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भारत के प्रमुख उद्योग (Important Industries in India)










लौह इस्पात उद्योग का महत्त्व: लौह इस्पात उद्योग को किसी देश के अर्थिक विकास की धुरी माना जाता है। भारत में इसका सबसे पहला बड़े पैमाने का कारख़ाना 1907 में झारखण्ड राज्य में सुवर्णरेखा नदी की घाटी में साकची नामक स्थान पर जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित किया गया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत इस पर काफ़ी ध्यान दिया गया और वर्तमान में 7 कारखानों द्वारा लौह इस्पात का उत्पादन किया जा रहा है। TISCO : Tata Iron & Steel Company limited, Jamshedpur) भारत का पहला सबसे बड़ा कारखाना जहां भारत का 20% इस्पात निर्मित होता हैं। इस उद्योग को बोकरो, जमशेदपुर, उड़ीसा से कोयला व लोहा प्राप्त होता हैं। इसकी स्थापना सन् 1907 में जमशेदजी टाटा द्वारा की गई थी। IISCO: Indian Iron Steel Company इसकी स्थापना सन् 1874 में की गई थी। यह भारत का सर्वाधिक लोहे की ढ़ुलाई करने वाला उद्योग हैं। बर्नपुर, हीरापुर, कुल्टी (पश्चिम बंगाल) में इसकी तीन इकाईयां हैं।

भारत के प्रमुख इस्पात संयंत्रो के नाम और उनका स्थान:

राउरकेला इस्पात संयंत्र: इसकी स्थापना उड़ीसा में पश्चिम जर्मनी की सहायता से की गई थी।
भिलाई लौह-इस्पात संयंत्र: इसकी स्थापना छत्तीसगढ़ में रूस की सहायता सें की गई थी।
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र: इसकी स्थापना पश्चिम बंगाल में ब्रिटेन की सहायता से की गई थी।
बोकारो लौह-इस्पात कारखाना: इसकी स्थापना झारखण्ड में रूस की सहायता से की गई थी।
विजयनगर इस्पात उद्योग: कर्नाटक में बेलारी जिले में।
विशाखापट्टनम इस्पात उद्योग: आंध्रप्रदेश में।
संलयन इस्पात उद्योग संयंत्र: तमिलनाडु में।
दातेरी इस्पात उद्योग: उड़ीसा में।
2. ऐलुमिनियम उद्योग: ऐलुमिनियम उद्योग के अन्तर्गत बॉक्साइट की कच्ची धातु से इसका निर्माण किया जाता है। बॉक्साइट को गलाने के लिए बड़ी मात्रा में कोयले की आवश्यकता के कारण ऐलुमिनियम कारखाने उन्ही क्षेत्रों में स्थापित किये जाते हैं, जहाँ दोनो खनिज साथ-साथ मिलते है। भारत में ऐलुमिनियम का पहला कारख़ाना 1937 मे जे.के. नगर में ‘ऐलुमिनियम कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया’ के नाम से स्थापित किया गया।

भारत के ऐलुमिनियम उद्योग के प्रमुख  कारखानों नाम और उनका स्थान:

इण्डियन एल्युमिनियम कम्पनी (सन् 1938):- बिहार स्थित में हैं।
भारत एल्युमिनियम कम्पानी (BALCO):- छत्तीसगढ़ में कोरबा में स्थापित हैं।
Hindalco:- उत्तर प्रदेश के रेनकूट में स्थित हैं।
NALCO (1981) :- देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई। इसकी 3 इकाईया मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश व उड़ीसा में हैं।


3. सीमेन्ट उद्योग (Cement Industry):


सीमेन्ट उद्योग का महत्त्वः वर्तमान में भारतीय सीमेन्ट उद्योग, विश्व में सीमेन्ट के उत्पादन में न केवल दूसरे स्थान पर है, बल्कि विश्वस्तरीय गुणवत्ता का सीमेन्ट भी उत्पादित करता है।

सीमेन्ट उद्योग का प्रारंभ से अब तक की स्थितिः वर्ष 1904 में सर्वप्रथम मद्रास (अब चेन्नई) में भारत का पहला सीमेन्ट कारखाना खोला गया जो असफल रहा किंतु 1912–14 के मध्य 3 बड़े सीमेन्ट कारखाने खोले गएः

