> Nomad sachin blogs

Game click enjoy

जफर के दिल में हर बक्त अपने वतन कि माटी के लिये तड़प बनी रहती थी Urdu, Zafar Dargah, Bahadur Shah Zafar, Mughal emperor

                                                          (आजादी के दिवाने) 
                   Lalbai Hindu family, Humayun's tomb, Abu Bakar, Mirza Mughal, Khizar Sultan, Urdu, Zafar Dargah, Bangladesh, Bahadur Shah Zafar, Mughal emperor Bahadur Shah Zafar, मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर

अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के दिल में हर बक्त अपने वतन कि माटी के लिये तड़प बनी रहती थी। अंग्रेजों ने उन्हे देश निकाला दे दिया लेकिन उन्होने अपनी जान बख्श देने के लिये समझौता नहीं किया। अंग्रेजों को चेतावनी देते हुए उन्होने कहा था हिंदियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की तख्त ए लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान कि उनकी चेतावनी सही साबित हुई और आाजादी के मतवाले स्वतंत्रता मिलने तक लगातार अपने प्राणेंा कि आहुति देते रहें बर्मा कि राजधानी रंगून मे जब वह अपने जीवन के अंतिम दौर मे थे तब वतन कि याद में तडपते हुए उनके लफजों से निकल पडा कितना है बनसीब जफर दफन के लिये दो गज जमीन भी न मिली कुए यार में उनका जन्म 24 अक्टूवर 1775 को दिल्ली में हुआ था वह  अपने पिता अकबर द्वितीय के मौत के बाद 28 सितम्बर 1838 को बादशाह बने । उनकी मां ललबाई हिन्दू परिवार से थी। 1857 में जब आजादी कि चिंगारी भडकि भी विद्रोही सैनिको और राजाओं ने उन्हे सम्राट माना और उनके नेतृत्व में अंग्रेजों कि ईट से ईट बजा डाली ।
भारतीयों ने देश के अनेक हिस्ससों में अजादी कि पहली लडाई में अंग्रेजो को मात दी अंग्रेज छल-कपट से इस कृान्ति को दवाने मे कामयाब रहे। जफर ने हुंमायू के मकबरे में शरण ली लेकिन मेजर हडसन ने उन्हे उनके बेटे मिर्जा मुगल ,खिजर सुल्तान और पोते अबू बकर के साथ पकड लिया ।अंग्रेजो ने जुल्म कि हदें पार कर दी। जफर को जब भूख लगी तो वे थाली में उनके बेटो के सिर ले आये वह सिर्फ देशभक्त बादशाह ही नहीं बल्कि उर्दू के मसहूर कवि भी थे। उन्होने बहुत सी कवितायें लिखी जिसमें अधिकतर 1857 के दौरान मची उथला पुथली में या तो खो गयी या फिर नष्ट हो गयी मुल्क से अंगे्रजों को भगाने का ख्वाव लिये 7 नबम्बर 1862 को 87 साल कि उम्र में उनका निधन हो गया लेकिन वक्त ने उन्हे दूसरे मुल्क मे मरने को मजबूर किया। उन्हे रंगून में श्वेडागौन पैगोडा के नजदीक दफनाया गया । जिसे अब जफर दरगााह के नाम से जानते है। भारत में कई सडके उनके नाम पर है। लाहौर में भी उनके नाम से सडक है। बाग्लादेश में भी एक पार्क बहादुरशाह जफर के नाम से जाना जाता है।

(Freedom lovers)
 Last Mughal Emperor Bahadur Shah Zafar

In the heart of the last Mughal emperor Bahadur Shah Zafar, every person lived longingly for the land of his homeland. The British expelled him but he did not compromise to spare his life. Warning the British, he said that there would be a boon in the Hindus when Talaq Iman's Takht-e-london would run till his warning of Hindustan proved to be true and till the independence of independence the tribals continued to sacrifice their lives in Burma's capital Rangoon when he When he was in the last phase of his life, how much did he have to come out of his feelings while suffering in memory of the countryman, not even two yards of land for burial. Ili que man born 24 Aktuvr 1775 had happened in Delhi after the death of his father Akbar II became king on 28 September 1838. His mother was from the Lalbai Hindu family. In 1857, when the spark of independence broke out, even the rebel soldiers and kings considered him emperor and led the British to the bricks under his leadership.


The Indians defeated the British in the first battle of Ajadi in many parts of the country, the British managed to get this revolution done by deceit. Zafar took refuge in Humayun's tomb but Major Hudson caught him along with his son Mirza Mughal, Khizar Sultan and grandson Abu Bakar. The English crossed the limits of oppression. When Zafar got hungry, he brought his son's head in the plate, he was not only a patriot king but also a poet of Urdu. He wrote a number of poems in which most of them were either lost or destroyed in shallow potholes during 1857. He died on 7 November 1862 at the age of 87, but the time left him in the second country. I was forced to die. He was buried near the Shvedagon Pagoda in Rangoon. Which is now known as Zafar Dargah. Many roads in India are named after him. There is a road to his name in Lahore too. There is also a park in Bangladesh known as Bahadur Shah Zafar.

Lalbai Hindu family, Humayun's tomb, Abu Bakar, Mirza Mughal, Khizar Sultan, Urdu, Zafar Dargah, Bangladesh, Bahadur Shah Zafar, Mughal emperor Bahadur Shah Zafar, मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर

प्रथम राष्ट्रपति डा0 राजेन्द्र प्रसाद को फूल मालाओं से लाद दिया Freedom lovers | First president of india

                                    (आजादी के दिवाने) 
                                प्रथम राष्ट्रपति भारत
Rajendra Babu, Chintamani, Gandhiji, Allahabad, Rajendra Prasad, Congress, Mumbai, Dr. Rajendra Prasad, Republic of India, First president india, Freedom lovers, मुंबई अधिवेशन,


भारतीय गणतंत्र के प्रथम राष्ट्रपति डा0 राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 सितम्बर 1884 को हुआ था। जब वह कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन के सभापति चुने गये तो जनता उन्हे देखने को बेचैन थी पर वह कहीं न दिखे । लोगों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि जिस व्यक्ति को मंच कि ओर बडता देख लोगों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि जिस व्यक्ति को मंच कि ओर बढता देख लोग भीड में धक्के दे रहे थे। वही जब किसी तरह मंच तक पहुचा तो लोगो ने उन्हे फूल मालाओं से लाद दिया एक बार उन्हे बिहार के एक छोटे राज्स जाना था।डनहे देर हो गयी आयोजक निराश होकर अपने काम में लग गए उनकी मोटर फेल हो गयी थी । वह आठ बजे वाली ट्रेन से आए चूकि किसी को कोई सूचना न थी। इसलिये कोई स्टेशन भी नही आया वह गााडी से उतरे और स्टेशन मास्टर के दफतर पंहुचकर बोले जरा फोन करना है अपने रौब में स्टेशन मास्टर ने कहा कौन हो तुम बह इतना भर बोले कि राजेन्द्र प्रसाद......कि स्टेशन मास्टर पुनः उबल पडा अरे राजेन्द्र प्रसाद नहीं आये आज। 

