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special Christmas Story, Read the Christmas Story

क्रिसमस स्पेशल हिन्दी स्टोरी
The Christmas Story - a simple version of The Christmas Story


दोस्तो ये कहानी है ईसा के प्रिय शिष्य सेंट पाल कि ये कहानी आपको प्ररेणा दायक व अपने लक्ष्य या उददेश्य में आने वाले भटकाव से बचाने के लिये मार्ग दर्शक का काम करेगी।

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ईसा के शिष्य सेंट पाल कि सूक्ति थी मैं यह कार्य करता हूॅ तो मैं भूतकाल को पीछे छोड देता हूॅ। भुला देता हूॅ और आने वाले कल कि प्रतीक्षा करता हूॅ। मैं सीधे लक्ष्य कि ओर बढता हूॅ। यही ईसा के माध्यम से ईश्वर का सन्देश है कि जीवन से उपर उठकर लक्ष्य कि प्राप्ति करो !!!!!!
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अपने ध्येय के कारण पाॅल को भयंकर मार ,जेल और अत्याचार सहने का साहस प्राप्त हुआ इससे वह अपने लक्ष्य कि ओर बेधडक बढता गया। उसे सताने वाले लाइस्ट्रा पहुचे और उन्होने स्थानीय लोगो को पाॅल पर पत्थर मारने को प्रेरित किया । वे उसे खीचकर शहर के बाहर ले गए क्योकि उन्होने सोचा कि वह पत्थरों कि मार से मर गया। जब पाॅल को होश आया तो सबसे पहले वह उस शहर वापस आया जिसमें उसे पत्थरो से मारा गया था। वह वहाॅ से भागा नहीं उसका यह कार्य एक सौ उपदेशों से अधिक प्रभावपूर्ण था। कुछ वर्षो बाद जब उसे रोम में बंदी बनाया गया तो उसने जेल के रोमन सन्तकारियों को ईसाई धर्म कि दीक्षा दी। पालॅ ने राजा के पारिवारिक सदस्यों में भी नया विश्वास पैदा किया । चाहे वह स्वतंत्र रहा या हथकडियों में जकडा था जैसा कि वह अपने लिये कहता था उसमें सारे रोमन साम्राज्य में अपनी विचार धारा को फैलाने कि सर्वोच्च लगन थी।

मानव अधिकारेां के नेता मार्टिन लूथर किंग का उत्पीडन भी सेंट पाॅल कि ही तरह था। जब वह मोंटगोमरी अलबामा 1954 में पादरी था। अश्वेतों ने अपने लिये अलग निर्धारित बसों में यात्रा का बहिष्कार किया। उस समय किंग ने कहा उन्होने यह अनुभव किया है कि अपमानपूर्ण ढंग से बसों में यात्रा करने से पैदल चलने में सम्मान है। लोगो ने उससे अपना प्रवक्ता बनने का अनुरोध किया। इसी तरह ईसा ने शक्ति और प्ररेणा दी तथा गांधी ने उपाय दर्शाया । इसी तरह बहुत से प्ररेणादायक और अपने दिमाग को मजबूत बनाने के लिये हमारी ब्लाॅगर वेबसाइट पर बिजिट करें। धन्यवाद !True christmas story in hindi

क्रिसमस सेलिब्रेशन,christmas day planning

क्रिसमस आने ही वाला है हर तरफ इसके जश्न की तैयारी अभी से शुरू हो गई है। क्रिसमस सेलिब्रेशन के लिए लोग अपनी प्लानिंग बनाने में लगे हैं। यूं तो क्रिसमस के लिए देश-दुनिया में कई जगह मशहूर है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में भी कई स्पॉट हैं, जो खासकर क्रिसमस सेलिब्रेशन के लिए जाने जाते हैं। आइए, जानते हैं कुछ ऐसी ही खास जगहों के बारे में 

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यहां हम आपको बताने जा रहे हैं, दिल्ली से सटे गुरुग्राम के चार स्पॉट के बारे में जो क्रिसमस सेलिब्रेशन के लिए मशहूर हैं। दिल्ली से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुरुग्राम हरियाणा का छठा सबसे बड़ा शहर है। यहां पहुंचना बहुत ही आसान है। ट्रेन से जाएं, या तो मेट्रो से चले जाएं, या फिर सड़क मार्ग से।


गुरुग्राम में क्रिसमस का जश्न बहुत ही खास अंदाज में मनाया जाता है। क्रिसमस पर यहां का नजारा विदेशों से कम नहीं लगता। गुरुग्राम में घूमने के लिहाज से कई बेस्ट स्पॉट मौजूद हैं, जहां क्रिसमस और नए साल के जश्न के लिए बेहतर तरीके से सजाया जाता है। हम आपको  कुछ ऐसे ही स्पॉट के बारे में बता रहे हैं।
यहां चलती है ओपन पार्टियां
गुरुग्राम स्थित डीएलएफ साइबरहब अपने यूनीक स्टाइल एम्बिएंस, कैफे, बार, माइक्रोब्रुअरी और रेस्तरां के लिए मशहूर है। यहां नाइट पार्टी का नजारा बहुत शानदार होता है। लोग ज्यादातर अपने वीकेंड पर आते हैं या फिर क्रिसमस और नए साल पर कुछ खास कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। शाम में यहां ओपन पार्टियां चलती हैं।,




छह एकड़ में बना है यह पार्क, जंगूरा के लिए मशहूर

छह एकड़ में बने इस पार्क की खासियत यह है कि यहां बॉलीवुड के सितारे भी कार्यक्रम होस्ट करने आते रहते हैं। जंगूरा यहां का सबसे मशहूर शो है, जिसे देखने को लोग खिंचे चले आते हैं। इसके साथ ही यहां आप स्वादिष्ट भोजन का भी मजा ले पाएंगे। क्रिसमस और नए साल पर खास कार्यक्रम होते हैं, जिसमें बॉलीवुड की मशहूर हस्तियां आती हैं। समय नजदीक आते-आते यहां का एंट्री टिकट महंगा हो जाता है, इसलिए अच्छा है कि आप अभी से बुकिंग कर लें। 



ईसाई संत निकोलस किसी गरीब को पैसे की कमी के कारण ,The Christmas Story

ईसाई संत निकोलस किसी गरीब को पैसे की कमी के कारण क्रिसमस मनाने से वंचित नहीं देख सकते थे। इसलिए वह लाल कपड़े पहनकर, चेहरे को दाढ़ी से ढक गरीबों को खाने की चीजें और गिफ्ट बांटते थे। तभी से सेंटा क्लाज का यह रूप सामने आया।

