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1. किस टीम ने विजय हजारे ट्राफी 2019 का खिताब जीता?
उत्तर – कर्नाटक

कर्नाटक ने विजय हजारे ट्राफी 2019 के फाइनल में तमिलनाडु को 9 विकेट से हराकर ख़िताब जीता। विजय हजारे ट्राफी भारत में एक घरेलु एकदिवसीय क्रिकेट प्रतियोगिता है।


2. किस IIT ने इंजीनियरिंग समस्याओं के समाधान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग तथा डीप लर्निंग एप्लीकेशन्स का विकास किया है?


उत्तर – IIT मद्रास


IIT मद्रास ने इंजीनियरिंग समस्याओं के समाधान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग तथा डीप लर्निंग एप्लीकेशन्स का विकास किया है। इसके लिए शीघ्र ही ‘AIsoft’ नामक स्टार्टअप को शुरू किया जायेगा। इस स्टार्टअप के द्वारा थर्मल मैनेजमेंट, सेमीकंडक्टर, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस तथा इलेक्ट्रॉनिक कूलिंग एप्लीकेशन्स के क्षेत्र में समस्याओं के समाधान तैयार किये जायेंगे।


3. हाल ही में तारो चातुंग नामक पत्रकार का निधन हुआ, वे किस राज्य से थे?


उत्तर – अरुणाचल प्रदेश


57 वर्षीय तारो चातुंग अरुणाचल प्रदेश के एक पत्रकार थे, उनका निधन 26 अक्टूबर, 2019 को ईटानगर में हुआ। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में ‘फादर ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया’ के रूप में भी जाना जाता है।


4. किस राज्य की पुलिस ने वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए ‘सवेरा’ नामक पहल लांच की है?


उत्तर – उत्तर प्रदेश


उत्तर प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए ‘सवेरा’ नामक पहल लांच की है। वरिष्ठ जन आपातकालीन नंबर ‘112’ पर कॉल करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इस पहल के तहत उन वरिष्ठ नागरिकों की सहायता की जायेगी जिनके बच्चे उनके छोड़ चुके हैं और वे अकेले रहते हैं।


5. हाल ही में सुर्ख़ियों में रहा त्राल वन्यजीव अभ्यारण्य किस राज्य में स्थित है?


उत्तर – जम्मू-कश्मीर


त्राल वन्यजीव अभ्यारण्य अब संकटग्रस्त कश्मीरी बारहसिंगा (कश्मीर स्टैग), जिसे ‘हंगुल’ भी कहा जाता है, के लिए संरक्षित वन्यजीव कॉरिडोर के लिए कार्य करेगा। त्राल वन्यजीव अभ्यारण्य 154.15 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह दक्षिण कश्मीर में पुलवामा जिले में आता है।


6. ‘पेपर लायंस’ पुस्तक के लेखक कौन हैं?


उत्तर – सोहन एस. कूनर


सोहन एस. कूनर ने ‘पेपर लायंस’ नामक पुस्तक की रचना की है। इस पुस्तक में सिख धर्म तथा पंजाब के इतिहास का वर्णन किया गया है।


7. किस अधिनियम के मुताबिक 80 वर्ष से अधिक आयु के लोग पोस्टल बैलट के माध्यम से अपना वोट दे सकते हैं?


उत्तर – चुनाव नियम 1961


हाल ही में चुनाव आयोग की अनुशंसा के आधार पर केन्द्रीय विधि व न्याय मंत्रालय ने निर्वाचन संचालन नियम 1961 में संशोधन किया है। संशोधन के बाद अब 80 वर्ष से अधिक आयु के लोग तथा दिव्यांग जन पोस्टल बैलट के माध्यम से अपना वोट दे सकते हैं।


8. जलवायु पर 29वीं BASIC मंत्रीस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किसने किया?


उत्तर – प्रकाश जावड़ेकर


जलवायु पर 29वीं BASIC मंत्रीस्तरीय बैठक का आयोजन चीन के बीजिंग में 25-26 अक्टूबर, 2019 के दौरान किया गया। इसके बाद ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन ने साझा वक्तव्य जारी किया। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया।


9. किस IIT के अनुसंधानकर्ताओं ने कृषि अपशिष्ट उत्पादों से जैव-इंटों का निर्माण किया है?


उत्तर – IIT मद्रास


IIT हैदराबाद तथा KIIT स्कूल ऑफ़ आर्किटेक्चर (भुबनेश्वर) ने निर्माण कार्य के लिए कृषि अपशिष्ट उत्पादों से जैव-इंटों का निर्माण किया है। अनुसंधानकर्ताओं की इस टीम को रूरल इनोवेटर्स स्टार्ट-अप कॉन्क्लेव 2019 में ‘स्पेशल रिकग्निशन ट्रॉफी’ से सम्मानित किया गया।


10. हाल ही में सुर्ख़ियों में रही सखालिन आयल फील्ड किस देश में स्थित है?


उत्तर – रूस


सखालिन आयल फील्ड रूस में स्थित है। एक्सन मोबिल, रोसनेफ्ट, SODECO तथा ONGC विदेश इस क्षेत्र में 2055 तक तेल व गैस का उत्पादन करते रहेंगे। यह क्षेत्र हाल ही में सुर्ख़ियों में रहा है, केन्द्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने हाल ही में इस क्षेत्र के दौरान किया है।


1. 

