प्रार्थना क्या है
दोस्तों हमने बचपन से ही एक शब्द सुन रक्खा है जिसका नाम है प्रार्थना ये क्या है ,भाई समझो प्रार्थना लोगो ने इसका अर्थ गलत समझ रक्का है की प्रार्थना की और ईश्वर से संपर्क हो गया भाई समझो एक तर्क से हम लोग जैसा बोलते है ,सुनते है कहते है पीते है बैसे ही तो बन जाते है ठीक उसी प्रकार हम अपने जीवन में जैसा बनना चाहते है उसके लिए ये प्रार्थना एक सरल मार्ग है जैसा हम बनना चाहते है वैसा ही बोलते है इसका सीधा प्रभाब हमारे मन ,मस्तिष्क में पड़ता है दोस्तों इसका ये अर्थ है दोस्तों हम एक बेहतरीन , शांति मय धुन के साथ एक,शांति प्रदान करने वाली औषधि प्रार्थना निचे लिख रहा हूँ कृपया करके इसे अपने जीवन में एक बार पड़ कर देखे और बताये क्या लाभ हुआ बहुत मजा आएगा करके देखो
हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो, ये जीवन निरर्थक जाने न पाए
हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो, ये जीवन निरर्थक जाने न पाए
यह मन न जाने क्या क्या दिखाए ,कुछ बन न पाया तेरे बनाये
यह मन न जाने क्या क्या दिखाए ,कुछ बन न पाया तेरे बनाये
संसार में ही अशक्त रहकर, दिनरात अपने मतलब की कहकर
संसार में ही आशक्त रहकर ,दिनरात अपने मतलब की कहकर
सुख के लिए, लाखो दुःख सहकर, ये दिन अभी तक यूं ही बिताये
हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो, ये जीवन निरर्थक जाने न पाए
ऐसा जगा दो की फिर सो न जाऊ ,अपने को निष्काम प्रेमी बना दो
ऐसा जगा दो की फिर सो न जाऊ ,अपने को निष्काम प्रेमी बना दो
मैं आप को चाहू और पाऊ,संसार का कुछ भय रह न जाये
हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो, ये जीवन निरर्थक जाने न पाए
यह मन न जाने क्या क्या दिखाए ,कुछ बन न पाया तेरे बनाये
बह योग्यता दो सत्कर्म कर लू ,अपने हृदय में सदभाब भर लू
हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो, ये जीवन निरर्थक जाने न पाए
हे दाता हमे निरभिमानी बना दो, दारिद्र हर लो और दानी बना दो
आनंद में भी ज्यानि बना दो, मैं हूँ पथिक यह आशा लगाए
हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो, ये जीवन निरर्थक जाने न पाए
हर हर महादेव ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
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