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लाल रंग जीसस क्राइस्ट के रक्त का प्रतीक है। जीजस हर ईसाई को अपनी संतान समझते थे और उन्हें बिना शर्त प्यार करते थे। लाल रंग के जरिये वह सबको मानवता का पाठ पढ़ाना चाहते थे। उनका कहना था कि लाल खुशी का रंग है।Christmas pictures, photos & images, to be used on Facebook, Tumblr, Pinterest, Twitter and other websites

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क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत जर्मनी से हुई थी। माना जाता है कि मार्टिन लूथर नामक शख्स की निगाह बर्फ से ढके फर के पेड़ों पर पड़ी, जो बेहद खूबसूरत लग रहे थे। वह कुछ पौधे घर लाए और उन्हें कैंडल्स से सजाया। ट्री में घंटियां बुरी आत्माओं को दूर रखने और अच्छाइयों को लाने के लिए परी और फेयरी की मूर्तियों लगाई जाती हैं।celebrating the birth of Jesus Christmas celebration

अक्सर बच्चे गिफ्ट लेने के लिए 24 दिसंबर की रात अपने पास सॉक्स रखकर सोते है। लेकिन सेंटा से गिफ्ट पाने के लिसे सॉक्स ही क्यों रखा जाता है, इसकी एक कहानी है। कहा जाता है कि एक गरीब की तीन बेटियां थीं, जिनकी शादी के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। सेंटा ने उन लड़कियों के सॉक्स में सोने के सिक्के भर दिए। तभी से बच्चे 24 दिसंबर की रात अपने पास सॉक्स रखकर सोते हैं।




क्रिसमस, न्यू ईयर की शॉपिंग सिर दर्द ना बन जाएं,New year shopping

कहीं क्रिसमस, न्यू ईयर की शॉपिंग सिर दर्द ना बन जाएं, अपनाएं ये जरूरी टिप्स

लुभावने विज्ञापनों को देखा या बंपर सेल के बैनर पर नजर गई और आप सामान खरीदने निकल गईं। लेकिन कभी सोचा है आपने कि जो खरीद कर ले आईं, क्या सचमुच उसकी जरूरत थी आपको? क्रिसमस की घंटियों की रुनझुन कानों में दस्तक देने लगी है, मन में उत्साह-उमंग जाग रहे हैं, क्योंकि क्रिसमस, पार्टी, शॉपिंग और उपहारों का त्योहार है। आपका कोई अपना आपके लिए सैंटा बनकर यादगार उपहार देता है और आप भी किसी न किसी के लिए सैंटा बनती होंगी।New year shopping | Christians| in India celebrate Jesus Christ's| birth | on on Christmas Day |



गिफ्ट देना हो या पाना, बाजार में आना-जाना तो लगा ही रहता है। वैसे भी, इस मौसम में बाजार की रौनक देखते ही बनती है। रंग-बिरंगी लाइटों और क्रिसमस ट्री से सजे-धजे बाजार, लुभावने विज्ञापन, बंपर सेल के बड़े-बड़े बैनर। इन प्रलोभनों के जाल में फंसता हमारा नासमझ मन। फिर कोई बचे तो भला कैसे? वैसे त्योहार खुशियों के प्रतीक होते हैं, मगर हमारी नासमझी इन्हें फिजूलखर्ची और बिगड़े बजट का प्रतीक बना देती है। त्योहार में हम इतने मस्त हो जाते हैं कि बिगड़े बजट का होश ही नहीं रहता, लेकिन बाद में बैठकर पछताते हैं। हमें ऐसा न करना पड़े, इसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है।Christmas, Christian festival celebrating the birth of Jesus Christmas celebration

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कुछ भी खरीदने से पहले यह देखें कि वह आपकी जरूरत है या चाहत। यदि आपका मन लुभावने विज्ञापनों और बंपर सेल के बैनर देखकर बिना जरूरत के भी खरीदारी करने को मचल पड़े, तो खुद से यह सवाल पूछें। यह खर्च मेरी जरूरत है या केवल चाहत है? यदि उत्तर चाहत है, तो संभल जाएं। यदि इस समय आप अपने मन को नियंत्रण में रख लें, तो निश्चित ही फिजूलखर्ची से बच जाएंगी।
दूसरों के सामने खुद को बड़ा दिखाने की मानसिकता फिजूलखर्ची की बड़ी वजह होती है। यदि आप ऐसी मानसिकता की शिकार हैं, तो हजारों रुपए खर्च करने के बाद भी कभी संतुष्टि का अहसास नहीं कर पाएंगी। क्योंकि झूठा दिखावा करके, महंगे सामान और कपड़े खरीदकर हम जिन लोगों के सामने अपने स्टेट्स को ऊंचा दिखाने का प्रयास करते हैं, वही लोग पीठ पीछे हमारा मजाक उड़ाते हैं। अपनी स्थिति को खुले दिल से स्वीकार करें और झूठा दिखावा करने से बचें। The Christmas Story and lots of Christmas

त्योहार के मौसम में चारों ओर सेल की धूम रहती है, जिन्हें देखकर लोगों में शॉपिंग का नशा छाने लगता है और वे बिना जरूरत के भी शॉपिंग करने चल देते हैं। बहुत से लोग लेने कुछ जाते हैं, परंतु लेकर कुछ आ जाते हैं। यदि आप भी बिना सोचे समझे विज्ञापन की ‘बाय वन गेट वन’ स्कीमों में उलझ जाएंगी, तो अनावश्यक शॉपिंग कर बैठेंगी और धन की बर्बादी करेंगी। कोई भी सामान खरीदने से पहले इतना जरूर सोचें, क्या आपको वास्तव में उस चीज की जरूरत है अगर जरूरत नहीं है, तो सस्ते में मिलने के बावजूद भी वह व्यर्थ ही है



Christmas Jumper Day Feel the holiday spirit with our collection

सांता क्लॉज़ के शहर में आने तक केवल कुछ ही समय के साथ, क्रिसमस जम्पर डे के उपलक्ष्य में आपके /सबसे अधिक परिधान पहनने का समय है।
वार्षिक परंपरा आपके सहकर्मियों से लेकर आपके दादा-दादी तक सभी को सबसे अधिक आंख मारने वाले उत्सव के कपड़ों को देखती है, जो वे पा सकते हैं, इसलिए दिन के आसपास आने पर हर दिशा में बहुत हिरन और बछड़ों को देखने के लिए तैयार रहें।
हालांकि यह निस्संदेह मज़ेदार और हल्का-फुल्का अवसर है, दिन का मुख्य फोकस उन बच्चों के लिए धन और जागरूकता बढ़ाना है जो ज़रूरतमंद हैं।

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पिछले सात वर्षों में, पूरे यूके में लोगों ने क्रिसमस जम्पर डे की अवधारणा को पूरे दिल से स्वीकार किया है, जिसमें से कुछ ने अपने धन उगाहने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए असाधारण लंबाई की है।

तो जब क्रिसमस जम्पर डे 2020 है, तो यह कैसे शुरू हुआ और आप इसमें कैसे शामिल हो सकते हैं? यहां वह सब कुछ है जो आपको जानना चाहिए:



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इस साल, क्रिसमस जम्पर डे शुक्रवार 13 दिसंबर को हो रहा है, इस अवसर के साथ हमेशा दिसंबर में शुक्रवार पड़ता है।

जबकि क्रिसमस जम्पर दिवस की एक निर्दिष्ट तिथि होती है, लोगों को उनके चयन के किसी भी दिन क्रिसमस जंपर्स पहनकर पैसे जुटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
इसकी शुरुआत कैसे हुई?

