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ज्ञानवापी परिसर की जांच के आदेश kashi vishwanath temple | gyanvapi mosque dispute case

आज हम आपको काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आए कोर्ट के एक बहुत महत्वपूर्ण फैसले के बारे में बताना चाहते हैं, जिसने हमारे देश के कट्टरपंथी, कुछ बुद्धिजीवी और कुछ उदारवादी लोगों को परेशान कर दिया है. खुद को सहनशीलता का चैम्पियन बताने वाले इन लोगों को ये फैसला सहन नहीं हो रहा है.


ज्ञानवापी परिसर की जांच के आदेश 

वाराणसी की सिविल कोर्ट ने इस मामले में Archaeological Survey of India को पूरे t परिसर की जांच कराने के आदेश दे दिए हैं. ये परिसर वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास है, जहां ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है. वैसे तो ये मामला 352 वर्ष पुराना है, लेकिन पिछले 24 घंटों से इस पर बहुत चर्चा हो रही है.

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास


अभी जो मौजूदा काशी विश्वनाथ मंदिर है, उसे वर्ष 1780 में मालवा की रानी अहिल्याबाई ने बनवाया था और ये मंदिर ज्ञानवापी परिसर के पास में ही है क्योंकि, इससे पहले वर्ष 1669 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने इस मंदिर को तुड़वा कर मस्जिद बना दी थी. हिन्दू पक्षकारों का मानना है कि काशी मंदिर की वास्तविकता दो हज़ार वर्षों पुरानी है.

क़रीब दो हज़ार साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने काशी विश्व नाथ मंदिर बनाया था, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसीलिए इसे हिन्दुओं की आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र माना जाता है.

पहली बात कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर की खुदाई के लिए Archaeological Survey of India को पांच सदस्यों की एक टीम बनाने के लिए कहा है, जो सर्वेक्षण के काम का नेतृत्व करेगी. महत्वपूर्ण बात ये है कि पांच लोगों की इस टीम में दो सदस्य मुस्लिम समुदाय से भी होंगे.


दूसरी बात इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य ये पता लगाना है कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद, वहां पहले से मौजूद किसी मंदिर को तोड़ कर, बदल कर या उसके ऊपर बनाई गई थी.

तीसरी बात अगर जांच में इसके ठोस साक्ष्य मिलते हैं कि मस्जिद वाली जगह पर पहले मंदिर था तो इस टीम को अपनी रिपोर्ट में ये भी बताना होगा कि उस मंदिर की बनावट, उसका आकार और उस पर किस तरह की शिल्प कला थी और अगर मंदिर था तो उस मन्दिर में किस देवी-देवता की मूर्ति विराजमान थी. ये भी बताना होगा.

चौथी बात इस पांच सदस्यीय टीम को सर्वेक्षण के दौरान ज्ञान वापी परिसर के किसी भी हिस्से में जाने और वहां जांच करने का अधिकार होगा. टीम को ऐसा करने से न रोका जाए, ये सुनिश्चित करना पुलिस का काम होगा. 

और पांचवी


और पांचवीं बात ये कि खुदाई के दौरान मीडियाकर्मी वहां मौजूद नहीं रह सकते. कोर्ट ने केवल हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों को इस दौरान वहां मौजूद रहने की अनुमति दी है. साथ ही इसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के भी निर्देश दिए हैं.

ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण को लेकर कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे पक्षकार हरिहर पांडेय को फोन पर जान से मारने की धमकी मिली है। पिछले दिनों काशी विश्‍वनाथ मंदिर के पुरातात्विक सर्वेक्षण का कोर्ट से आदेश होने के बाद पक्षकार को मिली धमकी को यूपी पुलिस ने काफी गंभीरता से लिया है। पुलिस की ओर से पक्षकार हरिहर पांडेय को सुरक्षा मुहैया कराई गई है। 

औरंगाबाद के रहने वाले 75 वर्षीय हरिहर पांडेय को फोन करने वाले शख्‍स ने कहा, 'पांडे जी आप मुकदमा तो जीत गए हैं लेकिन आप और आपके सहयोगी मारे जाएंगे।' धमकी भरा यह फोन नौ अप्रैल को आया था। इसके बारे में हरिहर पांडेय ने वाराणसी के पुलिस कमिश्‍नर से मौखिक शि‍कायत की। इस पर पुलिस तत्‍काल हरकत में आ गई। दशाश्‍वमेध के सीओ ने घर जाकर हरिहर पांडेय का बयान लिया। इसके बाद वाराणसी पुलिस की ओर से हरिहर पांडेय की सुरक्षा में दो पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए हैं। धमकी देने वाले के बारे में पुलिस पता लगा रही है। 

ये है मामला

हाल में कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के लिए एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीज़न फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी दी थी। मस्जिद को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि विवादित ढांचे के फर्श के नीचे करीब 100 फीट ऊंचा विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिलिंग है और ढांचे की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं। 

1991 में कोर्ट में दाखिल हुआ था मुकदमा 
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में साल 1991 में वाराणसी की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया गया था। याचिकाकर्ता ने ज्ञानवापी में पूजा की इजाजत मांगी थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि 250 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने यहां मंदिर का निर्माण कराया था। साल 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में स्टे लगा दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद साल 2019 में वाराणसी कोर्ट में एक बार फिर से मामले की सुनवाई शुरू हुई। पिछले गुरुवार को कोर्ट ने इसका पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद अब पक्षकार हरिहर पांडेय को जान से मारने की धमकी मिली है जिसे लेकर वाराणसी पुलिस सतर्क हो गई है

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