जब उसे सच्चाई पता चली तो दंग रह गया।जब राजेन्द्र बाबू कांग्रेस के सभापति थ्ेा तो उन्ही दिनो किसी मौके पर इलाहाबाद आए। तब लीडर के संपादक थ्ेा । सीबाई चिंतामणि राजेन्द्र बाबू उनसे मिलने गए शाम हो रही थी। राजेन्द्र बाबू ने चपरासी को अपना कार्ड दिया चपरासी ने जाकर देखा कि चिंतामणि कुछ लिख रहे थे। चपरासी को टोकने की हिम्मत न हुयी और कार्ड मेज पर रखकर चुपचाप रखकर बाहर आ गया और अलाब के पास बैठ गया। कुछ देर तक तो राजेन्द्र बाबू असरा देखते रहे फिर जब कपकपी लगी तो खुद ही आग तापने लगे। लगभग एक घंटे बाद चिंतामणि कि दृष्टि कार्ड पर गयी तो देखा कि वह तो कांग्रेस के सभापति का कार्ड पडा है। चपरासी ने बताया कि एक घंटे से चिंतामणि जी को बडा दुख हुआ सोचा कि राजेन्द्र बाबू अवश्य ही लौट गये होगे फिर भी पूछा कि कौन आया था। एक आदमी लाया था वहां आग ताप रहा है वह बोले अच्छा उसे बुलाओ जब उस जगह स्वयं राजेन्द्र बाबू उठकर आये तो चिंतामणि स्तब्ध रह गये। कांग्रेस का सभापति इतनी सादगी गांधी जी के सच्चे अनुयायी राजेन्द्र बाबू 28 फरवरी 1963 को इस संसार से सदा के लिये बिदा हो गये।

(Freedom lovers)
 First president india
 Late Shri Dr. Rajendra Prasad

Dr. Rajendra Prasad, the first President of the Republic of India, was born on 3 September 1884. When he was elected the chairman of the Mumbai session of the Congress, the public was restless to see him but he could not be seen anywhere. There was no place for the surprise of the people that the person who was moving towards the stage could not be surprised to see that the person who was moving towards the stage was pushing people into the crowd. When he somehow reached the stage, people loaded him with flower garlands, once he had to go to a small Raj in Bihar. Late, the organizer got frustrated and his motor work failed. He came by the eight o'clock train as no one had any information. That is why no station even came, he got down from the train and reached the station master's office and said that in his awe, the station master said, "Who are you, you are so full that Rajendra Prasad ... ... that the station master was boiled again." Hey Rajendra Prasad did not come today.


When he came to know the truth, he was stunned. When Rajendra Babu was the President of the Congress, he came to Allahabad on those same days. The editor of the leader was then. Sibai Chintamani Rajendra Babu was going to meet him in the evening. Rajendra Babu gave his card to the peon. The peon went and saw that Chintamani was writing something. The peon did not dare to interrupt and came out quietly keeping the card on the table and sat near the alab. Rajendra Babu kept watching Asra for a while, then when the cupcake started, the fire itself started heating up. After about an hour, Chintamani's eyesight went to the card and saw that she had the card of the Congress President. The peon told that for an hour, Chintamani  ji felt very sad that Rajendra Babu must have returned but still asked who had come. A man had brought fire there, he said, "Call him well. When Rajendra Babu himself came to that place, Chintamani  was stunned." Congress President Rajendra Babu, a simple follower of such simplicity Gandhiji, departed from this world forever on 28 February 1963.


Rajendra Babu, Chintamani, Gandhiji, Allahabad, Rajendra Prasad, Congress, Mumbai, Dr. Rajendra Prasad, Republic of India, First president india, Freedom lovers, मुंबई अधिवेशन,






सांसारिक वासनाएं सदा-सदा के लिये नष्ट हो जाती है। The love

प्रेम


प्रेम मस्तिष्क का विषय न होकर हृदय का विषय है। वासनामय संसार में प्रेम होना कि दंुर्लभ है और यदि अपवादस्वरूप हो भी जाए तो उसका निष्कपट और विशुद्व होना कठिन है। प्रेम हृदय कि पवित्रता में उठने वाली उस ज्वालामुखी जैसा होता है जिसकी शक्ति और सीमा का अनुमान लगाया जाना संभव नहीं प्रेम उस पवित्र गंगा कि धारा के समान है जिसके प्रवाह में सांसारिक वासनाएं सदा-सदा के लिये नष्ट हो जाती है। महर्षिशों ने प्रेम को पवित्र हृदय से उत्पन्न  हाने वाला त्रिगुणातीत अचल,निर्मल,आनंदमय,सत्य कमलतंतु, से भी कोमल, सूक्ष्माति सूक्ष्म, अनुभवगम्य,स्वाभाविक एकरस रहने वाला और नित्य नवनवायमान बताया है। गुण अथवा किसी विशेषता के कारण प्रेम करने का कोई आधार नही प्रेम को किन्ही गुणों कि उपेक्षा नहीं हांेती है। अनुभवी लोगो का मानना है कि प्रेम के स्पर्शमात्र से प्रेम करने वाले व्यक्ति का हृदय विकाररहित हसे जाता है। सांसारिक वासनाएं और कामनाये सदा-सदा के लिये भस्मीभ्ूात हो जाती है। अर्थात प्रेममार्ग में कामनाओं और वासनाओं को त्यागना अति आवश्यक हो जाता है।

सांसारिक वस्तुओं से प्रेम  करने से प्राप्त सुख अस्थाई होते है। जबकि ईश्वरीय प्रेम से प्राप्त सुख स्थाई होता है। प्रेम तत्व सीधे हृदय से जुडा होने के कारण केवल अनुभवमुग्ध है।

इसे अनुमानादि सं नहीं जाना जा सकता न ही शब्दो के माध्यम से परिभाषित किया जा सकता है जब व्यक्ति प्रेम कि दुनिया में प्रवेश करता है तब उसके लिये इच्छा अनिच्छा ,हानि-लाभ ,मान- अपमान ,सुख-दुख,जय-पराजय सभी महत्वहीन हो जाते हैं। प्रेमानुभूति होते ही व्यक्ति के हृदय में कोमल भावों के उदगम के साथ ही सांसारिक विकार काम,क्रोध,मोह,आदि समूल नष्ट हो जाते हैं।

The love

Love is not a matter of the brain but of the heart. It is difficult to have love in a world of love and even if it is an exception, it is difficult to be honest and objective. Love is like a volcano that rises in the sanctity of the heart, whose power and extent is not possible to predict, love is like a stream of the holy Ganges, in whose flow the worldly desires are destroyed forever. Maharishis have described love as a trinityless, immaculate, blissful, true Kamalantantu, emanating from the pure heart, soft, subtle, sensible, natural, monotonous and constantly new. There is no basis to love due to virtue or any attribute, love does not ignore any virtue. Experienced people believe that the heart of a person who loves the touch of love is deformed. Earthly lusts and sorrows are forever consumed. That is, it becomes very important to renounce desires and desires in the love path.