क्रिसमस जम्पर डे का शुभारंभ बच्चों के अधिकार चैरिटी सेव द चिल्ड्रेन द्वारा शुक्रवार 14 दिसंबर 2012 को किया गया था।


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रिश्ते दो प्रकार के होते हैं,family relationship, family relations

                                               रिश्ते

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दोस्तो रिश्ते दो प्रकार के होते हैं,पहला जो हमे जन्मजात मिलते हैं दूसरे वो जो हमें अपने मार्ग में मिलते है अपने व्यवहार कौशल से मिलते हैं।
लेकिन ये दुख कि बात है कि आज हम अपने जन्मजात मिले रिश्तों से बहुत दूर होते चले जा रहे हैं कोई रोजी रोटी के चक्कर में भाग रहा कोई किसी और के चक्कर में क्यों ???

इसका कारण यह है कि हमने अपने आप को कुछ भ्रम में रखा है कि हम फिर मिल लेगे कैसे मिलोगे भाई केवल यही जन्म है साथ रह लो या दूर रह लो हर मनुष्य को अपने माता-पिता ,भाई ,बहन सगे सम्बन्धी जो अति प्रिय होते हैं फिर भी आज हम थोडी ज्यादा तरक्की के चक्कर में सालो के साल बाहर दूर विता देते हैं और कुछ तो लोग लौट कर ही नहीं आते क्या ये तरक्की है मां- बाप सोचते हैं बेटा तरक्की करे। पता चला बेटा ने ऐसी तरक्की कि फिर कभी लौट कर ही नही आया उसने दुनिया दूसरी बना ली ये उस पर निर्भर करता है लेकिन एक बात हमेशा yyaद रखनी चाहिये कि जन्मजात रिश्ते बार-बार नहीं मिलते चाहे साथ रहकर बिता लो या झूठी तरक्की में बिता लो कुछ लोग समाज को तरक्की दिखाने के चक्कर में पूरी जिंदगी अपने घर से दूर रहते है और उनके घर वाले दिल पर पत्थर रखकर दुनिया से कहते रहते है मेरा बेटा ये मेरा ब्ेाटा वो समझ नही आ रहा ये सुखी है क्यों भाई हर मां-बाप का सपना होता है । बेटा तरक्की करें लेकिन ये सपना नहीं होता कि तरक्की के चककर में इतना दूर न जाये जिससे लौटना मुश्किल पड जाये। तो दोस्तो परिवार के साथ रहे अैार मौज करें।

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साधू तो चल दिया राजा लज्जित हो गया,Amazing saints of the south

                                दक्षिण के अदभुत संत
                                       श्री तुकाराम




संत तुकाराम इनकी ख्याति बहुत दूर-दूर तक फैली हुयी थी एक बार महाराष्ट्र देश के राजा महाराजा क्षत्रपति शिवाजी ने भी इनकी बहुत बढाई सुनी - दर्शनों की अभिलाषा उत्पन्न हुई कई आदमी बुलाने के लिये भेजे पर तुकाराम जी ने जाने से इन्कार कर दिया और कहा कि भाई साधू को हमेशा रईसों कि सुहबत से बचना चाहिये। साधन करने वाले अमीरों के संग रहकर कभी सफलता नही प्राप्त कर सकता जो मालिक का बन्दा हो उसको माया के बन्दे के पास जाने से क्या काम??????


बुलाने वाले लौट गये। सब हाल शिवाजी से कहा। इन बातो ने उनकी लालसा और भी बढा दी और एक दिन वह अपने आठ मंत्रियों को संग लिये हुए तुकाराम जी कि सेवा आ उपस्थित हुआ।

शिवाजी ने आते ही बहुत से बहूमूल्य रत्न तुकाराम कि भेट मे रखे। जब तुकाराम जी लेने से मना करने लगे तब बोला कि महाराज आप सन्त है ईश्वर भक्तों को कुछ न कुछ भेट अवश्य स्वीकृत करना चाहिये ताकि हमारा भी उपकार हो।


तुकाराम जी बोले हम तुमको एक दृष्टांत सुनाते है।सुनो एक बार एक राजा वन में शिकार खेलने गया था दोपहर का समय था प्यास लगी पानी की खेाज करने लगा। देखा पास ही कुटीया मंे एक साधू रहता है इसके पास पानी अवश्य ही मिल जायगा चलो चलकर प्यास को शान्त करें। ऐसा विचार कर राजा साधू के पास पहुचां। घेाडा छोड दिया जाकर साधू को दण्डवत कि और पानी मांगा। साधू ने राजा को बैठने का आसन दिया और ठण्डे जल को पिघलाकर उसकी तृप्ति कि और बात चीत करने लगा। थोडी देर के सत्संग से राजा के हदृय मंे इस बात का विश्वास हो गया कि यह कोई बडा अच्छा साधू है। उसकी कुछ न कुछ सेवा करनी चाहिये परन्तु मेरे पास यहां क्या रक्खा है। जो इसकी भ्ेाट चढाउं किसी तरह यह राजधानी में चलता तो अच्छा होता।

बोला महाराज मेरी यह अभिलाषा है कि यदि आप किसी तरह मेरे घर पर चलते तो धन्य-धान्य से आपकी सेवा करता। यहां मेरे पास कुछ नही है जो आपको दे सकू राठ हठ ,बाल हठ मसहूर है। साधू ने दो चार बार इन्कार किया परन्तु जब देखा कि राजा किसी तरह नही मानता है बोला -अच्छा चलो चलता हूॅ।