पोरबंदर (गुजरात)।
कटनी (मध्य प्रदेश)।
लाखेरी।
नोटः

1991 में घोषित औद्योगिक नीति के अन्तर्गत सीमेन्ट उद्योग को लाइसेन्स मुक्त कर दिया गया।
मार्च, 2011 के अन्त में देश में 166 बड़े सीमेन्ट संयंत्र है इसके अलावा देश में कुल 350 लघु सीमेन्ट संयंत्र भी है।
वर्ष 2010–11 में सीमेन्ट और ईंट का निर्यात 40 लाख टन रहा।
भारतीय सीमेन्ट ने बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, मध्य पूर्व एशिया (Middle East Asia), म्यांमार, अफ्रीका, आदि देशों के बाजार में अपनी पहुंच बना ली है।
भारत की सीमेन्ट कम्पनियां हैं: बिरला सीमेन्ट, जे-पी- सीमेन्ट, एसीसी सीमेन्ट और बांगर सीमेन्ट।

4. कोयला उद्योग (Coal Industry):

कोयले का महत्त्वः भारतीय कोयला उद्योग एक आधारभूत उद्योग है जिस पर अन्य उद्योगों का विकास निर्भर करता है। वर्तमान समय में शक्ति के साधन के रूप में कोयला उद्योग का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

भारत में दो कोयला उत्पादन क्षेत्र हैं:

1.गोंडवाना कोयला क्षेत्रः

पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश।
भारत में प्राप्त कुल कोयले का 98% भाग गोंडवाना क्षेत्र से ही प्राप्त होता है।
इस क्षेत्र से एन्थ्रेसाइट और बिटुमिनस किस्म के कोयले प्राप्त होते हैं।
2. टर्शियरी कोयला क्षेत्रः

जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, तमिलनाडु, असम, मेघालय और उत्तर प्रदेश।
भारत में प्राप्त कुल कोयले का 2% भाग टर्शियरी कोयला क्षेत्र से प्राप्त होता है।
इस क्षेत्र से लिग्नाइट किस्म का कोयला प्राप्त होता है जिसे ‘भूरा कोयला’ भी कहते हैं।
कोयला उद्योग की वर्तमान स्थितिः

भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के अनुसार, ‘भारत में 1 अप्रैल, 2011 तक सुरक्षित कोयले का भंडार 285.87 अरब टन है।
कोयला उद्योग में 800 करोड़ की पूंजी विनियोजित है तथा यह 7 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराता है।
भारत में कोयले के सर्वाधिक भंडार वाले राज्य (जनवरी, 2008 के अनुसार) हैं—(1) झारखंड, (2) उड़ीसा,
(3) छत्तीसगढ़, (4) पश्चिम बंगाल और (5) आंध्र प्रदेश।
भारत के प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं—रानीगंज, झरिया, पू- और पश्चिम बोकारो, तवाघाटी, जलचर, चन्द्रान्वर्धा और गोदावरी की घाठी।

वर्तमान समय में भारतीय कोलया उद्योग का संचालन एवं नियंत्रण सार्वजनिक क्षेत्र की दो प्रमुख संस्थाएं करती हैं:

कोल इंडिया लि- (Coal India Ltd.—CIL): कोयले के कुल उत्पादन के लगभग 86% भाग पर नियंत्रण यह एक धारक कम्पनी है। इसके अधीन 7 कम्पनियां कार्यरत हैं।
सिंगरैनी कोलारीज क- लि- (Singareni Collieries Company Ltd.—SCCL) यह आंध्र प्रदेश सरकार तथा केंद्र सरकार का संयुक्त उपक्रम (Joint venture) है।
भारत में सर्वाधिक लिग्नाइट (Lignite) किस्म का कोयला पाया जाता है।

5. पेट्रोलियम उद्योग (Petroleum Industry):

पेट्रोलियम उद्योग का महत्त्व: भारत में पेट्रोलियम उद्योग का महत्त्व उसकी मांग एवं पूर्ति से लगाया जा सकता है। देश में कच्चे तेल का कुल भंडार 75.6 करोड़ टन अनुमानित है। परंतु फिर भी भारत अपनी कुल आवश्यकता का मात्र 20% भाग ही स्वदेशी उत्पादन द्वारा प्राप्त कर पाता है।

