A vast collection of Poems, Articles, Short Stories, Lovely Quotes, personal finance, life finance and many more. I basically writes for social issues which can awake changes in society. U will be touched if u read them as my every creation is written by nomadsachin
problem solving blogs social and loves issues
जनता कर्फ्यू शुरू हो रहा है...9013151515 all india help
line and advicary number
मेरी विनती है कि सभी नागरिक इस देशव्यापी अभियान का हिस्सा बनें और कोरोना के खिलाफ लड़ाई को सफल बनाएं।
हमारा संयम और संकल्प इस महामारी को परास्त करके रहेगा।
कोरोना के भय से मेरे बहुत से भाई-बहन जहां रोजी-रोटी कमाते हैं, उन शहरों को छोड़कर अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं। भीड़भाड़ में यात्रा करने से इसके फैलने का खतरा बढ़ता है। आप जहां जा रहे हैं, वहां भी यह लोगों के लिए खतरा बनेगा। आपके गांव और परिवार की मुश्किलें भी बढ़ाएगा।
मेरी सबसे प्रार्थना है कि आप जिस शहर में हैं, कृपया कुछ दिन वहीं रहिए। इससे हम सब इस बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों पर भीड़ लगाकर हम अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कृपया अपनी और अपने परिवार की चिंता करिए, आवश्यक न हो तो अपने घर से बाहर न निकलिए।
In a few minutes from now, the #JantaCurfew commences.
Let us all be a part of this curfew, which will add tremendous strength to the fight against COVID-19 menace. The steps we take now will help in the times to come.
Stay indoors and stay healthy.
Our moderation and determination will be defeated by this epidemic.
Fearing Corona, many of my siblings leave the cities where they earn a living and are returning to their villages. Traveling in congestion increases the risk of its spread. Wherever you are going, it will also be a danger to people. Will also increase the difficulties of your village and family.
I pray that the city you are in, please stay there for a few days. With this, all of us can stop the disease from spreading. We are playing with our health by crowding railway stations, bus stands. Please worry about yourself and your family, do not leave your house if it is not necessary.
Давайте все будем частью этого комендантского часа, который придаст огромную силу борьбе с угрозой COVID-19. Шаги, которые мы предпринимаем сейчас, помогут в будущем.
Оставайтесь в помещении и будьте здоровы.
Наша трезвость и решимость победят эту эпидемию.
Опасаясь короны, многие из моих братьев и сестер возвращаются в свои деревни, где они зарабатывают на жизнь. Путешествие в пробке увеличивает риск его распространения. Куда бы вы ни пошли, это также будет представлять опасность для людей. Также увеличатся трудности вашей деревни и семьи.
Я молюсь, чтобы город, в котором вы находитесь, пожалуйста, оставайтесь там на несколько дней. При этом все мы можем остановить распространение болезни. Мы играем на здоровье, заполняя железнодорожные станции, автобусные остановки. Пожалуйста, беспокойтесь о себе и своей семье, не выходите из дома, если в этом нет необходимости.
आज मार्डन जमाने में हम इतना आगे निकल गये कि मुझे लगता है कि हम अब पुराने रिश्ते रखना ही नही चाहते हम जब हमारा जन्म हुआ तब हमें किसी और दुनिया का ज्ञान नही था लेकिन हम सिर्फ आंख खुलते ही अपने बडे से परिवार को देखकर हंसते थे शायद उस समय हमारी आंख उन सबको पहचानती थी बस हम बोल नही पाते थे इसका कुछ तो मतलब था ,जो आज हम नही समझ पा रहे जब भगवान ने हमे गिफट में इतना कुछ दिया था हमने उसमें भी मीन मेक निकाल दी इसके दो कारण हो सकते हैं एक तो ( हम, मैं ) के चक्कर में बडे अपना कर्तव्य नही निभा रहे ,छोटे अपना कर्तव्य नही निभा रहें। दूसरा कारण हमेशा बडे-बडे घरों केा सम्भालने कि जिम्मेदारी बडो पर होती है क्योकि सबसे बडे होने का भगवान द्वारा और उस परिवार द्वारा औदा दिया गया है , और लाभ भी सबसे बडे ही सबसे ज्यादा ले जाते हैं, ऐसे में बड़े -बड़े परिवार क्यों बिखर जाते हैं,इसका कारण बहुत स्पष्ट है, बडे अपने स्वार्थ के लिये हमेशा हर समय चुप रहे हैं न सही समय निर्णय लिये जाते है और उस समय पूरे घर को सम्भालने कि जिम्म्ेादारी अपने जीवन त्याग करने से पहले बडो को सौप कर चले जाते है उस समय बडो का नैतिक कर्तव्य था। इसका परिणाम होता है असमय अपने ही हाथेंा अपनो को मार लेना लेकिन यह कटू सत्य हम स्वीकार नही कर सकते जरा सोचने कि जरूरत हैं हम छोटी सी कहानी के तौर पर आपको समझाने कि कोशिश करूगां आप पांच भाई हैं यह सच है सब सुख समृद्व नही हो सकते, ये भी प्रकृति का नियम है लेकिन अगर वह गरीब और तकलीफो में मरता हैं तो इसका दोषी भी वही परिवार के लोग हैं यह भी सत्य है क्यों कि हमारी सफलता में उसका बहुत बडा योगदान होता है हम पीछे मुडकर उस ओर कभी देखते ही नही उस असफल व्यक्ति को अपवाद समझ लेते हैं असलियत में आप शान्त बैठकर सोचे तो आपकी सुख समृद्व ही उसी कि बजह से हां पांच लोगो में सोच सबकी अलग-अलग हो सकती है कुछ तुरन्त निस्वार्थ फैसले देते हैं घर कि खुशियों के लिये कुछ सिर्फ अपने ही घर को खाने के चक्कर में सिर्फ स्थिति को अपने फायदे अनुसार घुमा के रखते हैं, ये भी सच है मरता भी जल्दी बही कमजोर आदमी है जिसके मरने का सम्पूर्ण श्रेय बडो पर ही जाता है , असलियत में फिर मरने वाले परिवार के परिवार का क्या होता है अगर उसका लडका है तो ठीक अगर लडकी है तो उसके बारे में दिमाग लगाते है कि अब क्या होगा फिर हम घर में गन्दी राजनीति शुरू कर देते हैं और मुहं छिपा के भागने कि प्लानिंग करते हैं क्या अपनी लडकी के साथ ऐसा कर सकते थे , उसकी जिम्मेदारी का कोई दायित्व नही ,पता क्या होता इनको सिर्फ अपने नये परिवार से मतलब हो जाता है ऐसे समय में इन घर के मुखिया को सोचना चाहिये क्या ऐसा घिनौना कार्य अपने स्वयं के बच्चों के साथ कर सकते हैंे क्या, मै ऐसा क्यो बोल रहा इसलिये क्योकि ऐसे लोग अपने तरक्की के नसे में अपना घर तो बना लेते हैं लेकिन कभी जिन्होने अपना अलग घर बसाने से पहले अपने भाइयो के बारे में भी एक पल सोचा होता उनका क्या होगा तो आप भगवान बन गये होते सब यही कहते मैने भगवान को तो नही देखा लेकिन मेरे परिवार में जरूर भगवान हैं। लेकिन क्यों सोचे हमारी तो अच्छे से कट रही सोचो जरा अगर मरने के बाद कही आपके पुराने लोग मिले फिर क्या होगा जो जिम्मेदारी सौपते हुए अपने शरीर का सुकून पूर्वक शरीर का त्याग किया होगा क्या बताओगे हमने सब कुछ छीन कर ,घर बर्बाद करके आनन्द कि काट कर आये हैं। ये नही सोचा हमारे द्वारा जो गन्दी फसल वहां वो कर रख दी है उसको काटे बगैर भाग गये उसका वहां क्या परिणाम होगा कभी नही सोचता कोई हम बडे चीजो को हथया के बैठ जाते हैं, फिर अपनी फायदे के लिये उसका उपयोग करते हैं, हम फिर जरूरत के अनुसार अपनो कि मदद नही कर पाते हम अपनी जरूरतो के लिये उनका उपयोग करने लगते हैं। इसका परिणाम बहुत भयानक होता है जीवन भर भाई-भाई जुदा रहते हैं, आज कल सबसे बडी समस्या रहती जमीन के चक्कर में लडाइ्रयां जिसकी बजह से आने वाली पीढियों तक में हम मतभेद कर के चले जाते हैं, हो सकता है आपकी अच्छे से कट जाये लेकिन आने वाले लोग जो वह भी आपका खून है आपस में लडते हैं बडो को समय रहते ये सब अपने आंखेंा के सामने ही हल कर देना चाहिये नहीं तो महाभारत कि तरह सर्वनाश हो जाता है घर का इसमे स्वयं अपने भी नही बचते बडो को इस ओर भी ध्यान देना चाहिये। जिससे उनका परिवार आंतरिक और बाहरी दोनो तरफ से सुरक्षित रहें।