दोनो चल दिये चलते-चलते रास्ते ही में शाम हो गयी राजा ने कहा महाराज थेाडी देर ठहरिये मै सन्ध्या कर लूॅ फिर आपके साथ चलूॅ।
साधू बैठ गया देखता रहा कि राजा कैसी सन्ध्या करता है जब वह सन्ध्या कर चुका प्रार्थना करने लगा हे प्रभू मुझको धन और वैभव दीजिये मुझको और मेरी प्रजा केा सब प्रकार का सुख दीजिये।
साधू ने सब बाते सुनी उठ के चल दिया राजा ने बहुत रोका पर वह नही रूका कहने लगा जब तुम खुद मंगता हो तो मुझकेा क्या दोगे ?? मालूम होता है कि तुम्हारा धन तुम्हारा नही है किसी का दिया हआ है जब तुम दूसरे से मांग रहे हो तो क्या मै उससे नहीं मांग सकता तुम से हाथ फैलाने कि क्या आवश्यकता है।
साधू तो चल दिया राजा लज्जित हो गया और उसी समय से उसे बैराग्य प्राप्त हो गया।
इसी तरह हे शिवाजी क्या यह रत्न जो तुम मुझे देना चाहते हो तुम्हारे नहीे है तो फिर दूसरे कि वस्तु तुमसे कैसे ले सकता हूॅ और क्या अधिकार तुमको देने का है।

Amazing saints of the south

                                       Mr. Tukaram

Sant Tukaram, his fame spread far and wide, once the King of Maharashtra, Maharaja Kshatrapati Shivaji also listened to him very much - the desire of darshan arose many people sent to call, but Tukaram refused to go and said That brother Sadhu should always avoid the well-being of nobles. One can never get success by staying with the rich who do the work, who is the owner's owner, what work can he do by going to Maya's prisoner ??????

The callers returned. All told to Shivaji. These things increased his craving even more and one day he attended the service of Tukaram Ji with his eight ministers.

Shivaji kept many precious jewels in the gift of Tukaram as soon as he came. When Tukaram Ji refused to take it, he said that Maharaj is a saint, the devotees must accept something so that we too can be benefited.

Tukaram Ji said, let us tell you a parable. Once upon a time, a king went to play hunting in the forest. It was midday and started thirsty water. Saw that there is a monk in the hut nearby, water will definitely be found near it, let's go and calm the thirst. After thinking like this, the king reached to the monk. Leaving the ghera, he prostrated himself to the monk and asked for water. The monk gave the king a seat to sit and melted the cold water and started talking about his fulfillment. A little satsang led to the belief in the king's eyes that he was a very good monk. He should do some service, but what is left of me here. Which would have been better if it had run in the capital.

Said Maharaj, I wish that if you somehow walked into my house, you would serve me with blessings. Here I have nothing that can give you Rath Hatha, Bal Hatha is popular. The monk refused two or four times, but when he saw that the king does not believe in any way, he said - well, let's go.


They both walked and walked in the evening on the way, the king said, "Maharaj, wait a while, I should make a treat and then go with you."

The monk sat and watched what the king did when he started praying and said, Lord, give me wealth and glory, give me and my people all kinds of happiness.

The monk listened to all the things and got up and the king stopped a lot, but he did not stop saying, what will you give me when you ask yourself ?? It seems that your wealth is not yours, it has been given to someone, when you are asking for another, can I not ask for what is needed to spread your hand from you.

The monk walked away and the king was ashamed and from that time he got disinterested.

Similarly, O Shivaji, is this gem that you want to give to me or not, then how can I take other things from you and what right do you have to give.

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कौन धर्म है कौन अधर्म ,Geeta saar

                                           गीता ज्ञान
        

                    यदा-यदा हि धर्मस्य,ग्लानिर्भवति भारत।
                 अभ्युत्थानमर्धस्य, तदाडडत्मानं सृजाम्यहम।।

 Geeta saar | गीता ज्ञान यदा-यदा हि धर्मस्य


श्री भगवान ने कहा कि हे अर्जुन जब -जब धर्म कि हानि और अधर्म 
ऐसा देखा भी गया है कि जब-जब देश पर या पृथ्वी पर संकट आये तभी -तभी कोई ऐसी आत्मा अवश्य यहां पर आई कि जिसने तप्त जीवों को शान्ति पहुचाई तथा आतताइयों का विनाश किया वह चाहे काई युग हो। जैसे शरीर को नित्य स्नान न कराने वस्त्रों को नित्य स्वच्छ न करने से वह मलीन हो जाते हैं और बहुत से रोगो का कारण बन जाते हैं। ऐसे ही मन का नित्य स्वच्छ न करने और बुद्वि को पवित्र न करने से यह भी मलीन हो जाते है। अतः जब मनुष्य का मन ही दूषित हो जाता है तो शुद्व कार्य कर ही कैसे सकता है। मलीन मन तथा मलीन बुद्वि से सारे कार्य अशुभ होने ही कि तो आशा है। बस जिसके कार्य अशुभ हैं वही धर्म कि हानि होती है।

मनुष्य को इस बात का पता नही चलता कि मेरा मन दूषित हो रहा है। वह और भी अधर्म कि ओर वढ जाता है और आगे ऐसी स्थिति में पहुचता है कि वह स्वयं यह निर्णय ही नहीं करता कि कौन सा कार्य शुभ है और कौन सा अशुभ । कौन धर्म है कौन अधर्म । ऐसी दशा में राजा दुराचारी और लम्पट हो जाते हैं मन्त्री स्वार्थी और धूर्त बन जाते है। बस तभी प्रजा अनाथ कि भाति दुखी हो प्रभू से प्रार्थना करती है। ऐसा वह पूर्ण ब्रहाम् किसी नर शरीर में अवतार लेते है।

           परित्राणाय साधूनां ,विनाशाय च दुष्कृताम।
            धर्मसंस्थापनर्थाय, संभवानि युगे-युगे।।

वह प्रभू सतपुरूषों को सुख पहुचाने और दूषित कर्म करने वालेां को फिर से चरित्रवान बनाने के लिये तथा धर्म को स्थापित करने हेतु हर युग में प्रकट होते है।


इस प्रकार भगवान जो सर्व शक्तिमान है तथा जो अजन्मा और अविनाशी है वही जो सर्व भूतों के परम गति का परम आश्रय है वह केवल धर्म को स्थापित करने और संसार का उद्वार करने और संसार का उद्वार करने के लिये ही अपनी योग माया से सगुण रूप होकर प्रकट होते हैं। इस वास्ते भगवान के समान जीव का परम प्रेमी और पतित पावन दूसरा कोई नही है। ऐसे प्रभू को भूला देना ही अधर्म है। दूराचारी यदि किन्चिद भी प्रभू को स्मरण कर ले तो वह तत्काल सदाचारी हो जाता है। परन्तु वह तो श्री हरि का ही भूल जाते है।जो जीव के मूल है। इसीलिये प्रभू मनुष्य रूप में आते है।

Gita knowledge


                  Occasionally, the religion, Glanirbhavati India.
    Abhutthanamardhasya, Tadaadattamanam Srjamayam.

