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स्टूडेन्टस के सामने एक सामस्या,the problems students face


आज हर स्टूडेन्टस के सामने एक सामस्या है कि लाॅकडाउन के बाद क्या किया जाये, फिर से सरकारी नौकरी कि तैयारी करे या कुछ और करें ज्यादातर समस्या उनके सामने हैं जो तीन-चार साल से लगातार तैयारी में लगे थे, जहां देशों कि अर्थव्यवस्था तहस नहस हो रही वही कैसे क्या होगा, अगर सरकारी नौकरी कि तैयारी में फिर लगते हैं तो शायद यह कदम मूर्खता पूर्ण होगा ऐसे विचार जन्म ले रहे अब तो ऐसे विचार जन्म लेना स्वाभाविक हैं, जब अर्थव्यवस्था नष्ट है तो कहां से जाॅब और सैलरी मिलेगी, यह सत्य है सालों बैकेन्सियां आनी नहीं हैं आयेगी भी तो करप्सन इतना होगा कि आम आदमी को मिलना नामुमकिन है, तीन-चार साल तैयारी करने बाद इतना दिमाग किताबी कीडा हो चुका है कि दिमाग में आइडिया आ ही नहीं रहे जो आ रहे वह सब पढाई सेक्टर से हैं वह चलना मुस्किल है जब स्टूडेन्टस ही प्रयागराज,दिल्ली,कोटा जैसी जगह छोडकर चले गये तो क्या होगा किसे पढायेगा कोई कैसे चलेगा काम आज कल आइडिया कम हैं, कम्पटीशन ज्यादा है सब उसी में लगे हैं एक दूसरे की काॅपी करने में दाल रोटी चल रही ऐसे में लाखों कि संख्या में स्टूडेन्टस डिप्रेस्ड हो रहे न कोई आइडिया है जिसके सहारे टिके थे उसे कोरोना वाइरस और लाॅकडाउन खत्म कर रहा ऐसा लगने लगा कि ये जन्म बेकार चला जायेगा लाखों लोगों का क्योकि हर आदमी अपने उददेश्य कि पूर्ति के लिये लगे थे, एक छोटी सी गलती जिसका नाम है स्वाद इसने पूरी पृथ्वी को बर्वाद कर दिया लाखों के सपने भंगार के भाव से बिक गये, और दूर-दूर तक इससे अभी निकलने का रास्ता भी नहीं दिख रहा क्येांकि लाखों लोगों के मरने के बाद भी कुछ देशों कि मांसाहारी स्वाद कि भूख मिट ही नहीं रही तो हम कह सकते हैं,कोरोना तो एक शार्टफिल्म है, फुल पिक्चर अभी बाकी है। 


Today there is a problem in front of every student, what to do after the lockdown, prepare for government job again or do something, most of the problems are in front of those who had been continuously preparing for three-four years, where the economy of the countries was destroyed. How is it going to happen, if you start preparing for a government job again, then perhaps this step will be foolish; Naturally, when the economy is destroyed, from where will you get jobs and salary, it is true that even if the rest of the years do not come, it will be so difficult that it is impossible for the common man to get, after three to four years of preparation, so much mind has become a bookworm It is said that the idea does not come to mind, all those who are coming are from the education sector, it is a pleasure to walk when the students leave the place like Prayagraj, Delhi and Kota. What will happen, who will teach how someone will work? Nowadays, ideas are less, competition is more and everyone is engaged in copying each other, in such a situation, there are millions of students who are getting depressed, there is no idea with which they could survive. He started finishing the corona virus and the lockdown, it seemed that this birth would go waste because millions of people were engaged for the fulfillment of their purpose. A small mistake, the name of which tastes it has ruined the whole earth, the dreams of millions were sold out of disrepute, and there is not even a way to get out of it, because even after the death of millions, the carnivores of some countries If the taste of hunger is not erased, then we can say, Corona is a short film, full picture is still left.

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