पर उन्होने अपनी सब बृद्व गायें दान में दे दी। आश्रम के लोगो व नचिकेता को ये बात अच्छी नहीं लगी। उसने कहा - आप मुझे किसे देगे ??? 

जब नचिकेता की बात महर्षि कि समझ मे आयी तो उन्होने अप्रसन्न होकर कहा कि मैं तुम्हे यमराज को दूगाॅ । नचिकेता आज्ञाकारी पुत्र था। अतः पिता कि आज्ञा का पालन करने के लिये वह यमराज कि खेाज मे चल दिया। तीन दिन तक वन में भटकने के बाद जब नचिकेता कि आंखे खुली तो उसने देखा कि यमराज सामने खडे हैं। यमराज ने कहा कि ऐसी तुम पर कौन से विपत्ति आ पडी है जिसके कारण तुम मेरे पास आना चाहते हो ?????

नचिकेता ने कहा कि मैं तो पिता कि आज्ञा से आपकी सेवा मे आया हूॅ। अब मुझे आपकी आज्ञा का पालन करना है। यमराज ने प्रसन्न होकर उसे तीन वरदान मांगने के लिये कहा। नचिकेता ने तीन वरदान मांगे-1.. मेरे पिता जी मुझसे प्रसन्न हो जायें। 2...मुझे स्वर्ग लोक में पहुचने कि विद्या बतलाइये। 3.....मृत्यु क्यों होती है और मृत्यु के पश्चात क्या होता है।

यमराज ने नचिकेता कि तीनों बातों को पूरा किया। नचिकेता के जीवन से हमको यह शिक्षा मिलती है कि पिता कि आज्ञा का पालन करना पुत्र का परम धर्म है। 

                       व्यासजी

व्यास जी के पिता का नाम पाराशर ऋषि था और उनकी माता एक मछुवे कि कन्या थी। इनका रंग काला था, इसलिये इनका नाम कृष्ण रखा गया। इनका जन्म एक द्वीप में हुआ था। अतः इनको द्वैपायन भी कहा गया। इन दोनेां को मिलाकर इन्हें द्वैपायन व्यास कहा जाता है । पाण्डु और धृतराष्ट्र इन्हीं के पुत्र थे। व्यास ने महायुद्व को रोकने के लिये भरसक प्रयास किया पर उनकी बात किसी ने न मानी इन्हीं व्यास ने एक महान ग्रन्थ लिखा जिसका नाम उन्होने जय रखा जो बाद में महाभारत कहलाया। इसमें उस समय चैवीस हजार श्लोक थे। बाद में इनके शिष्योें ने यह संख्या एक लाख कर दी। 

महाभारत के समान संसार में दूसरा कोई विशाल ग्रन्थ नहीं है। इनमें मावन-जीवन से सम्बन्धित प्रत्येक विषय के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक लिखा गया है। वही कारण है कि इसको पांचवा वेद भी कहते हैं। गीता इसी का साराशं है।

Nachiketa

Nachiketa's father's name was Vajashrava. Once, Vajashrava performed a huge sacrifice. At the end of the yajna, he donated all his old cows. Ashram's people and Nachiketa did not like this. He said - Whom will you give me ???

When Maharishi came to understand about Nachiketa, he was unhappy and said that I will give you to YamrajNachiketa was an obedient son. Therefore, to obey the father's orders, he went to the camp of Yamraj. After wandering in the forest for three days, when Nachiketa's eyes opened, he saw that Yamraj was standing in front. Yamraj said that what kind of misfortune has come on you because of which you want to come to me ?????

Nachiketa said that I have come to your service with the permission of the father. Now I have to follow your orders. Yamraj was pleased and asked him to ask for three boons. Nachiketa asked for three boons - 1 .. My father should be happy with me. 2 ... Tell me the knowledge of reaching heaven. 3 ..... Why does death happen and what happens after death.

Yamraj fulfilled all the three things that Nachiketa did. From the life of Nachiketa, we get the lesson that obeying the father's command is the supreme religion of the son.