 Geeta saar | Gita knowledge occasionally

Shri Bhagavan said, O Arjuna, when the loss and iniquity of religion

It has been seen that whenever there is a crisis on the country or on the earth, then only such a soul must come here that brought peace to the hot creatures and destroyed the terrorists, irrespective of the Kai Yuga. For example, not bathing the body on a regular basis does not clean the clothes regularly and they become dirty and cause many diseases. In the same way, it is also diluted by not regularly cleansing the mind and not purifying the Buddha. Therefore, when the human mind is corrupted, how can one do pure work. There is hope that all the work will be inauspicious due to a dirty mind and a dirty brain. Just whose actions are inauspicious is the loss of religion.

Human beings do not know that my mind is getting corrupted. He moves towards even more wrongdoing and reaches such a situation that he himself does not decide which work is auspicious and which is inauspicious. Which religion is wrong? In such a situation, kings become vicious and dissolute, ministers become selfish and sly. Just then, the people pray to Lord Prabhu and they are sad. Such complete Brahmas incarnate in a male body.

  Paritranaya sādhunāmā, vā विनाशhāायayā f dृताkताtām.
            Religious Establishment, possibly Yug-Yugye.


He appears in every age to bring happiness to the Lord Satpurus and to make those who do corrupt deeds again, and to establish religion.

In this way, the God who is all powerful and who is unknowable and indestructible is the one who is the ultimate shelter of the supreme motion of all the ghosts, only to establish the religion and salvation of the world and to raise the world by virtue of his yoga Maya. Appear. For this reason, there is no one else, the supreme lover of the creature like God and the Purifier. It is wrong to forget such a lord. If the mischief also remembers the Lord, he immediately becomes virtuous. But they forget Shri Hari, who is the origin of the living being. That is why God comes in human form.

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मनुष्य कि मूर्खता और लालच का परिणाम, Venus wonderfull story

                                                                        शुक्र

धरती पर तेजाब कि बरसात अब जाकर कहीे शुरू हुयी है। यह मनुष्य कि मूर्खता और लालच का परिणाम है। लेकिन शुक्र जन्म से ही तेजाब कि बरसात में नहा रहा है।
   Venus wonderfull story | शुक्र तेजाब कि बरसात




बुध के बाद सूर्य के सबसे निकट ग्रह है। बुध का दर्शन करना केवल मरिनर-10 के भाग्य में था। लेकिन शुक्र का अध्ययन करने के लिये अमेरिका,रूस के काफी यान चक्कर लगा रहे हैं शुक्र के आस पास चक्कर लगाने के लिये प्रयोगशालायें भी भेजी गयी। लेकिन उसके बावजूद शुक्र के बारे में मिली जानकारी कम ही है। क्योकि शुक्र है खानदानी घूघट का पर ना खेाले रे ऐसा कहकर घने कुहरे और बादलों में छिप कर बैठी है यह खानदानी रूपसुदंरी शुक्र के चारों ओर सचमुच गूढता का एक वलय है।

शुक्र का सूर्य से औसत अंतर है करीब दस करोड बयासी लाख किमी0 एक सेकेण्ड में 34 किमी0 कि गति से वह सूर्य कि परिक्रमा करता है। यानि गति कि दृष्टि से वह  हमारे सौरमण्डल में दूसरे  कृमांक का गृह है। बुध कि सूर्य कि परिक्रमा कक्षा अंडाकृति होती है। शुक्र कि भ्रमण कक्षा विल्कुल निराली है। शुक्र पर पश्चिम में सूर्य उदय और पूर्व में उसका अस्त होता है।

उसे धरती कि परिक्रमा करने के लिये उसे धरती के करीब 224 दिन लगते है। लेकिन उसके इस एक वर्ष में उसके दो दिन भी पूरे नहीं होते।

शुक्र के प्रष्ठ भाग पर 68 किमी कि उचाई एक बादल और वाष्प का घना आवरण है। लेकिन यह वाष्प पानी बा नहीं बल्कि तेजाब का है।

Venus

The acid rain on the earth has started going somewhere now. It is the result of man's foolishness and greed. But Venus has been taking bath in the rain of acid since birth.

The planet closest to the Sun is after Mercury. Visiting Mercury was only in the fate of Mariner-10. But to study Venus, many vehicles from America and Russia are circling, laboratories were also sent to orbit around Venus. But despite that information about Venus is scarce. Because Venus is not sitting on the veil of the family, it is sitting in a thick mist and clouds, saying that this family is literally a ring of occultism around Roopasundari Venus.

Venus' average difference from the Sun is about 10 crores eighty-two million km 0 in a second, it revolves around the Sun at a speed of 34 km. That is, from the point of view of speed, it is the home of the second Karmank in our solar system. The orbit of the Sun orbiting Mercury is elliptical. Venus's travel class is unique. Sun rises on Venus in the west and sets in the east.

It takes him about 224 days on earth to revolve around the earth. But even two days are not completed in this one year.


At the altitude of Venus, there is a cloud covering 68 km, and a thick covering of vapor. But this vapor is not water but acid.

आपको अपने जीवन मे नयी राह और चाह मिलेगी,Hindi short stories,Munshi Prem Chandra

                                             मन्त्र
                                 श्री मुन्शी प्रेमचन्द्र

प्रिय मित्रो आपके द्वारा दिया गये प्यार का मै आभारी हूॅ। इसी तरह अपना प्यार बनाये रखें और ज्ञान का आनन्द लेते रहें हम आपको हर दिन कुछ बेहतरीन देने कि  कोशिश  करेंगे 

 motivational | Mantra Mr. Munshi Prem Chandra मन्त्र श्री मुन्शी प्रेमचन्द्र

दोस्तो आज मैं आपको श्री मुन्शीप्रेम चन्द्र कि एक ऐसी कहानी सुनाउगां जिससे आपको अपने जीवन मे नयी राह और चाह मिलेगी इस कहानी में किस तरह प्रेम चन्द्र जी ने घमण्डी डा0 साहब और व्यवहारिक समाज कि बेहतरीन प्रस्तुती कि है। 

