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किसानों का आंदोलन (मोदीजी) आखिर तेरी समस्या क्या है?

एक महत्वपूर्ण सवाल :--


जब आंदोलन शुरू हुआ था...
आलू 60/-...
प्याज़ 100/-...
टमाटर 60/-...
मटर 100/-...
गोभी 80/- किलो थी...

आंदोलन के बाद आज आलू 10/-...
प्याज़ 30/-...
मटर 20/-...
गोभी 10/-...
टमाटर 20/- किलो मिल रहा है...

अगर ये किसानों
 का आंदोलन होता तो क्या ये सम्भv tha



इस देश के जो भी किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के पक्ष में नहीं हैं, वे अपने स्तर पर भी इन्हें रद्द कर सकते हैं। देखिए कैसे -

1. पहला कानून है कि किसान केवल एपीएमसी मंडियों में बेचने के लिए मजबूर नहीं होगा, जहाँ चाहे और जिसे चाहे बेच सकेगा। जिन किसानों को यह स्वतंत्रता अच्छी न लगे, वे तय कर सकते हैं कि हम तो एपीएमसी मंडी में जा कर उसी आढ़ती को अपनी फसल बेचेंगे, जिसे पहले बेचते रहे हैं। हो गया पहला कानून रद्द!

2. दूसरा कानून है कि किसान फसल रोपते समय ही पहले से किसी खरीदार से समझौता कर सकेंगे कि उनकी फसल वह खरीदार किस भाव पर खरीदेगा। खरीदार, कथित अम्बानी और अडानी से न करें समझौता! हो गया दूसरा कानून रद्द!

3. तीसरा कानून है कि कोई जितनी चाहे उतनी कृषि उपज इकट्ठा रख सकता है, कोई सीमा नहीं रहेगी। वैसे तो किसी किसान के लिए यह बात लागू ही नहीं है, व्यापारियों के लिए है। पर जो किसान इस कानून को गलत पा रहा हो, वह अपने खलिहान में फसल रखने की सीमा खुद तय कर ले! हो गया तीसरा कानून रद्द!



*ईमानदार होने की सजा भुगत रहे हैं मोदी जी* 

अपने जमाने की सुपरहिट फिल्म "जॉनी मेरा नाम" में अभिनेता सज्जन अपने भाई प्रेमनाथ से पूछता है कि..
 
*"आखिर तेरी समस्या क्या है? आखिर मेरा दोष क्या है जो मुझे तू इतनी बड़ी सज़ा दे रहा है?"*

प्रेमनाथ जवाब देता है
 
*"तुम्हारा दोष ये है कि तुम बेहद शरीफ आदमी हो, बेहद ईमानदार हो और तुम्हारी इस शराफत इस ईमानदारी ने बचपन से ही मेरा जीना हराम कर रखा है।*

*शराब तुम नहीं पीते। जुआ तुम नहीं खेलते। अय्याशी भी तुम नहीं करते। तुम्हारी ये शराफत मुझे परेशान करती है। तुम्हारी ये अच्छाई मुझे बुरा बनाती है। अगर तुम भी बुरे होते तो मुझे कोई परेशानी न होती।* 

*आज विपक्ष की भी यही समस्या 
 साल में 365 दिन, प्रतिदिन 18 घंटे काम करते हैं। शराब नहीं पीते। भ्रष्ट नहीं है। अय्याशी नहीं करते। 5-10 दिन तो क्या, 5 घंटे के लिए भी विदेश में आंखों से ओझल नहीं होते। आगे पीछे कोई बेटा-बेटी, बहू-दामाद नहीं है उनका, जिसके लिए वो धन संग्रह करें। उनका ऐसा कोई रिश्तेदार नहीं है, जो दिल्ली की सत्ता के गलियारों में घूम-घूम के रोब झाड़े, दलाली करे ।*

*मोदीजी की समस्या ये है कि किसी स्विस बैंक में उनका कोई खाता नहीं है। मोदीजी की समस्या ये है कि उनके तहखानों में 2000 और 500 की गड्डियाँ नहीं सड़ रहीं हैं। मोदीजी की ईमानदारी, देशभक्ति, वफादारी ही उनकी सबसे बड़ी समस्या और कमजोरी है।*


ज़ाहिर सी बात है..
 *आज की राजनीति में मोदी जी भ्रष्ट नेताओं के लिए एक समस्या बन गए हैं।*

यही है मोदीजी का धेर्य और किसान प्रेम कि इतनी उदंडता होने के बाद भी गोली नहीं चली जबकि 83 पुलिसकर्मी भाई घायल हैं! एक बार पुराने समय की याद दिलाता हूँ करीब 32 साल पहले 25 अक्टूबर 1988 को किसान नेता महेंद्र सिंह जी टिकैत के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन के लोग अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में बोट क्लब पर रैली करने वाली थे! किसान बिजली, सिंचाई की दरें घटाने और फसल के उचित मूल्य सहित 35 सूत्री मांगों को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में दिल्ली आ रहे थे, उनको दिल्ली के लोनी