                       Vyasji

Vyas ji's father's name was Parashar Rishi and his mother was a fisherman's daughter. His color was black, so he was named Krishna. He was born on an island. Hence, they were also called Dwaipayan. Together these two are called Dwaipayan Vyas. Pandu and Dhritarashtra were the sons of these. Vyas tried his best to stop the Mahayudv, but he did not listen to them. These Vyas wrote a great book, which he named Jai, which was later called Mahabharata. There were 24 thousand verses at that time. Later his disciples increased this number to one lakh.

Like Mahabharata, there is no other huge book in the world. It has been written in detail in relation to every topic related to life. That is the reason why it is also called the fifth Veda. The Gita is the essence of it.

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जिदगीं में आप कितने खुश हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं हैं। real hero


                                         रियल हीरो

जिदगीं में आप कितने खुश हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं हैं।
बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि आपके कारण कितने लोग खुश हैं।

 real hero | life of real hero | रियल हीरो


कभी -कभी उच्च पदों वाले नेताओं या (बडो से) सैकडों हजारों कि बजाय लाखों लोंगों कि व्यवस्था कि अपेक्षा कि जाती है । इस सम्बन्ध में उनकी क्षमता या अक्षमता पर राष्ट्र (घर) का भाग्य निर्भर करता है।
भारत में मुगल साम्राज्य कि स्थापना बाबर के दृढ और सोच समझ कर उठाये गये जोखिम पूर्ण कार्य के साथ हुई थी। बाबर और  उनके साथी विदेशियों के रूप में एशिया से भारत आये थे। वे अल्पसंखयक जाति के थे और इस्लाम के मानने वाले थे। बाबर ने जिस देश पर शासन कि इच्छा कि उसकी अधिकांश आबादी हिन्दुओं कि थी और उसके उत्तराधिकारियों का सबसे अधिक प्रतिरोध दिल्ली के साथ लगे क्षेत्रो में राज्य करने वाले वीर राजपूतो ने किया

बाबर के पोते अकबर ने 16 साल कि आयु में गददी संभली उसने आरम्भ में तलवार के जोर वर काम किया । वह राजपूतो कि वीरता का सम्मान करता था और शीघ्र ही उसने अनुभव किया कि वह एक विदेशी देश में है और उसे युद्व या समझौते मे से एक को राज्य का शासन के लिये चुनना होगा।

अकबर ने राजपूतों कि ओर दोस्ती का हाथ बढाया और राजपूत राजकुमारी से शादी करने कि इच्छा व्यक्त कि । उससे उत्पन्न जहांगीर राज्य का उत्तराधिकारी बना। जहांगीर ने अपने पिता का अनुशरण किया। भारत कि जातियों और धर्मो को अपने अनुकूल बना लेना सभी शासको के लिये एक चुनौती भरा काम था। बाद में 

प्रधानमंत्री जहरलाल नेहरू ने अकबर के बारे में लिखा.........

एक योद्वा के रूप में अकबर ने भारत के एक बहुत बडे भाग को जीत लिया लेकिन उसकी दृष्टि एक बहुत बडी स्थायी विजय पर थी। लोगो के दिल और दिमाग पर विजय पाने कि इच्छा उसमे संयुक्त भारत का पुराना सपना पनपा । वह सपना केवल राजनीतिक रूप में भारत को एक करने का नहीं वरन वह देशवासियों को एक व्यक्ति के रूप में संगठित करना चाहता था।



How happy you are in life is not important.
Rather important is how many people are happy because of you.

Sometimes a system of millions of people is expected instead of hundreds of thousands of high-ranking leaders or (from the elders) hundreds. In this regard, the fate of the nation (home) depends on their ability or inability.

The Mughal Empire in India was established with the risky and deliberate work done by Babur. Babur and his fellow foreigners came to India from Asia. He belonged to a minority caste and believed in Islam. Babur ruled the country that most of its population belonged to Hindus and the most resistance of his successors was done by Veer Rajputs who ruled in the areas adjoining Delhi.

Babar's grandson, Akbar, at the age of 16, he did Gaddi Sambhali at the beginning and worked heavily with the sword. He respected the valor of the Rajputs and soon realized that he was in a foreign country and had to choose one of the wars or compromises to rule the state.