The pleasures obtained by loving earthly things are temporary. Whereas the happiness obtained by divine love is permanent. The love element is directly obsessed with being connected to the heart.

It cannot be known as conjecture nor can it be defined through words when a person enters the world of love, then the desire for him is unwillingness, loss-gain, honor-humiliation, happiness-sorrow, victory-defeat all insignificant. Become. With the emergence of soft feelings in one's heart, worldly disorders like work, anger, attachment, etc. are destroyed as soon as there is love.

The pleasures, unwillingness, loss-gain, honor-humiliation, happiness-sorrow, victory-defeat, work, anger, attachment, holy Ganges, Love, प्रेम, वासनाएं,



सुकरात का सबसे विवादस्पद व्यक्ति Hindi short stories ,moral for kids story,Moral Stories in Hindi

                                                                     सुकरात
                                           एक विचित्र घटना


जब 432 ई0पू0 में पोटिडिया के युद्व में आल्र्सविडाय घायल हुआ तो एथेन्स कि सुना के एक सैनिक ने उसे बचा लिया था। उस सैनिक का नाम था सुकरात

बाद में सुकरात का सबसे विवादस्पद व्यक्ति बना। उसी के शब्दो में वह एक ऐसा हौवा बन गया जिसके कारण बडे-बडे अधिकारी सजग हो जाते थ्ेा और वह उनकी आलोचना कर देता था। जब भी कोई बात स्पष्ट न होती दंभ,अन्याय,हेकडी,या लालच का बोलबाला होता सुकरात तुरंत उसमें दखल देता। वह अपने समय का महान नेता था। ऐसे समय में वह जनता से ही पूछता था कि क्या करना चाहिये। वह चाहता था कि जनता स्वयं निर्णय करे। वह लोगो को अपने आप को समझने में सहायता करता था।

सामान्यता ऐसा व्यक्ति कुछ कि तो मदद करता है लेकिन कुछ दूसरो को नाराज कर लेता था। उसके शत्राुओं ने उस पर युवा वर्ग को भ्रष्ट करने तथा मान्य देवताओं कि भक्ति न करने कि प्रेरणा देने का आरोप लगाया। 500 व्यक्तियों कि न्याय सभा में से 280 ने उसे  मृत्यु दंड देने के पक्ष में तथा 220 ने विपक्ष में अपना मत दिया।

ऐथेन्स के नियमों के अनुसार सजायाफता व्यक्ति जुर्माना या देशनिकाले में एक चीज चुन सकता था। जब सुकरात ने दोनो बातों को अस्वीकार करके मृत्यु का वरण करना उचित समझा तो उसके मित्रों को बहुत निराशा हुई जेल मंे अन्तिम दिन उसके शिष्य कीटों ने उसे भाग जाने के लिये कहा कीटो ने कि वह और अन्य मित्र तुम्हारे भाग जाने के लिये जेलर को कुछ घूस दे देगे। एथेन्स में न सही अन्य स्थानो के लोग आपसे प्यार करेगें। कीटो ने सुकरात को मनाने की कोशिश की। जब उसकी एक न चली तो उसने सुकरात से युवकों कि शिक्षा पूरी न करने कि बात कही।

सुकरात ने अपने सिद्वांतो से विचलित होना अस्वीकार कर दिया। उसने कहा केवल जीवन जीने का नही ,बल्कि ,अच्छे जीवन का ही मूल्य है। सुकरातने कहा कि वह जीवित रह सकता है और विदेश में जाकर रह सकता है परन्तु न्याय और गुणों युक्त उन सिद्वांतों का क्या होगा जिन्हें वह अब तक अन्य लोगों को बताते आया हूॅ।
सुकरात अन्र्तरात्मा कि आवाज पर विश्वास करता था इसी आधार पर उसने अन्तिम निर्णय भी लिया। अन्तर्रात्मा कि आवाज ने उससे कहा सुकरातसुनो पहले जीवन और बच्चों  कि और बाद में न्याय कि मत सोचो वल्कि न्याय सबसे पहले है। अब तुम निर्दोष के रूप में जा रहे हो एक पापी के समान नहीं

जैसे ही सूर्यास्त का समय हुआ जेलर ने उसे हलाहल विष का प्याला दिया। वह बोला...... सुकरात यहां जितने भी आदमी है उनमें से तुुम सबसे ईमानदार और भद्र तथा सबसे अच्छे हो अलविदा.....वह फूट-फूट कर रोते हुए वहां से चला गया। उस समय फांसी फंदे में लटका कर नहींजहर देकर मौत देते थे। सुकरात ने जहर पिया वह तब तक टहलता रहा जब तक विष के प्रभाव से पांव में चलने कि शक्ति नहीे रही और जहर फैलने लगा। जब वह मृत्यु कि प्रतीक्षा में लेट गया तो उसे याद आया कि उसने अपने एक मित्र को मुर्गे का कर्ज चुकाना है।

वह एथेन्स का सबसे बुद्विमान और श्रेष्ठ व्यक्ति था। उसका अन्त इतिहास के एक क्षणमात्र कि घटना है परन्तु उसकी विश्वसनीयता युगों-युगों तक स्मरणीय रहेगी।

Socrates
A strange incident

When Alsavidya was wounded in the Battle of Potidia in 432 CE, a soldier from Athens heard that he was saved. The name of that soldier was Socrates

Later became the most controversial person of Socrates. In his words, he became a bogey due to which big officers would become aware and he used to criticize them. Socrates would immediately intervene whenever something was not clear of conceit, injustice, hecky, or greed. He was a great leader of his time. At such times he used to ask the public what to do. He wanted the public to decide for themselves. He helped people understand themselves.

Normally, such a person helps, but used to annoy some others. His enemies accused him of corrupting the youth and inspiring him not to do devotion to recognized gods. Out of 500 judges, 280 voted in favor of the death penalty and 220 in the opposition.

According to the rules of Athens, a convicted person could choose a fine or a fine. When Socrates thought it appropriate to declare death by rejecting both things, his friends were very disappointed that on the last day in prison his disciple Keats told him to run away. Will bribe you. People from other places not right in Athens will love you. Keito tried to convince Socrates. When he could not do one, he asked Socrates not to complete the education of the youth.

Socrates declined to deviate from his theories. He said not only to live life, but also, good life has value. Socrates said that he can live and go abroad, but what will happen to those principles with justice and virtues that he has been telling to other people till now.