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1. सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2019 की थीम क्या है?
उत्तर – सत्यनिष्ठा-एक जीवन पद्धति
केन्द्रीय सतर्कता आयोग प्रतिवर्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म वाले सप्ताह को सतर्कता जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाता है, सरदार पटेल का जन्म दिवस 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस वर्ष सतर्कता जागरूकता सप्ताह 28 अक्टूबर से 2 नवम्बर, 2019 के बीच मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम “सत्यनिष्ठा-एक जीवन पद्धति” है।

2. ओडिशा ने किस अंतर्राष्ट्रीय संगठन के साथ लघु किसानों की सहायता के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं?
उत्तर – विश्व बैंक
ओडिशा सरकार ने विश्व बैंक के साथ लघु किसानों की सहायता के लिए 165 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इससे ओडिशा के 15 जिलों के 1,25,000 किसान लाभान्वित होंगे।

3. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का स्थापना दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर – 24 अक्टूबर
24 अक्टूबर को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने अपना स्थापना दिवस मनाया। यह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का 58वां स्थापना दिवस था। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) देश के पांच केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है, इसकी स्थापना 24 अक्टूबर, 1962 को भारत-चीन युद्ध के बाद की गयी थी। इसकी स्थापना CRPF अधिनियम के अंतर्गत की गयी थी। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) बल को भारत और तिब्बत की सीमा पर तैनात किया जाता है। वर्तमान में ITBP में 89,432 जवान कार्यरत्त हैं। ITBP का आदर्श वाक्य “शौर्य – दृढ़ता – कर्मनिष्ठा” है।

4. ग्लोबल बायो-इंडिया समिट का आयोजन किस शहर में किया जायेगा?
उत्तर – नई दिल्ली
भारत में पहली बार ग्लोबल बायो-इंडिया समिट का आयोजन 21 से 23 नवम्बर, 2019 के बीच किया जायेगा। इसका आयोजन BIRAC तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य देश में निवेश को आकर्षित करना है।

5. हाल ही में सुर्ख़ियों में रही ‘ABADHA’ योजना किस राज्य से सम्बंधित है?
उत्तर – ओडिशा
ओडिशा सरकार ने Augmentation of Basic Amenities and Development of Heritage and Architecture (ABADHA) स्कीम पर 3208 करोड़ रुपये व्यय करने का निर्णय लिया है। इसके तहत पूरी को एक विश्वस्तरीय धरोहर शहर के रूप में विकसित किया जायेगा।

6. किस राज्य सरकार ने हाल ही में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना लांच की है?
उत्तर – उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने धनतेरस के अवसर पर मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना लांच की है। इसका उद्देश्य बालिकाओं का सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत बालिका के जन्म पर प्रत्येक परिवार को 15,000 रुपये प्रदान किये जायेंगे। सरकार इस धनराशी को कई चरणों में लाभार्थी के खाते में भेजेगी, यह राशि कई उपलब्धियों जैसे टीकाकरण, 1, 5, 9 तथा ग्रेजुएशन में एडमिशन इत्यादि के अवसर पर दी जायेगी।

7. के.आर. वाधवाने का हाल ही में निधन हुआ, वे किस क्षेत्र के साथ जुड़े हुए थे?
उत्तर – खेल
के.आर. वाधवाने एक खेल पत्रकार थे। हाल ही में उनका निधन दिल्ली में हुआ। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस अखबार में काफी समय तक कार्य किया। बाद में उन्होंने फ्रीलांस लेखक के रूप में भी काफी कार्य किया।

8. थोतलाकोंडा बौद्ध मठ किस राज्य में स्थित है?
उत्तर – आंध्र प्रदेश
पिछले दिनों भारी वर्षा के कारण थोतलाकोंडा बौद्ध मठ को काफी नुकसान पहुंचा है। इस स्थल में स्तूप, चैत्य गृह तथा विहार हैं। इस स्थान से ही श्रीलंका, इंडोनेशिया, कंबोडिया इत्यादि देशों में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ।

9. 2019 सखारोव पुरस्कार किसने जीता?
उत्तर – इल्हाम तोहती
यूरोपीय संघ संसद ने जेल में बंद उइगर बुद्धिजीवी इल्हाम तोहती को मानवाधिकार के लिए सखारोव पुरस्कार प्रदान किया गया। इल्हाम तोहती को अलगाववाद के आरोप में चीन में आजीवन कारावास की सज़ा दी गयी है। यूरोपीय संसद के प्रमुख डेविड सास्सोली ने इस पुरस्कार की घोषणा की, साथ ही उन्होंने चीन से इल्हाम तोहती को आज़ाद करने की मांग की है तथा चीन में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए कहा है।

10. इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकनोमिक स्टडीज द्वारा उद्योग रत्न अवार्ड 2019 किसे प्रदान किया गया?
उत्तर – ठाकुर अनूप सिंह
मार्ग ERP के सीएमडी ठाकुर अनूप सिंह को इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकनोमिक स्टडीज द्वारा उद्योग रत्न अवार्ड 2019 से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान टेक्नोलॉजी द्वारा MSME के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा किये गये कार्य के लिए दिया गया।

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विद्या वही हैजो हमें मुक्त करती है भारत को समृद्ध बनाने का तरीका,education policy

                                               विद्या वही है, जो हमें मुक्त करती है

भारत को समृद्ध बनाने का तरीका

प्रकाश जावड़ेकर: केवल वही देश फलते-फूलते हैं, जहां की शिक्षा व्यवस्था बेहतर होती है। एक समय था, जब पूरी दुनिया के कारोबार का एक तिहाई और विश्व सकल उत्पाद का एक चौथाई हिस्सा भारत में होता था।


हमारी नई शिक्षा नीति के पांच स्तंभ हैं - शिक्षा सबकी पहुंच में हो, उसकी गुणवत्ता बेहतर हो, सबको समान रूप से हासिल हो, खर्च के दायरे में हो और हर चीज के लिए जवाबदेही हो।

इतना अमीर था अपना देश। कोलंबस अमेरिका की खोज के लिए समुद्री यात्रा पर नहीं निकला था, क्योंकि तब अमेरिका कुछ था ही नहीं, सिर्फ एक बंजर इलाका था। वह तो भारत की खोज में निकला था, लेकिन गलती से अमेरिका पहुंच गया। उस समय यहां नालंदा, तक्षशिला व विक्रमशिला जैसे विश्वद्यिालय थे। अगर उस समय टाइम्स या क्यूएस रैंकिंग होती तो विश्व की दस सबसे अच्छी यूनिवर्सिटीज भारत में ही होतीं। यही स्थिति हम दोबारा से बनाना चाहते हैं। अच्छी यूनिवर्सिटीज देश को समृद्ध बनाती हैं। इसलिए यह कोई राजनैतिक अजेंडा नहीं है, यह एक राष्ट्रीय अजेंडा है।