पेट्रोलियम उद्योग का प्रारंभ से अब तक की स्थितिः

वर्ष 1956 तक भारत में केवल एक ही खनिज तेल उत्पादन क्षेत्र विकसित थी जो डिग्बोई असम में था। डिग्बोई के जिस तेल कुएं से तेल निकाला गया था वहां से आज भी तेल निकाला जा रहा है।
वर्तमान में भारत असम, त्रिपुरा, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, मुम्बई, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, केरल के तटीय प्रदेशों तथा अंडमान एवं निकोबार से खनिज तेल प्राप्त करने का कार्य कर रहा है।
भारत में तेल की खोज और इसके उत्पादन का काम व्यापक और व्यवस्थित रूप से 1956 में तेल और प्राकृतिक गैस आयोग (Oil and Natural Gas Commission—ONGC) के स्थापना के बाद प्रारंभ हुआ। इसी क्रम में ऑयल इंडिया लि- (Oil India Limited—OIL) सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी कम्पनी बन गई।
1 फरवरी, 1994 में तेल और प्राकृतिक गैस आयोग (Oil and Natural Gas Commission) का नाम बदलकर Oil and Natural Gas Corporation कर दिया गया।

वर्ष 1999 में केंद्र सरकार ने तेल एवं गैस की खोज एवं उत्खनन के लिए लाइसेंस प्रदान करने की नई नीति न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी तैयार की है।
NELP के 9वें दौर के तहत 33 तेल ब्लाकों के लिए बोलियां लगाने की तिथि 15 अक्टूबर, 2010 से 18 मार्च, 2011 के दौरान सरकार द्वारा आमंत्रित की गई थी जिनमें से 16 ब्लाक आवंटित कर दिए गए हैं।
वर्तमान में देश में 21 Oil Refineries हैं जिनमें 17 सार्वजनिक क्षेत्र, 3 निजी क्षेत्र एवं 1 संयुक्त क्षेत्र की है।
नोटः भारत सरकार NELP के बाद तेल की खोज व उत्खनन के लिए ओपेन एक्रीएज लाइसेन्सिग पॉलसी लाने का सरकार का इरादा है। जिसके तहत तेल कम्पनी कोई भी नया ब्लाक स्वतः ही चुनकर तेल उत्खनन हेतु अपना प्रस्ताव सरकार को प्रस्तुत कर सकेगी अतः उन्हें NELP के तहत सरकारी पेशकश की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी।

मोटिवेशनल बायोग्राफी कैलाश ,hindi motivational story kailash khair, hardwork story, success story tips

                                         मोटिवेशनल  बायोग्राफी कैलाश khair


कैलाश खेर (जन्म ७ जुलाई १९७३) को उत्तर प्रदेश में हुआ वे एक भारतीय पॉप-रॉक गायक है जिनकी शैली भारतीय लोक संगीत से प्रभावित है। कैलाश खेर ने अबतक १८ भाषाओं में गाने गाया है और ३०० से अधिक गीत बॉलीवुड में गाये है।




कैलाश खेर को संगीत मानों विरासत में मिली हो। उनके पिता पंडित मेहर सिंह खेर पुजारी थे और अक्सर घरों में होने वाले इवेंट में ट्रेडिशनल फोक सॉन्ग गाया करते थे। कैलाश ने बचपन में पिता से ही संगीत की शिक्षा ले ली थी। लेकिन वह कभी भी बॉलीवुड गाने सुनना पसंद नहीं करते थे और ना ही सुना करते थे पर उनको संगीत से लगाव तो काफी था।

संगीत सीखने के लिए घर से की बगावत

कैलाश जब 13 साल के थे तभी वो संगीत की बेहतर शिक्षा लेने के लिए घरवालों से लड़कर दिल्ली आ गए थे। यहां आकर उन्होंने संगीत की शिक्षा तो लेनी शुरू कर दी लेकिन साथ में पैसे कमाने के लिए छोटा सा काम शुरू कर दिया। साथ में विदेशी लोगों को संगीत भी सिखाकर पैसे कमाते थे।