Socrates believed in the voice of the conscience, based on this, he also took the final decision. The voice of the soul said to him, "Listen Socrates first, don't think of life and children and later, justice, but justice is first." Now you are going as innocent, not as a sinner

As the sunset approached, the jailer gave him a cup of halal poison. He said…. Socrates, of all the men here, you are the most honest and gentle and best of all. Goodbye… He went from there crying bitterly. At that time, hanging did not hang in a noose and gave death. Socrates drank the poison, he kept walking until the power of the poison could not walk in his feet and the poison started spreading. When he lay in wait for death, he remembered that he had to pay a chicken loan to one of his friends.


He was the most intelligent and superior person of Athens. His end is a momentary event in history, but his credibility will be remembered for ages.






मनुष्यों के साथ बिना प्रेम के कुछ नहीं हो सकता,Jai to Kisan, Jai Jai Jawan,Gandhi's,power of light,Leo Tolstoy

                                                                  विचार





लोगो का विचार है कि कई,परिस्थितियां ऐसी होती हैं जब वे अपने साथियों से प्रेम रहित व्यवहार कर सकते है, लेकिन ऐसी परिस्थितियां कभी नहीं होती। निर्जिव वस्तुओं से हम प्रेम रहित व्यवहार कर सकते हैं, लेकिन मनुष्यों के साथ बिना प्रेम के कुछ नहीं हो सकता। यदि मनुष्यों से प्रेम नहीं कर सकते तो उन्हें अकेला छोड दो । अपने को अन्य बातों या अपनी पसन्द के अनुसार व्यस्त रखेा अपने में व्यस्त रहो लेकिन मनुष्यों से अलग रहो।
      लियो टालस्टाॅय

लोटा भर पानी दे कोई,भरपेट उसे तुम भोजन दो।
सस्नेह करे यदि अभिवादन,होकर विनीत अभिनन्दन दो।।

धराधाम पर जब-जब बढता,पाप और कटु अत्याचार।
तभी-तभी ईश्वर लेता ,है कोई अवतार।।

समझाया सबको गांधी ने , हिंसा से बल घट जाता है।
खेाकर विवेक मत खून करो,इससे चरित्र गिर जाता है।
अंग्रेज अगर झूंठे हिंसक हैं,दो उत्तर सत्य अहिंसा से।।
वह घडी स्वयं आ जायेगी, जब वही डरेगे हिंसा से।।

मैं गर्व करता हूॅ नहीं,पर क्या करूॅ लाचार हूॅ।
मैं जनक-आज्ञाबद्व हूॅ, करता न फिर भी वार हूॅ।।
अतएव मानूगां नही,सत्रद्व अब हो जाइये।
हे वीरवर मेेरी विनय से , बद्व अब हो जाइये।।


कह राम-राम रघुपति राघव गांधी कि निद्रा टूट गयी।
सपने में जननी आज दिखी,पर हाय अचानक निद्रा छूट गयी।।

मैं घ्ृाणा -द्वेष कि यह आंधी चलने दूॅगा न चलाउगां।
या तो खुद ही मर जाउगां या इनको मार भगाउगां।।

या तो फिर मेवाड देश निज,गत गौरव पायेगा।
या प्रताप वन-वन भटकेगा,यों ही मर जायेगा।।
सिसौदिया कुल कीर्ति पताका कभी न झुकने दूॅगा।
जीते जी निज मातृभूमि का अपयश नहीं बनूगां।।

पढने में भी ध्यान उन्होने, अपना पूर्ण लगाया।
चमत्कार अपनी प्रतिभा का सबको ही दिखलाया।।

मातृ भूमि कि सेवा का पर भाव हृदय में जागा।
आई0 सी0 एस0 का पद पल में ,अतः उन्होने त्यागा।।

है जन्म लिया जिसने ऋण में ,़ऋण चुका रहा है यह जवान
ऋण में ही इसको मर जाना, देखा भारत का यह किसान
खुद पले न जग सारा पाले,कृषक-नियति का यह विधान
उदघोषणा भर इनकी उन्नति,जय से किसान,जय-जय जवान
                               

                              आगे और अच्छीं कहानिया है open  next  page  


idea

People think that there are many situations when they can treat their partners without love, but such situations never happen. We can treat loveless things with love, but nothing can happen to human beings without love. If you cannot love humans, leave them alone. Keep yourself busy according to your choice or other things, but keep yourself busy but stay separate from humans.

              Leo Tolstoy

Somebody give a lot of water, give him a meal.
If you would like to greet me, give me gracious greetings.
Repeatedly, sin and bitter atrocities on the land.
Only then does God take an avatar.
Gandhi explained to everyone, violence reduces force.
Do not bleed the conscience, it causes the character to fall.
If the Britishers are violent, two answers from true non-violence.
That watch will come on its own when it is scared of violence.
I'm not proud, but what to do, helpless.
I am a parent, I do not do, yet I am still wise.
Therefore, do not agree, become session now.
O Lord, please me now

Say Ram-Ram Raghupati Raghav Gandhi's sleep was broken.
Janani appeared in the dream today, but woe was suddenly asleep.

I hate - especially that this storm will not run.
Either die by itself or will beat them
Either Mewar country will get the pride, the last pride.
Or Pratap will wander one by one, he will die like this.
Sisodia Kul Kirti Pennaka will never let down.
Jeet ji will not become a waste of our motherland.


He also devoted his attention in studying.
Miracle showed its talent to everyone.

The sense of service of the mother land awakened in the heart.
The post of ICS at the moment, so he renounced.
Is born who is in debt, this young man is paying loan
He died in debt, saw this farmer of India
Do not grow up on your own, this law of farmer-destiny
Their progress throughout the proclamation, Jai to Kisan, Jai Jai Jawan

There are more good stories ahead open next page

Send feedback
History
Saved

Community
Jai to Kisan, Jai Jai Jawan,Gandhi's,power of light,Leo Tolstoy,jai jawan jai kisan jai vigyan, jai jawan jai kisan article in hindi. jai jawan jai kisan in hindi,power of lightning, power of light quotes, power of light formula, power of light source, power light and press ,the power of light ,the power of lightning ,power & light concerts, power of domestic light

जहां से मनुष्य कि सोचने समझने कि क्षमता नष्ट हो जाती है ऐसे में power of thinking, big power of thinking

इससे बडा अन्य कोई प्रेम नहीं


आज हम बात करेगे एक ऐसे क्षण कि जहां से मनुष्य कि सोचने समझने कि क्षमता नष्ट हो जाती है ऐसे में किस तरह साहस भरे फैसले लिये जाए बात है द्वितीय विश्वयुद्व कि जब 1941 में समुद्री पनडुब्बीयों का युद्व अपनी चरम सीमा पर था। मध्य अटलाटिक में ब्रिटिश जहाज अन्सेल्म पर तारपीडो के दो हमले हुए। सुबह अंधेरे में जहाज पर भगदड मच गयी। कुछ लाइफबोट खेाल रहे थ्ेा,कुछ भाग रहे थे तथा कुुछ पानी में उल्टे-सीधे गिर रहे थे।