एक बार एक गांव में एक डा0 और एक बैध दोनो रहते थे, एक दिन बैध का लडका बीमार हो गया और बह अपने पुत्र को लेकर डा0 चडडा के पास गये बहुत विनती कि वह उनके पुत्र को एक नजर देख ले किन्तु डा0 चडडा ने उसकी दयनीय दशा पर कोई ध्यान नहीं दिया और सवेरे आने को कहकर गोल्फ खेलने चले गये। इस अप्रत्याशित और अभूतपूर्व व्यवहार से भगत स्तब्ध खडा रह गया। उसे विश्वास नही हो रहा था कि संसार मे ऐसे घटिया और कठोर हदय वाले व्यक्ति भी हेा सकते हैं जो अपने मनोरंजन को किसी कि जान से अधिक महत्व देते है। डा0 के व्यवहार ने उसे क्रुर सत्य पर विश्वास करने पर बाध्य कर दिया था। ये नगरवासी जो स्वयं को बडा सभ्य और सुसंस्कृत समझते है मानसिक रूप से कितने असभ्य और कठोर हृदय हैं इस सच्चाई से भगत का पहली बार और बडे पीडादायक रूप में सामना हुआ था। भगत का चकित और दुखी होना स्वाभाविक था क्योकि वह तो समाज कि उस पुरानी पीढी का प्रतिनिधि था जो कि सहयोग आौर सहानुभूति को ही सभ्यता का प्रमाण मानता था। अगर किसी के घर में आग लग जाती तो ये लोग स्वतः ही बुझाने पहुच जाते थे। किसी मुर्दे को श्मशान पहुचाने को तत्पर रहते थे। किसी के घर पर छप्पर रखवाना होता था तो उस पीढी के लोग स्वयं ही हाथ बटाने पहुच जाते थे। अपना कर्तव्य मानते थ्ेा। आज के तथाकथित सभ्यों से ये लोग निश्यच ही अधिक सभ्य थे।
फिर कुछ दिनो बाद डा0 चडडा के पुत्र कैलाश को सांप के द्वारा डस लिये जाने पर विष झाडने वाले ओझा ने आकर कहा कि जो होना था हो चुका , यह सुनकर डा0 चडडा चिड उठे और उसे फटकारने लगे। चडडा ने विष झाडने वाले ओझाा से कहा-अरे मूर्ख तू कैस्ेा कहता है जो होना था,वह हो चुका क्या हम यही होते देखाना चाहते थे,?? मां बाप तो चाहते है कि उनका बेटा सिर पर सेहरा बांधकर दूल्हा बनकर उनकी आंखेां को तृप्त करें। यह कहां हुआ??? हम अपने बेटे का विवाह कहां देख पाये हमारी भावी पुत्रवधू इस मृणालिनी कि मधुर कामनाएं बधू बनने के मनोहरी स्वप्न कहां पूरे हुए
और दोस्तो ओझा ही भगत है जो ओझा के नाम से अपनी पहचान बनाये है , भगत के मन में चेतना और उपचेतना का संघर्ष चल रहा था । चेतना उसे चडडा के व्यवहार का स्मरण कराकर उपचार हेतु जाने से रोकती थी और उसकी संस्कार जनित अन्तःप्रेरणा उसे मरते हुए सुवक कि प्राणरक्षा करने को ढेलती थी। भगत ने अपने आप को समझाया कि वह लडके का इलाज करने नहीं जा रहा है। वह वहां का दृष्य देखने और डा0 चडडा को रोते और पछाडे खाते देखने जा रहा है। मेरे मरणासन्न पुत्र पर जिसे एक नजर डालने का समय नही ंथा वही चडडा अब कैस्ेा रो रहा होगा। वह देखना चाहता है कि बडे लोग पुत्र शेाक में क्या करते है।इस प्रकार भगत अपने मन कि हिंसा और प्रतिशोध कि भावना को बहकाने कि चेष्टा कर रहा था और आगे बडता जा रहा था। और वहां पहुच कर उसका मन पलट गया और उसका उपचार कर दिया, और बगैर कुछ कहे चुप चाप वापस लौट गया। थेाडी देर बाद डा0 को याद आया कि यह तो वही बुडडा है जो  अपने मरणासन्न पुत्र को लेकर आया था और मैने उसके साथ निन्दनीय व्यवहार किया था डा0 चडडा आत्मग्लानि से म रा जा रहा था। वह जानता था कि भगत निस्वार्थ सेवी व्यक्ति है  । वह उपचार- प्राणदान का कोई मूल्य स्वीकार नहीं करेगा। भगत लोग तो निस्वार्थ जनसेवा से केवल यश अर्जन करने के लिये जीवन  बिताते है।

जो तोकूं कांटा बुबै,ताहि बोइ तू फूल 

आज भी ऐसे लोग है लेकिन दुख बात यह है कि कुछ तुच्छ लोगो के प्रवाह से ये संस्कृति समाप्त होने के कगार पर है अब रोड पर कुछ हो जाये सिर्फ भीड आती है और चली जाती है ।

जो तोकूं कांटा बुबै,ताहि बोइ तू फूल 

                                              Mantra
                                     Mr. Munshi Prem Chandra



Dear friends, I am grateful for the love you have given me. In the same way keep your love and keep enjoying the knowledge, we will try to give you something best every day.

Friends, today I will tell you a story of Mr. Munshiprem Chandra, which will give you a new path and desire in your life, how in this story Prem Chandra has made a wonderful presentation of proud mother and practical society.

Once both a Dr. and a Baidha lived in a village, one day the boy of Baidha fell ill and went with his son to Dr. Chadda and begged him to take a look at his son, but Dr. Chadda gave his pathetic Dasha paid no attention and went to play golf, asking to come in the morning. Bhagat was stunned by this unexpected and unprecedented behavior. He could not believe that even a person with such a poor and hard heart could be in the world who values ​​his entertainment more than anyone's life. Dr.'s behavior forced him to believe the cruel truth. These townspeople, who consider themselves to be very civilized and cultured, are mentally uncivilized and hard-hearted, for the first time Bhagat faced this truth in a very painful manner. It was natural for Bhagat to be astonished and sad because he was the representative of that old generation of society, which considered cooperation and sympathy as the proof of civilization. If there was a fire in someone's house, these people would automatically reach to extinguish it. He was always ready to deliver the crematorium to any dead. Had to have a shed at someone's house, the people of that generation used to reach out to arm themselves. He considered his duty. These people were certainly more civilized than the so-called civilians of today.