बिजनेस में घाटे के करना चाहते थे सुसाइड

दिल्ली में रहते हुए 1999 तक कैलाश खेर ने अपने एक फैमिली फ्रेंड के साथ एक्सपोर्ट का बिजनेस करने लगे थे। इसी साल उन्हें इस कारोबार में इतना बड़ा घाटा हुआ जिसमें वह अपनी सारी जमा पूंजी गंवा चुके थे। इसी वक्त कैलाश इतने डिप्रेशन में चले गए थे कि वो जिंदगी से तंग आकर सुसाइड करना चाहते थे। इन सब से किसी तरह से निकलने के बाद कैलाश पैसे कमाने के लिए सिंगापुर और थाइलैंड चले गए। जहां 6 महीने रहने के बाद वो वापस भारत आकर ऋषिकेश चले गए और कुछ दिनों तक वहीं रहे। वहां वे साधू-संतो के लिए गाना गाया करते थे। कैलाश के गाने को सुनकर बड़ा से बड़ा संत झूम उठता था, इससे कैलाश का खोया विश्वास वापस आया और वह मुंबई चले गए।


मुंबई आने के बाद कैलाश ने काफी गरीबी में दिन गुजारें। घर में नहीं बल्कि कैलाश वहां चॉल में रहते थे। उनके हालत कैसे थे वो इसी बात से पता चलता है कि उनके पास पहनने के लिए एक सही चप्पल भी नहीं थी। वह एक टूटी चप्पल ले 24 घंटे स्टूडियो के चक्कर लगाते रहते ताकि कोई तो उनकी आवाज को सुन उनको गाने का मौका दे दे।

एक दिन उन्हें राम संपत ने एक ऐड का जिंगल गाने के लिए बुलाया, जिसके लिए उन्हें 5000 रुपए मिले। तब पांच हजार रुपए भी कैलाश को बहुत ज्यादा लगे और इनसे उनका कुछ दिन का काम चल गया। 'अल्ला के बंदे हम' ने दिलाई एक अलग पहचान दिलाई।


कैलाश ने मुंबई में कई सालों तक स्ट्रगल करने के बाद फिल्म अंदाज से उन्हें ब्रेक मिला। इस फिल्म में कैलाश ने 'रब्बा इश्क ना होवे' में अपनी आवाज दी। लेकिन कैलाश के किस्मत का तारा तब चमका जब उन्होंने फिल्म वैसा भी होता है में 'अल्ला के बंदे हम' गाने में अपनी आवाज दी। ये गाना आजतक कैलाश के हिट गानों में से एक है।

18 भाषाओं में गाया  गाना

कैलाश खेर ने अबतक 18 भाषाओं में गाने गा चुके हैं। 300 से अधिक गाने कैलाश ने सिर्फ बॉलीवुड में गाए हैं। कैलाश को अपने गानों के लिए दर्जनों अवार्ड मिल चुके हैं। कैलाश खेर 2009 में मुंबई बेस्ड शीतल से शादी की। उनका एक चार साल का बेटा है, जिसका नाम कबीर है।

मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। hindi short success story, new story hindi,

                                                बुलंद होसलों की कहानी


मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी ज़िंदगी इसका रोना रोता है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर हमारा सामना मुसीबतों/problem से होता है. इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती
अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है।
1 problem पर focus करके(problem focus peoples)
2 solution पर focus करके(solution focus peoples)

Problem focus peoples अक्सर मुसीबतों मे ढेर हो जाते है। इस तरीके के इंसान किसी भी मुसीबत मे उसके हल के बजाये उस मुसीबत के बारे मे ज्यादा सोचते है। वही दूसरी ओर solution focus peoples मुसीबतों मे उसके हल के बारे मे ज्यादा सोचते है। इस तरह के इंसान मुसीबतों का डट के सामना करते है।


दोस्तो आज मै आपके साथ एक महान solution focus इंसान की कहानी शेयर करने जा रहा हु जो आपको किसी भी मुसीबत से लड़ने के लिए प्रोत्साहित (motivate) करेगी। दोस्तो आपने नेपोलियन बोनापार्ट (napoleon Bonaparte) का नाम तो सुना ही होगा। जी हा वही नापोलियन बोनापार्ट जो फ़्रांस के एक महान निडर और साहसी शासक थे जिनके जीवन मे असंभव नाम का कोई शब्द नहीं था। इतिहास में नेपोलियन को विश्व के सबसे महान और अजय सेनापतियों में से एक गिना जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से माने जाते थे । उसके सामने कोई रुक नहीं पाता था।

नेपोलियन के बुलंद होसलों की कहानी- A MOTIVATIONAL STORY IN HINDI FOR PROBLEM SOLVING