Akbar extended a hand of friendship to the Rajputs and expressed his desire to marry the Rajput princess. Jehangir, jehangir ghandy
jehangir a raja
dr jehangir a kohiyar
jehangir building fortborn from it, succeeded the kingdom. Jahangir followed his father. It was a challenging task for all the rulers to make India's castes and religions favorable. Later

Prime Minister Zaharlal Nehru wrote about Akbar ………

As a warrior, Akbar conquered a large part of India, but his vision was on a very permanent victory. The desire to conquer the hearts and minds of the people, the old dream of united India flourished in it. That dream was not only to unite India politically, but he wanted to organize the countrymen as one people.

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लोग ये भूल जाते है कि एक दिन वह मर जायेगें। Battles and hatred

                                    लडाईयां और बैर भाव

लडाईयां बैर भाव (अन-मन) क्यो बढ रही है क्योकि लोग ये भूल जाते है कि एक दिन वह मर जायेगें।


दोस्तों हर दिन रात में जितने लोग सोते हैं अगले दिन उनमें से 1 लाख लेाग नहीे जागते।

अगर हम जाग जाते हैं तो यह बहुत बडी बात नहीं हैं आप जाग गये एक लाख लोग नहीं जागे वाह- वाह बस छत केा देखिये मुस्कुराइये।
कई लाख लोगो के लिये जो उनका प्रिय था जागा ही नहीं तो अपने आस-पास के 6-7 लोगो को चेक करो सभी जाग गये। आप जाग गये और जो लोग आपके लिये खाश हैं वो जाग गये वाह क्या ये शानदार दिन नहीं हुआ।

आपको ऐसा नहीं लगता दिक्कत ये है कि आप भ्रम में जी रहे हैं कि आप अमर है। कहीं - कहीं आपको लगता है आप अमर हैं । अगर आप जागरूक है तो आपके पास शिकायतें ,लडने,झगडने का समय होता।

खुद को याद दिलाइये-मेरी भी मौत होगी एक चीज के प्रति जागरूक रहिये आप अपने आप आध्यात्मिक बन जायेगें।
यह छोटा सा जीवन है मैं नश्वर हूॅ।

दो दिन बाद आप बहुत शानदार बन जायेगे। देखना 

Battles and hatred

Why is the fighting hate (un-mind) increasing because people forget that one day they will die.
Friends, every day the people sleep at night, the next day 1 lakh people will not wake up
If we wake up then it is not a big deal. You have woken up a lakh people. Wow, wow, just look at the ceiling and smile.

For many lakh people who were dear to him, he did not wake up, so check 6-7 people around him and everyone woke up. You woke up and the people who are happy for you woke up. Wow it was not a great day.

The problem you don't feel is that you are living in the illusion that you are immortal. Somewhere you feel you are immortal. If you are aware then you would have had time to complain, fight, quarrel.

Remind yourself - I too will die. Be aware of one thing, you will automatically become spiritual.
This is a small life, I am mortal.

After two days you will become very brilliant. To see

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they will die of hunger, they will die soon, they will all die, they will both die, at the end do bees know, they will die, they both die.at the end, they both die at the end, how they will die ,how we will die living know, they will die, we will live ,they will die ,they will live until ,they die ,they will never die, they will not die, they will not die, old or they will die, they will not die, young will they die you

हम सभी को मदद करनी होगी तभी वो ऐसा कर पायेगे, safe water

                                                 पानी


दोस्तो पानी हमारे जीवन को चलाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। एक अमूल्य रत्न है।

दोस्तों 2035 तक भारत में जिस किसी के गुजारे के लिये जितना पानी चाहिये उसका सिर्फ 50/ ही रह जायेगा। 

क्या आप बिना पानी के रह सकते हैं असम्भव ???

मगर इसकी शुरूआत हो चुकी है नदियांें का 40/ पानी सूख चुका है और 2035 तक 60/ पानी सूख जायेगा कई नदियां जो हजारों सालों से बहती आ रही है अब सिर्फ बारिश में बहती है। बारिश अब वो भी धीरे - धीरे कम होती चली जा रही है।
लोग सोचते है कि पानी के कारण पेड हैं नही पेडो के कारण पानी है ये बात आपको समझनी होगी ।

जब सबाल है तो इसका उपाय क्या है तो इसका उपाय ये है कि 

1- हमें ये पक्का करना हांेगा कि नदियों के दोनो तरफ एक कि0मीटर कि चैडाई में पेड ही पेड हो।