Then a few days later, when Dr. Chadda's son Kailash was bitten by a snake, the exorcist Ojha came and said that on hearing what had to happen, Dr. Chadda woke up and started reprimanding him. Chadda said to the exorcist Ojha - Hey fool, how do you say what was to happen, is that what we wanted to see happen, ?? The parents want their son to tie his head on the head and become a groom and satisfy their eyes. Where did this happen ??? Where could we see the marriage of our son, our future daughter-in-law, where did the sweetest wishes of Mrinalini fulfill her dream of becoming a boon

And friends, Ojha is the Bhagat who has made his mark in the name of Ojha, there was a struggle of consciousness and subconsciousness in Bhagat's mind. Consciousness reminded him of Chadda's behavior and prevented him from going for treatment, and his rites of inspiration inspired him to take care of his dying soul. Bhagat explained to himself that he was not going to cure the boy. He is going to see the scene there and see Dr. Chadda weeping and backstabbing. My dead son, who had no time to take a look, and the same chadda must be crying. He wants to see what the elders do in the son-shek. Thus Bhagat was trying to seduce the violence and feelings of vengeance in his mind and was moving forward. After reaching there, his mind was turned and healed him, and without saying anything, the silent arc returned. After a while Dr. remembered that it was the same Budda who had brought his dying son and that I had treated him blasphemously, Dr. Chadda was going to death with self-aggression. He knew that Bhagat was a selfless man. He will not accept any value of healing. Bhagat people spend their lives only to earn fame from selfless public service.

Jo Tokun Thorn Bubai, Tahi Boi Tu Phool

Even today there are such people, but the sad thing is that this culture is on the verge of ending with the flow of some insignificant people. Now if something happens on the road, only the crowd comes and goes.

Jo Tokun Thorn Bubai, Tahi Boi Tu Phool


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अगर कोई पुरूष एक स्त्री को या कोई स्त्री एक पुरूष को अपना प्रेम प्रदान कर देती है। ब्रहाम्चर्य life,control of sex

                                               ब्रहाम्चर्य

अब ब्रहाम्चर्य व्याख्या को उसके अर्थाे को ले । उसका धात्वर्थ यो किया जा सकता है वह आचरण जिससे ईश्वर के साथ सम्पर्क स्थापित हेाता है। यह आचरण है सब इन्द्रियों पर सम्पूर्ण नियंत्रण इस शब्द का सच्चा और ठीक अर्थ है।



आम तौर पर इसका अर्थ जननेन्द्रिय पर केवल शारीरिक नियंत्रण किया जाता है। इस संकुचित अर्थ से ब्रहाम्चर्य कि अधोगति हुयी है और उसका पालन लगभग असंभव बन गया है। सारी इन्द्रियों पर ठीक काबू हुए बिना जननेन्द्रियों पर काबू पाना असम्भव है। वे सब एक दूसरे पर निर्भर है। निम्न स्तर पर मन भी इन्द्रियों में शामिल है। मन पर काबू पाये बिना शारीरिक नियंत्रण थोडी देर के लिये हो भी सकता है तो इसका बहुत थ्ेााडा या कुछ भी उपयोग नहीं है।
                             
                                  हरिजन

अस्वाद ब्रत का ब्रहाम्चर्य पालन के साथ बडा गहरा संबंध है मैने अनुभव से पाया है कि यदि स्वाद पर काबू पा लिया जाये तो ब्रहाम्चर्य का पालन बहुत आसान हो जाता है।
                             
                                महात्मा गांधी
अगर कोई पुरूष एक स्त्री को या कोई स्त्री एक पुरूष को अपना प्रेम प्रदान कर देती है तो फिर बाहर कि दुनिया के लिये रह ही क्या जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि हम पहले और दूसरे सब बाद में ?? चूकि पवित्रता पत्नी को अपने पति के लिये सर्वस्य बलिदान करने के लिये तैयार रहना चाहिये और एक पत्नीव्रती पति को अपनी पत्नी के खातिर सब कुछ त्याग करने को तैयार रहना चाहिये। इसलिये स्पष्ट है कि ऐसे व्यक्ति विश्वप्रेम को अपना परिवार नहीं समझ सकते क्योकि वे अपने प्रेम के चारों ओर एक दीवार खडी कर देते है।उनका परिवार जितना बडा होगा उतने ही वे विश्वप्रेम से दूर रहेगें।इसलिये जिसे अहिंसा धर्म का पालन करना है वह विवाह नहीं कर सकता है।विवाह बंधन के बाहर विषय भेागी कि बात तो कर ही कैसे सकता है।
तो फिर जो विवाह कर च ुके है उनका क्या हो ??? क्या वे सत्य के दर्शन कभी नहीं कर सकेगे??? क्या वे मानवता कि वेदी पर कभी सर्वस्व का बलिदान नहीं का सकते??? उनके  लिये भी एक मार्ग है वे ऐसा व्यवहार करे मानो उनका विवाह हुआ ही नही जिन लोगो में यह सुखद अवस्था भोगी है वे इसकी गवाही दे सकेगे। मेरी जानकारी में अनेको ने सफलता पूर्वक यह प्रयोग किया है।
यदि दम्पत्ति में एक-दूसरे को भाई-बहन समझ ले तो वे विश्व सेवा के लिये मुक्त हो जाते है,संसार कि सारी स़्ित्रयां मेरी बहन ,माता,या पुत्रियां है, यह विचार ही मनुष्य को तुरंत उदात्त बनाकर उसके बंधन तोड डालेगा। इसमें पत्नी पति कुछ भी नहीं खोते इससे उनकी पूंजी और उनका परिवार बढता ही है। उनका प्रेम वासना कि अपवित्रता से मुक्त होकर और भी प्रबल बन जाते है।
                                  महात्मा गांधी 

The truth

Human beings often have to suffer in pursuing religion and duty, but they should not be distracted by fear of suffering. It is possible that a person's neighbor has become rich by cheating others with deceit and hypocrisy and has remained poor. It may also be that people have got a high job by false falsehood and the duty-seeking person has not got anything, and it may also be that they are happy by doing inferior deeds and are suffering the trouble of following the religion.

However, this cannot be interpreted to mean that that person too becomes alienated from duty. The satisfaction and joy that one experiences in living a life while performing his duty religion b. May never be found by the wealth and facilities obtained by the misdeeds, a person corrupted by duty always suffers from apprehension and guilt.

There are three things that hinder the efforts of a person performing duty. First is to be fickle of mind, if the mind does not concentrate, the person will not be able to perform duty. The second hurdle is uncertainty of purpose. Even if the purpose is to persist, man will be unable to follow religion. The third hurdle is that a person with a weak mind can never face obstacles and is therefore unable to perform his duties. While performing duty, a man has to come between two effects. On the one hand his soul warns him by knowing the proper improper deeds and on the other hand, laziness and selfishness wants to alienate him. Those who are strong-minded people. They work on the inspiration of the soul. And perform their duties religion.