बॉर्डर पर पुलिस प्रशासन के द्वारा बल पूर्वक रोकने की कोशिश की गई! किसान नहीं रुके पुलिस ने लोनी बॉर्डर पर फायरिंग की और दो किसानों की जान चली गई! पुलिस की गोली लगने से कुटबी के राजेंद्र सिंह और टिटौली के भूप सिंह की मौत हो गई थी! इसके विपरीत वर्तमान में सरकार ने किसान भाइयों को आंदोलन के लिए स्थान ही नहीं दिया अपितु हर समय वार्ता के लिए आगे आए! आपने देखा ही होगा कि कितने चरण की वार्ता हो चुकी हैं अब तक लेकिन किसान भाई कोई बीच का रास्ता मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं! ट्रेक्टर रैली की अनुमति भी सरकार द्वारा देदी गयी ताकि किसानो को भड़काने वाले यें ना कह सके कि आपको अनुमति क्यों नहीं मिली! सरकार अपनी ओर से पूर्ण धेर्य धारण करकें बैठी हैं उसके बाद इस प्रकार की अराजकता निंदनीय ही हैं! मेरे हिसाब से गणतंत्र दिवस पर जो हुआ वह बहुत ही गलत था और किसी भी समझदार व्यक्ति को इसका पक्ष नहीं लेना चाहिए! किसान संगठनों को अब समझदारी दिखाते हुए शान्ति स्थापित करके कोई बीच का रास्ता अपनाते हुए आंदोलन को समाप्त कर देना चाहिए! खाली आँख बंद करके विरोध करने की जगह एक बार देखना चाहिए कि क्या सही में किसानो को इन क़ानून में हुए बदलाव से नुक़सान होता हैं या फ़ायदा! चाहे कोई माने या ना माने किन्तु ये आंदोलन अब केवल किसान आंदोलन नहीं रहा हैं!!

Coronavirus vaccines कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' किसे मिलेगी

Corona Vaccine: कीमत-असर से लेकर साइड इफेक्ट्स तक, जानिए वैक्सीन से जुड़े इन 21 सवालों के जवाब

Corona vaccine



आखिर कोरोना के खिलाफ बनी 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' किसे मिलेगी, कैसे मिलेगी, कब मिलेगी, किस कीमत पर मिलेगी, वैक्सीन से कोई खतरा तो नहीं होगा और सबसे अहम सवाल ये वैक्सीन हमारे और आपके जैसे बेहद आम लोगों तक कब, कैसे और किस कीमत पर पहुंचेगी? जानिए सभी जरूरी सवालों के जवाब.

Coronavirus vaccines : नया साल आते ही देश में बड़ी खुशखबरी आ गई. जिस कोरोना से 2019 से लेकर 2020 के आखिर तक पूरी दुनिया में तबाही मचाता आ रहा था, अब उसका आखिरी वक्त आ गया है. लभारत भी ब्रिटेन और अमेरिका की लीग में शामिल हो ही गया और पहले स्वदेशी कोवैक्सीन को आज अनुमति मिल गई. साथ ही भारत के ही सीरम इंस्ट्यूट की अगुआई में बनी कोविशील्ड को भी आपातकालिक इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है. अब 2021 की इस खुशखबरी के साथ खड़े हो रहे हैं 21 सवाल जो आपके जेहन में भी होंगे.


आखिर कोरोना के खिलाफ बनी 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' किसे मिलेगी, कैसे मिलेगी, कब मिलेगी, किस कीमत पर मिलेगी, वैक्सीन से कोई खतरा तो नहीं होगा और सबसे अहम सवाल ये वैक्सीन हमारे और आपके जैसे बेहद आम लोगों तक कब, कैसे और किस कीमत पर पहुंचेगी? जानिए सभी जरूरी सवालों के जवाब.



.
सवाल-1


कोरोना की ये दोनों वैक्सीन कितनी कारगर हैं?


जवाब-


70 फीसदी से ज्यादा कारगर


सवाल -2


क्या वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट है?


जवाब-


नहीं, अब तक चूहे से लेकर बंदर और चिंपाजी जैसे प्राइमेट्स और इंसानों पर किए गए ट्रायल में ऐसा कोई साइड इफेक्ट नहीं पाया गया.


सवाल -3


वैक्सीन का असर कितने दिन तक?


जवाब-


साफ नहीं, अलग अलग कंपनियों के दावे


सवाल -4


वैक्सीन के कितने डोज जरूरी?


जवाब-


2 डोज से लेकर 3 डोज तक


सवाल -5


दो वैक्सीन का अंतराल कितना?


जवाब-


दो हफ्ते से दो महीने तक


सवाल -6


अंतराल के दौरान कोरोना संक्रमण संभव?


जवाब-


हां, पूरी इम्यूनिटी डोज पूरा होने पर ही. हाल ही में हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री को वैक्सीन ट्रायल की पहली डोज लगी थी लेकिन उसके बावजूद दूसरी डोज लगने से पहले वो कोरोना संक्रमित हो गए.


सवाल -7


टीके कीमत क्या होगी?


जवाब-


कोवैक्सीन- 100/डोज


कोविशील्ड- 1000/डोज


सवाल -8


क्या टीका मुफ्त लगेगा?


जवाब-


डॉक्टर समेत 3 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर को मुफ्त. आम जनता के लिए रुख अभी साफ नहीं


सवाल -9


शुरू में कितने लोगों को टीका लगेगा?


जवाब-


3 करोड़ फ्रंट लाइन वर्कर


27 करोड़ बुजुर्ग और बीमार


सवाल -10


टीकाकरण में बच्चों का क्या होगा?