नेपोलियन अक्सर जोखिम (risky) भरे काम किया करते थे। एक बार उन्होने आलपास पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना के साथ चल पढे। सामने एक विशाल और गगनचुम्बी पहाड़ खड़ा था जिसपर चढ़ाई करने असंभव था। उसकी सेना मे अचानक हलचल की स्थिति पैदा हो गई। फिर भी उसने अपनी सेना को चढ़ाई का आदेश दिया। पास मे ही एक बुजुर्ग औरत खड़ी थी। उसने जैसे ही यह सुना वो उसके पास आकर बोले की क्यो मरना चाहते हो। यहा जितने भी लोग आये है वो मुह की खाकर यही रहे गये।

अगर अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो वापिस चले जाओ। उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन नाराज़ होने की बजाये प्रेरित हो गया और झट से हीरो का हार उतारकर उस बुजुर्ग महिला को पहना दिया और फिर बोले; आपने मेरा उत्साह दोगुना कर दिया और मुझे प्रेरित किया है। लेकिन अगर मै जिंदा बचा तो आप मेरी जय-जयकार करना।

उस औरत ने नेपोलियन की बात सुनकर कहा- तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुनकर हताश और निराश नहीं हुए। ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।


आज सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) को इसलिए क्रिकेट (cricket) का भगवान कहा जाता है क्योकि उन्होने जरूरत के समय ही अपना शानदार खेल दिखाया और भारतीय टीम को मुसीबतों से उभारा। ऐसा नहीं है कि यह मुसीबते हम जैसे लोगो के सामने ही आती है, भगवान राम के सामने भी मुसीबते आयी है। विवाह के बाद, वनवास की मुसीबत। उन्होने सभी मुसीबतों का सामना आदर्श तरीके से किया। तभी वो मर्यादा पुरषोतम कहलाये जाते है। मुसीबते ही हमें आदर्श बनाती है।

अंत मे एक बात हमेशा याद रखिये;
जिंदगी में मुसीबते चाय के कप में जमी मलाई की तरह है,
और कामयाब वो लोग हैं जिन्हे फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना आता है

कोई सुझाब या शिकायत के लिए आप हमे मेल कर सकते है या वाटसएप्प कर सकते है
 हमारा ईमेल एड्रेस है sachinrsgu@gmail.com हमारा नंबर है 8009427122 
                                   
                                                                                                   धन्यबाद



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                                                          SELF MOTIVATED



 सफलता हमेशा मार्कशीट देखकर नहीं आती। लगातार मेहनत आपको खुद सफलता के शिखर तक पहुंचा देती है।  आज के युवाओं को सिर्फ Motivational Story ही पढ़ना अच्छा लगता है, लेकिन उसे अमल में लाने में आलस करते हैं।  साथ ही युवाओं को जल्दी सफलता चाहिए, लेकिन वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहते।  ऐसा क्यों, अगर हमें सफल होना है तो सबसे पहले हमें रिस्क लेना पड़ेगा।  जबतक आप रिस्क नहीं लोगे तब तक आप सफल कैसे होगे।

महान कवि हरिवंश राय बच्चन जी की एक कविता है, जिसमें उन्होंने सफलता के लिए संघर्ष करना बहुत खुबसुरत तरीके से बताया है।

”तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।”

हर व्यक्ति के पास सफल होने के लिए मास्टर प्लान होता है, लेकिन वह डर के कारण उस पर काम नहीं करता। साथ ही वह मास्टर प्लान किसी के साथ शेयर भी नहीं करता, ताकि कोई दूसरा सफल न हो जाए। ऐसा करके अगर वो सोंचता है कि वो सही कर रहा है, तो उससे बड़ा मुर्ख कोई नहीं। सफल वहीं इंसान होता है तो रिस्क लेकर कुछ अलग करता है। दोस्तों आज हम आपको इसी के बारे में बतायेंगे।

सबसे जरुरी आत्मविश्वास


अगर आपको सफलता हासिल करना है तो आपको अपना आत्मविश्वास बढ़ाना होगा, अगर आत्मविश्वास  नहीं होगा तो आप रिस्क नहीं ले पायंगे और जब आप रिस्क नहीं ले पाएंगे तब आप सफल भी नहीं हो पाएंगे।  सफल लोगों में एक अलग ही आत्मविश्वास झलकता है।  ज़ाहिर है कि वे खुद में और जो कुछ भी वे करते हैं उसमें यकीन करते हैं।  यह आत्मविश्वास उनमें सफल होने के बाद नहीं आया।  यह उनमें पहले से ही था।  आपके अंदर भी आत्मविश्वास है उसे जानो पहचानो और आगे बढ़ो।  हमें रिस्क लेने से घबराना नहीं चाहिए।  बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ रिस्क लेकर सफलता के रस्ते में चलना चाहिए।  इसी के बल पर आप सफलता हासिल कर सकते हैं।