मैं विचारों का स्वागत करता हूं, मैं मतभेदों और असहमति का स्वागत करता हूं, मैं हर चीज के लिए खुला हूं। आइए हम सब साथ आएं, मिलकर कुछ सोचें और कुछ बहुत अच्छी चीज सामने लेकर आएं। हमारी नई शिक्षा नीति के पांच स्तंभ हैं - शिक्षा सबकी पहुंच में हो, उसकी गुणवत्ता बेहतर हो, सबको समान रूप से हासिल हो, खर्च के दायरे में हो और हर चीज के लिए जवाबदेही हो। ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’- यही नारा है हमारा और इसी को लेकर हम आगे जाएंगे। पिछले सत्तर सालों में हमने शिक्षा का प्रसार किया है। हम शिक्षा को हर परिवार, हर घर तक लेकर गए हैं। और यह एक अच्छी उपलब्धि है, यह कोई छोटी बात नहीं है।

पढ़ाई के लक्ष्य पर चिन्तन

आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा के स्तर व गुणवत्ता को सुधारने की है। हमने संख्या तो बढ़ा ली - आज हमारे पास केजी से पीजी तक 27 करोड़ छात्र हैं।

आरटीई में पढ़ाई के नतीजे के बारे में जिक्र किया गया था, लेकिन उसे कभी पूरी तरह से परिभाषित नहीं किया गया था।
यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है, लेकिन सवाल है कि इस पढ़ाई से हमने हासिल क्या किया हैै? पांचवी कक्षा का एक छात्र गिनती नहीं कर पाता, वह दूसरी कक्षा की किताब नहीं पढ़ पाता। क्या यही परिणाम हमने सोचा था? शिक्षा के अधिकार यानी आरटीई के तहत पढ़ाई-लिखाई के स्तर का यह लक्ष्य तो नहीं रखा गया था। और इसलिए मैंने आरटीई को बार-बार पढ़ा, क्योंकि मैं मानव संसाधन विकास मंत्रालय की उस स्थायी समिति का हिस्सा था, जहां हमने इस बिल पर चर्चा की थी।

उस चर्चा में बात हुई थी कि हम परीक्षाओं का दबाव बच्चों पर नहीं डालना चाहते। आप सिर्फ नंबरों की दौड़ यानी रैट-रेस नहीं चाहते थे। लेकिन ऐसी पढ़ाई का नतीजा क्या निकल रहा है? पहली कक्षा की पढ़ाई के बाद आपको इतना आना चाहिए, दूसरी कक्षा के बाद विद्यार्थी को इतना आना चाहिए, तीसरी कक्षा के बाद उसे इतना जरूर करना चाहिए। आरटीई में पढ़ाई के नतीजे के बारे में जिक्र किया गया था, लेकिन उसे कभी पूरी तरह से परिभाषित नहीं किया गया था। मैंने तय किया है कि इसे परिभाषित किया जाएगा और इसे आरटीई का हिस्सा बनाया जाएगा। हम इसे अगले तीन महीने में पूरा कर लेंगे। इसमें हर कक्षा के लिए सीखने का एक परिणाम तय करेंगे।

छात्रों की जिज्ञासा को बढ़ावा देना होगा

शिक्षा सिर्फ शिक्षकों के हाथ में ही नहीं है। हमें शिक्षा को मनोरंजक और इंटेरैक्टिव बनाना होगा। ‘इंटेरैक्टिव एजूकेशन’ ही सबसे अहम चीज है जो ईशा कर रहा है। मैं शिक्षा में तरह-तरह के प्रयोगों का पक्षधर हूं। शिक्षा पसंद व विकल्प आधारित होनी चाहिए। सबके लिए एक जैसी शिक्षा नहीं हो सकती। सबसे पहली चीज कि हमें छात्रों में जिज्ञासा के भाव को प्रोत्साहित करना चाहिए। कई बार यह भाव दबा दिया जाता है। अगर विद्यार्थी सवाल पूछता है तो उसे हतोत्साहित किया जाता है, जो ठीक नहीं है। क्योंकि किसी भी नई या मौलिक चीज की शुरुआत करने की दिशा में पहला कदम जिज्ञासा ही होती है। अगर आप छात्र की जिज्ञासा को बचपन में मार देंगे तो वह आगे चलकर कभी कुछ नया नहीं कर पाएगा। कुछ नया तभी हो पाता है, जब आप वर्तमान स्थिति को चुनौती देते हैं।

अभिभावकों को शिक्षा की प्रक्रिया से जोड़ना होगा
शिक्षा का एक और पहलू है - अभिभावक। जब हम आकांक्षाओं की बात करते हैं तो हमें लगता है कि आकांक्षाएं सिर्फ मध्यम वर्गीय लोगों में होती हैं। जबकि ऐसा नहीं है।


कुल मिलाकर शिक्षा का यही मतलब है। आखिर शिक्षा का परम लक्ष्य क्या है? एक अच्छा इंसान तैयार करना। ‘सा विद्याया विमुक्तये’ ‐ विद्या वही है, जो हमें मुक्त करती है।
गरीब तबके के लोगों में भी आकांक्षाएं होती हैं। आपका ड्राइवर, आपके घर पर काम करने वाले लोग आपसे क्या चाहते हैं? वे अक्सर आपसे कहते हैं, ‘सर, आपकी तो बड़ी जान पहचान है। मेरे बच्चे का किसी अच्छे स्कूल में दाखिला करा दीजिए।’ यही उनकी मांग होती है। यह मांग उनकी आकांक्षाओं के बारे में बताती है। वह अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहते हैं, यह मांग एक अभिभावक की है। लेकिन उसे भी ट्रेनिंग की जरुरत है। ऊंची फीस का मतलब अच्छा स्कूल नहीं होता है। स्कूलों में एअर कंडीशन और अच्छी बिल्डिंग, गुणवत्ता की कसौटी नहीं है। बेहतर गुणवत्ता की कसौटी है कि कक्षा में क्या पढ़ाया जा रहा है, सीखने व सिखाने की प्रक्रिया कैसी है। लेकिन वे लोग इन सारी पेचीदगियों को नहीं जानते। हमें इस मामले में अभिभावकों को भी साथ लाना होगा। साथ ही, पढ़ाई का खर्च भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि इसके खर्च भयावह हो चुके हैं। शिक्षा की वास्तविक लागत और वास्तव में जो फीस वसूली जा रही है, उनके बीच आपसी रिश्ता होना चाहिए।

