मन को प्रतिदिन दुखो का स्मरण कराओ
जीवन जन्म से लेकर मृत्यु तक दुखो , से भरा पड़ा है । गभर्वास का दुख, जन्मते समय का दुख, बचपन का दुख, बीमारी का दुख, बुढ़ापे का दुख तथा मृत्यु का दुख आदि दुखो की परम्परा चलती रहती है । गरुु नानक कहते है :
“नानक ! दुखिया सब संसार ।”
मन को प्रतिदिन इन सब दःुखो का स्मरण कराइए । मन को अस्पताल के रोगीजन िदखाइए,शबो को िदखाइए, मशान-भूमि में घू-घू जलती हुई िचताएँ िदखाइए । उसे कहें : “रे मेरे मन ! अब तो मान ले मेरे लाल ! एक िदन मिटटी में िमल जाना है अथवा अगनि में खाक हो जाना है । िवषय-भोगों के पीछे दौड़ता है पागल ! ये भोग तो दूसरी योनिओ में भी िमलते है । मनुष्य -जन्म इन क्षुद्र वस्तुओ के िलए नहीं है । यह तो अमूल्य अवसर है । मनुष्य -जन्म में ही परुषार्थ साध सकते है । यदि इसे बर्बाद कर देगा तो बारंबार ऎसी देह नहीं िमलेगी । इसिलए ईश्वर का -भजन कर, ध्यान कर, सत्सगं सुन और संतो की शरण में जा । तेरी जन्मों की भखू िमट जायेगी । क्षुद्र विषय -सुखों के पीछे भागने की आदत छूट जायेगी । तू आनंद के महासागर में ओतप्रोत होकर आनंदरुप हो जायेगा ।
अरे मन ! तू ज्योति स्वरुप है । अपना मूल पहचान । चौरासी लाख के चक्कर से छूटने का यह अवसर तुझे िमला है और तू मुट्ठीभर चनों के िलए इसे नीलाम कर देता है, पागल ।
इस प्रकार मन को समझाने से मन स्वतः ही समर्पण कर देगा । तत्पश्चात एक आज्ञाकारी व बुद्दिमान बच्चे के समान आपके बताये हुए मार्ग पर खुशी-खुशी चलेगा ।
िजसने अपना मन जीत िलया, उसने समस्त जगत को जीत िलया । वह राजाओं का राजा है, सम्राट है, सम्राटो का भी सम्राट है ।
moral story hindi, moral story about mind develop, kids knowledge story, story, knowledge story for students, students short story,
moral story hindi, moral story about mind develop, kids knowledge story, story, knowledge story for students, students short story,