जवाब-


बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं, ट्रायल सिर्फ 16 साल के ऊपर पर


सवाल -11


गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण संभव?


जवाब-


कंपनियों का अब तक कोई दावा नहीं


सवाल -12


जिन्हें कोरोना हो चुका है उन्हें वैक्सीन कब?


जवाब


जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है उन्हें जल्द वैक्सीन. पुराने लेकिन स्वस्थ संक्रमितों को आखिर में वैक्सीन.


सवाल -13


क्या देसी और विदेशी वैक्सीन में फर्क है?


जवाब-


तकनीक का फर्क, असर करीबन एक जैसे का दावा


सवाल -14


वैक्सीन के बाद सावधानी बरतनी जरूरी?


जवाब-


मास्क, सैनिटाइज, सोशल डिस्टांसिंग जारी रहेंगे


सवाल -15


नए स्ट्रेन पर वैक्सीन कितनी कारगर


जवाब-


मॉडर्ना का दावा- पूरी तरह कारगर


मॉडर्ना का बयान


अब तक मौजूद जानकारी के हिसाब से मॉडर्ना की वैक्सीन नए स्ट्रेन पर पूरी तरह कारगर है वैसे हम आगे भी जांच कर रहे हैं


सवाल -16


क्या खाने पीने में एहतियात जरूरी


जवाब-


शराब को छोड़ कर कोई रोक नहीं


स्पूतनिक 5-वैक्सीन लेने के दो हफ्ते पहले से वैक्सीन लेने के 42 दिन बाद तक परहेज. बाकि कंपनियों का दावा- शराब पीने से इम्यूनिटी घटती है इसलिए परहेज जरूरी.


सवाल 17


भारत में वैक्सीनेशन के इंतजाम कैसे?


जवाब-


तैयारी पूरी, ड्राई रन जारी


सवाल -18


भारत में पूरा वैक्सीनेशन में कितना वक्त लगेगा?


जवाब-


वैक्सीनेशन शुरू होने के 2 से 3 साल तक


सवाल -19


वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद संक्रमण में कमी आएगी?


जवाब-


जितने लोगों का टीकाकरण उतने कम केस आएंगे


सवाल -20


क्या हर साल लगानी होगी वैक्सीन?


जवाब-


इम्यूनिटी का डाटा आने पर साफ होगा


सवाल -21


क्या कोरोना वैक्सीन से नपुंषकता संभव है


जवाब-


बिल्कुल नहीं, पूरी तरह निराधार


2021 के इन इक्कीस सवालों में शायद आपके भी सवाल हों और उम्मीद है कि उनका जवाब मिल गया हो.

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योग का अर्थ है जोडना, यह कोई गुप्त विधा नही है #indian girl beauty tips

योग का अर्थ है जोडना, यह कोई गुप्त विधा नही है। गुप्त विधा से भावार्थ यह है कि जिस प्रकार कुछ धर्म गुरू अपने मत कि दीक्षा देते है और दीक्षित व्यक्ति को कोई मन्त्र दिया जाता है, जिसे वह गुप्त रखता है। यह बात ठीक है कि किसी भी विधा या कार्य को सीखने के लिए या उसमें पारंगत होने के लिये मार्गदर्शन कराने वाले गुरू कि भी आवश्यकता होती है परन्तु योग में गुरू कोई बात गुप्त रखने के लिये नही कहता।







योग में जोडने का अर्थ है मन शरीर और इन्द्रियों को साध कर एक ओर लगाना उसी प्रकार है जिस प्रकार किसी भी कार्य को आप जितना तन्मय होकर करते है। आपको उसमें उतनी ही सफलता मिलती है। इसी प्रकार यदि आप मन,शरीर और इन्द्रियों को वश में करके किसी भी ओर लगायेगे तो आप कुछ भी करने में समर्थ होगे।

योगासन योग की पहली सीढी है, जिनका उददेश्य व्यक्ति को स्वस्थ्य,सुडौल और सहनशील बनाना है। यदि आप दवाओं से तंग आ चुके अथवा आपको निराशा ने आ घेरा है, तो आपके लिये हमारी वेवसाइट जरूर फायदेमंद होगी। आप बगैर कुछ खर्च किये घर पर ही लम्बा,स्वस्थ्य जीवन जी सकते हैं ,और अपने व्यक्तित्व को आर्कषक एवं शरीर को पूर्ण स्वस्थ्य बना सकते है। विश्वास रखें।


मैने इसमें आपके लिये सरल और सुगम भाषा में चित्रों सहित प्राचीन ऋषि-मुनियों ,तपस्वियों एवं दिग्गजों, चिकित्सकों का लुप्तप्राय ज्ञान, जिससे अत्यन्त साधारण शिक्षित स्त्री-पुरूष भी भरपूर लाभ उठा सकते हैं। विश्वास रखें। 
मैं योग का एक मामूली सा साधक हूॅ और अनुभवों के आधार पर मेरी यह मान्यता बन चुकी है कि योग का रहस्य इतना सूक्ष्म है कि उसे साधारण प्राणी नही समझ सकता, परन्तु नियमो या मार्ग पर चलने आदि का पालन और आचरण करके हम स्वस्थ्य रह सकते हैं।
योग विधा प्राप्त करने के लिये आपको साधु बनने कि जरूरत नही है,न ही परिवार का त्याग करने कि जरूरत है,व्यक्ति कोई भी काम करता हो अथवा किसी भी धर्म में आस्था रखता हो योग विधा को जानकर स्वस्थ्य रह सकता है।
इस धरती पर प्रभु की सर्वोत्तम रचना मानव है,परन्तु यह सर्वश्रेष्ठ क्यों हैं कम लोग ही जानते हैं। इस धरती के सभी जीव-जन्तुओं एवं मनुष्यों में अधिकाश्ंा बातें समान हैं।