2- अगर सरकारी जमीन है तो वहीं जंगल लगारे जाये

3- अगर किसी किसान कि जमीन है तो वहां फलेंा के पेड लगायें जाये और औशधियों के पेड

4- पर हमें यह पक्का करना होगा कि हम भोजन में कम से कम 30/ फल खायें 

अगर हमारे भेजन में 30/ हिस्सा पेडो से होगे तभी किसान फलों कि खेती कर पायेगें वे हमें बेच सकते हैं। अगर पानी 60/ सूख गया तो समस्या भयानक होगी इस लिये हमें इसके लिये एक मजबूत सरकारी नीती कि जरूरत होगी सरकार नीति बनाने के लिये तैयार है मगर हम सभी को मदद करनी होगी। 

दोस्तो लोकतंत्र का क्सा मतलब है। हम सभी को मदद करनी होगी तभी वो ऐसा कर पायेगे।

Water

Friends, water is very important for running our life. Is an invaluable gem.

Friends, by 2035, the amount of water that one needs in India will be only 50 / -.
Can you live without water, impossible ???

But it has started 40 rivers of water has dried up and by 2035, 60 / water will dry up. Many rivers which have been flowing for thousands of years now only flow in rain. The rain is now gradually decreasing.

People think that there are trees because of water, there is water because of the pedo, you have to understand this.
When it is strong then what is the solution? Its solution is that

1- We would like to make sure that there is only a tree of 0 meters on both sides of the rivers.

2- If there is government land, then forest should be planted there
3- If a farmer has land, then plant trees of fruit and plant trees
4- But we have to make sure that we eat at least 30 / fruits in food

If the payment is 30 / part from our pedo, then only the farmers will be able to cultivate fruits, they can sell us. If the water dries 60 /, then the problem will be terrible, so we will need a strong government policy for this, the government is ready to make policy but we all have to help.

Friends is just what democracy means. We all have to help only then they will be able to do so.

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वैराग्य और आत्मत्याग,वैराग्य का यह अर्थ नहीं कि संसार को छोडकर जंगल में रहने लग गये




वैराग्य का यह अर्थ नहीं कि संसार को छोडकर जंगल में रहने लग गये जाकर। वैराग्य कि भावना जीवन कि समस्त प्रवृत्तियों में व्याप्त होनी चाहिये। कोई गृहस्थ यदि जीवन को भेाग न समझकर कर्तव्य समझता है वह गृहस्थ मिट नहीं जाता जो व्यापारी अपना काम त्याग कि भावना ये करता है उसके हाथों भले ही करोडो रूपये का लेन-देन होता हो फिर भी वह यदि अपने धर्म का पालन करता हो तो अपनी योग्यता का उपयोग सेवा के लिये करेगा। इसलिये वह किसी को धेाखा नहीं देगा। सटटा नहीं करेगा। सादा जीवन व्यतीत करेगा किसी प्राणी को दुख नही पहुचायेगा ।

त्यागमय जीवन कला का उत्तम प्रतीक और सच्चे आन्नद से परिपूर्ण होता है। जो सेवा करना चाहता है वह अपने आराम करने मेे एक क्षण भी व्यर्थ नहीं करेगा। क्योकि उसे वह प्रभु कि इच्छा पर छोड देता है। इसलिये वह जो कुछ हाथ लग जाए उसी को बटोर कर बोझ नहीं बडायेगा सिर्फ उतना ही लेगा जितने कि उसे सख्त जरूरत है और बाकी छोड देगा। असुविधा होने पर भी वह मन में शान्त क्रोधरहित और अविचलित होगा। सदगुण कि भाति उसकी सेवा ही उसका पुरस्कार होगा और वह उसी से संतुष्ट रहेगा दूसरों कि स्वेच्छापूर्वक सेवा में हमारी शक्तियां लगनी चाहिये। और उसे अपनी सेवा से तरजीह मिलनी चाहिये असल में शुद्व भक्त अपने लिये कुछ भी न रखकर अपने को मानव सेवा में समर्पित कर देता है।

अपने त्याग पर हमें देखी नहीं होना चाहिये जिस त्याग से पीडा होती है। उसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है और अधिक जोर पडने पर नष्ट हो जाती है मनुष्य उस वस्तुओ को त्याग करता जिन्हे वह हानिकारक मानता है। इसलिये त्याग करने से उसे सुख हेाना चाहिये।

                                    यंग इण्डिया 

Disappointment does not mean leaving the world and starting living in the forest. The feeling of detachment should permeate all the tendencies of life. If a householder does not consider life as a duty, that householder does not disappear, the businessman who feels the sacrifice of his work, even if there is a transaction of crores of rupees in his hands, if he follows his religion, then his Will use the qualification for the service. Therefore, he will not beat anyone. Will not stick. Will lead a simple life, will not hurt any animal.

