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Mar 25


आज से नवरात्रि शुरू हो रही है। वर्षों से मैं मां की आराधना करता आ रहा हूं। इस बार की साधना मैं मानवता की उपासना करने वाले सभी नर्स, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी, जो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जुटे हैं, के उत्तम स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं सिद्धि को समर्पित करता हूं।

महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता गया था। आज कोरोना के खिलाफ जो युद्ध पूरा देश लड़ रहा है, हमारा प्रयास है कि इसे 21 दिन में जीत लिया जाए।

महाभारत के युद्ध के समय भगवान कृष्ण महारथी थे, सारथी थे। आज 130 करोड़ महारथियों के बलबूते हमें इस लड़ाई को जीतना है: PM 

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कोरोना से जुड़ी सही और सटीक जानकारी के लिए सरकार ने WhatsApp के साथ मिलकर एक हेल्पडेस्क बनाई है।

90131 51515 पर WhatsApp कर के आप इस सेवा से जुड़ सकते हैं : PM 


जागो लोगों जागो। 29th Feb को अमेरिका में केवल 68 confirm cases थे और 3 मृत्यु हुई थी। 25 दिनों में scene बदला अब 40,000 cases है और 400 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई है। 




राजस्थान में भीलवाड़ा के राजकीय चिकित्सालय से आया यह वीडियो इस मुश्किल की घड़ी में हमारे चिकित्सकों के मनोबल को दिखाता है। कोरोना वायरस से लड़कर आम आदमी का जीवन बचाने में आप लोग दिन के चौबीस घंटे कार्य कर रहे हैं, हम सभी को आप सभी पर गर्व है।


हमने प्रदेश में 12 हजार से अधिक वाहन सब्जी, दूध, दवा एवं खाद्यान्न घर-घर पहुंचाने के लिए लगाए हैं।

जिला प्रशासन द्वारा सामुदायिक भोजनालय के माध्यम से व्यवस्था की जा रही है।

रैन बसेरों, बस एवं रेलवे स्टेशनों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर कोई भी व्यक्ति भूखा-प्यासा नहीं रहेगा।


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भारत सहित पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है। मेरा देश के सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वह पूरी सावधानी बरतें, घर पर ही रहें और किसी से भी ना मिलें।  कर्फ्यू एवं लॉक डाउन का पूरे अनुशासन से पालन करें। इस महामारी का सामना देश के सभी 130 करोड़ लोगों को मिलकर करना है।


किसानों की समस्याएँ, आम नागरिकों की समस्याएँ, और हर एक ऐसी समस्या जो आप मुझे सोशल मीडिया द्वारा भेज रहे है, हेल्प लाइन पर भेज रहे है, उन सभी पर विचार कर अमल किया जा रहा है। आप अपने सुझाव ऐसे ही भेजते रहे। हम सब साथ मिलकर कोविड19 के ख़िलाफ़ इस जंग में विजय प्राप्त करेंगे।

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आदरणीय प्रधानमंत्री 
 जी ने आज #CabinetMeeting में सोशल डिस्टन्सिंग का पूरा पालन किया। 

अब बारी हमारी और आपकी है।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम लॉकडाउन में पूरा सहयोग करेंगे और हर निर्देश का पालन करेंगे। #इन्दिअफ़इटस्क्रेना

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आप सभी से अनुरोध है कि समय को देखते हुए और  कोरोना वायरस की रोकथाम हेतु आप सभी लोग नवरात्रि के दौरान अपने घर में ही रहकर धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न करें। इससे इस संक्रामक बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी।

प्रभु श्री राम सबका कल्याण करें... 

जय माँ जगदम्बे।
जय श्री राम।


मेरी प्रदेशवासियों से अपील है कि किसी भी तरह की चिंता ना करें, आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त व्यवस्था की जायेगी। 

पैनिक ना फैलाएं!

हम किसी भी परिस्थिति से निबटने के लिए तैयार हैं।




Navratri is starting from today. Over the years, I have been worshiping my mother. This time I dedicate myself to the best health, safety and accomplishment of all the nurses, doctors, medical staff, policemen and media workers who are engaged in the fight against Corona who worship humanity.

The battle of Mahabharata was won in 18 days. Today, the whole country is fighting the war against Corona, our effort is to win it in 21 days.

At the time of the war of Mahabharata, Lord Krishna was a maharathi, a charioteer. Today, we have to win this battle because of 130 crore maharathis


 Yes



For the correct and accurate information related to Corona, the government has created a helpdesk in association with WhatsApp 90131 51515


You can connect to this service by doing WhatsApp on 90131 51515



Wake up people wake up On 29th Feb there were only 68 confirm cases in the US and 3 deaths. The scene revenge in 25 days is now 40,000 cases and more than 400 people have died.


This video, which came from the state hospital of Bhilwara in Rajasthan, shows the morale of our doctors in this difficult time. You are working twenty four hours a day to save the life of the common man by fighting the corona virus, we are all proud of you.


We have installed more than 12 thousand vehicles in the state to transport vegetables, milk, medicines and food grains from door to door.

The district administration is making arrangements through the community eatery.

No person will be hungry and thirsty at night shelters, bus and railway stations and other public places.


The entire world including India is currently suffering from the Corona epidemic. I request all citizens of the country to take full care, stay at home and do not meet anyone. Follow curfew and lock down with full discipline. All 130 crore people of the country have to face this epidemic together.



The problems of the farmers, the problems of the common citizens, and every such problem that you are sending me through social media, on the help line, all of them are being considered and implemented. You keep sending your suggestions like this. Together we will conquer this battle against Kovid 19.


 G today followed social distancing in #CabinetMeeting.
Now our turn is yours and yours.
I am confident that we will cooperate fully in the lockdown and follow every instruction. #Indiafightscrena


All of you are requested to observe the time and to prevent Corona virus, all of you should perform religious rituals during Navratri by staying in your home. This will help prevent the spread of this infectious disease.
Lord Shree Rama do well for all ...
Jai Maa Jagadambe.
Jai Shree Ram.



My appeal to the people of the country is not to worry about any kind, adequate arrangements will be made for the necessary items.