आहार निद्रा भय मैथुनष्च
सामान्यमेतत पशु भिनंराणाम
धर्मो हि तेषमधिको विशेषः
धर्मेण हीना पशुभि समाना।।

सोना, खाना ,पीना ,बच्चे पैदा करना आदि अधिकाशं बातें आदमी और पशु दोनो में समान है। विशेषता है तो केवल मानव धर्म कि जीवन मे कर्तव्य और ज्ञान कि । 


आज स्पष्ट देखने में आता है कि मनुष्य में अपने कर्तव्य के प्रति चेतना कि तो बात अलग है वह तो अनेक ऐसे कुकर्म भी करता है जिसे पशु भी नही करते।
क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपने यह मानव का शरीर क्यों धारण किया है। आप कौन हैं। यहां क्यों आये हैं। आपको क्या करना है।
मनुष्य कि औसत आयु क्या है। यहि कोई साठ-सत्तर साल इस आयु को मनुष्य कैसे गुजारता है। आधा समय सोकर नींद में दिन का लगभग एक चैथाई खाने पीने, सजने संबरने में और शेष चैथाई समय से कुछ अधिक व्यवसाय या पैसा कमाने में इस के बाद कितना समय उस के पास शेष बचता है जब वह अपने बारे में सोच सके।
जीवन के चार भाग है, पहला बचपन जब मनुष्य चलना फिरना सीखता है जीवन के बीस बाइस साल तो अचेतनअवस्था में ही गुजर जाते है। उसके बाद आता है यौवन काल इस समय या तो आशकि में या विवाह करके बीबी बच्चों में व गृहस्थ्य के चक्कर में गुजर जाता है। तीसरी अवस्था में कुछ समय बच्चों कि विवाह शादियों कि चक्कर में गुजर जाता है। चैथी अवस्था यानी बुढापा आ जाता है।
आदमी का तन के साथ मन भी जर्जर होने लगता है। उस समय वह बीमारियों के चक्कर में टूटा हुआ जीवन जीता है ,जिसे जीवन जीना कभी नही कहा जा सकता।
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इन खास ट्रिक्स को अपनाइए, आप भी बन जाइएगा स्मार्ट ट्रेवलर













अगर आप कहीं यात्रा पर निकल रहे हैं और चाहते हैं की आपका सफ़र शानदार और बिना किसी परेशानी के पूरा हो जाए तो घुमने जाने से पहले कुछ उपायों का करना आपके लिए बेहद जरुरी है. अक्सर यात्रा के दौरान हमारे साथ न चाहते हुए भी कई छोटे मोटे एक्सीडेंट हो जाते हैं. जैसे तबियत ख़राब होना, मोबाइल की बैटरी ख़त्म हो जाना, बैग चोरी होना, टिकट गुम हो जाना और भी न जाने कितनी परेशानी उस वक़्त हमारे सामने आ जाती है और फिर सफ़र का पूरा मजा किरकिरा हो जाता है. ऐसे में #HindiTravelBlog आपको ये खास ट्रिक्स बताने जा रहा है जिसे अपना कर आप अपने सफ़र को पूरा एन्जॉय कर सकते हैं.



जगह को पहले अच्छी तरह से जान लें:

आपने जिस जगह घुमने जाने का प्लान बनाया है पहले उसके बारे में पूरी जानकारी पता कर लें. इंटरनेट, अखबार, पत्रिका आदि से पूरी डिटेल्स जान लें, मसलन वहां का मौसम कैसा है, घुमने लायक कौन कौन सी जगहें हैं, सबकी दूरी कितनी है, होटल्स के रेंज क्या है, आने जाने का क्या साधन है. अगर आपके जान पहचान का कोई व्यक्ति पहले उन स्थानों पर जा चुका है तो उनके अनुभव भी जानना आपके लिए अच्छा रहेगा.

सामानों की हिफाजत पहले कीजिये:

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घुमने जाने के लिए आप जो बैग पैक करते हैं उसकी सुरक्षा भी बेहद जरुरी है वर्ना जरा सोचिये आप कहीं अनजान जगह जा रहे हो और थोड़ी सी लापरवाही से पूरा सामान खो या चोरी हो जाए तो स्थिति कितनी कष्टप्रद हो जाएगी. इसलिए सामानों की पैकिंग के दौरान ही ताला और चेन रखना न भूले. रात के सफ़र में आप अपने सारे लगेज को गाड़ी में इससे लॉक करके आराम से नींद का मजा उठा सकते हैं.