धन्यवाद
Today, in modern times, we have gone so far that I feel that we do not want to keep old relationships anymore, when we were born, we did not have knowledge of any other world but we used to laugh at our family just by opening their eyes. Perhaps at that time our eyes used to recognize all of them, just we could not find hair, it meant something, which today we are unable to understand when God gave us so much in our gifts, we have also made meme Ikal can be also be two reasons're playing so (we, I play no major duty trips), small is not your duty. The second reason is always the responsibility of taking care of the big houses because the eldest has been given by God and by that family, and the benefits are also taken away by the eldest, so why big families The reason for this falls apart, the reason for this is very clear, the elders have always been silent for their selfishness at all times, nor are the decisions taken at the right time and the responsibility of maintaining the entire house at that time Before sacrificing his life, he surrenders to the elder and goes at that time it was the moral duty of the elder. The result is untimely killing your own hands, but we cannot accept this harsh truth. Just think that we need to try to convince you as a short story that you are five brothers. It is true that all happiness is not prosperous. It is also a law of nature, but if he dies in the poor and in trouble, then the people of the same family are guilty of this, it is also true that he has a huge contribution in our success. Looks like we never look back and never see that unsuccessful person as an exception. In fact, if you think in peace, then your happiness is prosperous, because of that it is possible that thinking among the five people can be different. For the happiness of the house, some people only keep rotating the situation according to their own benefit in the matter of eating their own house, it is also true that a person who dies too early is a weak man The entire credit for his death goes to the elder, in reality, what happens to the family of the dying family, if it is a boy, then if it is a girl, then they think about what will happen now, then we start dirty politics at home Let's do it and planning to run away in secret, could we do this with our girl, there is no responsibility for her responsibility, do not know what would happen to her only her new family It means that at such a time, the head of these houses should think whether they can do such disgusting work with their own children, why am I saying this because such people would have built their own house in the vein of their progress? But who would have thought a moment about their brothers before settling their separate house, what would happen to them if you had become God, I would have said that I have not seen God but Of course God for my family. But why think of us being so well cut, just think that if you get old people after death, then what will happen, who would have relinquished their body while handing over the responsibility? Have come by cutting Did not think that the dirty crop that we have put there, ran away without cutting it, what will be the result there, never thinks that we sit down with big things, then use them for our benefit, then we If we are unable to help you according to our needs, we start using them for our needs. The result is very terrible, brothers and brothers remain separated throughout life, nowadays, the biggest problem is the girls in the circle of the land, in which we go away from differences in the coming generations, it may be cut off from you. But the people who come, that is also your blood, fight among themselves, the elders should solve all this in front of their eyes in time, otherwise the apocalypse like Mahabharata is done in the house. Does not own avoids elders should pay attention to this side. So that his family is protected from both the internal and external sides.
आज मुझे एक विचार आया उस पर मैने बहुत मनन किया मैं यह निष्कर्ष पर पहुंचा कि आज हर आदमी परेशान क्यों सही दिशा मार्ग दर्शन मिल क्यों नही रहा शायद आप हमारी बात से सहमत न हो तो आप क्या सोचते है अपने अपने विचार हमे बता सकते हैं, ,एक शब्द है सैक्स सोचो अगर सैक्स एक हार्ड सर्जरी कि तरह एक मजबूरी होती तो क्या होता लोग रोज-रोज तो सर्जरी करते नही ,करते सिर्फ जीवन में एक बार प्लान बनाते बहुत सोचकर समय निकालते खानदान चलाना है एक बार सैक्स ैमग कर लो और मुक्त हो जाओे, लोगो के प्रति sexual relationship, sexual abuse multifandom, sexual assault ted talk,अट्रेक्शन,रेप, रिलेशन,पावर प्ले सब बन्द हो जाता कहे तो ये दुनिया ही बदल जाती रिश्तो कि बुनियाद ही कुछ और होती आप खुद इसे सुन शॉक हो गये होगे।
आज हम स्पेस,ब्रहमांड,दुनिया के बारे में सोचते हैं ये आम आदमी की सोच के परे है जिसको इस क्षेत्र पर जाना ही नही वह भी आज स्पेस ब्रहमांड दुनिया के बारे में सोच रहा है और प्रकृति ने पहले ही हमे स्पेसब्रहमांड दे रख्खा दिमाग के रूप में हम अपने दिमाग रूपी ब्रहमांड को सम्भाल नही पा रहे और स्पेस ब्रहमांड दुनिया के बारे में ज्यादा सोच रहे यही कारण भी है हम सन्तुलन नही बना पा रहे। हमारे दिमाग रूपी स्पेस में खलल हो गया है लोग विचारो में घुसकर उसे मिसिंग करने में लगे हैं, लागू करते ही नहीं आज बहुत से लोग अकेले रहना पसन्द करने लगे है और यह धीरे-धीरे बढ ही रहा है क्यों क्योकि वो लोग जो अकेले रहना पसन्द करने लगे हैं वह अब नही चाहते कि कोई उनके विचारो में घूसे खलल पैदा करें या कमजोर करें। दिमाग से वह अकेला रहना चाहते हैं।
Today I got an idea, I meditated on it a lot, I came to the conclusion that why every person is upset today why not getting the right direction, maybe if you do not agree with us, then you can tell us what you think. ,, There is a word Sachs Think if sex was a compulsion like a hard surgery, what would happen if people do not do surgery every day, but only after planning a lot in life Time has to be run by the family, once you start sex and get rid of it, if you have sex with regard to people, rape, relation, power play is all stopped, then this world would change and the relationship would be the foundation of something else itself. You must have been listening.