Do not spread panic!
We are ready to deal with any situation.


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जब चीन कि शोषण पूर्ण विस्तार वादी नीतियों कि वजह से  कोरोना वाइरस चीन से फैलना शुरू हुआ तब चीन घबरा गया और अपनी गलतियों को छिपाने के काम में लग गया कही इन्टरनेशनल मार्केट में छवि खराब न हो चीन को अपनी गलती मानने कि वजाह दूसरे देशों पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगा क्या चीन नही जानता कि बीसयों साल से हम जीव-जन्तुओ पर अत्याचार कर रहें हैं, फिर भी चीनी सरकार आंख बन्द कर सो रही थी इतिहास गवाह है हर पांच-दस साल बाद ऐसे ही महामारी को जन्म देता है चीन, इन्ही कि बजह से बहुत से एशिया के देश खेती को पीछे ढकेल जीव-जन्तुओं पर निर्भर हो गये और धरती से जानवर को समाप्त करने कि एक होड कि शुरूआत कर दी । चीन तो बडा और मजबूत देश था इनकी सरकार में काफी बुद्वजीवी लोग बैठे हैं, छोटे-छोटे देशो को समझाना चाहिये था वही इन्होने जीव-जन्तुओ पर अत्याचार को बढावा दिया,सत्ता के चक्कर में आज इन्होने समूची पृथ्वी को संकट में लाकर खडा कर दिया। वही गलत करने वाले देशो को सजा दिलवाने कि बजाह उनका पक्ष लिया फिर भी इतना कुछ होने के बाबजूद चीन अपनी गलती मानने को तैयार नहीं अपने साथी अपने मित्र देशों से बोल रहा कि कोरोना वाइरस को चीनी वाइरस,चाइनीस वाइरस,वुहान बाइरस न कहा जाये आखिर क्यों चीन की सरकार को इस पर पहले समझ नही आ रहा था या वह पहली बार ऐसे परिणाम से गुजर रहा है। अमेरिकी प्रेसिडेन्ट ने चीनी वाइरस नाम दिया इन्होने कुछ गलत नही किया चीनी स्वयं जिम्मेदार हैं और इसका भुगतान और सक्त कदम उठाये चीन जिससे दोबारा ऐसी स्थिति न बने शर्म कि बाद तो ये है आये दिन शोशल मीडिया में बडे-बडे सुन्दर जानवरो को बेरहमी से काटते हुए दिखाया जाता है इस पर भी शक्त कदम उठाये जाये और मांस योग्य जानवरो कि एक सूची प्रत्येक देश को दे जिससे प्रकृति पर अत्याचार रूके खेती को बढावा दे। चीन के पडोस में भारत है जहां मसाले का अथाय भण्डार है किसी भी हरी सब्जी में डाल दो टेस्ट लजवाव हो जाये फिर भी इन्होने उससे कुछ नही सीखा बेचारे सुन्दर प्रकृति के रक्षक जानवरों को खा डाला। उसी को परिणाम आज पूरी दुनिया उठा रही है। इससे और देश सबक भी ले सकते हैं जो आज उॅठ, हाथी, शेर, भैसा, पशु-पक्षियों को अपना भेाजन बजाये हुए हैं सुधर जाये अब प्रकृति इशारे नही सर्वनाश करेगी आपका कृपया करके अपने देश में छोटा सा बदलाब करके मानव और जीव जन्तुओ पर उपकार करें।


When the Corona virus started spreading from China due to exploitative expansionary policies of China, China got scared and started to hide its mistakes so that the image in the international market should not be spoiled. Accusations started to accuse, China does not know that we have been torturing animals for twenty years, yet the Chinese government was sleeping blindly, history is witness Every five or ten years later gives birth to such epidemic made earlier that China, these that eliminates a lot of animals from Asian countries were growing up to drive animals back to Earth led to a competition. China was a big and strong country, a lot of intellectuals are sitting in their government, they should have explained to small countries that they have encouraged atrocities on animals and animals, in the circle of power, today they have made the entire earth in danger. . In order to punish the countries that have done the same wrong, that Baja has favored them, yet despite this much happening, China is not ready to accept its mistake, speaking to its fellow countries that why Corona virus should not be called Chinese virus, Chinese virus, Wuhan virus The Chinese government did not understand this at first or it is going through such a result for the first time. The American president named the Chinese virus. He did nothing wrong. The Chinese are themselves responsible and take steps to pay for it, and China should not take such a position again that it is a shame that after all these days, it would have been brutal to cut big beautiful animals in the media. It is also shown that the people should take strong action and give a list of meat-worthy animals to each country so that atrocities on nature can be stopped. Safety Awa. India is in the neighborhood of China, where there is a huge storehouse of spices, put it in any green vegetable, the test will be a shame, yet they learned nothing from it and ate the animals of the beautiful nature. The whole world is bearing the same result today. From this, other countries can also learn a lesson that today, instead of giving their own food to the birds, elephants, lions, buffaloes, animals and birds, be improved, now nature will not give a hint to the apocalypse. Please



Когда вирус Короны начал распространяться из Китая из-за экспансионистской политики экспансии Китая, Китай испугался и начал скрывать свои ошибки, чтобы не испортить имидж на международном рынке. Обвинения начали обвинять, Китай не знает, что мы мучаем животных в течение двадцати лет, но китайское правительство спало слепо Каждые пяти или десять лет спустя рождают такую ​​эпидемию, сделанные ранее, что Китай, это что исключает много животных из азиатских стран росли до приводных животных обратно на Землю привело к конкуренции. Китай был большой и сильной страной, в их правительстве сидит много интеллектуалов, они должны были объяснить маленьким странам, они поощряли зверства в отношении животных и животных, в кругу власти, сегодня они принесли всю землю в кризис. , Чтобы наказать страны, которые сделали то же самое неправильно, что Баха одобрил их, но, несмотря на это, Китай не готов признать свою ошибку, говоря своим странам-членам о том, что вирус Короны не следует называть китайским вирусом, китайским вирусом, вирусом Ухань Китайское правительство сначала не поняло этого или впервые переживает такой результат. Американский президент назвал китайский вирус. Он не сделал ничего плохого. Китайцы сами несут ответственность и предпринимают шаги, чтобы заплатить за это, и Китаю не следует снова занимать такую ​​позицию, что это позор, что после всех этих дней было бы жестоко резать больших красивых животных в СМИ. Также показано, что люди должны предпринять решительные действия и предоставить список мясных животных каждой стране, чтобы зверства на природе можно было остановить. Безопасность Ава. В окрестностях Китая есть Индия, где есть огромный запас специй, положить его в любой зеленый овощ, испытание становится позором, но они ничему не научились и съели животных прекрасной природы. Весь мир сегодня приносит такой же результат. Из этого, другие страны также могут извлечь урок, что сегодня, вместо того, чтобы давать свою пищу птицам, слонам, львам, буйволам, животным и птицам, нужно улучшаться, теперь природа не даст намек на апокалипсис, прошу вас отомстить в вашей стране людям и животным в пользу.