भारी भरकम सामान ले जाने से बचें:

#bloggingtips



सफ़र में भारी भरकम सामान ढोना भी किसी आफत से कम नहीं. इसलिए कोशिश करें अपने साथ जितना कम हो सके उतना ही कम सामान रखें. कपडें वगैरह भी आवश्यकता के अनुसार पैक करें. ऐसा न हो की आप पूरे सफ़र के दौरान भारी बैग लेकर पसीना बहाते फिरे, ऐसे में आप अपनी घुमक्कड़ी भी ठीक से एन्जॉय नहीं कर पाएंगे.

जरुरी दवाइयों को रखें अपने पास:

दिनभर की यात्रा में अक्सर हम इतना थक जाते है कि शाम होते होते पूरा शरीर जवाब देने लगता है, ऐसे में दवाइयों का हमारे पास रहना भी बहुत जरुरी है. अपने पास फर्स्ट ऐड किट जरुर रखें. रास्ते में भी कहीं कोई चोट या दुर्घटना होती है तो ये काम आ सकते हैं.

Touristblogs

तस्वीरों से भी ले सकते हैं मदद:

आपके पास भले पेन और डायरी हो जिसपर आप घुमने के दौरान सभी आवश्यक जानकारी दर्ज करते होंगे, पर हर वक़्त आप ऐसा नहीं कर सकते. इसलिए अगर आप किसी नए जगह, होटल का कमरा नंबर या पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करते हो तो अच्छा होगा उस जगह की मोबाइल से ही तस्वीरें उतार लें. इससे आप आसानी से उन जगहों को याद रख सकते हैं.

मोबाइल-कैमरे को हमेशा रखें चार्ज

Tourandtravellguide

ट्रिप के लिए निकल रहे हैं तो मोबाइल, कैमरा और पॉवर बैंक सबको फुल चार्ज रखें. यह मत सोचें कि एयरपोर्ट, स्टेशन या होटल के कमरे में कर लेंगे. कभी कभी परिस्थितयां प्रतिकूल भी हो जाती है. वहीँ अगर अगले दिन सुबह आपको घुमने निकलना है तो रात में ही अपने सभी गजेट्स को चार्ज कर तैयार कर लें.

 जरुरी डॉक्यूमेंट की रखें फोटो कॉपी:

अपने पास सभी डाक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी भी याद से रख लें, साथ ही मोबाइल में भी फोटो खिंच कर सेव कर लें. हो सके तो आई कार्ड, पासपोर्ट आदि को स्कैन करके उसे खुद को ही मेल कर दें, अगर आपका वॉलेट या पर्स खो जाये तो मेल से उसका प्रिंट आउट कर सकते हैं.

पैसों को न रखें एक जगह:

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सफ़र के दौरान एक बात यह भी गांठ बाँध ले कि अपने सारे पैसों को कभी भी एक जगह नहीं रखें. थोड़ी थोड़ी मात्रा में पैसों को अलग अलग जगहों पर छिपा दें. उसे आप बैग के किसी भीतरी जगह, मौजा आदि जगहों में रख दें. ऐसे में इसका बड़ा फायदा यह होगा कि अगर वॉलेट या पर्स गायब होता है तो आपके सारे पैसे चोरी होने से बच जायेंगे.

हर जगह पहुंचे वक़्त से पहले:

अपने सफ़र को सुखद बनाने के लिए हर जगह वक़त से पहले पहुंचे. रेलवे स्टेशन हो चाहे एयरपोर्ट पहले पहुँचने से आप जर्नी से रिलेटेड सारे प्रोसेस समय रहते पूरा कर सकते है. और गाड़ी छूटने का भी डर नहीं रहता.




लोग क्यों मजबूर हो जाते है अपनी जान लेने के लिये depressed life

लोग क्यों मजबूर हो जाते है अपनी जान लेने के लिये लाइफ कोरोनावाइरस  सुशांत सिंह राजपूत 





दोस्तो nomadsachinblogs में आपका स्वागत है दोस्तों वैसे तो लाॅकडाउन और कोरोना वााइरस में सभी की हालत ख़राब है  बदलते लाइफस्टाइल में डिप्रेशन की बीमारी अब आम हो रही है। महानगर से निकलकर यह छोटे शहरों और कस्बों तक पहुंच रही है। इसके शिकार न सिर्फ युवा और बुजुर्ग बल्कि स्कूल जाने वाले स्टूडेंट भी हैं। इसका इलाज  दवाओं से नहीं हो सकता। इससे उबरने के लिए परिवार दोस्त और अपनों के साथ की भी दरकार होती है।  लंबे वक्त में लाइफस्टाइल रिश्ते इमोशंस के साथ बुने गए ताने.बाने में जब सुराख होता है तो उम्मीदें धरी रह जाती हैं। सपने गायब हो जाते हैं। ऐसे हालात में मानसिक तौर पर टूटना लाजमी है।






तो क्या है ये यह केमिकल लोचा

डिप्रेशन की सबसे बड़ी वजह है चिंता और तनाव यानी दिमाग में केमिकल लोचा। इसके लिए आमतौर पर जिम्मेदार हालात हैं

