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मैं बदलाब ला पाया न, उस एक के जीवन में,| मछली कि कहानी | inspiratinal story

मछली कि कहानी



दोस्तो आज हम आपको ऐसी कहानी से रूवरू करायेगे जिसको पडकर आप आंनन्द का अनुभव करेगे और आपका दृष्टिकोण सकारात्मक हो जायेगा।


हम इस बात को निष्चित तौर पर नहीं कह सकते कि हमारी सकारात्मक क्रिया शीलता  किसी दूसरे के जीवन में कोई अंतर ला पायेगी। इस बात कि केवल आशा  ही की जा सकती है। शिक्षक  होने के नाते मै यह निष्चित कह सकता हूॅ कि छात्र कक्षा में सीखने से ज्यादा हाजिरी अैार उस कक्षा में उत्तीर्ण होने के उद्देश्य से आते है। किंतु ऐसे भी छात्र थे जिन्होने उस विषय के पाठ को समझा और अपने जीवन में जो चाहा वह किया और अत्यन्त सफल भी हुए। यह कहना मुष्किल है कि ऐसी किस बात ने उनके जीवन को इतना प्रभावित किया होगा।
मुझे उस मछली कि कहानी याद आती है जो याद दिलाती है कि हम किसी के जीवन में कैसे परिवर्तन ला सकते है यदि हम किसी के जीवन में सुखद परिवर्तन ला सकते हैं तो इससे अच्छा कोई उपहार नही। हम हर एक के जीवन में परिवर्तन नहीं ला सकते, किन्तु एक के भी जीवन में लाना भी बडी बात है जैसे कि उस मछली कि कहानी में बताया गया है। स्वयं से प्रष्न पूछिये कि आपके जीवन की मछलियां कहा है। घर पर,कार्यालय में,या समुद्र किनारे ? हममे से हर एक के लिये अलग- अलग मछली होगी।

समानता केवल इतनी है कि यदि हम प्रयास करें तो किसी के भी जीवन को छू सकते हैं। उसे खुष कर सकते है।चाहे वी मुस्कान से ,प्यार से,हैलो कहकर या किसी के जीवन में दखलदांजी न करके और जब हमारी मछली को अपना समुद्र मिल जायेगा तो हम स्वयं पर गर्व महसूस करेगे कि हमने किसी को छोटा सा ही सही गिफट तो दिया।

मछली की कहानी

एक दिन एक आदमी समुद्र किनारे घूम रहा था। जब उसने देखा कि एक लडका बार-बार कुछ उठा रहा है और हौले से समुद्र में फेंक रहा है। लडके के पास जाकर उस आदमी ने पूछा तुम क्या कर रहें हो लडके ने जबाब दिया मैं मछली को पानी में वापिस डाल रहा हॅू नही ंतो मर जायेगी।

आदमी ने कहा, बेटा क्या तुम नहीं जानते कि समुद्र किनारे तो हजारों कि संख्या में मछली हैं। तुम क्या बदलाब ला पाओगे कितनो को बचाआंेगे।

यह सुनने के बाद लडके ने झुककर दूसरी मछली उठाई और समुद्र के पानी में डाल दी फिर आदमी की तरफ देख मुस्कुराते हुए बोला मैं बदलाब ला पाया न, उस एक के जीवन में,

दोस्तो ये जीवन दुखों से भरा पडा है इसमें हर किसी को किसी न किसी कि जरूरत है तो अपना कुछ समय उन लोगो को भी दे जो छोटे - छोटे सुखों से भी बंचित हैं। करके देखना दोस्तों बाकई में आपको दिव्य अनुभूति (चरम सुख) कि प्रप्ति होगी ।

Fish story

Friends, today we will introduce you to such a story, after which you will experience joy and your outlook will become positive.

We cannot say with certainty that our positive action will make any difference in the life of another. That can only be hoped. Being a teacher, I can say with certainty that students come to the class for the purpose of appearing in the classroom more than they learn. But there were also students who understood the text of that subject and did what they wished in their life and were also very successful. It is difficult to say what could have influenced his life so much.

I remember the story of the fish that reminds us how we can change someone's life, if we can bring a pleasant change in someone's life then there is no better gift than this. We cannot change every one's life, but it is also a matter of bringing one into one's life as told in the story of that fish. Ask yourself the question, where are the fishes in your life. At home, at the office, or at the beach? There will be different fish for each of us.

The only equality is that if we try, we can touch the life of anyone. We can make him happy. Whether we smile, love, say hello or don't interfere in someone's life, and when our fish finds its own sea, we will feel proud that we have given someone a small gift gave.

Fish story

One day a man was walking on the beach. When he saw a boy repeatedly picking up something and hurling it into the sea. Going to the boy, the man asked, "What are you doing? The boy replied," I am putting the fish back in the water, but you will not die.

