रेत के समंदर पर जहाज सा मैं चलता हूॅ।
रेत के समंदर पर जहाज सा मैं चलता हूॅ ।।
सर उठा के आधियों का सामना मैं करता हूॅ
क्यूॅ डरू मै जिस्म से हो रही ।।
इन सुस्ख फिजाओं कि लडाई से
मै तपते सोलों को दिल के कोनो में।।
दफन करके चलता हूॅ।
चारू जी
दोस्तो आज मै आपको एक जीवन के ऐसे पढाव से रूबरू कराने वाला हूॅ इस दौर से हर प्राणी गुजरता है, खास कर विधार्थी लेकिन हम ज्यादा उस पर सोचते नही लेकिन कुछ लोग होते है जो कुछ ज्यादा सोचते हैं उस बारे में, Where have we come I Earthquake of mind I Happy Holi
आज दिनांक 09.03.2020 को मेरा मन अन्दर से इतना परेशान कर रहा था ऐसा मेरे साथ कभी नही हुआ मुझे सरकारी नौकरी कि तैयारी करते करते तीन साल हो गये बार-बार फेल बार-बार फेल आज अचानक मेरा मन अन्दर से फडफडा रहा था। जैसे पानी में रहने वाली मछली को पानी से निकाल देते हैं या प्यासे को पानी न मिलना अन्दर से मन कर रहा था कुछ ऐसा कर डालू कि सारा जहां देखता रहे, और मन को शान्ति मिले ऐसा नही कि मैने ये तीन साल अध्धयन नही किया बहुत अध्धयन किया फिर भी दूर-दूर तक सेलैक्शन का अता पता नहीं, लोग होली मना रहे मेरे मन में आतंक मचा हुआ है, शायद इसी कारण मंै इस होली घर भी नही गया सच्ची बतायें तो मै जिस सपने के लिये सरकारी नौकरी कि तैयारी कर रहा था अब मुझे लग रहा मैं नौकरी कर उसे पूरा नही कर सकता, लगातार फेल होने के बाद मैने कुछ दिन पहले यूटयूब पर बाबा रामदेव,बालकृष्ण, अंबानी,रतनटाटा, विवेक बिन्द्रा,नरेन्द्र मोदी, डा0 वेल्यूमनी,श्री मद भागवतगीता इन सबके बिजिनिस और जीवन का अध्धयन किया तब से मेरा मन और अशान्त हो गया फिर मैने उन लोगो के बारे में अध्धयन किया जो सरकारी पद पर आॅफिसर हैं मैने देखा ये आॅफिसर लोग कर क्या रहे ये भी तो एक भूखे लोग है जो नौकरी के बाद रूपये कि भूख मिटाने में लग जाते हैं, कितने आॅफिसर सच्चे हैं जो सामाजिक कार्य में लगन से काम करते है कुछ नेताओं कि चमचा गिरी में समय बिताते हैं कुछ कमाने कि जुगाढ में लगे रहते हैं, हमारा सपना तो हजारों बेसहारा लोगो के दिलो पर राज करना था जो आॅफिसर बनने के बाद सम्भव था लेकिन आज मैने देखा आॅफिसर लेाग तो कुछ कर ही नही सकते किसी को काम नही दे सकते मौका भी मिले तो उन्ही को देते है जिनकी हैसियत हो उनकी जेब गर्म करने कि बहुत मोटी रकम देने कि यह सच है, टैलेन्ट कि हैसियत धीरे-धीरे इस सेक्टर में खत्म हो रही रूपये का बोल बाला है, कुछ ही लोग है जिनको उम्मीदो से ज्यादा मिल जाता है वही दशको तक उदाहरण बने रहते हैं। जैसे जनगणना कुछ बदला ही नही ऐसा लगता है। अपने मन का नही कर सकते सरकारी फरमानो के आगे मजबूर बेसहारा जैसे मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे लेकिन सरकार कोई और चला रहा फैसले नही ले सकते कुछ कर नही सकते वही हालत है अच्छी और उच्च नौकरी के फार्म दो साल में एक बार फिर पेपर, रिजल्ट आते आते पांच साल और मान लो छोटी नौकरियों में आज सरकारी नौकरी 20000-40000 सैलरी है किसका भला कर पाओगे इस मंहगायी के जमाने में दूसरा एक सवाल जिसका जबाब मैं ढूढने कि कोशिश कर रहा हूॅ कि आखिर कब तक होगा सेलेक्शन अन्दर से डर भी बढ रहा है, जिसका जबाब मिल नही रहा मन परेशान है। जब से मैने इन बिजिनिस मैन्स लेागो कि बायोग्राफी का अध्धयन किया तबसे मेरे दिमाग का एक नया पहलू सामने आया जिसको मै आज तक समझ ही नही पाया मैने बिजिनिस के क्षेत्र में बहुत अच्छा कर सकता हूॅ और आज तीन साल में मैं इस क्षेत्र में बहुत कुछ कर सकता था हजारो को काम दे सकता था जिनके पास काम नही, सडक पर रह रही करोडो महिलायें जिनके पास काम नही पेट कि भूख के कारण लोगो कि भूख का शिकार होना पडता है। फिर शोषण होता है लोग जिनके पास काम नही हजारों किसानो का भला होता जिनकी मेहनत का हिस्सा उन्हे नही मिल पा रहा है, बहुत सारे अच्छे दोस्त मेरे साथ होते जो मुझसे उम्मीद लगाये हैं एक दिन भाई कुछ करेगा, ऐसा नही मेरे मन मे बिजिनिस आइडिया अचानक घर कर गया हो मेरे दिमाग में एक बिजिनिस आइडिया है जिस पर मै पिछले छैः महीने से रिसर्च कर रहा था मैने बहुत सी इन्डस्ट्रीज, मार्केट, बिजिनिस सेमिनार में जाकर रिसर्च कि आज उसकी रिसर्च पूरी हुई और मैं काफी सफल हुआ इस बजह से और हैरान था अब क्या करूॅ सरकारी नौकरी कि जिद छोड कुछ नया करूॅ फिर ख्याल आ जाता कि तीन साल से पढ रहे उसका क्या ऐसा लग रहा अब मै अपने लिये नही किसी दिखावे के लिये पढ रहा , पता नही ऐसा क्यो हो रहा मेरा दिमाग सही उत्तर निष्कर्ष आज निकाल ही नही पा रहा । कोई सच्चा मार्गदर्शक नही जो इस सुनामी से बचने का सुझाव दे सके जिससे पूछो कोई हंसता है। तो कोई बताते ही टांग खीचने को बैठा है।
Where have we come
Earthquake of mind
Happy Holi
I walk like a ship on the sand.
I walk like a ship on the sand.
I face the arms of the head
Why am I getting scared?
With the fight of these tastes
