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अगर कोई पुरूष एक स्त्री को या कोई स्त्री एक पुरूष को अपना प्रेम प्रदान कर देती है। ब्रहाम्चर्य life,control of sex

                                               ब्रहाम्चर्य

अब ब्रहाम्चर्य व्याख्या को उसके अर्थाे को ले । उसका धात्वर्थ यो किया जा सकता है वह आचरण जिससे ईश्वर के साथ सम्पर्क स्थापित हेाता है। यह आचरण है सब इन्द्रियों पर सम्पूर्ण नियंत्रण इस शब्द का सच्चा और ठीक अर्थ है।



आम तौर पर इसका अर्थ जननेन्द्रिय पर केवल शारीरिक नियंत्रण किया जाता है। इस संकुचित अर्थ से ब्रहाम्चर्य कि अधोगति हुयी है और उसका पालन लगभग असंभव बन गया है। सारी इन्द्रियों पर ठीक काबू हुए बिना जननेन्द्रियों पर काबू पाना असम्भव है। वे सब एक दूसरे पर निर्भर है। निम्न स्तर पर मन भी इन्द्रियों में शामिल है। मन पर काबू पाये बिना शारीरिक नियंत्रण थोडी देर के लिये हो भी सकता है तो इसका बहुत थ्ेााडा या कुछ भी उपयोग नहीं है।
                             
                                  हरिजन

अस्वाद ब्रत का ब्रहाम्चर्य पालन के साथ बडा गहरा संबंध है मैने अनुभव से पाया है कि यदि स्वाद पर काबू पा लिया जाये तो ब्रहाम्चर्य का पालन बहुत आसान हो जाता है।
                             
                                महात्मा गांधी
अगर कोई पुरूष एक स्त्री को या कोई स्त्री एक पुरूष को अपना प्रेम प्रदान कर देती है तो फिर बाहर कि दुनिया के लिये रह ही क्या जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि हम पहले और दूसरे सब बाद में ?? चूकि पवित्रता पत्नी को अपने पति के लिये सर्वस्य बलिदान करने के लिये तैयार रहना चाहिये और एक पत्नीव्रती पति को अपनी पत्नी के खातिर सब कुछ त्याग करने को तैयार रहना चाहिये। इसलिये स्पष्ट है कि ऐसे व्यक्ति विश्वप्रेम को अपना परिवार नहीं समझ सकते क्योकि वे अपने प्रेम के चारों ओर एक दीवार खडी कर देते है।उनका परिवार जितना बडा होगा उतने ही वे विश्वप्रेम से दूर रहेगें।इसलिये जिसे अहिंसा धर्म का पालन करना है वह विवाह नहीं कर सकता है।विवाह बंधन के बाहर विषय भेागी कि बात तो कर ही कैसे सकता है।
तो फिर जो विवाह कर च ुके है उनका क्या हो ??? क्या वे सत्य के दर्शन कभी नहीं कर सकेगे??? क्या वे मानवता कि वेदी पर कभी सर्वस्व का बलिदान नहीं का सकते??? उनके  लिये भी एक मार्ग है वे ऐसा व्यवहार करे मानो उनका विवाह हुआ ही नही जिन लोगो में यह सुखद अवस्था भोगी है वे इसकी गवाही दे सकेगे। मेरी जानकारी में अनेको ने सफलता पूर्वक यह प्रयोग किया है।
यदि दम्पत्ति में एक-दूसरे को भाई-बहन समझ ले तो वे विश्व सेवा के लिये मुक्त हो जाते है,संसार कि सारी स़्ित्रयां मेरी बहन ,माता,या पुत्रियां है, यह विचार ही मनुष्य को तुरंत उदात्त बनाकर उसके बंधन तोड डालेगा। इसमें पत्नी पति कुछ भी नहीं खोते इससे उनकी पूंजी और उनका परिवार बढता ही है। उनका प्रेम वासना कि अपवित्रता से मुक्त होकर और भी प्रबल बन जाते है।
                                  महात्मा गांधी 

The truth

Human beings often have to suffer in pursuing religion and duty, but they should not be distracted by fear of suffering. It is possible that a person's neighbor has become rich by cheating others with deceit and hypocrisy and has remained poor. It may also be that people have got a high job by false falsehood and the duty-seeking person has not got anything, and it may also be that they are happy by doing inferior deeds and are suffering the trouble of following the religion.

However, this cannot be interpreted to mean that that person too becomes alienated from duty. The satisfaction and joy that one experiences in living a life while performing his duty religion b. May never be found by the wealth and facilities obtained by the misdeeds, a person corrupted by duty always suffers from apprehension and guilt.

There are three things that hinder the efforts of a person performing duty. First is to be fickle of mind, if the mind does not concentrate, the person will not be able to perform duty. The second hurdle is uncertainty of purpose. Even if the purpose is to persist, man will be unable to follow religion. The third hurdle is that a person with a weak mind can never face obstacles and is therefore unable to perform his duties. While performing duty, a man has to come between two effects. On the one hand his soul warns him by knowing the proper improper deeds and on the other hand, laziness and selfishness wants to alienate him. Those who are strong-minded people. They work on the inspiration of the soul. And perform their duties religion.

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