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प्रकृृति जिसने ये सब दुनिया बनायी हवा,पानी,जीव-जन्तु,मनुष्य सभी को प्रकृति ने हमें फ्री दिया लेकिन हमने क्या किया उसको कभी कुछ नही दिया आज जब हम मुसीबत में फंस गये तो हमें प्रकृति और अपने द्वारा किये गये कुकर्म जरूर याद आ रहे होगे हमें बहुत सालों पहले ही समझ जाना चाहिये था हम इन्सान हैं प्रकृति हमसे महान है लेकिन हमने खुद भगवान बनने के चक्कर में सब तहस नहस कर के रख दिया क्या बचा आज प्रथ्वी में कुछ नहीं, जो बचा भी है उसे भी प्रोधौगिकि मानव खा जा रहा है शायद हम सिर्फ अपने बारे में सोचते है हमे किसी से कोई मतलब नही हमें जिस प्रकृति ने बनाया उससे हमें कोई मतलब नहीं आज अगर आपके घर वालों के साथ कोई कुछ गलत कर दें तो आप सालों प्रतिशोध लेने के लिये आतुर हो जाते हैं उसी तरह अगर हम अपनी प्रकृति को अपने परिवार कि तरह मानकर रक्षा करते तो आज ये नौवत नही आती क्या हमें नही पता सब एक दूसरे से जुडे हैं लेकिन हम जानते हुए भी मानने को तैयार नहीं बहुत सालों से जानवरों का व्यापार चल रहा था खाने योग्य नही मैं मानता हूॅ इन्हे प्रकृति ने खूबसूरती के लिये बनाया था लेकिन इनका व्यापार के साथ-साथ इनका शोषण भी हमने किया पानी आज खत्म होने कि कगार पर है और जहां है भी वहां नीला,काला पानी है, इसका भी हमने शोषण कर डाला जो देश बडी-बडी संस्थायें बनाती हैं वही आगे चलकर सबसे ज्यादा शोषणकारी सिद्व होती हैं। अमेरिका, भारत, फ्रांस, इग्लैण्ड, रूस, इटली ये बडे देश चाह ले तो क्या सब ठीक नही हो सकता था किसी भी देश कि दम नही इनसे टक्कर ले सके सब एक साथ आकर अभियान चलाकर प्राचीन अच्छी सभ्यता का विस्तार नही कर सकते थे लेकिन ये देश अपने फायदे के लिये उन्ही देशो का हौसले बढाते हैं जो सबसे नीछ प्रवृत्ति के देश हैं । बाद में इन्ही कि एक गलती कि बजह से सबको कष्ट भुगतना पडता है। द्वितीय विश्व युद्व के बाद तुरन्त एक संस्था का जन्म हुआ कि दोबारा अब ऐसा विनाशकारी युद्व न हो लेकिन कुछ दिन बाद हम फिर भूल गये यूएनओ में केश चल ही रहे सत्तर सत्तर सालो से निपटा ही नही पा रहे जैसे भारत पाक्स्तिान विवाद एक दिन ऐसा आयेगा जब परमाणु बम पटकेगे दोनो देश तब यूएनओ के कान खुलेगे बडे-बडे देशो कि आखें खुलेगी जगह जगह धर्म के नाम पर पूरा कि पूरा देश ही खाली हो गया हो कितना अत्याचार हुआ होगा यहां भी ये देखते रहे ये सब बडे देश खुद पर पाबंदी लगाकर फिर लोगो को उस मार्ग पर चलने कि सलाह नही दे सकते क्या। अगर ऐसा नही तो ये बडी शर्म कि बात है। प्रकृति, पृथ्वी और मानव प्रजाति को विध्वंश करने का पूरा श्रेय इन बडे-बडे देशों को ही जाता है। कुछ समय पहले संकेत थे अब धीरे-धीरे ये भयानक होते चले जायेगें। अगर अब प्रकृति कि आखिरी चेतावनी नही समझे तो बहुत भयानक परिणाम आयेगें कृपया करके प्रथ्वी को बचा लें। इस महामारी के बाद सब एक साथ आये खुद प्लानिंग करे खुद एक्शन लें और जल्दी । ये बडी-बडी संस्थायें कोई काम कि नहीं




The nature that made all this world, air, water, animals, humans, nature all gave us free, but never gave anything to what we did. Today, when we get stuck in trouble, we must surely remember nature and the misdeeds done by us. We must have understood many years ago, we are human, nature is greater than us, but we have destroyed ourselves in the circle of becoming God and have left what was left today. Nothing in the earth, whatever is left is also being eaten by human beings, perhaps we only think about ourselves, we have no meaning with anyone, we have no meaning with the nature that made us today, if there is anything with your family members. If you do wrong, then you become eager to take revenge for years, in the same way, if we protect our nature as our family, then this not does not come today. They are related to ray, but we are not ready to believe even after knowing that the trade of animals was going on for many years. I do not believe that they were made by nature for beauty, but we exploited them along with their trade today. We are on the verge of ending and wherever there is blue and black water, we have also exploited it, which is the country that makes big institutions, the most exploitative in the future. They are true. If America, India, France, England, Russia, Italy wanted this big country, could not it be all right, could not compete with any country, they could come together and expand the ancient good civilization by campaigning But these countries, for their own benefit, encourage those countries which are the countries with the lowest tendencies. Later, everyone has to suffer due to a mistake. Soon after the Second World War, an organization was born that there should not be such a disastrous war again, but after a few days, we have again forgotten that the UNO is not able to deal with the ongoing seventy-seven years like the India-Pakistan dispute will come one day. When both countries will fire atomic bombs, then the ears of UNO will be opened in the big countries, in the name of religion, in the name of religion, the whole country has become empty. Will come here they see are all these big countries banned here by the people of what can go on the path that advice was not. If not, then it is a matter of great shame. Full credit goes to these big countries for destroying nature, earth and human species. Some time ago there were signs, now slowly they will continue to become terrible. If you do not understand the last warning of nature then you will have very terrible results, please save the earth. After this pandemic, everyone came together to plan and take action and fast. These big institutions are of no use