मेरे जिला परिषद स्कूल का नाम था - ‘जीवन शिक्षण मंदिर’ यानी ‘लाइफ स्किल ट्रेनिंग सेन्टर’। कुल मिलाकर शिक्षा का यही मतलब है। आखिर शिक्षा का परम लक्ष्य क्या है? एक अच्छा इंसान तैयार करना। ‘सा विद्याया विमुक्तये’ ‐ विद्या वही है, जो हमें मुक्त करती है


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खाने के बाद मीठे का अपना अलग ही मज़ा होता है। winter recipe,sweet recepie

                    सर्दियों में लीजिए एनर्जी लड्डू का मजा


खाने के बाद मीठे का अपना अलग ही मज़ा होता है। लेकिन कितना अच्छा हो अगर यह न केवल आपके मीठे की जरूरत पूरी करे, बल्कि आपके भोजन के पोषक तत्वों की कमी भी पूरी कर दे! इसलिए इस बार हम आपके लिए लाए हैं एक ऐसे लड्डू की रेसिपी जो ऊर्जा और पोषकता से भरपूर है। इस व्यंजन की सभी सामग्रियां जरूरी पोषक तत्वों के समृद्ध स्रोत हैं। सिर्फ एक एनर्जी लड्डू रोज खाने से आपके शरीर में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और कैल्शियम व लौह जैसे खनिजों का स्तर बढ़ जाता है। इन लड्डुओं में चीनी के बिना एक कुदरती मिठास होती है।



सामग्री (12 लड्डूओं के लिए)

खजूर: 250 ग्राम (बीजरहित)

मूंगफली: 150 ग्राम तिल: 100 ग्राम

शहद: 2 बड़े चम्मच

विधि: मूंगफली को एक बर्तन में धीमी आंच पर भूनें। इसी तरह, तिल को एक बर्तन में धीमी आंच पर सुनहरा होने तक भूनें। भुने हुए तिलों को 5 सेकेंड तक ब्लेंड करें, ध्यान रहे कि इसे बहुत महीन नहीं करना है। फिर खजूर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। खजूर के कटे हुए टुकड़ों को एक ब्लेंडर में डालकर दरदरा होने तक चलाएं। अब भुनी हुई मूंगफलियों और तिल के चूरे को एक ही जार में डालकर 30 सेकेंड तक ब्लेंड करें। इस मिश्रण को एक बड़े बर्तन में निकाल लें और उसमें दो चम्मच शहद मिलाएं। अब अपने मन मुताबिक आकार के गोल लड्डू बनाकर परोसें।

नुस्खा: ध्यान रखें कि मूंगफली पूरी तरह नहीं पीसना है। मूंगफली के बड़े टुकड़े कुरकुरा स्वाद देंगे।

इस संकटनाशन करके पाएं जीवन में सुख-समृद्धि‍, diwali,hindu diwali festival,festival diwali

                       दीपावली  की हार्दिक शुभकामनाये

स संकटनाशन  करके पाएं जीवन में सुख-समृद्धि‍ - 

गणेश स्तोत्र का पाठ ,मां लक्ष्मी  स्तुति



प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥


 मां लक्ष्मी  स्तुति 



आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।  > >
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।
विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।

धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।

धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।

मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।

प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।

गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।

धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।

जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।

भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।

कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।

आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।

सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।

सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।

साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।

मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।

शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्य सम्पदाम्।  

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भारत के प्रमुख उद्योग (Important Industries in India)










लौह इस्पात उद्योग का महत्त्व: लौह इस्पात उद्योग को किसी देश के अर्थिक विकास की धुरी माना जाता है। भारत में इसका सबसे पहला बड़े पैमाने का कारख़ाना 1907 में झारखण्ड राज्य में सुवर्णरेखा नदी की घाटी में साकची नामक स्थान पर जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित किया गया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत इस पर काफ़ी ध्यान दिया गया और वर्तमान में 7 कारखानों द्वारा लौह इस्पात का उत्पादन किया जा रहा है। TISCO : Tata Iron & Steel Company limited, Jamshedpur) भारत का पहला सबसे बड़ा कारखाना जहां भारत का 20% इस्पात निर्मित होता हैं। इस उद्योग को बोकरो, जमशेदपुर, उड़ीसा से कोयला व लोहा प्राप्त होता हैं। इसकी स्थापना सन् 1907 में जमशेदजी टाटा द्वारा की गई थी। IISCO: Indian Iron Steel Company इसकी स्थापना सन् 1874 में की गई थी। यह भारत का सर्वाधिक लोहे की ढ़ुलाई करने वाला उद्योग हैं। बर्नपुर, हीरापुर, कुल्टी (पश्चिम बंगाल) में इसकी तीन इकाईयां हैं।

भारत के प्रमुख इस्पात संयंत्रो के नाम और उनका स्थान:

राउरकेला इस्पात संयंत्र: इसकी स्थापना उड़ीसा में पश्चिम जर्मनी की सहायता से की गई थी।
भिलाई लौह-इस्पात संयंत्र: इसकी स्थापना छत्तीसगढ़ में रूस की सहायता सें की गई थी।
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र: इसकी स्थापना पश्चिम बंगाल में ब्रिटेन की सहायता से की गई थी।
बोकारो लौह-इस्पात कारखाना: इसकी स्थापना झारखण्ड में रूस की सहायता से की गई थी।
विजयनगर इस्पात उद्योग: कर्नाटक में बेलारी जिले में।
विशाखापट्टनम इस्पात उद्योग: आंध्रप्रदेश में।
संलयन इस्पात उद्योग संयंत्र: तमिलनाडु में।
दातेरी इस्पात उद्योग: उड़ीसा में।
2. ऐलुमिनियम उद्योग: ऐलुमिनियम उद्योग के अन्तर्गत बॉक्साइट की कच्ची धातु से इसका निर्माण किया जाता है। बॉक्साइट को गलाने के लिए बड़ी मात्रा में कोयले की आवश्यकता के कारण ऐलुमिनियम कारखाने उन्ही क्षेत्रों में स्थापित किये जाते हैं, जहाँ दोनो खनिज साथ-साथ मिलते है। भारत में ऐलुमिनियम का पहला कारख़ाना 1937 मे जे.के. नगर में ‘ऐलुमिनियम कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया’ के नाम से स्थापित किया गया।

भारत के ऐलुमिनियम उद्योग के प्रमुख  कारखानों नाम और उनका स्थान:

इण्डियन एल्युमिनियम कम्पनी (सन् 1938):- बिहार स्थित में हैं।
भारत एल्युमिनियम कम्पानी (BALCO):- छत्तीसगढ़ में कोरबा में स्थापित हैं।
Hindalco:- उत्तर प्रदेश के रेनकूट में स्थित हैं।
NALCO (1981) :- देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई। इसकी 3 इकाईया मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश व उड़ीसा में हैं।


3. सीमेन्ट उद्योग (Cement Industry):


सीमेन्ट उद्योग का महत्त्वः वर्तमान में भारतीय सीमेन्ट उद्योग, विश्व में सीमेन्ट के उत्पादन में न केवल दूसरे स्थान पर है, बल्कि विश्वस्तरीय गुणवत्ता का सीमेन्ट भी उत्पादित करता है।

सीमेन्ट उद्योग का प्रारंभ से अब तक की स्थितिः वर्ष 1904 में सर्वप्रथम मद्रास (अब चेन्नई) में भारत का पहला सीमेन्ट कारखाना खोला गया जो असफल रहा किंतु 1912–14 के मध्य 3 बड़े सीमेन्ट कारखाने खोले गएः

पोरबंदर (गुजरात)।
कटनी (मध्य प्रदेश)।
लाखेरी।
नोटः

1991 में घोषित औद्योगिक नीति के अन्तर्गत सीमेन्ट उद्योग को लाइसेन्स मुक्त कर दिया गया।
मार्च, 2011 के अन्त में देश में 166 बड़े सीमेन्ट संयंत्र है इसके अलावा देश में कुल 350 लघु सीमेन्ट संयंत्र भी है।
वर्ष 2010–11 में सीमेन्ट और ईंट का निर्यात 40 लाख टन रहा।
भारतीय सीमेन्ट ने बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, मध्य पूर्व एशिया (Middle East Asia), म्यांमार, अफ्रीका, आदि देशों के बाजार में अपनी पहुंच बना ली है।
भारत की सीमेन्ट कम्पनियां हैं: बिरला सीमेन्ट, जे-पी- सीमेन्ट, एसीसी सीमेन्ट और बांगर सीमेन्ट।

4. कोयला उद्योग (Coal Industry):

कोयले का महत्त्वः भारतीय कोयला उद्योग एक आधारभूत उद्योग है जिस पर अन्य उद्योगों का विकास निर्भर करता है। वर्तमान समय में शक्ति के साधन के रूप में कोयला उद्योग का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

भारत में दो कोयला उत्पादन क्षेत्र हैं:

1.गोंडवाना कोयला क्षेत्रः

पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश।
भारत में प्राप्त कुल कोयले का 98% भाग गोंडवाना क्षेत्र से ही प्राप्त होता है।
इस क्षेत्र से एन्थ्रेसाइट और बिटुमिनस किस्म के कोयले प्राप्त होते हैं।
2. टर्शियरी कोयला क्षेत्रः

जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, तमिलनाडु, असम, मेघालय और उत्तर प्रदेश।
भारत में प्राप्त कुल कोयले का 2% भाग टर्शियरी कोयला क्षेत्र से प्राप्त होता है।
इस क्षेत्र से लिग्नाइट किस्म का कोयला प्राप्त होता है जिसे ‘भूरा कोयला’ भी कहते हैं।
कोयला उद्योग की वर्तमान स्थितिः

भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के अनुसार, ‘भारत में 1 अप्रैल, 2011 तक सुरक्षित कोयले का भंडार 285.87 अरब टन है।
कोयला उद्योग में 800 करोड़ की पूंजी विनियोजित है तथा यह 7 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराता है।
भारत में कोयले के सर्वाधिक भंडार वाले राज्य (जनवरी, 2008 के अनुसार) हैं—(1) झारखंड, (2) उड़ीसा,
(3) छत्तीसगढ़, (4) पश्चिम बंगाल और (5) आंध्र प्रदेश।
भारत के प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं—रानीगंज, झरिया, पू- और पश्चिम बोकारो, तवाघाटी, जलचर, चन्द्रान्वर्धा और गोदावरी की घाठी।

वर्तमान समय में भारतीय कोलया उद्योग का संचालन एवं नियंत्रण सार्वजनिक क्षेत्र की दो प्रमुख संस्थाएं करती हैं:

कोल इंडिया लि- (Coal India Ltd.—CIL): कोयले के कुल उत्पादन के लगभग 86% भाग पर नियंत्रण यह एक धारक कम्पनी है। इसके अधीन 7 कम्पनियां कार्यरत हैं।
सिंगरैनी कोलारीज क- लि- (Singareni Collieries Company Ltd.—SCCL) यह आंध्र प्रदेश सरकार तथा केंद्र सरकार का संयुक्त उपक्रम (Joint venture) है।
भारत में सर्वाधिक लिग्नाइट (Lignite) किस्म का कोयला पाया जाता है।