Today we think about the space universe, the world, it is beyond the thinking of the common man, who does not have to go to this area, he is also thinking about the space universe today and nature has already given us space brahmands of mind. As we are not able to take care of the brahmand in our mind and thinking more about the space universe universe, this is also the reason why we are not able to make balance . Our mind has been disturbed in the space, people have started to enter into thoughts and miss it, not applying, many people today like to be alone and it is gradually increasing because those people who remain alone He has started liking now that he does not want anyone to disturb his thoughts or weaken him. Out of mind, he wants to be alone.
योजना शब्द आपने बहुत बार सुना होगा कोई बडी बात नही आज हम आपको भारतीय राज्यों में अलग-अलग राज्यों में मुख्यमंत्री द्वारा शुरू कि गयी कुछ योजना के बारे में बतायेगे जो अभी तक कि सबसे अलग सोच रखने वाली अलग हट कर स्मार्ट काम करने वाले मुख्यमंत्री द्वारा संचालित योजनाओं से परिचित कराउगां।
दोस्तों बहुत बेहतरीन रहने वाला है,पढने के बाद अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।
सबसे पहले हम आपको ले चलते हैं उत्तर प्रदेश यहां के मुख्यमंत्री हैं श्री योगी आदित्यनाथ जो इस समय बहुत चर्चा में हैं क्योकि इन्होने अभी कुछ समय पहले आपस में कुछ लोगो ने आराजकता फैलाकर सरकारी सम्पत्ति को निशाना बनाया इन्होने जांच करा कर जो लोग दोषी पाये गये उन पर हर्जाना लगाकर सरकारी सम्पत्ति को फिर से जीवित किया।
इन्होने बहुत सी योजनाये चलायी उसमें से मै आपको एक योजना के बारे में बताउगां जो काफी अलग है कन्या सुमंगला योजना- अभी तक जो लोग लडकियों कि पढाई को बोझ समझते थे उनके लिये अब ये समस्या खत्म योगी सरकार द्वारा कन्या सुमंगला योजना बेटियों के जन्म से लेकर स्नातक तक 15000 रूपये कि आर्थिक सहायता दे रही योगी सरकार।
अब हम आपको लेकर चलते है मध्यप्रदेश यहां के मुख्यमंत्री हैं श्री कमलनाथ इनके द्वारा भी बहुत सी योजनाये चलायी जा रही मैं आपको सबसे अलग योजना के बारे में बताना है इनके द्वारा एक छात्र ,एक वृक्ष योजना संचालित कि जा रही है इसमें इंजीनिरिंग काॅलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा मानसून में 4.5 लाख पौधे लगाने का काम प्रत्येक साल किया जा रहा है कितना अलग काम है। अपनी प्रकति के लिये
इसके बाद आप को ले चलते हैं छत्तीसगढ यहां के मुख्यमंत्री हैं भूपेश बघेल इनके द्वारा गार्वेज कैफे योजना संचालित हो रही इसमे प्लास्टिक के बदले भोजन प्रदान किया जाता है जिससे घरों में जमा प्लास्टिक बाहर निकाल कर डिस्ट्राय कर प्लास्टिक मुक्त भारत बनाया जाये।
अब आपको लेकर चलते हैं बिहार यहां के मुख्यमंत्री हैं नीतीश कुमार इनके द्वारा जल जीवन हरियाली अभियान चलाया जा रहा है जिसका उददेश्य जलवायु परिवर्तन के विरूद्व जल और हरियाली को बचाना।
इसके बाद आपको हम ले चलते हैं बहुत फेमस राज्य राजस्थान यहां के मुख्यमंत्री हैं अशोक गहलोत इनके द्वारा एक ऐसी योजना चलायी जा रही है जो बहुत अलग और बेतरीन और लोकप्रिय योजना बन गयी है इन्होने वैदिक शिक्षा बोर्ड बनाने का फैसला लिया जिसका उददेश्य वेद एवं संस्कृति ज्ञान कि वृद्वि करना है।
अब हम आपको लेकर चलते हैं पूर्वोत्तर भारत के राज्य सिक्किम में जो प्राकृतिक खूबसूरती में पूर्वोत्तर अपने आप में महान है यहां के मुख्यमंत्री हैं प्रेम सिंह तमांग इनके द्वारा एक परिवार एक नौकरी योजना का संचालन किया गया जिसका उददेश्य हर परिवार के कम से कम एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान करना।
इसके बाद असम यहां के मुख्यमंत्री हैं सर्वानंद सोनेवाल
इनका काम और योजनाये निराली है लोगो का दिल जीत लिया और स्टार बन गये इनके द्वारा अभिनन्दन योजना चलाई जा रही है जिसका उददेश्य उच्च शिक्षा के लिये योग्य छात्रों को ऋण में अधिकतम 50000 रूपये कि सब्सिडी देना
दूसरी योजना अरूधंति स्वर्ण योजना जिसका उदेदश्य गरीब बेटियो कि शादियों के अवसर पर एक तोला (10ग्राम) सोना प्रदान करना।
You must have heard the word 'plan' many times, no big deal, today we will tell you about some scheme launched by the Chief Minister in different states in the Indian states, which is the most different yet smart thinking Chief Minister. I will introduce you to the schemes operated by
Friends, this is going to be very good, after studying, please give your feedback.
First of all, let us take you Uttar Pradesh Chief Minister Mr. Yogi Adityanath who is very much in discussion at this time because some time before, some people spread their objection and targeted the government property by investigating them. Revived government property by inflicting damages on them.
He has run many schemes, out of which I will tell you about a scheme which is quite different, Kanya Sumangala Yojana - till now those who used to understand the education of girls as a burden, now this problem is over by the Yogi government from the birth of Kanya Sumangala Yojana daughters. Yogi government giving financial assistance of Rs 15,000 to graduates.
Now we take you to Madhya Pradesh is the Chief Minister of here. Mr. Kamal Nath is also running many schemes. I want to tell you about the most different scheme. He is running a student, a tree scheme by him, students of engineering college. - How different work is being done by the students to plant 4.5 lakh saplings in the monsoon every year. For your appearance
After this, you take Chhattisgarh as the Chief Minister of Bhupesh Baghel, who is running a garbage cafe scheme, in which food is provided in lieu of plastic, so that the plastic stored in the houses will be removed and made plastic-free India.
Now let's take you to Bihar, the Chief Minister is here, Nitish Kumar is running a water life green campaign, which aims to save water and greenery against climate change.
After this, we take you to the very famous state of Rajasthan, the Chief Minister is here, Ashok Gehlot is running a scheme which has become a very different and best and popular scheme, he decided to create a Vedic Education Board whose purpose is Vedas and Culture. To increase knowledge.
Now let us take you to the state of Sikkim in Northeast India, which is great in the natural beauty of the Northeast itself, the Chief Minister is here Prem Singh Tamang, he operated a family one job scheme with the aim of at least one member of every family. Provide government job to
After this, Sarbananda Sonewal is the Chief Minister of Assam here.
Their work and schemes are unique, they have won the hearts of the people and they have become stars, they are running Abhinandan Yojana, whose purpose is to subsidize maximum Rs. 50,000 in loans to students eligible for higher education.