Природа, которая сотворила весь этот мир, воздух, воду, животных, людей, природу, дала нам свободу, но мы ничего не дали тому, что мы сделали. Сегодня, когда мы попадаем в беду, мы обязательно должны помнить природу и совершенные нами проступки. Мы, должно быть, много лет назад поняли, что мы люди, природа больше нас, но мы разрушили себя в кругу становления Богом и оставили то, что осталось сегодня. Ничто на земле, все, что осталось, также съедается людьми, возможно, мы думаем только о себе, мы не имеем никакого значения ни с кем, у нас нет никакого смысла с природой, которая сделала нас сегодня, если есть что-то с членами вашей семьи. Если вы поступаете неправильно, вы начинаете жаждать мести годами, точно так же, если мы защищаем нашу природу как нашу семью, то этот вопрос не приходит сегодня. Они связаны с лучами, но мы не готовы верить, даже зная, что в течение многих лет торговля животными продолжалась. Мы находимся на грани конца, и там, где есть голубая и черная вода, мы также эксплуатируем ее, поскольку именно эта страна делает крупные институты наиболее эксплуатируемыми в будущем. Они настоящие. Если бы Америка, Индия, Франция, Англия, Россия, Италия, Китай хотели эту большую страну, не могли бы быть в порядке, не могли конкурировать с какой-либо страной, они могли бы объединиться и расширить древнюю добрую цивилизацию, проводя кампании Но эти страны в своих интересах поощряют те страны, которые являются странами с самыми низкими тенденциями. Позже все должны страдать из-за ошибки. Вскоре после Второй мировой войны родилась организация, которая не должна была снова вести такую ​​катастрофическую войну, но через несколько дней мы снова забыли, что ООН не в состоянии справиться с продолжающимися семьдесят семью годами, как однажды возникнет конфликт между Индией и Пакистаном. Когда обе страны будут запускать атомные бомбы, тогда уши ООН будут открыты в больших странах, во имя религии, во имя религии вся страна опустела. Придем сюда они видят все эти большие страны запретили здесь люди, что может пойти по пути, что совет не был. Если нет, то это великий позор. Этим крупным странам отдают должное за уничтожение природы, земли и человека. Некоторое время назад были признаки, теперь медленно они будут продолжать становиться ужасными. Если вы не понимаете последнее предупреждение природы, то у вас будут очень ужасные результаты, пожалуйста, спасите землю. После этой пандемии все собрались вместе, чтобы спланировать и принять меры и быстро. Эти большие учреждения бесполезны

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तोसे नैना लागे ,पिया संावरे । 
तोसे नैना लागे ,पिया संावरे ।।
नहीं बस में अब ये जिया सावरें,।
मोहब्बत तो इक जावेदां जिंदगी है।।


मैं पेपर देकर आ रहा था घर जैसे ही काॅलेज के बाहर आया उसने पीछे से आवाज दी और मैं रूक गया और मेरे दिल कि धडकन तेज चल रही थी,या धीमी मैं अनुमान नहीं लगा पा रहा था, मुझे याद है जब मैने उससे अपने मन कि बात बोली तब उसने बोला इतने दिन बाद क्यों बोला अचानक क्यों ?????


समां को पिघलने का अरमान क्यूॅ हैं।
पतंगो केा जलने का अरमान क्यूॅ है।।
इसी षौक का इम्तिहां जिदंगी है।




जब आखिरी समय बचा काॅलेज का फिर मैं काफी दिनों तक ये सोचता रहा कि यही से पोस्ट ग्रेजुएशन कर लूॅ समय मिल जायेगा आगे ,हां तो उसने मुझे आवाज दी कि कहां घर जा रहे हो मैने कहां हंा मै बाइक से जाता था उसका पेपर था उर्दू का सेन्टर वही गया था जहां का मैं था तो मैने कहा इससे अच्छी बात करने के लिये और कोई समय ठीक नही मै अन्दर ही अन्दर खुश हो गया किन्तु उसके साथ उसकी एक फ्रैंड भी आयी अब दो लोग हो गये फिर मैं जाना हुआ वहां से और काॅलेज से 20 किमी0 दूर ही सेण्टर था। पेपर का उसका उस बीच मैने जो बातचीत कि शायद वो मुलाकात ही आखिरी थी।
हम खुल कर बात नहीं कर पाये उस समय उसकी जो फ्रेंड थी वो भी मेरे ही क्लास कि थी । जब मै उन दोनो को बाइक पर ले जा रहा था तब मै बहुत अच्छा अनुभव कर रहा था। ( मैं बहुत खुश था पहली बात किसी लडकी ने कंधे पर हाथ रखा था गाडी तेज चलाने पर वो भी खुश थी शायद ) 
आगे हमारे भाई के दोस्त मिल गये काॅलेज से पांच किमी0 पहले मैने समझ नहीं पाया वो हैलमेट लगाये थे, फिर गाडी नम्बर देखा और उन्होने हैलमेट हटाया मैं हैरान रह गया फिर उन्होने इनजोआये बोलते हुए आगे निकल गये।
मैने उन दोनो को सुरक्षित पेपर सेन्टर पर छोडा और मैने पूछा कितने बजे पेपर छूटेगा उसने कहा पांच बजे मेरे दिमाग में पांच बजे का टाइम एकदम फीड हो गया घर गया हर जगह बस पांच बजे ही दिख रहा था मोबाइल अलार्म पांच बजे सबसे बोल दिया गाडी कोई मत छूूना जाना है। पांच बजे और जैसे ही पांच बजे मै निकला सीधे पेपर सेण्टर पहुचा वहां भीड-भाड थी मोबाइल तो उसके पास था नहीं पूछता कहां हो मैं बस उसी को देख रहा उसी लडकियां निकल रही मैं बस उसी को देख रहा उसी काॅलेज के बाहर जितनी भी दुकाने , टीचर थे सब मुझे जानते थे पूछ रहे और बेटा कैसे आना हुआ मै किसी कि नहीं सुन रहा मन ही मन बोल रहा भाड में जाओ और धीरे -धीरे सब निकल गये वो नहीं दिखी अब भाई मैं परेशान गाडी ,दिल दिमाग परेशान गाडी आगे पीछे करते - करते घुस गया काॅलेज के अन्दर वहां कोई नहीं मैने तुरन्त गाडी मोडी और रोड पर आ गया वहां चल रही थी पुलिस..........continue reading page 3