. प्रियजन से बिछड़ना ;मसलन ब्रेकअप किसी की मौत या तलाक


. नौकरी छूटना या पैसे.जायदाद का नुकसान




. रिटायरमेंट के बाद खुद को बेकार समझना

. किसी कड़े मुकाबले में हार जाना

. मेहनत के बाद भी उम्मीद के मुताबिक नतीजा न मिलना

. कर्ज बढ़ जाना और उसे चुकाने का जरिया न होना

. भविष्य के प्रति अनिश्चितता

. किसी बड़ी बीमारी या मौत का खौफ आदि।



दरअसल जब नेगेटिव सोच का दायरा और वक्त बढ़ता है तो इंसान को उदासी घेर लेती है। महानगरीय जीवन में सबसे ज्यादा परेशानी होती है सपने टूटने से। उससे ज्यादा तकलीफ होती है भरोसा खत्म होने से। सपना और भरोसा साथी जॉब या रुपए.पैसे को लेकर हो सकते हैं। प्यार में दिल टूट सकता है और इसका दर्द 21 से 35 साल की उम्र वालों को ज्यादा सताता है। खासकर ऐसे पुरुष या महिला डिप्रेशन के हालात में ज्यादा पहुंचते हैं जो अपनी फैमिली से लंबे समय तक दूर रहे हैं। गांव.देहात में अपनों की मौतए खेती के खत्म होने कर्ज और लंबी बीमारी अक्सर लोगों को डिप्रेशन में ले जाती है।
                                                                                                         




कैसे.कैसे डिप्रेशन

मेजर डिप्रेशनः यह बहुत कॉमन नहीं है। ऐसा किसी का साथ या आदत अचानक खत्म होने पर होता है। इसे आप इमोशनल डिसऑर्डर कह सकते हैं जहां बीमार खुदकुशी की हद तक जा सकता है।

टिपिकल डिप्रेशनः यह उदासी का वह दौर है जिसमें बीमार खुशियां और गम न तो शेयर करता है और न ही किसी चीज को इंजॉय करता है।

साइकॉटिक डिप्रेशनः ऐसे हालात में बीमार को अनजान आवाजें सुनाई देती हैं और वह काल्पनिक चीजों में यकीन करने लगता है। वह शक या वहम का शिकार हो जाता है। कई बार वह खुद से बात करता नजर आता है। उसे लगता है कि सब कुछ खत्म हो रहा है।

डिस्थायमियाः जिंदगी सामान्य चल रही होती है लेकिन शख्स अक्सर उदास रहता है। लाइफ में खालीपन महसूस करता है और असंतुष्ट रहता है। अपनी लाइफ को एन्जॉय नहीं करता।

पोस्टपॉर्टमः डिलिवरी के बाद कई बार महिलाओं में डिप्रेशन का भाव घर कर जाता है। यह बहुत ही कॉमन है।



मैनियाः अक्सर उम्मीद के मुताबिक रिजल्ट न आने पर ऐसी ही मायूसी आती है। ऐसा एग्जाम के रिजल्टए ऑफिस में वर्क लोड और एप्रेजल के बाद देखने को मिलता 

मत उदास हो दोस्त मैं हूं ना अब ये  कहने वाले बहुत कम लोग बचे हैं दुनिया मे 




डिप्रेशन के दौरान एक सवाल कॉमन है . मेरे साथ ही इतना बुरा क्यों ऐसे में जब दोस्त ज्यादा उदास हो तो उसका हाथ थाम लें या कंधे पर हाथ रखें ताकि उसे भरोसा हो कि वह अकेला नहीं है। . .

. ब्रेकअप के बाद कपल के पास एक.दूसरे के लिए सैकड़ों सवाल होते हैं। वह बार.बार जवाब के लिए फोनए चैट या मेसेज से एक्स पार्टनर को परेशान कर सकता है। बतौर दोस्त उसे रोकें क्योंकि साथ छोड़ने वाला कभी सही जवाब नहीं देगा।

. बातों.बातों में उसे बताएं कि वह दुनिया का पहला शख्स नहीं हैए जिसे कोई छोड़कर गया है। ऐसे ब्रेकअप के किस्सों से दुनिया भरी पड़ी हैं। अगर कोई उदाहरण आसपास मौजूद हो और वह सामान्य जिंदगी जी रहा हो तो उससे मिलवा भी दें।

. परेशानी में कई बार लोग नशे का सहारा ढूंढते हैं। कई नामी हस्तियों की अधूरी प्रेम कहानी शराब के गिलास में खत्म हो गई।

. अक्सर डिप्रेशन में बदला लेने का ख्याल आता है 


. जब अग्रेसिव होने लगे तो बीच में डांट.डपट बिल्कुल न करें। कई बार मनोबल तोड़नेवाली बातें उसके गुस्से को बढ़ाती हैं। 


. डिप्रेशन के दौरान पीड़ित में त्याग की भावना पैदा होती है। अनमोल रिश्तों सामान और समय के खोने पर भी वह उसे अपनी किस्मत मानता है। 

;भावुक 



करियर के कारण टेंशन रखने वाला गुस्सैल शख्सः नक्स.वोमिका 

किसी अपने के इग्नोर करने से दुखी शख्सः पुल्साटिला 

जिसे जल्द डिमांड पूरी न होने पर गुस्सा आता होः आर्सेनिकम अल्बम 

गर्लफ्रैंड व बॉयफ्रैंड के बीच के रिश्ते इतने जटिल क्यों हो जाते हैं? boyfriend-girlfriend



हर कोई रिश्तों की मिठास को भी जानता है मगर रिश्तों में काफी खटास भी होती है जिसका स्वाद आपको मिलने लगा है। लोग आम तौर पर शरीर पर आधारित रिश्तों के बारे में सोचते हैं। मगर रिश्ते कई प्रकार के हो सकते हैं।