The second scheme, Arudhanti Swarna Yojana, aims to provide one tola (10 grams) gold on the occasion of weddings of poor daughters.
रेत के समंदर पर जहाज सा मैं चलता हूॅ। रेत के समंदर पर जहाज सा मैं चलता हूॅ ।। सर उठा के आधियों का सामना मैं करता हूॅ क्यूॅ डरू मै जिस्म से हो रही ।। इन सुस्ख फिजाओं कि लडाई से मै तपते सोलों को दिल के कोनो में।। दफन करके चलता हूॅ। चारू जी
दोस्तो आज मै आपको एक जीवन के ऐसे पढाव से रूबरू कराने वाला हूॅ इस दौर से हर प्राणी गुजरता है, खास कर विधार्थी लेकिन हम ज्यादा उस पर सोचते नही लेकिन कुछ लोग होते है जो कुछ ज्यादा सोचते हैं उस बारे में,Where have we come I Earthquake of mind I Happy Holi
आज दिनांक 09.03.2020 को मेरा मन अन्दर से इतना परेशान कर रहा था ऐसा मेरे साथ कभी नही हुआ मुझे सरकारी नौकरी कि तैयारी करते करते तीन साल हो गये बार-बार फेल बार-बार फेल आज अचानक मेरा मन अन्दर से फडफडा रहा था। जैसे पानी में रहने वाली मछली को पानी से निकाल देते हैं या प्यासे को पानी न मिलना अन्दर से मन कर रहा था कुछ ऐसा कर डालू कि सारा जहां देखता रहे, और मन को शान्ति मिले ऐसा नही कि मैने ये तीन साल अध्धयन नही किया बहुत अध्धयन किया फिर भी दूर-दूर तक सेलैक्शन का अता पता नहीं, लोग होली मना रहे मेरे मन में आतंक मचा हुआ है, शायद इसी कारण मंै इस होली घर भी नही गया सच्ची बतायें तो मै जिस सपने के लिये सरकारी नौकरी कि तैयारी कर रहा था अब मुझे लग रहा मैं नौकरी कर उसे पूरा नही कर सकता, लगातार फेल होने के बाद मैने कुछ दिन पहले यूटयूब पर बाबा रामदेव,बालकृष्ण, अंबानी,रतनटाटा, विवेक बिन्द्रा,नरेन्द्र मोदी, डा0 वेल्यूमनी,श्री मद भागवतगीता इन सबके बिजिनिस और जीवन का अध्धयन किया तब से मेरा मन और अशान्त हो गया फिर मैने उन लोगो के बारे में अध्धयन किया जो सरकारी पद पर आॅफिसर हैं मैने देखा ये आॅफिसर लोग कर क्या रहे ये भी तो एक भूखे लोग है जो नौकरी के बाद रूपये कि भूख मिटाने में लग जाते हैं, कितने आॅफिसर सच्चे हैं जो सामाजिक कार्य में लगन से काम करते है कुछ नेताओं कि चमचा गिरी में समय बिताते हैं कुछ कमाने कि जुगाढ में लगे रहते हैं, हमारा सपना तो हजारों बेसहारा लोगो के दिलो पर राज करना था जो आॅफिसर बनने के बाद सम्भव था लेकिन आज मैने देखा आॅफिसर लेाग तो कुछ कर ही नही सकते किसी को काम नही दे सकते मौका भी मिले तो उन्ही को देते है जिनकी हैसियत हो उनकी जेब गर्म करने कि बहुत मोटी रकम देने कि यह सच है, टैलेन्ट कि हैसियत धीरे-धीरे इस सेक्टर में खत्म हो रही रूपये का बोल बाला है, कुछ ही लोग है जिनको उम्मीदो से ज्यादा मिल जाता है वही दशको तक उदाहरण बने रहते हैं। जैसे जनगणना कुछ बदला ही नही ऐसा लगता है। अपने मन का नही कर सकते सरकारी फरमानो के आगे मजबूर बेसहारा जैसे मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे लेकिन सरकार कोई और चला रहा फैसले नही ले सकते कुछ कर नही सकते वही हालत है अच्छी और उच्च नौकरी के फार्म दो साल में एक बार फिर पेपर, रिजल्ट आते आते पांच साल और मान लो छोटी नौकरियों में आज सरकारी नौकरी 20000-40000 सैलरी है किसका भला कर पाओगे इस मंहगायी के जमाने में दूसरा एक सवाल जिसका जबाब मैं ढूढने कि कोशिश कर रहा हूॅ कि आखिर कब तक होगा सेलेक्शन अन्दर से डर भी बढ रहा है, जिसका जबाब मिल नही रहा मन परेशान है। जब से मैने इन बिजिनिस मैन्स लेागो कि बायोग्राफी का अध्धयन किया तबसे मेरे दिमाग का एक नया पहलू सामने आया जिसको मै आज तक समझ ही नही पाया मैने बिजिनिस के क्षेत्र में बहुत अच्छा कर सकता हूॅ और आज तीन साल में मैं इस क्षेत्र में बहुत कुछ कर सकता था हजारो को काम दे सकता था जिनके पास काम नही, सडक पर रह रही करोडो महिलायें जिनके पास काम नही पेट कि भूख के कारण लोगो कि भूख का शिकार होना पडता है। फिर शोषण होता है लोग जिनके पास काम नही हजारों किसानो का भला होता जिनकी मेहनत का हिस्सा उन्हे नही मिल पा रहा है, बहुत सारे अच्छे दोस्त मेरे साथ होते जो मुझसे उम्मीद लगाये हैं एक दिन भाई कुछ करेगा, ऐसा नही मेरे मन मे बिजिनिस आइडिया अचानक घर कर गया हो मेरे दिमाग में एक बिजिनिस आइडिया है जिस पर मै पिछले छैः महीने से रिसर्च कर रहा था मैने बहुत सी इन्डस्ट्रीज, मार्केट, बिजिनिस सेमिनार में जाकर रिसर्च कि आज उसकी रिसर्च पूरी हुई और मैं काफी सफल हुआ इस बजह से और हैरान था अब क्या करूॅ सरकारी नौकरी कि जिद छोड कुछ नया करूॅ फिर ख्याल आ जाता कि तीन साल से पढ रहे उसका क्या ऐसा लग रहा अब मै अपने लिये नही किसी दिखावे के लिये पढ रहा , पता नही ऐसा क्यो हो रहा मेरा दिमाग सही उत्तर निष्कर्ष आज निकाल ही नही पा रहा । कोई सच्चा मार्गदर्शक नही जो इस सुनामी से बचने का सुझाव दे सके जिससे पूछो कोई हंसता है। तो कोई बताते ही टांग खीचने को बैठा है।
Where have we come
Earthquake of mind
Happy Holi
I walk like a ship on the sand.
I walk like a ship on the sand.
I face the arms of the head
Why am I getting scared?
With the fight of these tastes
In the heart of the heart, I put the hot sols.