Tosse naina laage, piya samvare
Tose naina laage, piya samvare.
No, now these Jia Savarnas
Love is a life of life.

I was coming home with a paper. As soon as I came out of the college, he gave a voice from behind and I stopped and my heart beat was moving fast, or I could not guess it slow, I remember when I asked him He said that, then he said why after so many days why suddenly ?????

Why is the desire to melt the Samane?
Why is the desire to burn kites?
The life of this shock is life.


When I left the college for the last time, I kept thinking for a long time that I would get the time to do post graduation from this, yes, he gave me a voice that where I am going home, where I used to go by bike, his paper was Urdu. The center of the place had gone where I was, so I said no time to talk good about it and I was happy inside myself, but a friend of hers also came with her, now two people have become I went to the center and was 20 km away from the college. The conversation I had with him in that paper was probably the last meeting.

We could not talk openly, his friend at that time was also in my class. When I was taking both of them on the bike, I was feeling very good. (I was very happy the first thing was that a girl put her hand on her shoulder and she was also happy when the car was running fast).

My brother's friends got ahead five kilometers before the college. I could not understand that they had installed helmets, then saw the car number and they removed the helmets and I was surprised and then they went ahead by speaking with these people.


I left both of them at the safe paper center and I asked at what time the paper would be touched. He said, at five o'clock in my mind, the time of five o'clock was completely fed, the house went everywhere, it was only visible at five o'clock. Do not touch anything. At five o'clock and as soon as I got out at five o'clock, I reached the paper center directly there. There was a mobile phone, so he did not ask where you are, I am just looking at the same girls, I am just looking at the same number of shops outside the same college. , Everyone was a teacher, I was asking, and how did the son come, I am not listening to anyone, in my heart, go to the bard and slowly everyone has left, they did not see now, brother, I was upset, heart. Ag troubled car back and forth - to enter the colleges within the no I was going there soon came to train MODY and Road Police .......... continue reading page 3
Тосс наина лааге, пия самваре

Тосе наина лаге, пия самваре.
Нет, эти Цзя Саварнас в автобусе
Любовь это жизнь жизни.

Я возвращался домой с бумагой. Как только я вышел из колледжа, он дал голос сзади, и я остановился, и мое сердце билось быстро, или я не мог догадаться, что это медленно, я помню, когда я спросил его Он сказал это, затем он сказал, почему после стольких дней почему вдруг ?????

Почему возникает желание растопить Самана?
Почему желание сжигать воздушных змеев?
Жизнь этого шока - это жизнь.


Когда я ушел из колледжа в последний раз, я долго думал, что у меня будет время, чтобы закончить аспирантуру, да, он дал мне голос, что, когда я еду домой, где я раньше ездил на велосипеде, его работа была на языке урду. Центр того места, где я находился, ушел, поэтому я сказал, что некогда говорить об этом лучше, и я был счастлив внутри себя, но вместе с ней пришла ее подруга, теперь два человека стали Я пошел в центр и был в 20 км от колледжа. Разговор, который я имел с ним в той газете, был, вероятно, последней встречей.

Мы не могли говорить открыто, его друг в то время тоже был в моем классе. Когда я брал их обоих на велосипеде, я чувствовал себя очень хорошо. (Я был очень счастлив, во-первых, девушка положила руку ей на плечо, она также была счастлива, когда машина быстро бегала).

Друзья моего брата продвинулись вперед за пять километров до колледжа. Я не мог понять, что они установили шлемы, затем увидел номер машины, и они сняли шлемы, и я был удивлен, а затем они продолжили разговор с этими людьми.


Я оставил их обоих в центре безопасной бумаги и спросил, в какое время к бумаге дотронуться. Он сказал, что в пять часов, в моем сознании, время пяти часов было полностью накормлено, дом ходил повсюду, он был виден только в пять часов. Не трогай ничего. В пять часов, и как только я вышел в пять часов, я добрался прямо до бумажного центра, там был мобильный телефон, поэтому он не спросил, где вы, я просто смотрел на тех же девушек. Все были учителем, я спрашивала, а как появился сын, я никого не слушаю, в душе ухожу к барду и постепенно все ушли, они не увидели, брат, я расстроилась, сердце. Ag смутили автомобиля вперед и назад - чтобы войти в колледжи в пределах нет, я собирался в скором времени пришел поезд Моди и дорожной полиции .......... читать дальше стр.3
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           True love story
                                                     2015&2016
                                         written 04&12&2019@2%51pm

इक प्यार का नगमा है, मौजो की रवानी है ।

दोस्तों ये कहानी स्वयं मेरी है, ये कहानी शुरू होती है। जब मैे ग्रेजुएशन कर रहा था। पहली साल तो अच्छा गया दूसरी साल एक दोस्त मिला जो गर्ल फ्रेडस जैसे शौक रखता था। वह मेरा पक्का वाला दोस्त बन गया और आज तक है और धीरे -धीरे मुझे भी शौक होने लगा कि मेरी भी एक गर्ल फ्रेडस होनी चाहियेे और मैं उसे काॅलेज में उसे बात करते देखता था फिर फोन पर देखता था। बात करते हुए बहुत खुश लगता था  क्या है ये जिसे देखो लगा है फिर मुझे भी लगने लगा कि अब पक्का मुझे भी एक गर्ल फ्रेडस बनानी है।