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सही मित्र का चुनाव करना कोई साधारण कार्य नहीं है। friends

                                               मित्र

दोस्तो आज के विचार उन लोगो के लिये है जो विद्यार्थी अपने भविष्य कि नीव रख रहे हैं। बहुत महत्वपूर्ण कार्य
 jindagi may mitro ki bhumika | मित्र Friends,मित्र का चुनाव


प्रिय मित्रों सही मित्र का चुनाव करना कोई साधारण कार्य नहीं है। जिसने एक उपयुक्त मित्र का चुनाव कर लिया उसने अपना जीवन बना लिया। एक सच्चे मित्र से मनुष्य कसे जीवन मेें पग - पग पर सहायता मिलती हैै अच्छी या बुरी संगति के प्रभाव से कोई बच नहीं सकता। विशेष रूप से जीवन में प्रवेश करने वाले युवा- पुरूष का इस विषय में सावधान सहना चाहिये। युवाओं के चित्त कोमल होते है, उन पर अच्छे या बुरे संस्कार सहज ही अंकित हो जाते है। युवाओं कि भावनाओं में प्रौढता नहीं होती वे सहज ही भावावेश में आ जाते है और उनकी कार्यशैली भी अधकचरी होती है । युवा लोगो का स्वभाव कच्च्ी मिटटी कि मूर्ति के समान होता है। संगति उसे किसी भी रूप में बदल सकती है। अच्छी संगति मिलने पर वह देवताओं जैसा सच्चरित्र बन सकता है और बुरी संगति उसे दुराचारी राक्षस बना सकती है। अतः एक युवा व्यक्ति को मित्र का चुनाव बहुत सोच समझ कर करना चाहिये। एक विश्वास पात्र मित्र का मिलना वैसा ही है जैसे जीवन के समस्त कष्टों को मिटाने वाली कोई औषधि मिल जाये। यदि सच्चा मित्र सच्चा है तो श्रेष्ठ संकल्पों के निर्वाह में हमारी सहायता करेगा। वह सभी प्रकार के दोषों और भूलो से सावधान करेगा। सत्य के पालन ,पवित्र आचरण और अनुशासन को धारण करने में हमारी रूचि को बढायेगा । यदि हम गलत मार्ग पर जा रहे है तो सच्चा मित्र हमको सचेत करेगा। यदि हमारा उत्सााह भंग होगा तो यह हमको प्रोत्साहित करके सफलता के मार्ग पर बढने कि प्ररेणा देगा। सच्चा मित्र सम्मानपूर्वक जीवन बिताने में हमारी मदद करेगा। जैस्ेा श्रेष्ठ बैद्य रोगी के कष्ट को कुशलता पूर्वक जान लेता है उसी प्रकार एक सच्चा मित्र भी अपने मित्र के कष्टों और समस्याओं को जान लेता है,और उसकी सहायता करता है।

मित्र को मित्र का पूरक होना चाहिये एक सच्चा मित्र वह है जो कि अपने मित्र के प्रशंसनीय कार्यो के पूरा करने में हर प्रकार से सहयोग करें। उसे चाहिये कि मित्र का इतना उत्साह बर्धन करे उसमें इतना आत्मविश्वास जगा दे कि वह अपनी शक्ति से भी अधिक कार्य कर दिखााये। ऐसा एक मित्र ही कर सकता है।

सत्यता धर्म और कर्तव्य का पालन | Faithfulness and duty

                                            सत्यता

धर्म और कर्तव्य का पालन करने में मनुष्य को प्रायः कष्ट भोगने पडते हैं किन्तु कष्टों से डरकर उसे कर्तव्यविमुख नहीं हो जाना चाहिये। यह सम्भव है कि व्यक्ति के पडोसी छल कपट और पाखण्ड से औरो को ठगकर धनवान बन गये हो और वह निर्धन ही रह गया हो। यह भी हो सकता है कि लोग झूठी खुशामद करके उॅची नौकरी पा गये हो और कर्तव्यपालक व्यक्ति को कुछ न मिला हो और यह भी हो सकता है कि और नीच कर्म करके सुखी रह रहे हो और धर्म का पालन करने वाला कष्ट पा रहा हो । 



किन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं हो सकता कि वह व्यक्ति भी कर्तव्य विमुख हो जाये। अपने कर्तव्य धर्म का पालन करते हुए जीवन बिताने में जो संतोष और आन्नद अनुभव होता है बी दुष्कर्मों द्वारा प्राप्त धन सम्पत्ति और सुविधाओं से कदापि नही मिल सकता कर्तव्य से भ्रष्ट व्यक्ति सदा आशंका और अपराधबोध से पीढित रहता है।
कर्तव्य पालन करने वाले व्यक्ति के प्रयत्न में बाधा डालने वाली तीन चीज होती है प्रथम है चित्त का चंचल होना, यदि चित्त एकाग्र न होगा तो व्यक्ति कर्तव्य पालन नही कर पायेगा। दूसरी बाधा उददेश कि अनिश्चितता है। यदि उददेश्य बललता रहेगा तो भी मनुष्य धर्म पालन में असमर्थ रहेगा। तीसरी बाधा  दुर्बल मन वाला व्यक्ति कभी बाधाओं का सामना नहीं कर सकता अतः कर्तव्य पालन में असमर्थ रहता है। कर्तव्य पालन करते समय मनुष्य को दो प्रभावों के बीचसे निकलना होता है। एक ओर उसकी आत्मा उसे उचित अनुचित कर्मो का ज्ञान कराकर सावधान करती है तो दूसरी ओर आलस और स्वार्थ भावना उसे कर्तव्यविमुख करना चाहती है। जो दृढ संकल्पी व्यक्ति होते हैं। वे आत्मा कि प्ररेणा पर कार्य करते हैं। और अपने कर्तव्य धर्म का पालन करते है।

The truth

Human beings often have to suffer in pursuing religion and duty, but they should not be distracted by fear of suffering. It is possible that a person's neighbor has become rich by cheating others with deceit and hypocrisy and has remained poor. It may also be that people have got a high job by false falsehood and the duty-seeking person has not got anything, and it may also be that they are happy by doing inferior deeds and are suffering the trouble of following the religion.

However, this cannot be interpreted to mean that that person too becomes alienated from duty. The satisfaction and joy that one experiences in living a life while performing his duty religion b. May never be found by the wealth and facilities obtained by the misdeeds, a person corrupted by duty always suffers from apprehension and guilt.

There are three things that hinder the efforts of a person performing duty. First is to be fickle of mind, if the mind does not concentrate, the person will not be able to perform duty. The second hurdle is uncertainty of purpose. Even if the purpose is to persist, man will be unable to follow religion. The third hurdle is that a person with a weak mind can never face obstacles and is therefore unable to perform his duties. While performing duty, a man has to come between two effects. On the one hand his soul warns him by knowing the proper improper deeds and on the other hand, laziness and selfishness wants to alienate him. Those who are strong-minded people. They work on the inspiration of the soul. And perform their duties religion.

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