Buried
Charu Ji
Friends, today I am going to introduce you to such a study of life, every creature goes through this phase, especially the students but we do not think much about it but there are some people who think more about it,
Today, on 09.03.2020, my mind was so much disturbed from inside, it never happened to me, I have been preparing for a government job for three years, I have repeatedly failed repeatedly, today suddenly my heart was bursting from inside. Like when the fish living in the water is removed from the water or the thirsty person does not want to get water from inside, do something so that where the whole thing is watching, and peace of mind is not that I did not study this much for many years. Even after studying, I do not know the extent of selection, far, people are celebrating Holi, there is panic in my mind, maybe this is why I did not even go to this Holi house to tell the truth, then the dream for which the government Was preparing for the job, now I feel that I cannot complete it by doing the job, after continuous failure, I have a few days ago on youtube Baba Ramdev, Balakrishna, Ambani, Ratanata, Vivek Bindra, Narendra Modi, Dr. Velumani, Mr. Mad Bhagwatgita studied the business and life of all of them. Since then, my mind became more disturbed, then I studied about those people who are officers in government posts. I saw this officer. What are you doing, this is also a hungry people who take money to satisfy their hunger after work, how many officers are true who work diligently in social work, spend time in the spoon of some leaders in the jugaad to earn some We are engaged, our dream was to rule the hearts of thousands of destitute people, which was possible after becoming an officer, but today I have seen that the officer cannot do anything, do not give work to anyone. Even if given a chance, it is only true for those who have the status to pay very big money to heat their pockets, it is true that talent is slowly speaking in this sector of the rupee, there are few people who are expecting You get more than the same examples remain for decades. It seems as if the census has not changed anything. Can't make up your mind in front of government decrees, forced helpless like Manmohan Singh was the Prime Minister, but the government cannot take any other decisions, cannot do anything, the same condition is good and high job forms once again in two years paper, results come In the coming five years and assume that in small jobs, today the government job is 20000-40000 salary, who will be able to do well, in this time of high inflation, another question that I can answer I am wondering how long will the selection be. Fear from inside is also increasing, the mind is not getting answer. Ever since I studied the biography of these business men, a new aspect came to my mind that I could not understand till date, I can do very well in the field of business and today in three years I can do a lot in this field Could have given work to thousands who have no work, crores of women living on the road who do not have work, due to hunger due to stomach, people have to suffer hunger. Then there is exploitation, people who do not have work, it is good for thousands of farmers, whose hard work is not being provided to them, many good friends would be with me who have expected me one day brother will do something, it is not in my mind business idea Suddenly I have gone home, I have a business idea on my mind, which I was researching for the last six months, I went to many industries, markets, business seminars. Today, his research was completed and I was quite successful and I was surprised by this fact, what should I do now, except for a government job, I would do something new and then I would have thought that I am not looking for myself if I am studying for three years Reading for a show, I don't know why this is happening, my mind is unable to draw the correct answer today. There is no true guide who can suggest how to avoid this tsunami, so ask anyone who laughs. So someone is sitting to pull the leg as soon as they tell.
आज हां मां मैं ठीक हूॅ के एक वाक्य में सिमट जाती है।
जीवन एक बार ही मिला है इस बात को ऐसा कोई नही जो नही जानता हो फिर भी हम इसे भूला देते हैं, आज जो है कल नही होगा यह भी सब जानते हैं इसे भी हम भुला देते हैं ये शब्द हमेशा गुमनाम ही रहते हैं। आज कि इस भाग दौड भरी जिंदगी में घर परिवार जैसे शब्द रहे ही नही क्यो इसका उदाहरण आप जब छोटे थे आपने अपना परिवार बडे होते होते बहुत बडा देखा होगा लेकिन आज ये एक किस्सा सा बन गया क्योकि हमने एक ऐसी सोच विकसित कर दी है कि जब तक बाहर नही निकलोगे कुछ नही कर पाओगे जिनके पास साधन उपलब्ध नही बाहर निकलने के लिये वह सोचता है अब वह कुछ कर नही सकता मन हार जाता है ।
कहा भी गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत सब यही कहते हैं कही हद तक ये सच भी है आप सफल हो जाते हैं लेकिन सफल होने कि जिददो जहद में हम इतना भागने लगते हैं कि हम सिर्फ अपने लिये नही फिर दूसरो को दिखाने के चक्कर में अपनी बैण्ड बजवाने लगते हैं, यह सच है। शुरूआत में आप बहुत अच्छा महसूस करे लेकिन यह भी सच है आप एक न एक दिन जरूर पछतायेगे जब प्रकृति हमे बनाती है तो हमारे एक-एक पल की गणना करके बनाती है हमे अपने आप वह सब कुछ देती है जिससे हमारी खुशी जुडी हो हम प्रकृति के साथ खुश रहे लेकिन हम उसे कुछ सालो बाद पूरा बदल कर रख देते हैं, इस पृथ्वी पर सबका समय सीमित है यह भी सच है, हम तरक्की तो कर लेते है लेकिन हम पीछे बहुत महत्वपूर्ण चीजो को छेाड देते है और हम मुडकर देखना भी नही चाहते हम सोचते हैं कही ये हमे फिर वही पुरानी स्थिति में नही ले आये फिर आप बताये शुरूआत में आपने क्या बदलाब के लिये तरक्की कि ठानी थी तरक्की मिलने के बाद अस्सी प्रतिशत लोग जिन चीजो को बदलने के जिये लडे थे वो नही बदल पाते क्यों क्योकि ज्यादातर लेाग सफल होने के बाद पीछे मुडते ही नही और समय अनुसार वो हमसे हमेशा के लिये चली जाती है तब हमे उसकी याद आती है, तब आप कुछ नही कर सकते फिर हम हमारे अपने अन्दर छीपे ज्ञान से परिचय होता है और हम स्पष्ट अपने जीवन को देख पाते हैं कि जो जरूरी था वो चला गया कभी दोवारा नही मिलेगा और जो एक भ्रम था उसके चक्कर में भागते रहे। आज इसी का नाम तरक्की है यह सच है जो इन्सान तरक्की करता है वह हमेशा अन्दर ही अन्दर कही न कही बुरा फील करता है क्योकि हर पल उसे उन लोगो कि याद आयेगी जिनके बदलाब के लिये वो निकला था, लेकिन उससे भी बडी विडम्वना है कि हम दूसरो को दिखाने के चक्कर में अपनी खुशियों कि बली चडा देते हैं। हम अपनी तरक्की को आज सेाशल मीडिया पर दिखावे के लिये डालते है असलियत में सबसे असंतुष्ट व्यक्ति वही है इस दुनिया में वह व्यक्ति अपने काम से ख्ुाश नही है वह न ही खुश कभी हो सकता है क्योकि आज तक उसने अपने शारिरीक नेचर को समझा ही नही बस सबकी तरह जीवन भर दिखावे के लिये ही सब किया। यह आज के जीवन कि तरक्की कि सत्यता है।
Idiot box of memories
From the team of Wishing you and your family a very happy Holi idiot box cafe
Keep your love only. Do give us your suggestion, what kind of article do you like.
Left the house to build a new house Left the house to build a new house Except friend to make something new Leaving that mother's face open To make the roof of the sky Now more than father scolding Scared of dead line Sometimes, even with double roti The taste of halwa has to be erased. Which used to make news in the house at the slightest scratch Today, yes, mother, I am fine in one sentence.