5. पेट्रोलियम उद्योग (Petroleum Industry):

पेट्रोलियम उद्योग का महत्त्व: भारत में पेट्रोलियम उद्योग का महत्त्व उसकी मांग एवं पूर्ति से लगाया जा सकता है। देश में कच्चे तेल का कुल भंडार 75.6 करोड़ टन अनुमानित है। परंतु फिर भी भारत अपनी कुल आवश्यकता का मात्र 20% भाग ही स्वदेशी उत्पादन द्वारा प्राप्त कर पाता है।

पेट्रोलियम उद्योग का प्रारंभ से अब तक की स्थितिः

वर्ष 1956 तक भारत में केवल एक ही खनिज तेल उत्पादन क्षेत्र विकसित थी जो डिग्बोई असम में था। डिग्बोई के जिस तेल कुएं से तेल निकाला गया था वहां से आज भी तेल निकाला जा रहा है।
वर्तमान में भारत असम, त्रिपुरा, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, मुम्बई, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, केरल के तटीय प्रदेशों तथा अंडमान एवं निकोबार से खनिज तेल प्राप्त करने का कार्य कर रहा है।
भारत में तेल की खोज और इसके उत्पादन का काम व्यापक और व्यवस्थित रूप से 1956 में तेल और प्राकृतिक गैस आयोग (Oil and Natural Gas Commission—ONGC) के स्थापना के बाद प्रारंभ हुआ। इसी क्रम में ऑयल इंडिया लि- (Oil India Limited—OIL) सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी कम्पनी बन गई।
1 फरवरी, 1994 में तेल और प्राकृतिक गैस आयोग (Oil and Natural Gas Commission) का नाम बदलकर Oil and Natural Gas Corporation कर दिया गया।

वर्ष 1999 में केंद्र सरकार ने तेल एवं गैस की खोज एवं उत्खनन के लिए लाइसेंस प्रदान करने की नई नीति न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी तैयार की है।
NELP के 9वें दौर के तहत 33 तेल ब्लाकों के लिए बोलियां लगाने की तिथि 15 अक्टूबर, 2010 से 18 मार्च, 2011 के दौरान सरकार द्वारा आमंत्रित की गई थी जिनमें से 16 ब्लाक आवंटित कर दिए गए हैं।
वर्तमान में देश में 21 Oil Refineries हैं जिनमें 17 सार्वजनिक क्षेत्र, 3 निजी क्षेत्र एवं 1 संयुक्त क्षेत्र की है।
नोटः भारत सरकार NELP के बाद तेल की खोज व उत्खनन के लिए ओपेन एक्रीएज लाइसेन्सिग पॉलसी लाने का सरकार का इरादा है। जिसके तहत तेल कम्पनी कोई भी नया ब्लाक स्वतः ही चुनकर तेल उत्खनन हेतु अपना प्रस्ताव सरकार को प्रस्तुत कर सकेगी अतः उन्हें NELP के तहत सरकारी पेशकश की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी।

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                                         मोटिवेशनल  बायोग्राफी कैलाश khair


कैलाश खेर (जन्म ७ जुलाई १९७३) को उत्तर प्रदेश में हुआ वे एक भारतीय पॉप-रॉक गायक है जिनकी शैली भारतीय लोक संगीत से प्रभावित है। कैलाश खेर ने अबतक १८ भाषाओं में गाने गाया है और ३०० से अधिक गीत बॉलीवुड में गाये है।




कैलाश खेर को संगीत मानों विरासत में मिली हो। उनके पिता पंडित मेहर सिंह खेर पुजारी थे और अक्सर घरों में होने वाले इवेंट में ट्रेडिशनल फोक सॉन्ग गाया करते थे। कैलाश ने बचपन में पिता से ही संगीत की शिक्षा ले ली थी। लेकिन वह कभी भी बॉलीवुड गाने सुनना पसंद नहीं करते थे और ना ही सुना करते थे पर उनको संगीत से लगाव तो काफी था।

संगीत सीखने के लिए घर से की बगावत

कैलाश जब 13 साल के थे तभी वो संगीत की बेहतर शिक्षा लेने के लिए घरवालों से लड़कर दिल्ली आ गए थे। यहां आकर उन्होंने संगीत की शिक्षा तो लेनी शुरू कर दी लेकिन साथ में पैसे कमाने के लिए छोटा सा काम शुरू कर दिया। साथ में विदेशी लोगों को संगीत भी सिखाकर पैसे कमाते थे।

बिजनेस में घाटे के करना चाहते थे सुसाइड

दिल्ली में रहते हुए 1999 तक कैलाश खेर ने अपने एक फैमिली फ्रेंड के साथ एक्सपोर्ट का बिजनेस करने लगे थे। इसी साल उन्हें इस कारोबार में इतना बड़ा घाटा हुआ जिसमें वह अपनी सारी जमा पूंजी गंवा चुके थे। इसी वक्त कैलाश इतने डिप्रेशन में चले गए थे कि वो जिंदगी से तंग आकर सुसाइड करना चाहते थे। इन सब से किसी तरह से निकलने के बाद कैलाश पैसे कमाने के लिए सिंगापुर और थाइलैंड चले गए। जहां 6 महीने रहने के बाद वो वापस भारत आकर ऋषिकेश चले गए और कुछ दिनों तक वहीं रहे। वहां वे साधू-संतो के लिए गाना गाया करते थे। कैलाश के गाने को सुनकर बड़ा से बड़ा संत झूम उठता था, इससे कैलाश का खोया विश्वास वापस आया और वह मुंबई चले गए।


मुंबई आने के बाद कैलाश ने काफी गरीबी में दिन गुजारें। घर में नहीं बल्कि कैलाश वहां चॉल में रहते थे। उनके हालत कैसे थे वो इसी बात से पता चलता है कि उनके पास पहनने के लिए एक सही चप्पल भी नहीं थी। वह एक टूटी चप्पल ले 24 घंटे स्टूडियो के चक्कर लगाते रहते ताकि कोई तो उनकी आवाज को सुन उनको गाने का मौका दे दे।