Solitaire life is a perfect symbol of art and full of true joy. The one who wants to serve will not waste even a single moment in resting. Because he leaves it at the will of God. Therefore, whatever he gets on hand, he will not take the burden by collecting only what he desperately needs and will leave the rest. Even in the face of discomfort, he will be silent, angry and unsteady. By virtue of his service, his service will be his reward and he will be satisfied with the same, our powers should be engaged in voluntary service of others. And he should get priority from his service, in fact, a pure devotee does not keep anything for himself and dedicates himself to human service.

We should not have seen at our sacrifice, the sacrifice that comes with it. His purity is destroyed and upon exerting too much, a man renounces the things which he considers harmful. That is why he should be happy by sacrificing

                                    Young india

भारत कि भावी संस्कृति,Future culture of india,गांधी जी

                          भारत कि भावी संस्कृति

दोस्तो ये लेख गांधी जी द्वारा विभिन्न-विभिन्न लेखेंा पत्रिकाओं द्वारा प्राप्त किया गया है। इसमे गांधी जी के ताकतवर ठोस मूल मंत्र है। जिसको आज के युग में इसकी बहुत जरूरत है।

काई संस्कृति जिंदा नहीं रह सकती ,अगर वह दूसरो का बहिष्कार करने कि कोशिश करती है। इस प्रकार भारत में शुद्व आर्य संस्कृति जैसी कोई चीज मौजूद नही है। आर्य लोग भारत के ही रहने वाले थ्ेा या जबरन यहां आ घुसे थ्ेा। इससे मुझे बहुत दिल चस्पी नहीं है। मुझे जिस बात में दिलचस्पी है वह यह है कि मेरे पूर्वज एक दूसरे के साथ बडी आजादी के साथ मिल गये और मौजूदा पीढी वाले हम लोग उस मिलावट की ही उपज है।
      हरिजन 


मैं नही चाहता कि मेरे घर के चारों ओर दीवारे खडी कर दी जायें और मेरी खिडकियां बन्द कर दी जाये। मै चाहता हूॅ कि सब देश कि संस्कृतियों कि हवा मेरे घर के चारो ओर अधिक से अधिक स्वतंत्रता के साथ बहती रहे। मगर मै उनमें से किसी के झोके में उड नहीं जाउगां।मै चाहूगां की साहित्य मे रूचि रखने वाले हमारे युवा स्त्री-पुरूष जितना चाहें अंग्रजी और संसार कि दूसरी भाषाएं सीखें फिर उनमें यह आशा रखूगां कि वे अपनी विद्वता का लाभ भारत और संसार को उसी तरह दे। 

जैसे बोस,राय या स्वयं कविवर दे रहे हैं। लेकिन मै यह नहीं चाहूंगा कि एक भी भारतवासी अपनी मातृभाषा को भूल जाए। उसकी उपेक्षा करें उस पर शर्मिन्दा हो या यह अनुभव करे कि वह अपनी खुदकी देशी भाषा में विचार नहीं कर सकता या अपने उत्तम विचार प्रकट नहीं कर सकता मेरा धर्म कैदखाने का धर्म नहीं है।
          यंग इंण्डिया

Future culture of india

Friends, this article has been received by Gandhi ji from various articles magazines. It has the strong concrete mantra of Gandhi ji One who needs it very much in today's era.
Kai culture cannot survive if it tries to boycott others. Thus there is no such thing as pure Aryan culture in India. The Aryans either lived in India or forcibly came here. It doesn't make me very heartbroken. What I am interested in is that my forefathers got along with each other with great freedom and we of the present generation are the product of that adulteration.