सेसिल पघ (एक पुरोहित) बीमार था। वह अपनी रात कि पोशाक में ही उपर आया और लोगो को दिलासा देने लगा। उसे अपनी परवाह नहीं थी। इसलिये भगदड कुछ कम हुई शेष बची हुई सुरक्षा नौकाओं को आराम से नीचे उतारा गया। फिर भी बहुतों को उनमें जगह नहीं  मिली । पघ ने उन्हें अपनी जान बचाकर पानी में कूदने को कहा।

उसने देखा कि एक आदमी घबरा रहा है उसने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा , भगवान के सहारे कूद जाओ। वह कूद गया ओैर जीवित बच गया उसी व्यक्ति ने यह विवरण सुनाया।

अंत में पघ को पता चला कि कुछ सैनिक उस तलहटी में फसं गये है जहां तारपीडो से छेद हो गया था। बचाव असंभव था। लोग घायल भी हो गए थे तथा उनके बचने कि उम्मीद नहीं थी उसने तलहटी कि ओर जाने वाले मार्ग पर खडे कुछ नाविकों को कहा कि वे उसे रस्सी से बांध कर नीचे उतारें सार्जेन्ट ने मना कर दिया। उसने कहा पादरी महोदय यदि आप नीचे जायेगें तो कभी वापस उपर नहीं आ पायेगें।
पघ ने जोर देकर कहा मृत्यु के भय कि बजाय ईश्वर में मेरा विश्वास अधिक है। मैं वहीं जाउगां जहां वे लोग घिरे हुए हैं।

नाविको ने उनकी आज्ञा का पालन किया उन्होने उसकी कमर में एक रस्सी बांधी और उसे नीचे उतारा । उन्होने देखा कि पघ घायल व्यक्तियों के पास पहुंचा और उसके साथ प्रार्थना करने लगा जब पानी पघ के कंधो तक आ पहुंचा तो शेष नाविक वाहर कूद पडे और इस तरह वे जीवित बच गये।

बाद में उसे मरणेांरांन्त जार्ज क्रास से सम्मानित किया गया।
साहस कभी भी अपने आप नहीें प्रदशर््िात होता। यह प्रेम,श्रद्वा,या आदर्श और विश्वास के सहारे चलता है। शायद प्रेम के बाद साहस ही अत्यधिक महिमावान वस्तु है। 


No other love than this

Today we will talk about such a moment from where the ability to understand the thinking of man is lost, how to take courageous decisions in such a situation is the Second World War, when in 1941 the war of sea submarines was at its peak. Two torpedoes occurred on the British ship Anselm in the Middle Atlatic. There was a stampede on the ship in the morning darkness. Some lifeboats were playing, some were running and some were falling upside down in water.

Cecil Pagh (a priest) was ill. He came upstairs in his night dress and started to comfort the people. He did not care for himself. Therefore, the stampede was reduced to a minimum, the remaining security boats were lowered down comfortably. Still many did not find a place in them. Pagh asks him to save his life and jump into the water.
He saw that a man is panicking. He put his hand on his shoulder and said, jump on the support of God. He jumped and survived and the same person narrated the description.

Finally Pagh finds out that some soldiers are trapped in the foothills where the torpedo pierced. Avoidance was impossible. People were also injured and they were not expected to survive. He told some sailors on the route leading to the foothills that the sergeant refused to tie him down with a rope. He said, Pastor sir, if you go down, you will never come back up.

Pagh insisted that I have more faith in God than fear of death. I will go where those people are surrounded.

The sailors obeyed his command, tied a rope to his waist and lowered him. He saw that Pagh reached the injured persons and started praying with him. When the water reached the shoulders of the Pagh, the remaining sailors jumped out and thus they survived.

Later he was awarded the posthumous George Cross.
Courage would never appear on its own. It runs on love, faith, or ideals and faith. Perhaps courage is the most glorious thing after love.


तूफानों कि गर्त में,यूॅ तो घेासलें गिरे हजारों बार , christopher columbus,abraham lincoln,good leadership qualities

मुझे  यही काम करना है

तूफानों कि गर्त में,यूॅ तो घेासलें गिरे हजारों बार
खग ने न जाने कितने झेले ,जन प्रहार
वक्त वे वक्त हुआ,उसके चूजों का संघार 
गर्व है प्रकृति को उस खग पर जो वक्त से लडकर
जीवन कि पीडा सहकर माने न कभी हार
हर गम को भूलाकर तुफानों कि गति में भी
बना लेती है। नया संसार गर्व है प्रकृति को
उस खग पर जो माने न कभी हार। 

अच्छे नेता के सम्मुख एक ध्येय होता है। उसकी सिद्वि के मार्ग में आने वाली कठिनाईयों और विचारो के द्वन्द में भी उसके ध्येय कि पूर्ति कि अनिवार्यता समाप्त नहीं होती।

कुछ लोगो को यश और कुछ कि सत्ता से प्ररेणा मिलती है । कुछ ऐसे नेता भी होते हैं। जिन्हें जनता कि प्रतिक्रिया कि चिन्ता रहती है। वे दूसरों के विचारों के कारण विचलित होते रहते हैं। कुछ थेाडे ही ऐसे होते हैं जो अपने स्पष्ट ध्येय के प्रति अवाध गति से बढते रहते हैं। 

लिंकन ने कहा था कि - मै प्रशासन का काम इस प्रकार चलाना चाहता हूॅ कि भले ही मेरा अंत में कोई समर्थक या मित्र न रहें परन्तु मेरी अन्तरात्मा तो मेरे कामों की समर्थक होगी।

एक सोददेश्य नेता हमेशा जनता कि राय को स्थायी नही मानता उसमें उसे परिवर्तित करने कि इच्छा शक्ति होती है। कहा जाता है कि दृढ इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति के मार्ग से बाधायें स्वयं हट जाती हैं। नेताओं में अधिक सोददेशय व्यक्ति वे होते हैं जो या तो प्रभु या भौतिक दर्शन में विश्वास रखते हेै।अपने अतिरिक्त किसी उच्च शक्ति कि प्ररेणा से ही नेता स्थिर रह सकता है। एक धार्मिक लेखक ने उन लोगों का उल्लेख किया है जो दैवीय प्रेरणा के कारण अपने मार्ग पर चले।

जब कोलम्बस ने अपनी यात्रा कि योजना स्पेन के दरवार में रखी तो डी तालेवरा आर्कविशप के नेतृत्व में दरवार के विद्वान लोगों ने उससे पूछा कि वह इस बात का प्रमाण दे कि पश्चिम कि ओर यात्रा करके वह पूर्व कैसे पहंुच जाएगा उन्होने कोलमबस से कहा कि तुम यह करने वाले कौन होते हो जो आज तक कोई भी जीवित व्यक्ति नहीं कर सका।

आप लोगो ने मेरी योजना और नक्शे देख लिये हैं। मै प्रभू के द्वारा भेजा गया निम्मित मात्र हूॅ। वही प्रेरक है। मैं दिगदर्शक के सहारे अकेला यात्रा नहीं करूगां। मै तो उस पर विश्वास के प्रकाश में आगे बढूंगा।

I want to do the same

In the trough of storms, it fell thousands of times
Khag did not know how many people suffered
Time has passed, the chunk of his chickens
Proud to have nature fight on that seat
Never give up after suffering from life
Forget every sorrow, even in the speed of storms
She makes it. Nature is proud of the new world
Never give up on that fact.