मैं यहां ,मैं वहां, चाहे, जाउ जहां।
पूछता है ,ये दिल ,तू कहां -तू कहा।।



और मैं देखने लगा काॅलेज में कौन अच्छी मेरे टाइप कि कोई लडकी हो, होता है न पहली बार जब कुछ नया करो बडी भडभडाहट होती है,वही मेरे साथ हो रहा था । कॅालेज में ही एक पांच लडकियों का ग्रुप था जिसमें से मैने दो लडकियों को देखा दोनो मुझे अच्छी लगती थी लेकिन चुनना एक को था । मुझे 6 महीने लग गये एक लडकी को चुनने में और अगली साल ग्रेजुएशन कि अन्तिम थी। मुझे देखती दोनो लडकी थी किन्तु मेरी हिम्मत नहीं होती थी बात करने कि कुछ दिन बाद तो कन्फयूज हो गया किससे बोलू दोनों में से फिर मैने निश्चय किया कि एक लडकी थी। सुन्दर सी उसकी सुन्दरता ऐसी मानो सूरज रोज उसे ही देखने के लिये निकलता हो ,समुद्र कि लहरे सिर्फ उसे ही छूने कि कोशिश करती हो ,उसके होठ ऐसे जैसे गुलाब कि पत्तियां ,आंख ऐसी जैसे नीली मछलियां,दिल ऐसा जैसे समुद्र में हर चीज सहने कि सहन शीलता एक दम साफ दिल इस तरह सात महीने बीत गये। फिर पेपर आ गये मैने आखीरी पेपर में उसे अपने दिल कि बाते हिम्मत करके बोल दिया और उसने मेरी अर्जी पर मुहर लगा दी।..........continue reading page 2


Ik is the Nagma of love, the cry of Maujo.
Life is nothing but your story.

Friends, this story is my own, this story starts. When i was doing graduation The first year went well, the second year found a friend who had hobbies like Girl Friend. He became my best friend and to this day, and gradually I also started getting fond of that I should also have a Girl Friend and I used to see him talking in college and then used to see him on the phone. While talking, I used to feel very happy that what I have seen, then I also felt that now I too have to make a Girl Friend

I am here, I am there, I want to go where.
He asks, Ye heart, where are you?


And I started to see who is the best girl of my type in the college, it is not for the first time that when something new is going on, it was happening to me. There was a group of five girls in the college itself, out of which I saw two girls, both of whom I liked but one had to choose. It took me 6 months to choose a girl and the next year graduation was final. Both of the girls looked at me, but I did not have the courage to talk that after a few days, I got confused by whom to speak, both of which again I decided that there was a girl. Beautiful as if its beauty is like the sun comes out to see it every day, the sea only tries to touch it, its lips are like roses, eyes like blue fish, heart like everything in the sea That seven months passed like this with a clear heart. Then the paper arrived, I dared to speak my heart in the last paper and he confirmed my application.



Ик - это нагма любви, крик Маухо.
Жизнь - это не что иное, как твоя история.

                  
Друзья, эта история моя, эта история начинается. Когда я делал выпускной Первый год прошел хорошо, второй год нашел подругу, которая увлекалась девушкой Фредес. Он стал моим лучшим другом и по сей день, и постепенно я также начал увлекаться тем, что у меня должна быть девушка Фредс, и я видел, как он разговаривает в колледже, а затем по телефону. Во время разговора я чувствовал себя очень счастливым от того, что видел, потом я также чувствовал, что теперь мне тоже нужно сделать девушку Фредс.


Я здесь, я там, я хочу пойти куда.
Он спрашивает, сердце твое, где ты?