एक दिन उन्हें राम संपत ने एक ऐड का जिंगल गाने के लिए बुलाया, जिसके लिए उन्हें 5000 रुपए मिले। तब पांच हजार रुपए भी कैलाश को बहुत ज्यादा लगे और इनसे उनका कुछ दिन का काम चल गया। 'अल्ला के बंदे हम' ने दिलाई एक अलग पहचान दिलाई।


कैलाश ने मुंबई में कई सालों तक स्ट्रगल करने के बाद फिल्म अंदाज से उन्हें ब्रेक मिला। इस फिल्म में कैलाश ने 'रब्बा इश्क ना होवे' में अपनी आवाज दी। लेकिन कैलाश के किस्मत का तारा तब चमका जब उन्होंने फिल्म वैसा भी होता है में 'अल्ला के बंदे हम' गाने में अपनी आवाज दी। ये गाना आजतक कैलाश के हिट गानों में से एक है।

18 भाषाओं में गाया  गाना

कैलाश खेर ने अबतक 18 भाषाओं में गाने गा चुके हैं। 300 से अधिक गाने कैलाश ने सिर्फ बॉलीवुड में गाए हैं। कैलाश को अपने गानों के लिए दर्जनों अवार्ड मिल चुके हैं। कैलाश खेर 2009 में मुंबई बेस्ड शीतल से शादी की। उनका एक चार साल का बेटा है, जिसका नाम कबीर है।

मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। hindi short success story, new story hindi,

                                                बुलंद होसलों की कहानी


मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी ज़िंदगी इसका रोना रोता है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर हमारा सामना मुसीबतों/problem से होता है. इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती
अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है।
1 problem पर focus करके(problem focus peoples)
2 solution पर focus करके(solution focus peoples)

Problem focus peoples अक्सर मुसीबतों मे ढेर हो जाते है। इस तरीके के इंसान किसी भी मुसीबत मे उसके हल के बजाये उस मुसीबत के बारे मे ज्यादा सोचते है। वही दूसरी ओर solution focus peoples मुसीबतों मे उसके हल के बारे मे ज्यादा सोचते है। इस तरह के इंसान मुसीबतों का डट के सामना करते है।


दोस्तो आज मै आपके साथ एक महान solution focus इंसान की कहानी शेयर करने जा रहा हु जो आपको किसी भी मुसीबत से लड़ने के लिए प्रोत्साहित (motivate) करेगी। दोस्तो आपने नेपोलियन बोनापार्ट (napoleon Bonaparte) का नाम तो सुना ही होगा। जी हा वही नापोलियन बोनापार्ट जो फ़्रांस के एक महान निडर और साहसी शासक थे जिनके जीवन मे असंभव नाम का कोई शब्द नहीं था। इतिहास में नेपोलियन को विश्व के सबसे महान और अजय सेनापतियों में से एक गिना जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से माने जाते थे । उसके सामने कोई रुक नहीं पाता था।

नेपोलियन के बुलंद होसलों की कहानी- A MOTIVATIONAL STORY IN HINDI FOR PROBLEM SOLVING

नेपोलियन अक्सर जोखिम (risky) भरे काम किया करते थे। एक बार उन्होने आलपास पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना के साथ चल पढे। सामने एक विशाल और गगनचुम्बी पहाड़ खड़ा था जिसपर चढ़ाई करने असंभव था। उसकी सेना मे अचानक हलचल की स्थिति पैदा हो गई। फिर भी उसने अपनी सेना को चढ़ाई का आदेश दिया। पास मे ही एक बुजुर्ग औरत खड़ी थी। उसने जैसे ही यह सुना वो उसके पास आकर बोले की क्यो मरना चाहते हो। यहा जितने भी लोग आये है वो मुह की खाकर यही रहे गये।

अगर अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो वापिस चले जाओ। उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन नाराज़ होने की बजाये प्रेरित हो गया और झट से हीरो का हार उतारकर उस बुजुर्ग महिला को पहना दिया और फिर बोले; आपने मेरा उत्साह दोगुना कर दिया और मुझे प्रेरित किया है। लेकिन अगर मै जिंदा बचा तो आप मेरी जय-जयकार करना।

उस औरत ने नेपोलियन की बात सुनकर कहा- तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुनकर हताश और निराश नहीं हुए। ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।


आज सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) को इसलिए क्रिकेट (cricket) का भगवान कहा जाता है क्योकि उन्होने जरूरत के समय ही अपना शानदार खेल दिखाया और भारतीय टीम को मुसीबतों से उभारा। ऐसा नहीं है कि यह मुसीबते हम जैसे लोगो के सामने ही आती है, भगवान राम के सामने भी मुसीबते आयी है। विवाह के बाद, वनवास की मुसीबत। उन्होने सभी मुसीबतों का सामना आदर्श तरीके से किया। तभी वो मर्यादा पुरषोतम कहलाये जाते है। मुसीबते ही हमें आदर्श बनाती है।

अंत मे एक बात हमेशा याद रखिये;
जिंदगी में मुसीबते चाय के कप में जमी मलाई की तरह है,
और कामयाब वो लोग हैं जिन्हे फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना आता है

कोई सुझाब या शिकायत के लिए आप हमे मेल कर सकते है या वाटसएप्प कर सकते है
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                                                                                                   धन्यबाद



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                                                          SELF MOTIVATED



 सफलता हमेशा मार्कशीट देखकर नहीं आती। लगातार मेहनत आपको खुद सफलता के शिखर तक पहुंचा देती है।  आज के युवाओं को सिर्फ Motivational Story ही पढ़ना अच्छा लगता है, लेकिन उसे अमल में लाने में आलस करते हैं।  साथ ही युवाओं को जल्दी सफलता चाहिए, लेकिन वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहते।  ऐसा क्यों, अगर हमें सफल होना है तो सबसे पहले हमें रिस्क लेना पड़ेगा।  जबतक आप रिस्क नहीं लोगे तब तक आप सफल कैसे होगे।