अगर उन रिश्तों का आधार शरीर है तो आम तौर पर एक.दूसरे के शरीर को लेकर रोमांच कुछ समय बाद खत्म हो जाता है। जिसे आपने चरम सत्य समझा था वह कुछ समय बाद चरम सत्य नहीं रह जाता। यह स्वाभाविक है कि जब लोगों को साथ लाने वाला मुख्य आकर्षण एक तरह से पिघलने लगता है तो आपके लिए वह अहम नहीं रह जाता। कारण समझे बिना वे एक.दूसरे के प्रति कड़वे होने लगते हैं क्योंकि दरअसल ऐसे रिश्ते का मकसद दूसरे व्यक्ति से मिठास और खुशी को निचोड़ना होता है। अगर आप किसी से खुशी निचोड़ने की कोशिश करेंगे तो कुछ समय बाद जब आपको पहले जैसे नतीजे नहीं मिलते तो रिश्ते में कुछ कड़वाहट आ जाती है।


रिश्ते ख़ुशी को प्रकट करने के लिए होने चाहिएं


जब आप बूढ़े होने लगते हैं तो कुछ चीजें हो सकती हैं। कल से आज तक आप थोड़े बूढ़े हो जाते हैं। तो आज जब आप युवा हैं आपको उन सभी रिश्तों के बारे में सोचना चाहिए जो आपके जीवन में हैं सिर्फ जैविक रिश्तों के बारे में नहीं वह खुशी को प्रकट करने पर आधारित हो खुशी को निचोड़ने पर नहीं।


इसके लिए सबसे पहले आपको अपनी प्रकृति से आनंदित होना चाहिए। अगर आप आनंद का उल्लासमय प्रवाह बनने पर फोकस करें और आपका रिश्ता इस खुशी को साझा करने के लिए है तो आम तौर पर लोग रिश्तों में जिस सर्कस से गुजरते हैं आपको उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है।


छोटी.छोटी बातों को सम्भालने से अच्छा है खुद को संभालना


एक रिश्ता जीवन के सिर्फ एक क्षेत्र में नहीं रहता। एक बार साथ आने के बाद लोग कई चीजें साझा करते हैं। स्वाभाविक रूप से आप छोटी.छोटी बातों पर एक.दूसरे को चोट पहुंचाना शुरू कर देंगे। इसके कारण आपके बीच बात बढ़ सकती है या झगड़ा हो सकता है ऐसा होता है।


ऐसी चीज़ें आप रोज.रोज नहीं संभाल सकते। तो सबसे बेहतर है खुद को इस तरह रखना कि आप कुदरती रूप से एक उल्लसित आनंदित प्राणी हों। अगर ऐसा होता है तो आपके रिश्ते जरूरत पर आधारित नहीं होंगे।


जब रिश्ते जरूरत पर टिके होते हैं तो अपनी जरूरत पूरी न होने पर आप शिकायत करना शुरू कर देंगे। आप कड़वाहट महसूस करने लगेंगे कि जो आपको मिलना चाहिए था वह नहीं मिल रहा है। अगर आप अपने अंदर इस जरूरत को खत्म कर देंगे और कुदरती रूप से खुशी से छलकते रहेंगे तो हर तरह के लोगों के साथ आपका रिश्ता शानदार हो सकता है . चाहे वे जो भी हों। उन्हें आपकी तरह होने की जरूरत नहीं है। मैं कामना करता हूं कि आपको जीवन में सबसे खूबसूरत रिश्ते मिलें।

Why do relationships between girlfriends and boyfriends become so complicated?
Everyone also knows the sweetness of relationships, but there is a lot of sourness in relationships, which you have started to taste. People usually think of body-based relationships. But relationships can be of many types.

If the basis of those relationships is the body, then usually one. The thrill of the other's body ends after some time. What you thought to be the extreme truth, after some time it does not remain extreme truth. It is natural that when the main attraction that brings people together starts melting in a way, then it is not important for you. Without understanding the reason, they start to become bitter towards each other because in reality the purpose of such relationship is to squeeze sweetness and happiness from the other person. If you try to squeeze happiness from someone, then after some time when you do not get the same results, then there is some bitterness in the relationship.

Relationships should be to express happiness

Some things can happen when you start getting older. You get a little older from yesterday to today. So today when you are young, you should think about all those relationships that are in your life, not just about biological relationships, it is based on manifesting happiness and not on squeezing happiness.

For this, first of all you should enjoy your nature. If you focus on the joyous flow of joy and your relationship is meant to share this happiness, then generally you do not need to worry about the circus people go through in the relationship.

It is better to handle yourself than handling small things

A relationship does not live in just one area of ​​life. Once they come together people share many things. Naturally you will start hurting one another on small things. Due to this, there may be increased talk or quarrel between you.

You cannot handle such things everyday. So it is best to keep yourself as if you are a hilariously joyful creature. If this happens then your relationship will not be need-based.

When the relationship is in need, you will start complaining if your need is not met. You will start to feel bitter that you are not getting what you should have got. If you will eliminate this need in yourself and will naturally spill with happiness, then your relationship with all kinds of people can be fantastic. No matter what they are. They don't have to be like you. I wish you all the most beautiful relationships in life.

