> Nomad sachin blogs: अमीर खुशरो ने जिदगी घुट-घुट कर फर्जी लेख मुगलो के डर के कारण लिखकर बिता दी

Game click enjoy

अमीर खुशरो ने जिदगी घुट-घुट कर फर्जी लेख मुगलो के डर के कारण लिखकर बिता दी


यह बात सत्य है इतिहास को घृणित बनाने वाले के ही हाथ में अगर इतिहास लिखने का काम सौप दिया जाये तो वह अपनी लेखनी से जरूर उस पर अपने दाग मिटाने कि कोशिश करेगा ऐसे ही थे अमीर खुसरो आज आप खुद ही विश्लेशण करके बताये अगर आज इनका असली इतिहास सामने लाया जाये तो इनको किस स्थान पर रखगें आप
एक सूफी सन्त निजामुददीन औलिया थे ,जिसकी मजार दिल्ली में अभी भी हिन्दुओं द्वारा सम्मानित होती है। उसका एक प्रमुख शिष्य था अमीर खुसरो जिसका यशगान अनेक हिन्दू आज भी करते हैं। खुसरो दरबारी कवि था और बादशाहों कि प्रशस्तियां लिखना ही उसका एकमात्र काम था। बह एक बादशाह कि प्रशस्ति लिखने के तुरन्त बाद उस बादशाह कि हत्या करके गददी पर बैठने वाले दूसरे बादशाह के लिये भी ठीक वैसी ही प्रशस्ति लिख मारता था। ये कोई इतिहासकार  नहीं  ऐसे लोगो को इतिहास में चापलूस कहते है जो इनको इतिहास कार समझते हैं वह बताये कैसे जितने भी मुस्लिम शासक हुए सब एक दूसरे को मारकर गददी पर बैठे सब घृणित कायर थे। लेकिन अमीर खुशरों के लेखों में इन सबका कोई वर्णन नहीं ये अपने ही लोगों को अपनी हबस का शिकार बना लेते थे। कैसा इतिहास कार था अमीर खुशरो चापलूसी कर्ता था इतिहास का ये इन्सान जिसने अपनी जिदगी घुट-घुट कर फर्जी लेख मुगलो के डर  के कारण लिखकर बिता दी।

इस्लाम के जिहाद के विरूद्व हिन्दू जमकर लडते रहे। दक्षिण में मुसलमान बनाये गये दो हिन्दू महायोद्वाओं - हरियर तथा बुक्का को फिर से हिन्दुत्व कि दीक्षा देकर आचार्य माधवारण्य ने विजयनगर साम्राज्य कि स्थापना कि। उस साम्राज्य कि छत्रछाया में हिन्दुओं के शास्त्रों का पुनरूद्वार हुआ तथा सायण के वेदभाष्य लिखे गये। 

अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1262-1324) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि शायर गायक और संगीतकार थे। उनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से सम्बंधित था  स्वयं अमीर खुसरो ने 7 सुल्तानों का शासन देखा था  अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा  उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है  वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था। वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। उनके ग्रंथो की सूची लम्बी है। साथ ही इनका इतिहास स्रोत रूप में महत्त्व है। अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है

मध्य एशिया की लाचन जाति के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र अमीर खुसरो का जन्म सन् 1253 ईस्वी  में एटा उत्तर प्रदेश के पटियाली नामक कस्बे में हुआ था। लाचन जाति के तुर्क चंगेज खाँ के आक्रमणों से पीड़ित होकर बलबन  (१२६६(1266)-१२८६(1286) ई0 के राज्यकाल में शरणाथियों  के रूप में भारत में आ बसे थे। खुसरो की माँ बलबनके युद्धमंत्री इमादुतुल मुल्क की पुत्री तथा एक भारतीय मुसलमान महिला थी। सात वर्ष की अवस्था में खुसरो के पिता का देहान्त हो गया। किशोरावस्था में उन्होंने कविता लिखना प्रारम्भ किया और २० वर्ष के होते होते वे कवि के रूप में प्रसिद्ध हो गए। खुसरो में व्यवहारिक बुद्धि की कोई कमी नहीं थी। सामाजिक जीवन की खुसरो ने कभी अवहेलना नहीं की। खुसरो ने अपना सारा जीवन राज्याश्रय में ही बिताया। राजदरबार में रहते हुए भी खुसरो हमेशा कवि कलाकार संगीतज्ञ और सैनिक ही बने रहे। साहित्य के अतिरिक्त संगीत के क्षेत्र में भी खुसरो का महत्वपूर्ण योगदान है  उन्होंने भारतीय और ईरानी रागों का सुन्दर मिश्रण किया और एक नवीन राग शैली इमान जिल्फ़ साजगरी आदि को जन्म दिया भारतीय गायन में क़व्वालीऔर सितार को इन्हीं की देन माना जाता है। इन्होंने गीत के तर्ज पर फ़ारसी में और अरबी ग़जल के शब्दों को मिलाकर कई पहेलियाँ और दोहे भी लिखे हैं।