There is a goal in front of a good leader. The inevitability of the fulfillment of his cause does not end in the difficulties and thoughts that come in his way.
Some people get fame and some get power. There are some such leaders also. Those who are worried about public reaction. They are distracted by the thoughts of others. There are only a few such people who keep on increasing their speed towards their clear goal.

Lincoln said that - I want to run the administration work in such a way that even if I do not have any supporters or friends in the end, my conscience will be supportive of my work.
A well-intentioned leader does not always consider public opinion as permanent and has the will power to change it. It is said that the obstacles themselves divert from the path of a strong-willed person. Among the leaders, the more well-intentioned people are those who believe in either God or material philosophy. Apart from the inspiration of any higher power, the leader can remain stable. A religious writer mentions those who walked their path due to divine inspiration.

When Columbus planned his trip to the court of Spain, the learned scholars of the court, led by De Talevara Archvishop, asked him to provide proof of how he would reach the east by traveling west. He told Columbus that you Who are they to do what no living person could do till date?

You people have seen my plan and map. I am the only one sent by Lord. He is the motivator. I will not travel alone with the help of a guide. I will proceed in the light of faith in him.

good leadership qualities, good leadership skills, good leadership meaning ,good leadership meaning in hindi, good leader kaise bane, good leader vs bad leader, good leader definition ,good leader and bad leader, good leader adjectives ,good leader attributes, a good leadership ,a good leader qualities, a good leader speech, good leader bad leader ,good leader communication, good leader don't think alike ,good leader delegates,abraham lincoln ,abraham lincoln biography, abraham lincoln death ,abraham lincoln in hindi, abraham lincoln about, abraham lincoln achievements, abraham lincoln about democracy, a abraham lincoln,christopher columbus ,christopher columbus in hindi ,christopher columbus facts, christopher columbus india, christopher columbus america ,christopher columbus and india, christopher columbus achievements

एक मंत्री की योग्यता का महत्वपूर्ण प्रदर्शन तब होता है जब shree saradaar ballabh bhaee patel



एक मंत्री की योग्यता का महत्वपूर्ण प्रदर्शन तब होता है जब सरकारी कर्मचारी उसे अपना पूर्ण सहयोग देते है। भारत के एक सबसे योग्य प्रशासक सरदार बल्लभ भाई पटेल,नेहरू कि प्रथम कैबिनेट में उपप्रधानमंत्री के साथ-साथ गृहमंत्री भी थे। पटेल अंग्रेजी के प्रबल विरोधी थे। कार्यभार संभालने के बाद सरदार पटेल ने उन सरकारी कर्मचारियों को अपने सहयांेग और उनकी सेवा शर्तो को नियमित करने और उनके अधिकार को बहाल रखने का अश्वासन दिया । उन्होने उनमें अपने विश्वास को कार्य रूप दिया । उनके गृह-सचिव एच0 बी0 आर0 आयंगर ने बताया कि एक बार उसने 40 फाइले सरदार पटेल के पास भेंजी । 38 फाइलों पर उन्होने गृह-सचिव कि बातों कि पुष्टि कर दी जब गृह-सचिव ने उन्हे बताया कि वे इस बात से बहुत प्रसन्न है तो सरदार पटेल ने कहा कि मै तुम्हारी 25 बातों से सहमत नहीं हूॅ परन्तु मुझे गृह-सचिव के रूप में तुम्हारी स्थिति को बनाये रखना है।

यह कार्य करने के लिये उनके पास योग्यतम सरकारी अफसर थे। देशी रजवाडो को देश में मिलाने का काम देखने वाले सचिव थे-- वी0पी0मेमन। मेमन ने लेखक को बताया कि हर रात 9 बजे सोने से पहले पटेल फोन पर उनसे दिन भर कि प्रगति के बारे में पूछते थे। आठ महीनों में पटेल ने तीन राज्यों को छोडकर सब रियासतों को भारत में मिला लिया था। ये तीन राज्य थे कश्मीर,प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे मिलाने का कार्य अनपने हाथ में लिया था),जूनागढ तथा हैदराबादसरदार पटेल ने जूनागढ और हैदराबाद दोनो राज्यो के लिये पुलिस कार्यवाही का आदेश  दिया और उनका भारत में विलय कर दिया । पटेल कि मृत्यु के पांच बर्ष वाद भारत का दौरा करने वाले निकिता खु्रश्चेव कि श्रद्वांजलि सरदार पटेल के लिये सबसे श्रेष्ठ श्रंद्वाजलि थी कि आप भारतीय लोग गजब हैं । आपने देशी राजाओं को समाप्त किए बिना ही उनकी रियासतों को समाप्त कर दिया। 
जब चीन ने 1950 में तिब्बत पर हमला किया, पटेल ने नेहरू को एक गुप्त पत्र में चीन के इरादों के बारे में आगाह किया था।नेहरू ने चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। छः सप्ताह बाद पटेल कि मृत्यु हो गयी। नेहरू प्रधानमंत्री] चाउ एनलाई के साथ भाईचारा बढाया। जब बारह वर्श वाद चीन ने उत्तर -पूर्व भारत पर आक्रमण किया तो नेहरू टूट चुके थे, वह निराश हो चुके थे। उन्होने स्वीकार कर लिया मै तो वास्तविक दुनिया से अलग ही रह रहा था। दो दशक पहले इसी तरह चैमबरलेन भी हिटलर और मुसोलिनी को नहीं समझ सका था। 

Late Shri Sardar Ballabh Bhai Patel

The important performance of a minister's qualifications is when government employees give him full support. Sardar Ballabhbhai Patel, one of India's most qualified administrators, was the Deputy Prime Minister as well as the Home Minister in Nehru's first cabinet. Patel was a strong opponent of English. After taking charge, Sardar Patel gave assurances to those government employees to regularize their support and their service conditions and restore their authority. He made his faith work in them. His home secretary HBR Iyengar told that once he sent 40 files to Sardar Patel. On 38 files, he confirmed the things of the Home Secretary, when the Home Secretary told him that he was very happy with this, Sardar Patel said that I do not agree with your 25 things but I as the Home Secretary Your position has to be maintained.

He had Yogayatam government officials to do this work. VP Memon was the secretary who saw the work of mixing native Razvados in the country. Memon told the writer that before going to sleep at 9 pm every night Patel used to ask him about the progress of the day. In eight months, Patel had merged all the princely states into India with the exception of three states. These three states were Kashmir (Prime Minister Nehru had unceasingly taken up the task of mixing it), Junagadh and Hyderabad. Sardar Patel ordered police action for both Junagadh and Hyderabad states and merged them into India. Five years after Patel's death, Shradwanjali of Nikita Khurshchev, who visited India, was the best tribute to Sardar Patel that you Indians are amazing. You abolished the princely states without abolishing the native kings.