Life is found only once, there is no one who does not know this thing, yet we forget it, today what is there will not be tomorrow, everyone knows this too, we forget these words are always anonymous. Today, in this run-of-the-mill life, there were no words like home family, because if you were small, you must have seen your family growing up a lot, but today it has become a story because we have developed such an idea that Until you do not get out, you will not be able to do anything, those who do not have the means to get out, they think that now they cannot do anything, the mind loses.
It has been said that the losers of the mind are the losers of the mind, everyone says the same, to the extent that it is also true, but you succeed so much in the desire to succeed that we start running so much that we are not just for ourselves but others It is true that they start playing their bands in the process of showing. In the beginning you will feel very good but it is also true that you will definitely regret one day when nature makes us, then by calculating each moment of ours, we give ourselves everything to which our happiness is connected. Be happy with but we change it completely after a few years, everyone's time on this earth is limited, it is also true, we do make progress but we give up very important things behind. And we do not even want to turn around, we think that this did not bring us back to the same old position, then you tell me what you had decided to progress in the beginning, after getting progress, eighty percent of the people fought to change the things They are unable to change because most people do not turn back after being successful and according to time they leave us forever, then we remember that, then you are nothing Can we are we would introduce yourself in Ceepe knowledge and we are clearly able to see your life that was necessary he went'll never Apply again and that was an illusion rush his rounds. Today its name is progress. It is true that the person who makes progress, he always feels bad in himself or not, because every moment he will remember those people for whom he came out for revenge, but it is also a big surprise that In the process of showing others, we give happiness to our happiness. We put our progress today to appear on the media, in reality, the most dissatisfied person is the same person in this world, he is not happy with his work, nor can he ever be happy because till today he has not understood his physical nature. Just like everyone else, they did it for the whole life. This is the truth of the progress of today's life.
बलूचिस्तान प्रांत का अर्थ है बलूच लोगों की भूमि यह एक देश नहीं है बल्कि पाकिस्तान के चार प्रांतों में से एक है भूमि क्षेत्रफल के मामले में बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा है जो इसका सबसे बड़ा शहर है
बलूचिस्तान प्रांत को छह डिवीजनों में विभाजित किया गया है . क्वेटा कलात नसीराबाद मकरान सिबी और ज़ोब इन छह प्रभागों को 34 जिलों में विभाजित किया गया है
बलूचिस्तान का क्षेत्र पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40 है बलूचिस्तान क्षेत्र में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर पाकिस्तान बहुत अधिक निर्भर है
बलूचिस्तान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस कोयला और अन्य खनिजों जैसे सोना तांबा आदि के उत्पादन पर आधारित है यहाँ पर बिजली पानी और पर्याप्त परिवहन सुविधाओं के अभाव के कारण कृषि विकास नहीं हो सका है
गेहूं चावल ज्वार प्रमुख खाद्य फसलें हैं और फल प्रमुख नकदी फसलें हैं इस क्षेत्र की अधिकांश आबादी भेड़ चराई में लिप्त है
यहं की भेड़ एक उच्च गुणवत्ता वाली ऊन प्रदान करती है जिसका एक हिस्सा निर्यात किया जाता है लघु उद्योग कपास और ऊनी विनिर्माण कालीन बनाने कपड़ा चमड़े की कढ़ाई और खाद्य प्रसंस्करण तक सीमित हैं
पहाड़ी क्षेत्रों के कारण परिवहन सुविधाएं बहुत विकसित नहीं हैं क्वेटा रेलवे नेटवर्क का एक केंद्र है और यहाँ का हवाई अड्डा हवाई घरेलू सेवा प्रदान करता है
प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद इस क्षेत्र के लोग अत्यधिक खराब परिस्थितियों में रह रहे हैं
अधिकांश आबादी अनपढ़ है साथ ही बिजली और स्वच्छ पेयजल की अनुपलब्धता के साथ यहाँ की आबादी कुपोषित भी है
बलूचिस्तान क्षेत्र में शिक्षा
बलूचिस्तान प्रांत में साक्षरता का स्तर बहुत दयनीय है क्योंकि सौ में से केवल 25 प्रतिशत वयस्क साक्षर हैं और प्रांत में पुरुष साक्षरता दर 38 प्रतिशत और महिला साक्षरता दर 13 प्रतिशत है
बच्चों को शिक्षित करने सहित बलूचिस्तान प्रांत के लोगों को बुनियादी सुविधाएं देने में पाकिस्तान विफल रहा है बालिका शिक्षा की स्थिति बहुत निराशाजनक है क्योंकि हर दस में से नौ लड़कियां ग्रामीण बलूचिस्तान में स्कूल से बाहर हैं
उपरोक्त आंकड़े साबित करते हैं कि पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत बहुत ही दयनीय स्थिति में है शायद यही कारण है कि बलूच लोग स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं
बलूचिस्तान में मौजूद प्राकृतिक गैस क्षेत्र पाकिस्तान की दीर्घकालिक तेल जरूरतों को पूरा करने की क्षमता रखते हैं
मूलतः बलूचिस्तान प्रांत अविकसित है और इसकी अर्थव्यवस्था प्राकृतिक संसाधनों विशेषकर इसके प्राकृतिक गैस क्षेत्रों पर निर्भर है
सेंट्रल काउंसिल मेंबर ऑफ फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट के शम्स बलोच ने कहा है कि हमारा मकसद पाकिस्तान के असली चेहरे को सामने लाना है इससे दुनिया को पता चलेगा कि पाकिस्तान मानवता पर धब्बा है
शक्ति का इस्तेमाल करके पाक ने बलूचिस्तान पर नियंत्रण हासिल कियाः शम्स बलोच पाकिस्तान भारत और बलूचिस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया और मानवता के लिए वायरस
संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर दुनिया को गुमराह करने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बलूचिस्तान के एक शख्स ने बेनकाब कर दिया है सेंट्रल काउंसिल मेंबर ऑफ फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट के नेता शम्स बलोच ने इमरान खान पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारा मकसद पाकिस्तान के असली चेहरे को सामने लाना है इससे दुनिया को पता चलेगा कि पाकिस्तान मानवता पर धब्बा है
न्यूयॉर्क में शम्स बलोच ने कहा कि शक्ति का इस्तेमाल करके पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर नियंत्रण हासिल किया है पाकिस्तान न केवल भारतए अफगानिस्तान और बलूचिस्तान के लिए बल्कि पूरी दुनिया और मानवता के लिए एक वायरस है
इस विश्व बलूच संस्थान न्यूयॉर्क में पाकिस्तान के खिलाफ लगातार अभियान चला रहा है बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर पाकिस्तान घिरता जा रहा है प्रदर्शनकारियों के पोस्टर पाकिस्तान के खिलाफ हैं और उन पर लिखा हुआ है कि बलूचों की जिंदगी भी कीमती है
क्या पाकिस्तान सुधरेगा
बलूचिस्तान के आंदोलनकारियों के पोस्टर्स में संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगाई जा रही है कि बलूचिस्तान मामले में संयुक्त राष्ट्र दखल दे बलूचिस्तान में लापता हुए लोगों को वापस लाया जाए बलूचिस्तान मूवमेंट का कैंपेन पूरे न्यूयॉर्क में चल रहा है
Balochistan province means the land of Baloch people. It is not a country but one of the four provinces of Pakistan. Balochistan is the largest province of Pakistan in terms of land area. The capital of Balochistan is Quetta which is its largest city.
