दोस्तों आज हम एक ऐसे मुददे कि बात करेगें जिसका सम्बन्ध पृथ्वी के समस्त लोगों के जीवन पर प्रभाव डालता है, और आज हम उसको नजर अंदाज कर रहे हैं, जिसके कारण हर दस-बीस साल बाद उसका परिणाम भूकम्प,बाढ,महामारी के तरह हमारे सामने आते हैं, दोस्तो यह मेरा लेख हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में है आप नीचे देखे,और अच्छा लगे तो शेयर,शस्क्राइव करें।
दोस्तों मेरा उददेश्य किसी को उसके धर्म या जाति से दूर करना नहीं है बस आपका उस और ध्यान आकर्षित करना है,
दोस्तों आज हम बडी-बडी बाते करते हैं, हमनेे अच्छा पहनना अच्छा खाना, अच्छा जीना तो सीख लिया लेकिन समय के साथ हमने उस चीज कि तरफ ध्यान नहीं दिया जिस कि बजह से हम अच्छा पहनना, अच्छा खाना, अच्छा जीना जैसी चीजें हमें मिली हैं। बात करते हैं प्रकृति कि आज हमने इसको इतना कष्ट पहुचाया है जिसका हम अन्दाजा तक नहीं लगा सकते, जिस प्रकार मनुष्य कि सुन्दरता उसके कपडे,रहन -सहन से है लडकियों कि सुन्दरता उनके आभूषणों व कपडों से है हम सब ये बात जानते है लेकिन हम ये भूल गये कि हमारी प्रकृति है उसकी सन्ुदरता मनुष्य नहीं है, उसकी सुन्दरता के आभूषण भोले भाले जानवर वे जुवान जानवर, पेड-पौधे, जल ये उनकी सुन्दरता के साधन है इन सब कि सुरक्षा के लिये प्रकृति ने हम मानवों को बनाया है इस बात को समझना बहुत जरूरी है दोस्तों पृथ्वी में रहने वाले हर मनुष्य का कर्तव्य है कि इसकी रक्षा करें लेकिन हमने क्या किया इन्हीं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया आज प्रकृति चिल्ला चिल्ला के इशारा कर रही सुधर जाओ,सुधर जाओ लेकिन विज्ञान और हम मानने को तैयार नहीं हम क्यों मानने को तैयार नहीं कि हमें रक्षक के तौर पर भेजा गया है न कि सर्वनाश के लिये आज कल लोग अत्याचार तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ धर्म का हवाला देकर अत्याचार करने को के लिये लोगो को बढाने का काम भी कर रहे हैं, लेकिन असलियत में सच्चाई ये है कि दुनिया के किसी भी धर्म में जानवरों को मारकर खाना नहीं कहा गया हमारे लोगो द्वारा बनाये गये धर्म के ठेकेदारों ने जिन्होने अपनी धर्म कि दुकान चलाने के लिये इस तरह का ज्ञान बाट दिया है कि समाज के लोग आज प्रकृति कि सुन्दरता को नष्ट करने में तुले हैं। हमें अपना दिमाग इस्तेमाल करने कि जरूरत है और आप जिस धर्म के हैं उस धर्म को अपने उन धर्म के ठेकेदार कि सुने बगैर उसे अपने दिमाग से समझे अगर धर्म में ऐसा है तो ऐसा धर्म व ऐसे लोग कैस्ेा अच्दे और एक सभ्य समाज ,देश का निर्माण कर सकते हैं। हमको इस ओर देखने समझने कि जरूरत है हमने बहुत गलतियां कि अगर इस कोरोना महामारी से हम नहीं समझे तो कभी नहीं समझ पायेगे क्या आखिर क्या चाहती है प्रकृति हमसे आप जान ही गये होगे प्रकृति ने हमको हर सुविधा दी कभी कुछ नहीं मांगा आज हमें लग रहा जिसने हमें बनाया है, बह हमारे सामने हाथ फैला भीख मांग रहा है कि जुर्म मत करो प्रकृति पर रक्षा करों उन बेजुवान जानवरों कि पेड-पौधों कि जिनको हमने अपने स्वार्थ के लिये जबरजस्ती साधन बना रखा है, आज हर देश के लोगो के लिये सही समय है प्रण लेने के लिये कि हम मांस,बेजुवान जानवर पर अब कभी अत्याचार नहीं करेगें और अपने सामने न ही होने देगें। प्रकृति कि रक्षा करेगें। हमारा एक संकल्प समस्त प्रथ्वी को खुशहाल बना सकती है।
Friends, today we will talk about an issue which has an impact on the lives of all the people of the earth, and today we are ignoring it, due to which, after every ten or twenty years its result will be earthquake, flood, epidemic like ours. Come on, friends, this is my article both in Hindi and English, you see below, and if you like, share, subscribe.
Friends, my aim is not to distance anyone from his religion or caste, just to draw your attention to him,
Friends, today we talk a lot, we have learned to eat well, eat well, but over time we did not pay attention to the things that we got by wearing good things, good food, good living. Huh. Let us talk about the nature that we have caused so much pain today that we cannot even guess, just as the beauty of a man is from his clothes, life and beauty, the beauty of girls is from his jewelery and clothes, but we all know this They have forgotten that our nature is not its beauty, its ornament of beauty is naive spear animals, they are young animals, trees, water, they are the means of their beauty. It is very important to understand that nature has made us humans for safety, friends, it is the duty of every human living in the earth to protect it, but what we did is we started torturing them today. Keep improving, improve but science and we are not ready to accept why we are not ready to believe that we have been sent as protector and not serve Nowadays people are committing atrocities for the same time, along with citing religion, they are also doing the work of increasing the people to commit atrocities, but in reality the fact is that eating animals in any religion of the world is killing It was not said that the contractors of religion created by our people have given such knowledge to run the shops of their religion that the people of the society today can bring the beauty of nature We are ready to destroy. We need to use our mind and understand the religion of which you belong to your mind without listening to the contractor of those religion, if there is such a religion in it, then such a religion and such people, how can a good society and a civilized society, Can manufacture We need to understand to see this, we have made many mistakes that if we do not understand from this corona epidemic, then you will never understand what the nature wants from you, you will know that nature has given us every facility, never asked for anything. Who has made us, is stretched out in front of us, begging that do not commit crime, protect the nature of the trees and trees of the lifeless animals which we have ourselves Maintains Connor means of Arth, to take oath today every country in the right time for the people that we will not torture ever now on meat, Bejuwan animals and reveal not their face. Will protect nature. One of our resolutions can make the whole earth happy.
pandemic vs epidemic coronavirus, pandemic new coronavirus ,who corona pandemic, who pandemic coronavirus,who coronavirus pandemic,protect nature speech, protect nature article ,protect nature and environment, protect a nature ,protect the nature speech, a short speech on protect nature ,protect nature for better future, nature beauty protect ,we can help protect nature, by protect nature now.com, nature can protect conserve, protect nature, safe protect human nature ,how protect nature ,how to protect nature hindi ,protect nature ,protect nature information,