When China invaded Tibet in 1950, Patel warned Nehru in a secret letter about China's intentions. Nehru ignored the warning. Patel died six weeks later. Nehru fraternized with Prime Minister Chow Enlai. When the twelve-year debate over China invaded northeast India, Nehru was shattered and disappointed. He accepted that I was living separately from the real world. Two decades ago, Chamberlain could not understand Hitler and Musolini.

Send feedback
History
Saved

Community
Shri Sardar Ballabh Bhai Patel,Home Minister,Deputy Prime Minister,Sardar Patel,VP Memon,Hyderabad,Musolini,Hitler, Nehru,कश्मीर,प्रधानमंत्री नेहरू,सरदार बल्लभ भाई पटेल

ब्रिटिश जेल में डिस्कवरी आॅफ इंडिया ,Jawaharlal Nehru,Prime Minister nehru


जवाहरलाल नेहरू इतिहास के अच्छे ज्ञाता थे। उन्होने 1942-45 के दौरान ब्रिटिश जेल में डिस्कवरी आॅफ इंडिया लिखी। उन्होने अपनी विलक्षण प्रतिभा से सभी महाद्वीपों का वर्णन किया तथा 1930 में फासिस्ट शक्तियों को रोकने के संधर्ष में भाग लिया था।नेहरू, टीटो, नासर के साथ गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के जनक थे। लेकिन बारह बर्षो तक शासन करने से उबने पर उन्हें लगा कि उनकी योग्यता में कमी आ रहीं है । वे इसी बात कि ओर सजग थे।और एक बार तो उन्होने कुछ समय के लिये प्रधानमंत्री का पद छोडने का विचार कर लिया था।जैसा कि उसके मित्र यू नू ने बर्मा में किया था।उन्होने लिखा है-
जवाहरलाल नेहरू इतिहास के अच्छे ज्ञाता थे। उन्होने 1942-45 के दौरान ब्रिटिश जेल में डिस्कवरी आॅफ इंडिया लिखी


मेरे अन्दर एक भावना बढती जा रही है कि पहले जैसी मेरी उपयोगिता कम होती जा रही है और मै अब मशीन कि तरह कार्य कर रहा हूॅ न कि एक सक्रिय और जीवित व्यक्ति कि तरह इस तरह से कार्य करने से वास्तविक ध्येय समाप्त हो जाता है हमारी कई आर्थिक और अन्य नीतियों के कारण मुझ में बेचैनी पैदा हो गयी है मै इस स्थिति में परिवर्तन के लिये अंशतः दखल इसलिये नही देता क्योकि विषय से पूर्ण रूप से परिचित नहीं हूॅ और अंशतः इसलिये कि मैं उससे संबद्व हूं और इससे निकलना संभव नहीं है..........
नेहरू ने आगे लिखा हैः....

यदि मै अपनी इच्छा के अनुसार चयन करूं तो मेरी ख्वाहिश होगी कि अन्य लोग यह कार्य करें और मुझे वह कार्य करने को छोड दे जिन्हे मै अधिक महत्वपूर्ण समझाता हूं परन्तु मै नम्र भाव से कहता हूं कि हो सकता है मेरा हटना उस योजना के लिये हानिकारक हो। कोई भी व्यक्ति अपरिहार्य नहीं होता लेकिन लोग किसी विशेष समय और परिस्थितियों मे कुछ विशेष अंतर  पैदा कर देते है। मै महसूस करता हूु। कि यदि भविष्य में मैं वास्तब में कुछ उपयोगी हो सकता हूॅ तो मुझे अपनी मौलिकता खेाजनी होगी शायद मै ऐसी स्थिति में यह न कर सकूगां क्योकि लम्बे समयसे एक रूढिबद्व सा जीवन जी रहा हू। मै कुछ समय और अपना काम करते रहने को तैयार हूं,परन्तु बहुत लम्बे समय के लिये नहीं मै नहीं समझता के मेरे द्वारा उपयोगी कार्य करने के दिन अब समाप्त हो गये हैं। लेकिन मैं इतना समझता हूं कि वर्तमान परिस्थितियों में मेरी उपयोगिता धीरे-धीरे कम होती जायेगी।



नेहरू के मित्रो ने उन्हे प्रधानमंत्री बने रहने के लिये समझााने में कोई अधिक कठिनाई नहीं हुई। यदि नेहरू अपनी इच्छा के अनुरूप कार्य भार छोड देते तो हम इस बात का अनुभव नही लगा सकते कि नेहरू अपने अंतिम दिनो ंमे कितना महत्वपूर्ण कार्य कर सकते थे।

एक मंत्री की योग्यता का महत्वपूर्ण प्रदर्शन तब होता है जब सरकारी कर्मचारी उसे अपना पूर्ण सहयोग देते है। भारत के एक सबसे योग्य प्रशासक सरदार बल्लभ भाई पटेल नेहरू कि प्रथम कैबिनेट में उपप्रधानमंत्री के साथ-साथ गृहमंत्री भी थे। पटेल अंग्रेजी के प्रबल विरोधी थे। कार्यभार संभालने के बाद सरदार पटेल ने उन सरकारी कर्मचारियों को अपने सहयांेग और उनकी सेवा शर्तो को नियमित करने और उनके अधिकार को बहाल सखने का अश्वासन दिया । उन्होने उनमें अपने विश्वास को कार्य रूप दिया । उनके गृह सचिव एच0 बी0 आर0 आयंगर ने बताया कि एक बार उसने 40 फाइले सरदार पटेल के पास भेंजी । 38 फाइलों पर उन्होने गृह-सचिव कि बातों कि पुष्टि कर दी जब गृह- सचिब ने उन्हे बताया कि वे इस बात से बहुत प्रसन्न है तो सरदार पटेल ने कहा कि मै तुम्हारी 25 बातों से सहमत नहीं हूॅ परन्तु मुझे मृह-सचिव के रूप में तुम्हारी स्थिति को बनाये रखना है।


Indian frontend

Jawaharlal Nehru was a good knowledgeer of history. He wrote the Discovery of India in a British prison during 1942–45. He described all the continents with his prodigious talent and participated in the treaty of stopping the fascist powers in 1930. Nehru, along with Tito, Nasser, was the father of the Non-Aligned Movement. But after getting bored of ruling for twelve years, he felt that his merit was declining. He was aware of this. And once he thought of leaving the post of Prime Minister for some time, as his friend Yu Nu did in Burma. He wrote -

There is an increasing feeling in me that my utility is decreasing as before and now I am working like a machine and not as an active and living person, by working in this way, the real goal is finished. Due to many economic and other policies, there has been uneasiness in me. I do not interfere partially to change this situation because I am not fully aware of the subject and Partly because I belong to him and it is not possible to get out of it ……

Nehru further wrote: ....