The man said, son, don't you know that there are thousands of fish on the sea shore. What you will be able to change, how many people will be saved.
After hearing this, the boy bowed down and picked up another fish and put it in the sea water, then looking at the man smilingly said, I could not get revenge, in that one's life,

Friends, this life is full of sorrows, in which everyone needs someone or other, then give some time to those who are also suffering from small pleasures. You will see the divine feeling (extreme pleasure) in friends' rest.

                                            

मोटिवेशनल बायोग्राफी कैलाश ,hindi motivational story kailash khair, hardwork story, success story tips

                                         मोटिवेशनल  बायोग्राफी कैलाश khair


कैलाश खेर (जन्म ७ जुलाई १९७३) को उत्तर प्रदेश में हुआ वे एक भारतीय पॉप-रॉक गायक है जिनकी शैली भारतीय लोक संगीत से प्रभावित है। कैलाश खेर ने अबतक १८ भाषाओं में गाने गाया है और ३०० से अधिक गीत बॉलीवुड में गाये है।




कैलाश खेर को संगीत मानों विरासत में मिली हो। उनके पिता पंडित मेहर सिंह खेर पुजारी थे और अक्सर घरों में होने वाले इवेंट में ट्रेडिशनल फोक सॉन्ग गाया करते थे। कैलाश ने बचपन में पिता से ही संगीत की शिक्षा ले ली थी। लेकिन वह कभी भी बॉलीवुड गाने सुनना पसंद नहीं करते थे और ना ही सुना करते थे पर उनको संगीत से लगाव तो काफी था।

संगीत सीखने के लिए घर से की बगावत

कैलाश जब 13 साल के थे तभी वो संगीत की बेहतर शिक्षा लेने के लिए घरवालों से लड़कर दिल्ली आ गए थे। यहां आकर उन्होंने संगीत की शिक्षा तो लेनी शुरू कर दी लेकिन साथ में पैसे कमाने के लिए छोटा सा काम शुरू कर दिया। साथ में विदेशी लोगों को संगीत भी सिखाकर पैसे कमाते थे।

बिजनेस में घाटे के करना चाहते थे सुसाइड

दिल्ली में रहते हुए 1999 तक कैलाश खेर ने अपने एक फैमिली फ्रेंड के साथ एक्सपोर्ट का बिजनेस करने लगे थे। इसी साल उन्हें इस कारोबार में इतना बड़ा घाटा हुआ जिसमें वह अपनी सारी जमा पूंजी गंवा चुके थे। इसी वक्त कैलाश इतने डिप्रेशन में चले गए थे कि वो जिंदगी से तंग आकर सुसाइड करना चाहते थे। इन सब से किसी तरह से निकलने के बाद कैलाश पैसे कमाने के लिए सिंगापुर और थाइलैंड चले गए। जहां 6 महीने रहने के बाद वो वापस भारत आकर ऋषिकेश चले गए और कुछ दिनों तक वहीं रहे। वहां वे साधू-संतो के लिए गाना गाया करते थे। कैलाश के गाने को सुनकर बड़ा से बड़ा संत झूम उठता था, इससे कैलाश का खोया विश्वास वापस आया और वह मुंबई चले गए।


मुंबई आने के बाद कैलाश ने काफी गरीबी में दिन गुजारें। घर में नहीं बल्कि कैलाश वहां चॉल में रहते थे। उनके हालत कैसे थे वो इसी बात से पता चलता है कि उनके पास पहनने के लिए एक सही चप्पल भी नहीं थी। वह एक टूटी चप्पल ले 24 घंटे स्टूडियो के चक्कर लगाते रहते ताकि कोई तो उनकी आवाज को सुन उनको गाने का मौका दे दे।

एक दिन उन्हें राम संपत ने एक ऐड का जिंगल गाने के लिए बुलाया, जिसके लिए उन्हें 5000 रुपए मिले। तब पांच हजार रुपए भी कैलाश को बहुत ज्यादा लगे और इनसे उनका कुछ दिन का काम चल गया। 'अल्ला के बंदे हम' ने दिलाई एक अलग पहचान दिलाई।


कैलाश ने मुंबई में कई सालों तक स्ट्रगल करने के बाद फिल्म अंदाज से उन्हें ब्रेक मिला। इस फिल्म में कैलाश ने 'रब्बा इश्क ना होवे' में अपनी आवाज दी। लेकिन कैलाश के किस्मत का तारा तब चमका जब उन्होंने फिल्म वैसा भी होता है में 'अल्ला के बंदे हम' गाने में अपनी आवाज दी। ये गाना आजतक कैलाश के हिट गानों में से एक है।

18 भाषाओं में गाया  गाना

कैलाश खेर ने अबतक 18 भाषाओं में गाने गा चुके हैं। 300 से अधिक गाने कैलाश ने सिर्फ बॉलीवुड में गाए हैं। कैलाश को अपने गानों के लिए दर्जनों अवार्ड मिल चुके हैं। कैलाश खेर 2009 में मुंबई बेस्ड शीतल से शादी की। उनका एक चार साल का बेटा है, जिसका नाम कबीर है।

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