प्रशासन,स्वास्थ्यकमियों और पुलिसकर्मियों के प्रयासों की सराहना,Indian administration


                     
विपदा की इसी घड़ी में सरकार को कई मोर्चों पर एक साथ बहुत सक्रियता से काम करना पड़ रहा है। कहीं बहुत कठोर निर्णय लेने पड़ रहे हैं तो कहीं बहुत नर्म रवैया अपनाना पड़ रहा है। इन सबके बीच जिंदगी बचाने से लेकर राहत कार्यों के संचालन में प्रशासन को जी.जान से जुटना पड़ा है।

पूरे संदर्भ में भारतीय प्रशासन के लिए सबसे पहली चुनौती स्वास्थ्य सेवा का सुचारू रूप से संचालन करने की रही है।

दूसरे अप्रवासी मजदूरों को उनकी जगह पर बनाए रखने के साथ.साथ उनके भोजन और रहने की व्यवस्था की समस्या रही है।

प्रशासन की इन दोनों ही चुनौतियों को तकनीक ने बहुत आसान बना दिया है। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती हैए कथन को सार्थक बनाते हुए अनेक डेटा बेस मॉनिटरिंग मंच तैयार किए गए। इनके माध्यम से वायरस के फैलाव की स्थिति जरूरतमंदों की स्थिति और उनकी जरूरतों का पता लगाने के लिए तकनीक का बढ़.चढ़कर इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसी श्रंखला में सूरत नगर निगम ने कोविड.19 ट्रेकर एप तैयार कर ली है। इसके माध्यम से होम क्वारंटाइन और विदेश भ्रमण से हाल ही में लौटे लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाया जा रहा है। इससे लगभग 8500 लोगों को ट्रैक किया जा रहा है।

बंगलुरू की वृहान बंगलुरू महानगरपालिका ने 24x7 का कोरोना वायरस वॉर रूम तैयार कर लिया है। जी आई एस के माध्यम से तैयार इस तकनीक में जीपीएस के माध्यम से स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रैक किया जा रहा है।

नागपुर नगर प्रशासन ने इस लड़ाई हेतु निजी क्षेत्र का सहयोग लिया है। आगरा में पब्लिक.प्राइवेट पार्टनरशिप में ई.डॉक्टर सेवा की सुविधा दी जा रही है। इससे टेलीवीडियो कंसलटेशन लिया जा सकता है।

लखनऊ चेन्नई राजकोट और रायपुर भी इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अपने नगरों को संक्रमणमुक्त करने नागरिकों को सुरक्षित रखने राशन और अन्य जरूरी चीजों की सुविधाएं प्रदान करने आदि के लिए अनेक तकनीकी प्लेटफॉर्म का उपयोग करके इसे सफल बना रहे हैं।

भारत हेवी इलैक्ट्रिकल लिमिटेड ने तो चार दिनों में ही एक डिस्इनफेंक टेंट बना लिया है।

नगर स्तर पर चलाए जा रहे इन उपक्रमों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि भारत के सोशल  कैपिटल में उसके नागरिको नगर.सेवा कार्पोरेट और शैक्षिक जगत् की शक्ति एकजुट है। यही कारण है कि स्वास्थ्यकमियों और पुलिसकर्मियों के प्रयासों की सराहना के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान पर पूरे देश ने एकजुटता दिखाई थी। यह वह समय है जब हमारे जिम्मेदार नागरिक यह नहीं पूछ रहे हैं कि प्रशासन उनके लिए क्या कर सकता है बल्कि वे ही प्रशासन के लिए कुछ करने को तैयार खड़े हैं।

                    
In this moment of calamity, the government has to work very actively on many fronts simultaneously. Some very harsh decisions have to be taken, and somewhere a very soft attitude has to be adopted. In the midst of all this, the administration has had to mobilize from G.Jan in saving lives and conducting relief operations.

In the entire context, the first challenge for the Indian administration has been to run the health service smoothly.

Along with keeping the other immigrant workers in their place, there has been a problem of their food and living arrangements.

Technology has made both these challenges of administration very easy. Necessity is the mother of invention, many data base monitoring platforms have been designed to make the statement meaningful. The technique of spreading the virus through them is being increasingly used to find out the condition of the needy and their needs.

In this series, Surat Municipal Corporation has prepared covid .19 Trekker App. Through this, the health status of the recently returned people from home quarantine and abroad is being ascertained. About 8500 people are being tracked by this.

The Greater Bangalore Municipal Corporation of Bangalore has prepared a 24x7 corona virus war room. This technology, prepared through GIS, is tracking health workers through GPS.

Nagpur Municipal Administration has taken the support of private sector for this fight. E.Doctor service is being provided in the public-private partnership in Agra. Televideo Consultation can be taken from this.

Lucknow, Chennai, Rajkot and Raipur are also moving in the same direction, making it successful by using various technology platforms to make their cities free of infection, providing ration and other essential facilities to the citizens.

Bharat Heavy Electrical Limited has built a disinfant tent within four days.

These undertakings run at the city level have proved that the social capital of India has the power of its citizens, city service, corporate and educational world. This is the reason why the whole country had shown solidarity on the Prime Minister's call to appreciate the efforts of health workers and policemen. This is the time when our responsible citizens are not asking what the administration can do for them, rather they are ready to do something for the administration.

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