The Balochistan province remains in the spotlight due to the atrocities on the Baloch people by the Pakistan Army, out of the total population of Balochistan, the population is Baloch, Pashtun while the rest includes small communities like Brahui Hazaras Sindhi Punjabi Uzbeks and Turkmens.
The area of Balochistan is about 40 of the total area of Pakistan, Pakistan is very much dependent on the natural resources available in the Balochistan region.
The economy of Balochistan is mainly based on the production of natural gas, coal and other minerals like gold, copper, etc. Here agriculture has not been able to develop due to lack of electricity, water and adequate transport facilities.
Wheat, rice sorghum are the major food crops and fruits are the major cash crops. Majority of the population of this region is involved in sheep grazing.
The sheep of this region provides a high quality wool, a portion of which is exported. Small scale cotton and woolen manufacturing carpeting. Textiles are limited to leather embroidery and food processing.
Transport facilities are not very developed due to the hilly areas, Quetta is a hub of the railway network and the airport here provides air domestic service.
Despite being rich in natural resources, the people of this region are living in extremely poor conditions.
Majority of the population is illiterate along with the unavailability of electricity and clean drinking water, the population here is also malnourished.
The literacy level in Balochistan province is very pathetic as only 25 out of hundred izfr'kr are adult literate and the male literacy rate in the province is 38 izfr'kr and female literacy rate is 13 izfr'kr
Pakistan has failed to provide basic facilities to the people of Balochistan province including educating children. The situation of girl education is very disappointing as nine out of every ten girls are out of school in rural Balochistan
The above figures prove that the Balochistan province of Pakistan is in a very pathetic condition, perhaps that is why the Baloch people are struggling to create an independent nation
The natural gas fields in Balochistan have the potential to meet Pakistan's long-term oil needs.
Originally Balochistan province is underdeveloped and its economy is dependent on natural resources especially its natural gas fields.
Shams Baloch of the Central Council Member of Free Balochistan Movement has said that our aim is to bring out the real face of Pakistan, this will let the world know that Pakistan is a blot on humanity.
Shams Baloch in New York said that by using power, Pakistan has gained control over Balochistan. Pakistan is a virus not only for India, Afghanistan and Baluchistan but for the whole world and humanity.
This World Baloch Institute is continuously campaigning against Pakistan in New York; Pakistan is being held in Balochistan for violation of human rights; Posters of protesters are against Pakistan and it is written that the life of Baloch is also valuable.
बाजार शब्द सुनते ही कुछ लोगो का मन शाॅपिंग कि तरफ गया होगा कुछ का चाट ,फुल्की कि तरफ और कुछ का बाजार कि सुन्दरता,हरियाली कि तरफ गया होगा लेकिन आज उस बाजार कि बात नही कर रहा दुनिया में हर चीज आज बाजार है,
हर चीज बिक रही है हर चीज बिकाउ है, यह भी सत्य है जब तक आप बेचोगे नही तब तक आप खुश नही रह सकते जैसे हर आदमी बिकाउ है कोई अपना समय बेच रहा कोई अपना सामान बेच रहा कोई अपना घर बेच रहा कोई मकान बेच रहा कोई दुकान बेच रहा कोई पर्यावरण बेच रहा कोई ज्ञान बेच रहा कोई अज्ञान बेच रहा कोई झूठ बेच रहा कोई अपनी गरीबी बेच रहा कोई अमीरी बेच रहा कोई बेबशी बेच रहा कोई शर्मिदगी बेच रहा कोई अपना पागलपन बेच रहा कोई समुद्र बेच रहा कोई आसमान बेच रहा वह भी बिक रहा हर चीज आज बिक रही और खरीददारों कि कमी नही है। पता ये सब चीजे क्यों बिक रही क्योकि हर आदमी खुशियों कि तरफ भाग रहा कोई खुशियों के लिये बेच रहा कोई खुशियों के लिये खरीद रहा लेकिन सन्तुष्ट कोई नही है। वैसे कहे तो आज संतुष्ट कौन है संतुष्ट वह आदमी है जो अपने काम और कमाई से संतुष्ट है वही असली सफलता है। हर आदमी को ज्यादा चाहिये चाहे बगल वाला भूखा मर जाये लेकिन हमे ज्यादा चाहिये। जैस्ेा पाॅल्टििक्स में कुछ सच नही होता है वैसे ही आज बाजार हो गया है और बाजार को बनाने वाले लोग ।
On hearing the word market, some people may have gone to shopping, some have licked, some have turned to light and some have gone to the beauty of the market, towards greenery, but today there is no talk of that market, everything in the world today is market, every Everything is sold, everything is for sale, it is also true till you sell, you cannot be happy like every man is selling someone selling his stuff, someone is selling his house, someone is selling a house Yes, selling a shop, selling an environment, selling an ignorance, selling an ignorance, selling a lie, selling one's own poverty, selling something rich, selling a shame, selling an insanity, selling an ocean, selling an ocean, selling a sky Everything that is being sold is being sold today and there is no shortage of buyers. Know why all these things are being sold because every man is running towards happiness, someone is selling for happiness, someone is buying for happiness but there is no one satisfied. By the way, who is satisfied today, who is satisfied is a man who is satisfied with his work and earnings, he is the real success. Every man needs more even if the next person dies hungry but we want more. There is nothing true in Jaisa Palitics, in the same way today the market has become and the people who make the market.