In the heart of the heart, I put the hot sols.
Buried
Charu Ji
Friends, today I am going to introduce you to such a study of life, every creature goes through this phase, especially the students but we do not think much about it but there are some people who think more about it,
Today, on 09.03.2020, my mind was so much disturbed from inside, it never happened to me, I have been preparing for a government job for three years, I have repeatedly failed repeatedly, today suddenly my heart was bursting from inside. Like when the fish living in the water is removed from the water or the thirsty person does not want to get water from inside, do something so that where the whole thing is watching, and peace of mind is not that I did not study this much for many years. Even after studying, I do not know the extent of selection, far, people are celebrating Holi, there is panic in my mind, maybe this is why I did not even go to this Holi house to tell the truth, then the dream for which the government Was preparing for the job, now I feel that I cannot complete it by doing the job, after continuous failure, I have a few days ago on youtube Baba Ramdev, Balakrishna, Ambani, Ratanata, Vivek Bindra, Narendra Modi, Dr. Velumani, Mr. Mad Bhagwatgita studied the business and life of all of them. Since then, my mind became more disturbed, then I studied about those people who are officers in government posts. I saw this officer. What are you doing, this is also a hungry people who take money to satisfy their hunger after work, how many officers are true who work diligently in social work, spend time in the spoon of some leaders in the jugaad to earn some We are engaged, our dream was to rule the hearts of thousands of destitute people, which was possible after becoming an officer, but today I have seen that the officer cannot do anything, do not give work to anyone. Even if given a chance, it is only true for those who have the status to pay very big money to heat their pockets, it is true that talent is slowly speaking in this sector of the rupee, there are few people who are expecting You get more than the same examples remain for decades. It seems as if the census has not changed anything. Can't make up your mind in front of government decrees, forced helpless like Manmohan Singh was the Prime Minister, but the government cannot take any other decisions, cannot do anything, the same condition is good and high job forms once again in two years paper, results come In the coming five years and assume that in small jobs, today the government job is 20000-40000 salary, who will be able to do well, in this time of high inflation, another question that I can answer I am wondering how long will the selection be. Fear from inside is also increasing, the mind is not getting answer. Ever since I studied the biography of these business men, a new aspect came to my mind that I could not understand till date, I can do very well in the field of business and today in three years I can do a lot in this field Could have given work to thousands who have no work, crores of women living on the road who do not have work, due to hunger due to stomach, people have to suffer hunger. Then there is exploitation, people who do not have work, it is good for thousands of farmers, whose hard work is not being provided to them, many good friends would be with me who have expected me one day brother will do something, it is not in my mind business idea Suddenly I have gone home, I have a business idea on my mind, which I was researching for the last six months, I went to many industries, markets, business seminars. Today, his research was completed and I was quite successful and I was surprised by this fact, what should I do now, except for a government job, I would do something new and then I would have thought that I am not looking for myself if I am studying for three years Reading for a show, I don't know why this is happening, my mind is unable to draw the correct answer today. There is no true guide who can suggest how to avoid this tsunami, so ask anyone who laughs. So someone is sitting to pull the leg as soon as they tell.