महान कवि हरिवंश राय बच्चन जी की एक कविता है, जिसमें उन्होंने सफलता के लिए संघर्ष करना बहुत खुबसुरत तरीके से बताया है।

”तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।”

हर व्यक्ति के पास सफल होने के लिए मास्टर प्लान होता है, लेकिन वह डर के कारण उस पर काम नहीं करता। साथ ही वह मास्टर प्लान किसी के साथ शेयर भी नहीं करता, ताकि कोई दूसरा सफल न हो जाए। ऐसा करके अगर वो सोंचता है कि वो सही कर रहा है, तो उससे बड़ा मुर्ख कोई नहीं। सफल वहीं इंसान होता है तो रिस्क लेकर कुछ अलग करता है। दोस्तों आज हम आपको इसी के बारे में बतायेंगे।

सबसे जरुरी आत्मविश्वास


अगर आपको सफलता हासिल करना है तो आपको अपना आत्मविश्वास बढ़ाना होगा, अगर आत्मविश्वास  नहीं होगा तो आप रिस्क नहीं ले पायंगे और जब आप रिस्क नहीं ले पाएंगे तब आप सफल भी नहीं हो पाएंगे।  सफल लोगों में एक अलग ही आत्मविश्वास झलकता है।  ज़ाहिर है कि वे खुद में और जो कुछ भी वे करते हैं उसमें यकीन करते हैं।  यह आत्मविश्वास उनमें सफल होने के बाद नहीं आया।  यह उनमें पहले से ही था।  आपके अंदर भी आत्मविश्वास है उसे जानो पहचानो और आगे बढ़ो।  हमें रिस्क लेने से घबराना नहीं चाहिए।  बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ रिस्क लेकर सफलता के रस्ते में चलना चाहिए।  इसी के बल पर आप सफलता हासिल कर सकते हैं।

दिमाग की नहीं…दिल की सुनो…

जी हां, अगर आप दिमाग की सुनोगे तो आप कभी भी सही निर्णय नहीं ले पाओगे।  ये हम नहीं कह रहे इसे वैज्ञानिकों ने प्रूफ किया है।  जब हम दिल कि सुनते हैं तो हमारा निर्णय एक दम सही होता।  दरअसल, जो हमारा मन चाहता है तो दिमाग नहीं चाहता लेकिन वो दिल चाहता है।  सबसे जरुरी बात दिमाग कभी भी आपको रिस्क लेनें के लिए ‘हां’ नहीं बोलेगा।  वो इसलिए क्योंकि दिमाग को बहुत डर लगता है।  दिमाग डरता कि कही वो कहीं फेल न हो जाए।  दिल ऐसा नहीं सोचता।  दिल हमारे मन की सुनता है।  इसलिए अगर आप सफल होना चाहते हैं तो दिमाग की नहीं बल्कि दिल की सुनो।  दिल हमें सही रास्ता दिखता है।  रिस्क लेने में दिल कभी डरता नहीं।  वो निडर है।  आपको जब भी कोई बड़ा रिस्क लेना हो तो अपने दिल की सुनो।
रिस्क लेने से पहले एक योजना बनाये

जब कभी भी आपको कोई बड़ा लक्ष्य तय करना हो तो इसके लिए सबसे पहले आपको एक अच्छी सी योजना बनानी होगी।  जिस तरह से कोई भी लक्ष्य बिना Planning के पूरा नहीं हो सकता।  उसी तरह रिस्क को भी एक योजना की जरुरत होती है।  अगर आपने रिस्क ले लिया और इसकी कोई भी प्लानिंग नहीं की तो यह निश्चित है की आप Future में अपने लक्ष्य से भटक जायेंगे और आपका Main Target अधूरा रह जायेगा।

इसलिए सफलता के लिए यह बहुत जरुरी है की आप रिस्क लेने से पहले पूरी Planning बना ले और फिर अपने Goals को Achive करने के लिए जी जान से जुट जाएँ।  आपका जो भी लक्ष्य है उसे पाने के लिए आप एक निश्चित समय बना ले और यह तय कर ले की आपको उस समय तक अपने लक्ष्य को पा लेना है।

सबसे जरूरी बात आपने अपने लक्ष्य को पाने के लिए रिस्क ले तो लिया, लेकिन अगर पूरी योजना के साथ मेहनत नहीं की तो सब बेकार है। इसलिए अगर आपका लक्ष्य बड़ा है तो उसे आप कई छोटे – छोटे भागो में बाँट सकते है।  आप अपने समय का सदुपयोग करें, उसे बर्बाद न करें।  इसके बाद सफलता आपके कदम चूमेगी।

बड़े सपने देखें और लक्ष्य बनाये



अगर आप हर काम में सफलता पाना चाहते हैं तो आपको अपनी आदतों में कुछ बदलाव करने होंगे, जैसे आपको बड़े सपने देखने होंगे। सोते-सोते तो हर कोई सपने देख लेता है, जो लोग दिन में सपने देखते हैं और एक लक्ष्य बनाकर उसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं वहीं सफल होते हैं। अब्दुल कलाम साहब कहते थे कि प्रत्येक व्यक्ति को बड़े सपने देखने चाहिए। जो लोग बड़े सपने नहीं देखते, वो बड़े बन भी नहीं सकते। इसलिए बड़े सपने देखो और बड़ा लक्ष्य बनाओ।


समय की कीमत समझें

दुनिया में जितने भी सफल इंसान हैं उन सबके पास भी एक दिन में 24 घंटे ही होते हैं।  वो इन्हीं 24 घंटों का सही इस्तेमाल करके सफल हुए हैं। दरअसल ये लोग समय की कीमत समझते थे, इन्होंने कभी भी अपने समय को बर्बाद नहीं किया। अगर आपको भी सफल होना है तो फालतू समय न बर्बाद करें। संसार की सबसे मूल्यवान चीज है-’समय’। समय किसी के लिए भी नहीं रुकता। जो इस समय का सही उपयोग कर लेता है, वह सफल व्यक्ति है।

लक्ष्य नहीं तरीका बदलो





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