इस्लामिक क्रांति के इस दौर में कुछ ईरानियों ने इस्लाम नहीं स्वीकार किया और वे एक नाव पर सवार होकर भारत भाग आए।
इस्लामिक आक्रमण और पारसियों का संघर्ष : इस्लाम की उत्पत्ति के पूर्व प्राचीन ईरान में जरथुष्ट्र धर्म का ही प्रचलन था। 7वीं शताब्दी में तुर्कों और अरबों ने ईरान पर बर्बर आक्रमण किया और कत्लेआम की इंतहा कर दी। 'सॅसेनियन' साम्राज्य के पतन के बाद मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा सताए जाने से बचने के लिए पारसी लोग अपना देश छोड़कर भागने लगे। इस्लामिक क्रांति के इस दौर में कुछ ईरानियों ने इस्लाम नहीं स्वीकार किया और वे एक नाव पर सवार होकर भारत भाग आए।
पारसी शरणार्थियों का पहला समूह मध्य एशिया के खुरासान (पूर्वी ईरान के अतिरिक्त आज यह प्रदेश कई राष्ट्रों में बंट गया है) में आकर रहे। वहां वे लगभग 100 वर्ष रहे। जब वहां भी इस्लामिक उपद्रव शुरू हुआ तब पारस की खाड़ी के मुहाने पर उरमुज टापू में उसमें से कई भाग आए और वहां 15 वर्ष रहे।
आगे वहां भी आक्रमणकारियों की नजर पड़ गई तो अंत में वे एक छोटे से जहाज में बैठ अपनी पवित्र अग्नि और धर्म पुस्तकों को ले अपनी अवस्था की गाथाओं को गाते हुए खम्भात की खाड़ी में भारत के दीव नामक टापू में आ उतरे, जो उस काल में पुर्तगाल के कब्जे में था। वहां भी उन्हें पुर्तगालियों ने चैन से नहीं रहने दिया, तब वे सन् 716 ई. के लगभग दमन के दक्षिण 25 मील पर राजा यादव राणा के राज्य क्षेत्र 'संजान' नामक स्थान पर आ बसे।
#
इन पारसी शरणार्थियों ने अपनी पहली बसाहट को 'संजान' नाम दिया, क्योंकि इसी नाम का एक नगर तुर्कमेनिस्तान में है, जहां से वे आए थे। कुछ वर्षों के अंतराल में दूसरा समूह (खुरसानी या कोहिस्तानी) आया, जो अपने साथ धार्मिक उपकरण (अलात) लाया। स्थल मार्ग से एक तीसरे समूह के आने की भी जानकारी है। इस तरह जिन पारसियों ने इस्लाम नहीं अपनाया या तो वे मारे गए या उन्होंने भारत में शरण ली।
गुजरात के दमण-दीव के पास के क्षेत्र के राजा जाड़ी राणा ने उनको शरण दी और उनके अग्नि मंदिर की स्थापना के लिए भूमि और कई प्रकार की सहायता भी दी। सन् 721 ई. में प्रथम पारसी अग्नि मंदिर बना। भारतीय पारसी अपने संवत् का प्रारंभ अपने अंतिम राजा यज्दज़र्द-1 के प्रभावकाल से लेते हैं।
10वीं सदी के अंत तक इन्होंने गुजरात के अन्य भागों में भी बसना प्रारंभ कर दिया। 15वीं सदी में भारत में भी ईरान की तरह इस्लामिक क्रांति के चलते 'संजान' पर मुसलमानों के द्वारा आक्रमण किए जाने के कारण वहां के पारसी जान बचाकर पवित्र अग्नि को साथ लेकर नवसारी चले गए। अंग्रेजों का शासन होने के बाद पारसी धर्म के लोगों को कुछ राहत मिली।
16वीं सदी में सूरत में जब अंग्रेजों ने फैक्टरियां खोली तो बड़ी संख्या में पारसी कारीगर और व्यापारियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। अंग्रेज भी उनके माध्यम से व्यापार करते थे जिसके लिए उन्हें दलाल नियुक्त कर दिया जाता था। कालांतर में 'बॉम्बे' अंग्रेजों के हाथ लग गया और उसके विकास के लिए कारीगरों आदि की आवश्यकता थी। विकास के साथ ही पारसियों ने बंबई की ओर रुख किया। इस तरह पारसी धर्म के लोग दीव और दमण के बाद गुजरात के सूरत में व्यापार करने लगे और फिर वे बंबई में बस गए। वर्तमान में भारत में पारसियों की जनसंख्या लगभग 1 लाख है जिसका 70% मुंबई में रहते हैं।
#
ईरानी मुस्लिम नहीं?
ईरान अकेला मुल्क है जहां शिया राष्ट्रीय धर्म है। इसके अलावा इराक और बहरीन में शिया बहुमत में हैं। धार्मिक मतभेद के कारण सऊदी अरब और ईरान के बीच वैचारिक टकराव सबसे बुरे दौर में है। सऊदी अरब के सबसे बड़े धर्म गुरु मुफ्ती अब्दुल अजीज अल-शेख के अनुसार ईरानी लोग मुस्लिम नहीं हैं। अब्दुल-अजीज सऊदी किंग द्वारा स्थापित इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन के चीफ हैं। उन्होंने कहा कि ईरानी लोग 'जोरोस्त्रियन' यानी पारसी धर्म के अनुयायी रहे हैं।
उन्होंने कहा था, 'हम लोगों को समझना चाहिए कि ईरानी लोग मुस्लिम नहीं हैं क्योंकि वे मेजाय (पारसी) के बच्चे हैं। इनकी मुस्लिमों और खासकर सुन्नियों से पुरानी दुश्मनी रही है। सऊदी अरब वाले अब भी खुद को वास्तविक मुसलमान मानते हैं। उन्हें लगता है कि ईरानी लोग पारसी से मुस्लिम बने हैं। ईरानियों ने हमेशा अरबों या मुसलमानों से शत्रुता रखी थी। हालांकि जब 1979 में ईरान अयातुल्ला खोमैनी के नेतृत्व में इस्लामिक क्रांति हुई तो इन ईरानियों ने अपने बचे हुई प्राचीन स्मारक, मंदिर और मूर्तियों को भी तोड़ दिया था।
The Islamic invasion and the struggle of the Zoroastrians was the practice of Zoroastrianism in ancient Iran before the origin of Islam. In the 7th century, the Turks and Arabs brutally attacked Iran and provided for the slaughtering. After the fall of the Schassenian Empire, the Parsis left their country to escape being persecuted by the Muslim invaders. In this phase of the Islamic Revolution, some Iranians did not accept Islam and fled to India in a boat.
The first group of Parsi refugees came to Khorasan in Central Asia; today, apart from eastern Iran, this region has been divided into several nations. He lived there for almost 100 years. When there was also an Islamic disturbance, many of them fled to the island of Urmuz at the mouth of the Persian Gulf and lived there for 15 years.
In the future, the invaders were caught sight of it, then in the end they took their sacred fire and religious books in a small ship, singing the saga of their state and came to the island of Diu, India in the Gulf of Khambhat, which was then Portugal. Was in possession of. Even there, the Portuguese did not allow them to rest peacefully, then they settled in a place called Ssanjansh, the kingdom of King Yadav Rana, about 25 miles south of Daman in 716 AD.
Rupee
These Parsi refugees named their first settlements as Schanjansh because there is a city of the same name in Turkmenistan from where they came. In a span of a few years, another group (Khorasani or Kohistan) came along which brought religious equipment (Alatadh). There is also information about the arrival of a third group by land route. Thus, the Zoroastrians who did not adopt Islam either died or took refuge in India.
King Jari Rana of the region near Daman.Div, Gujarat gave shelter to him and also provided land and various types of assistance for the establishment of his fire temple. The first Parsi fire temple was built in 721 AD. Indian Parsis begin their Samvat with the influence of their last king Yajdzard.1.
By the end of the 10th century, they started settling in other parts of Gujarat as well. Like Iran in the 15th century, because of the Islamic revolution, due to the Islamic revolution, the Zoroastrian Parsi lives in Navsari went with the holy fire. After the British rule, the people of Parsi religion got some relief.
When the British opened factories in Surat in the 16th century, a large number of Parsi artisans and merchants participated enthusiastically. The British also traded through them, for which they were appointed brokers. Later, the British took over the British and needed artisans etc. for its development. With development, the Zoroastrians turned to Bombay. In this way, people of Parsi religion started doing business in Surat after Gujarat after Diu and Daman and then settled in Bombay. Presently, the population of Parsis in India is around 1 lakh, of which 70% live in Mumbai.
Rupee
Irani muslim
Iran is the only country where Shia is the national religion. In addition, Shias are in majority in Iraq and Bahrain. The ideological conflict between Saudi Arabia and Iran is at its worst due to religious differences. According to Saudi Arabia's largest religion Guru Mufti Abdul Aziz al-Sheikh, Iranians are not Muslims. Abdul Aziz is the Chief of the Islamic Organization established by the Saudi King. He said that Iranians have been followers of the Shzorostrianash ie Zoroastrianism.