И я начал видеть, кто является лучшей девушкой моего типа в колледже, это не первый раз, когда происходит что-то новое, это происходит со мной. В самом колледже была группа из пяти девушек, из которых я видел двух девушек, которые мне нравились, но одну пришлось выбирать. Мне потребовалось 6 месяцев, чтобы выбрать девушку, и в следующем году выпускной был окончательным. Обе девушки смотрели на меня, но у меня не хватило смелости говорить, что через несколько дней меня смутило, с кем говорить, и я снова решил, что есть девушка. Прекрасно, как будто его красота подобна солнцу, которое появляется каждый день, море только пытается коснуться его, его губы - как розы, глаза - как голубая рыба, сердце - как все в море Вот так прошло семь месяцев с чистым сердцем. Потом пришла газета, я осмелился высказать свое сердце в последней газете, и он подтвердил мою заявку.
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शर्म आनी चाहिये बडी-बडी एजेन्सियों को बडे-बडे विकसित व विकासशील देशों को कि क्या इस तरह कि महामारी पहली बार हुई है इसका जबाब है नही 2003 सार्स, 2012 मैर्स, 2020 कोरोना क्या है ये सब और सच्चाई तो ये है कोरोना के खात्मे के बाद इससे बडी समस्या आने वाली है ओजोन परत भी जल्द ही जबाब देने वाली है, और आधी दुनिया से पानी का तो खात्मा हो ही गया और प्रकृति को तो हम धीरे-धीरे खा ही गये। लेकिन विकासशील देश आंख बन्द कर विकास करने में लगे हैं विकसित देश आंख बन्द कर और विकसित होने में लगे हैं, क्या करोगे ऐसा करके जब पृथ्वी ही नही रहेगी बडी-बडी एजेन्सियां मानवधिकार कि बात करती हैं क्या करोगे मानवाधिकार का जब उन्हे चलाने वाली प्रकृति का नाश हेा रहा है, हमारी पृथ्वी पर आधे से ज्यादा हिस्से पर मांस को भेाजन के रूप में उपयोग किया जा रहा है जो विचारे निर्दोष जानवर हैं। अगर हम खेती और पानी के लिये काम करते तो आज सफल हो गये होते कोई न कोई रास्ता निकल ही आता सब खुश होते सबके पास रोजगार होता । उन जानवरो का भेाजन के रूप में सेवन हो रहा जिनका प्रकृति से सीधा सम्बन्ध हैं, वो नही तो कुछ नहीं ,कुछ लोग मांस खाना अपना धर्म बताते हैं कहते हैं हमारेे धर्म में लिखा है लाखों करोडो जानवर मक्का में कुरवान कर दिये जाते हैं कौन सा धर्म है ये क्या इन्सान अपना विवेक खेा चुका है कि वह अपने विवेकानुसार कुछ सोच भी नही सकता ऐसा कैस्ेा हो सकता है जानवर कुर्वान करने से हम खुश कैसे रह सकते हैं और अब तो मासूम जानवर भी खाने लगे ऐसा क्यो हुआ क्योकि बडी-बडी संस्थाओं ने अपने फायदे के लिये प्रथ्वी का सर्वनाश कर दिया है सब संस्थाओ को मिलकर पहले प्रकृति को सुरक्षित करना चाहिये। पृथ्वी नीले से काली होती चली जा रही फिर भी हम रूक ही नही रहे आखिर क्या हो गया है हमें , प्रथ्वी के समस्त देशों को एक साथ आना चाहिये और धर्म का हवाला देकर कुकर्म करने वाले लोगो को सख्त कार्यवाही करे हमें ऐसे लोगो कि जरूरत नही सनातन संस्कृति में हर रोग के बचाव का रास्ता है क्योकि यह अपने आप मंे विरली और प्रचीन है लेकिन हम उसे धर्म से जोड देते हैं, आखिर क्यों सरकारी नौकरी के लिये तो सब किताबे पढते हो अपने फायदे के लिये तो जिस ग्रन्थों में अच्छा लिखा है उसे समाज कल्याण के लिये अपनाने पढने में क्या दिक्कत अगर कोई पढता भी है तो किसी का धर्म खतरे में आने लगता है तो किसी कि राजनीति कि रोटियां सिकनी बन्द हो जाती है। बडे-बडे विकसित,विकासशील,संस्थायें से मेरी दिल से गुजारिस है कृपया पृथ्वी को बचाने में सख्त कदम उठाये जो देश सहमत न हो उसे समझाये फिर भी न माने उसे नक्शे से हटाये नही तो ये पूरी पृथ्वी को ले डूवेगें। एक कि गलती के कारण सबको कष्ट भेागना पड रहा है।

Shame on big agencies and big developing countries, whether this kind of epidemic happened for the first time is not the answer. After this a big problem is going to come, the ozone layer is also going to answer soon, and the water has been eradicated from half the world and we have slowly eaten up nature. But developing countries are starting to develop blindly, developed countries are blindly and developing, what will you do by doing this when the earth will no longer be the big agencies talking about human rights, what will they do when the nature of human rights drives them Is destroying, over half of our earth, flesh is being used as a food, which are innocent animals. If we had worked for agriculture and water, we would have been successful today, everyone would have been happy if there was some way out. Those animals are being consumed as food, which are directly related to nature, they are nothing or not, some people say that eating meat is their religion. It is written in our religion that millions of animals are sacrificed in Mecca. What religion is this? Has man played his conscience that he cannot think anything according to his discretion? How can we be happy by sacrificing animals and now Micro innocent animal to eat in a way why was because Buddy-Buddy institutions did destroy the earth for our benefit all institutions should protect nature together before. The earth is moving from blue to black, yet we are not stopping. What has happened, all the countries of the earth should come together and take strict action against those who commit misdeeds by citing religion, we do not need such people In Sanatan culture, there is a path to the rescue of every disease because it is rare and ancient in itself but we connect it with religion, why all the books for government jobs? Read it for your benefit so well written in the scriptures what her reading adoption of the social welfare problem if someone reads seems to have any religion be at risk then stops any politics that bread Sikni. My heart goes out of the large, developed, developing institutions, please take strict steps to save the earth, if the country does not agree with it, do not accept it or remove it from the map, otherwise it will take over the whole earth. One is suffering due to mistake.

Позор крупным агентствам и крупным развивающимся странам за то, что такая эпидемия произошла впервые, не является ответом. После этого возникнет большая проблема, озоновый слой также скоро ответит, и вода была уничтожена из половины мира, и мы постепенно съели природу. Но развивающиеся страны начинают слепо развиваться, развитые страны слепо и развиваются, что будет делать Земля, когда ее не будет, крупные агентства говорят о правах человека, что они будут делать, когда ими движет природа прав? Уничтожает, более половины нашей земли, мясо используется как пища, которые являются невинными животными. Если бы мы работали на сельское хозяйство и водоснабжение, мы были бы успешны сегодня, все были бы счастливы, если бы был какой-то выход. Эти животные употребляются в пищу, которые имеют прямое отношение к природе, они ничто или нет, некоторые люди говорят, что есть мясо - это их религия. В нашей религии написано, что миллионы животных приносятся в жертву в Мекке. Что это за религия? Разве человек играл своей совестью, что он ничего не может думать по своему усмотрению? Как мы можем быть счастливы, жертвуя животными, и теперь Micro невиновное животного, чтобы поесть в пути почему, потому что дружище институты действительно уничтожить Землю для нашего блага всех учреждения должны защищать природу вместе прежде. Земля движется от синего к черному, но мы не останавливаемся. Что случилось, все страны земли должны собраться вместе и принять жесткие меры против тех, кто совершает проступки, ссылаясь на религию, нам не нужны такие люди В культуре Санатана есть способ предотвратить любую болезнь, потому что она редкая и древняя сама по себе, но мы связываем ее с религией, поэтому вся книга для государственной работы Прочитайте это в вашей пользу, так хорошо написано в Писании, что ее чтение принятия проблемы социального обеспечения, если кто-то читает, кажется, есть какая-либо религия в опасности, то останавливает никакой политики, что хлеб Sikni. Мое сердце уходит из больших, развитых, развивающихся институтов, пожалуйста, примите строгие меры по спасению Земли, если страна не согласна с этим, то не принимайте это или не снимайте с карты, иначе это займет всю Землю. Один страдает из-за ошибки.