If I choose according to my wish, I would like others to do this work and leave me to do the work which I consider more important, but I humbly say that my withdrawal may be detrimental to that plan. Ho. No person is indispensable but people make some special difference in any particular time and circumstances. I feel That if in future I can really get something useful, then I have to play my originality, maybe I will not be able to do it in such a situation because I have lived a conservative life for a long time. I am ready to do my work for some time, but not for a very long time, I do not think that the days of my useful work are over. But I understand that in the present circumstances my usefulness will gradually decrease.

Nehru's friends had no difficulty in convincing him to remain Prime Minister. If Nehru gave up the work as per his wish, we could not have realized how important work Nehru could have done in his last days.


The important performance of a minister's qualifications is when government employees give him full support. Sardar Ballabhbhai Patel, one of India's most qualified administrators, was the Deputy Prime Minister as well as the Home Minister in Nehru's first cabinet. Patel was a strong opponent of English. After taking charge, Sardar Patel gave assurances to those government employees to regularize their support and their service conditions and restore their authority. He made his faith work in them. His home secretary HBR Iyengar told that once he sent 40 files to Sardar Patel. On 38 files, he confirmed the things of the Home Secretary, when the Home Secretary told him that he was very happy with this, Sardar Patel said that I do not agree with your 25 things but I as the Home Secretary Your position has to be maintained.

जवाहरलाल नेहरू, डिस्कवरी आॅफ इंडिया, Jawaharlal Nehru, Indian frontend, Prime Minister nehru, Ballabhbhai Patel, Sardar Patel, नेहरू, टीटो, नासर, Non-Aligned Movement

मेरी क्रिसमस संदेश 2020,Merry Christmas Message 2020

मेरी क्रिसमस संदेश 2020 

क्रिसमस Christmas का दिन प्रतिवर्ष वो दिन होता है जब हम सब मिल कर प्रभु इशुमसिह (Jesus) के जन्म दिन को बहुत धूम धाम से Celebrate करते हैं। यह त्यौहार पुरे विश्व में मनाया जाता है और इस दिन लगभग सभी देशों में Regional Holiday होते हैं।



Christmas वर्ष के आखरी समय में New Year से पहले मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस त्यौहार में सभी लोग अपने परिवार के साथ मिल कर Party मनाते हैं। कुछ लोग अपने दूर बैठे परिवार जानो और लोगों को WhatsApp, Facebook या अन्य तरीकों से Greeting Images Messages भी भेजते हैं।


इसलिए आज हम इस पोस्ट में आपके लिए बेहतरीन Merry Christmas Wishes in Hindi लेकर आये हैं। हमने Internet से सबसे Best Christmas Hindi Quotes, आपके लिए ढूँढा है और कुछ बेहतरीन Christmas Shayari भी।

 Merry Christmas Message 2020| मेरी क्रिसमस संदेश 2020 | Merry Christmas Wishes  in Hindi


# क्रिसमस का उमंग और उत्साह,

हमेशा आपके जीवन को,
खुशियों से सराबोर रखे ! Merry Christmas 2020



# खुदा से क्या मांगू तुम्हारे वास्ते,

सदा खुशियाँ हो तुम्हारे रास्ते,
हंसी तुम्हारे चेहरे पर रहे कुछ इस तरह,
खुशबू फूल का साथ निभाए जिस तरह ! क्रिसमस की बधाईयाँ 2020

#  इस क्रिसमस आपका जीवन क्रिसमस ट्री की तरह,

हरा भरा और भविष्य तारों की तरह चमचमाता रहे! happy christmas 2020


# देवदूत बनके कोई आएगा,

सारी आशाएं तुम्हारी, पूरी करके जायेगे,
क्रिसमस के इस शुभ दिन पर,
तौफे खुशियों के दे जायेगा!

Merry Christmas to All 2020



# क्रिसमस का यह प्यारा त्यौहार जीवन में,

लाये खुशियाँ अपार, Santa Clause आये आपके द्वार,
शुभकामना हमारी करें स्वीकार! ,

मेरी क्रिसमस 2020



# रब ऐसी क्रिसमस बार-बार लाये,

क्रिसमस पार्टी में चार चाँद लग जाये,
सांता क्लॉज़ से हर दिन मिलवायें,
और हर दिन आप नए-नए तौफे पायें!
हैप्पी क्रिसमस 2020

# ना कार्ड भेज रहा हूँ,

ना कोई फूल भेज रहा हूँ,
सिर्फ सच्चे दिल से मैं आपको,
क्रिसमस और नव वर्ष की,
शुभकामनाएं भेज रहा हूँ

Merry Christmas SMS 2020


#8 लो आ गया जिसका था इंतज़ार,

सब मिल कर बोलो मेरे यार,
दिसम्बर में लाया क्रिसमस बहार,
मुबारक हो तुमको क्रिसमस मेरे यार!

Merry Christmas 2020 Message


# बच्चों का दिन तौफों का दिन,

सांता आएगा कुछ तुम्हे दे कर जायेगा,
भूल ना जाना उसे शुक्रिया कहना,
आप सभी को क्रिसमस की शुभकामना !

# चाँद ने अपनी चांदनी बिखेरी है,

और तारों ने आस्मां को सजाया है,
लेकर तौफा अमन और प्यार का,
देखो स्वर्ग से कोई फ़रिश्ता आया है,

Merry X Mas 2020


# दोस्तों से हर लम्हे में क्रिसमस है,

दोस्ती की ये दुनिया दीवानी है,
दोस्तों के बिना जिंदगी बेकार है,
दोस्तों से ही तो जिंदगी में बहार है,
Merry Christmas 2020



# सबके दिलों में हो सके लिए प्यार,

आने वाला हर दिन लाये खुशियों का त्यौहार,
इस उम्मीद के साथ आओ भूल के सारे गम,
क्रिसमस में हम सब करें Welcome

# प्रभु इशु का पवित्र पर्व,

क्रिसमस की आप सभी को बधाई,
परमेश्वर के पवित्र मार्ग का,
अनुशरण करें वो सदैव साथ हैं,
अपने बन्दों के सर पर उसका हमेशा हाथ है,
क्रिसमस की बधाई 2020


# आपकी आँखों में सजे हों जो भी सपने,

दिल में छुपी हो जो भी अभिलाषाएं,
ये क्रिसमस का पर्व उन्हें सच कर जाये,
क्रिसमस पर, आपके लिए है हमारी यही शुभकानाएं!

# क्रिसमस 2020 आये बनके उजाला,

खुल जाए किस्मत का ताला हमेशा,
आप पर रहे मेहरबान ऊपर वाला ,
यही दुआ करते हैं आपका यह चाहने वाला!

# क्रिसमस प्यार है, क्रिसमस ख़ुशी है,

क्रिसमस उत्साह है, क्रिसमस नया उमंग है,
आप सभी को क्रिसमस 2020 की शुभकामनायें 

play and earn money