               Harijan

I do not want the walls around my house to be erected and my windows should be closed. I want that the air of all the country's cultures should flow with maximum freedom around my house. But I will not be able to fly in any of them. I want as much as our young men and women who are interested in literature to learn English and other languages ​​of the world, then hope that they will benefit from their scholarship to India and the world. Give it like

Like Bose, Rai or Kavir himself. But I would not like a single Indian to forget their mother tongue. Ignore him, be ashamed of him or feel that he cannot think in his own native language or express his best thoughts. My religion is not the religion of prison.
                  Young india

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विचारणीय प्रश्न केवल यह है कि गोरक्षा करना ठीक है ,गो रक्षा क्यों Gandhi ji




गांधी जी गो रक्षा मेरे लिये मनुष्य जाति के विकास में एक सबसे अदभुत चमत्कारपूर्ण घटना है। यह मानव को अपनी स्वाभाविक मर्यादा से बाहर ले जाती है। मेरे लिये गाय का अर्थ है समस्त मनुष्येतर सृष्टि गाय के द्वारा मनुष्य  को तमाम प्राणियों के साथ तदात्मय अनुभव का आदेश दिया गया है। गाय को देवता क्यों माना गया यह मेरे लिये स्पष्ट है । भारत में गाय मनुष्य का उत्तम साथी है । वह कामधेनु है । गाय मूर्तिमन्त करूणामयी कविता है। इस नम्र और निरीह पशु कि आखेंा से करूणा टपकती है। भारत के करोडो लोगो कि माता है। 
गोरक्षा का अर्थ है 

भगवान कि समस्त मूक सृष्टि कि रक्षा प्राचीन ऋषियों ने भले वे कोई भी हों गाय से इसका आरम्भ किया जो हिन्दू गाय कि रक्षा करता है उसे हर एक पशु कि रक्षा करनी चाहिये परन्तु सब वातों का विचार करते हुए हम सिर्फ इसलिये उसकी गो रक्षा में दोष न निकालें कि वह दूसरे जानवरों को नहीं बचा पाता। 
इसलिये विचारणीय प्रश्न केवल यह है कि गोरक्षा करना ठीक है या नहीं उसका ऐसा करना गलत नहीं है यदि अहिसां मे विश्वास रखने वालों का आम तौर पर जानवरों को न मारना कर्तव्य समझा जा सकता है। और प्रत्येक हिन्दू बल्कि प्रत्येक धार्मिक पुरूष ऐसा ही करता है। आम तौर पर जानवरों को न मारने का और इसलिये उन्हे ं बचाने का कर्तव्य निर्विवाद सत्य माना जाना चाहिये। 

तब तो हिन्दू धर्म के लिये तारीफ कि बात है कि उसने गोरक्षा को कर्तव्य समझकार अपनाया है। गोरक्षा सूक्ष्म अथवा आध्यात्मिक अर्थ है सभी जीवों कि रक्षा करना हमारे ऋषियों ने आश्चर्य जनक अविष्कार किया है। मै प्रतिदिन इसकी सच्चाई का कायल होता जा रहा हूॅ।

Why cow protect

 Young india

Gandhiji's protection is for me one of the most amazing miracles in the development of mankind. It takes the human out of his natural dignity. For me, cow means that all non-human creation has been ordered by the cow to experience human beings with all beings. Why the cow was considered a deity is clear to me. In India, cow is the best companion of man. He is Kamadhenu. Cow idolatry is a compassionate poem. Compassion drips from the eyes of this meek and innocent animal. Is the mother of millions of people in India.

Cow protection means

The ancient rishis who protected all the silent creation of God started it from the cow no matter whoever protects the Hindu cow, it should protect every animal, but considering all the vatas, we are only guilty of protecting its cow. Do not remove that he cannot save other animals.

Therefore, the question to be considered is whether it is right to protect cow or not if it is wrong to do so if those who believe in non-violence can generally be considered not duty to kill animals. And every Hindu but every religious man does the same. Generally, the duty of not killing animals and therefore protecting them should be considered as undisputed truth.


Then it is a matter of praise for Hindu religion that it has adopted cow protection as a duty. Cow protection is a subtle or spiritual meaning to protect all living beings. Our sages have invented wonders. I am getting convinced of its truth every day.

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