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कोरोना वाइरस मानव स्वयं जिम्मेदार 

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भारतीय दर्शन से दूरी का नतीजा है कि आज सम्पूर्ण पृथ्वी पर संकट में है। भारतीय संस्कृति सर्वे भवन्तु सुखिनः का दर्शन रखती है। यहां स्वामी विवेकानन्द नर सेवा नारायण सेवा का बोध कराते हैं। पृथ्वी, औषधि,वनस्पति, सहित सम्पूर्ण विश्व में शान्ति स्थापित करने के मंत्रोच्चारण हम प्रतिदिन करते हैं। शाकाहार, को प्रेरित करती हमारी संस्कृति मानो कई प्रश्नों का उत्तर स्वयं ही है। हस्त, मुख, पाद-प्रक्षालन,नमस्ते,शाकाहार,रसोई में स्नान के बगैर न जाना ,जूते पहन कर घर में न जाना मानो सम्पूर्ण हीईजीन अर्थात स्वास्थ्यवृत कर ही प्रतीक है।

विश्व कि प्राचीनतम चिकित्सा पद्वति आयुर्वेद तो अपने प्रयोजन में ही स्वस्थ के स्वास्थ्य कि रक्षा को प्रथम व रोगी के रोगोन्मूलन को द्वितीयक कहती है। हमारे संहिता ग्रन्थों में वर्णित दिनचर्या,रात्रिचर्या, ऋतुचर्या का विशद वर्णन हमें स्वस्थ्य रखने को पर्याप्त था लेकिन हम प्रकृति से विमुख होते गए तथा उससे खिलबाड करने लगे। महात्मा गांधी ने भी कभी कहा था कि प्रकृति जरूरते तो सभी कि पूरी कर सकती है। लेकिन तृष्णा एक कि भी नही आज हमने सम्पूर्ण पारिस्थिति तंत्र को गडबडा के रख दिया है। बढते शहरीकरण ने अपार गंदगी समेत कई समस्यायें खडी कर दी हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर खरी उतरती हुई हमारी संस्कृति विश्व में श्रेष्ठतम हैं।

आयुर्वेद में भी वर्णित है कि रोग साध्य, असाध्य व कृच्छ साध्य होते हैं। लेकिन इन महामारियों के लिये शायद मानव स्वयं भी कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी है।
                                                                                            डा मनोज कुमार शर्मा



The result of distance from Indian philosophy is that the whole earth is in crisis today. The Indian Culture Survey holds the vision of Bhavantu Sukhinah. Here Swami Vivekananda narrates Nara Seva Narayan Seva. Every day we chant mantras to establish peace in the whole world including earth, medicine, vegetation. Vegetarianism inspires our culture as if the answer to many questions is itself. Hand, mouth, foot-bleaching, namaste, vegetarianism, not going to the kitchen without bathing, not wearing shoes or going to the house as if the whole eigen is a symbol of healing.

The oldest medical system of the world, Ayurveda, in its own purpose, calls for the protection of the health of the healthy first and the eradication of the patient as secondary. A detailed description of the routine, nightlife, and seasonal diet described in our Samhita texts was enough to keep us healthy, but we became disenchanted with nature and started playing with it. Mahatma Gandhi also once said that nature can fulfill all needs. But Trishna is not one, but today we have put the entire eco-system in place. Increasing urbanization has created many problems including immense filth. Our culture is the best in the world, living on a scientific perspective.

It is also described in Ayurveda that diseases are practicable, incurable and agricultural. But for these pandemics, perhaps the human self is somewhere directly or indirectly responsible.
    
Вирус короны человека ответственен

Результатом отдаленности от индийской философии является то, что сегодня вся земля находится в кризисе. Обследование индийской культуры содержит видение Бхаванту Сухины. Здесь Свами Вивекананда рассказывает Нара Сева Нараян Сева. Каждый день мы повторяем мантры, чтобы установить мир во всем мире, включая землю, лекарства, растительность. Вегетарианство вдохновляет нашу культуру, как будто ответ на многие вопросы сам по себе. Рука, рот, отбеливание ног, намасте, вегетарианство, не ходить на кухню без купания, не носить обувь или ходить в дом, как будто символизирует весь собственный мир.

Аюрведа, старейшая медицинская система в мире, называет себя первой, которая защищает здоровье здоровых и вторична по отношению к патологии пациента в своих собственных целях. Подробного описания рутины, ночной жизни и сезонной диеты, описанных в наших текстах на Самхите, было достаточно, чтобы сохранить наше здоровье, но мы разочаровались в природе и начали играть с ней. Махатма Ганди также однажды сказал, что природа может удовлетворить все потребности. Но Тришна не единственная, сегодня мы создали всю экосистему. Увеличивающаяся урбанизация создала много проблем, включая огромную грязь. Наша культура лучшая в мире, живущая с научной точки зрения.

В аюрведе также описывается, что болезни являются практически осуществимыми, неизлечимыми и сельскохозяйственными. Но за эти пандемии, возможно, человеческое я где-то прямо или косвенно ответственно.
   

prayagraj evening 5 o,clock shankhnad dhwani fight corona virus and doct...


दुनियाँ में भारत एकलौता राष्ट्र है 

जो लॉकडाउन में ताली, थाली के साथ पटाखे और ढोल भी पीट रहा है

मोदी जी जितना बोलेंगे जनता उससे चार कदम आगे का काम करेगी

हम देशवासियों का यह कर्तव्य  और जिम्मेदारी है कि जो हमारी रक्षा और सेवा करते हैं उनके भी जरूरतों और सेवा का ख्याल रखा जाये।
बहुत ही सुंदर और सार्थक संदेश इस वीडियो द्वारा।

# Covid19 के खिलाफ काम करने वाले एवं जनता कर्फ़्यू को सफल बनाने वाले सभी लोगों का ताली एवं थाली बजा के आभार व्यक्त किया।



It is the duty and responsibility of our countrymen to take care of the needs and service of those who protect and serve us. Very beautiful and meaningful message by this video. Thanked all the people who worked against # Covid19 and who made Janata curfew successful.

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