This is true, if the task of writing history is handed over to the person making history disgusting, then he will definitely try to erase his stains on it with his writings, it was like that, Amir Khusro, today you can analyze yourself and tell them today. If real history is brought to the fore, where will you place them

One Sufi saint was Nizamuddin Auliya, whose tomb is still revered by Hindus in Delhi. One of his main disciples was Amir Khusro whose Yashgana is practiced by many Hindus even today. Khusro was a court poet and his only work was to write commendations of emperors. Soon after writing a commendation of a king, he used to write the same commendation for the other king who sat on the donkey by killing that king. It is not a historian to call such people as sycophants in history, who consider them as history car, they tell how all the Muslim rulers who killed each other were all disgusting cowards sitting on the donkey. But there is no description of all this in the articles of rich people, they used to make their own people a victim of their hubris. What kind of history car was Amir Khushro was a flattering actor, this man of history who spent his life choking and chugging and writing Farli articles.

Hindus continued to fight fiercely against the Jihad of Islam. Acharya Madhavaranya established the Vijayanagara Empire by re-initiating Hindutva to two Hindu Mahayodwas - Hariyar and Bukka, who were made Muslims in the south. In the shadow of that empire, the scriptures of Hindus were revived and the Vedabhashya of Sayan was written.

Abul Hasan Yameenuddin Amir Khusro (1262–1324) was a prominent poet-singer and composer living near Delhi around the fourteenth century. His family had been associated with the court for many generations. Amir Khusro himself had seen the rule of 7 Sultans. Amir Khusro was the first Muslim poet to have used Hindi words openly. He was the first person who wrote them together in Hindi, Hindu and Persian. The invention is credited for his riddles and reticence. He first referred to Hindavi for his language. He was also a Persian poet. He had the shelter of the Delhi Sultanate. The list of his books is long. Also, their history is important in source form. Amir Khusro is called Parrot of Hind

Amir Khusro, son of Turk Saifuddin of the Lachan caste of Central Asia, was born in 1253 AD in a town called Patiali in Etah, Uttar Pradesh. After suffering from the invasions of Genghis Khan, a Turk of the Lachan caste, Balban immigrated to India as refugees during the reign of (126 (1266) -126 (1286)). Khusro's mother Balbanke, daughter of war minister Imadutul Mulk and an Indian Muslim woman. Khusro's father passed away at the age of seven. He started writing poetry as a teenager and by the age of 20 he became famous as a poet Done. Khusro  had no shortage of practical intelligence. Khusro never disregarded social life. Khusro  spent all his life in royalty. Khusro  remained a poet artist, musician and soldier even while living in the court. Literature. Apart from this, Khusro also has significant contribution in the field of music, he made a beautiful blend of Indian and Iranian ragas and a new raga style Iman J Lf Sajagri etc. are delivered as a gift to Khwwaliawr Sitar Indian singing them. They are in Persian on the lines of the song and also wrote many puzzles and couplets including words of Arabic Ghjl.

3 टिप्‍पणियां:

  1. amir khusro, amir khusro ki rachna ,amir khusro ka jivan ,parichay amir khusro ke guru kaun the ,amir khusro kaun the, amir khusro kiske darbari tha, amir khusro kavi hai ,amir khusro akbar, amir khusro and nizamuddin auliya ,amir khusro and khilji, amir.khusro ,amir khusro biography in hindi ,amir khusro belongs to which king, amir khusro contribution, amir khusro creations ,amir khusro dynasty ,amir khusro details, amir e khusro, amir khusro ghazal, amir khusro history, amir khusro history in urdu,

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तर
    1. https://truthhai.blogspot.com/ maine tumhari website dekhi tum meri website share kr do mai tumhari share ke raha social plate form pr content different hai hamara tumahra ok

      हटाएं

please do not enter any spam link in the comment box
https://nomadsachin.blogspot.com

play and earn money