दिमाग की नहीं…दिल की सुनो…

जी हां, अगर आप दिमाग की सुनोगे तो आप कभी भी सही निर्णय नहीं ले पाओगे।  ये हम नहीं कह रहे इसे वैज्ञानिकों ने प्रूफ किया है।  जब हम दिल कि सुनते हैं तो हमारा निर्णय एक दम सही होता।  दरअसल, जो हमारा मन चाहता है तो दिमाग नहीं चाहता लेकिन वो दिल चाहता है।  सबसे जरुरी बात दिमाग कभी भी आपको रिस्क लेनें के लिए ‘हां’ नहीं बोलेगा।  वो इसलिए क्योंकि दिमाग को बहुत डर लगता है।  दिमाग डरता कि कही वो कहीं फेल न हो जाए।  दिल ऐसा नहीं सोचता।  दिल हमारे मन की सुनता है।  इसलिए अगर आप सफल होना चाहते हैं तो दिमाग की नहीं बल्कि दिल की सुनो।  दिल हमें सही रास्ता दिखता है।  रिस्क लेने में दिल कभी डरता नहीं।  वो निडर है।  आपको जब भी कोई बड़ा रिस्क लेना हो तो अपने दिल की सुनो।
रिस्क लेने से पहले एक योजना बनाये

जब कभी भी आपको कोई बड़ा लक्ष्य तय करना हो तो इसके लिए सबसे पहले आपको एक अच्छी सी योजना बनानी होगी।  जिस तरह से कोई भी लक्ष्य बिना Planning के पूरा नहीं हो सकता।  उसी तरह रिस्क को भी एक योजना की जरुरत होती है।  अगर आपने रिस्क ले लिया और इसकी कोई भी प्लानिंग नहीं की तो यह निश्चित है की आप Future में अपने लक्ष्य से भटक जायेंगे और आपका Main Target अधूरा रह जायेगा।

इसलिए सफलता के लिए यह बहुत जरुरी है की आप रिस्क लेने से पहले पूरी Planning बना ले और फिर अपने Goals को Achive करने के लिए जी जान से जुट जाएँ।  आपका जो भी लक्ष्य है उसे पाने के लिए आप एक निश्चित समय बना ले और यह तय कर ले की आपको उस समय तक अपने लक्ष्य को पा लेना है।

सबसे जरूरी बात आपने अपने लक्ष्य को पाने के लिए रिस्क ले तो लिया, लेकिन अगर पूरी योजना के साथ मेहनत नहीं की तो सब बेकार है। इसलिए अगर आपका लक्ष्य बड़ा है तो उसे आप कई छोटे – छोटे भागो में बाँट सकते है।  आप अपने समय का सदुपयोग करें, उसे बर्बाद न करें।  इसके बाद सफलता आपके कदम चूमेगी।

बड़े सपने देखें और लक्ष्य बनाये



अगर आप हर काम में सफलता पाना चाहते हैं तो आपको अपनी आदतों में कुछ बदलाव करने होंगे, जैसे आपको बड़े सपने देखने होंगे। सोते-सोते तो हर कोई सपने देख लेता है, जो लोग दिन में सपने देखते हैं और एक लक्ष्य बनाकर उसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं वहीं सफल होते हैं। अब्दुल कलाम साहब कहते थे कि प्रत्येक व्यक्ति को बड़े सपने देखने चाहिए। जो लोग बड़े सपने नहीं देखते, वो बड़े बन भी नहीं सकते। इसलिए बड़े सपने देखो और बड़ा लक्ष्य बनाओ।


समय की कीमत समझें

दुनिया में जितने भी सफल इंसान हैं उन सबके पास भी एक दिन में 24 घंटे ही होते हैं।  वो इन्हीं 24 घंटों का सही इस्तेमाल करके सफल हुए हैं। दरअसल ये लोग समय की कीमत समझते थे, इन्होंने कभी भी अपने समय को बर्बाद नहीं किया। अगर आपको भी सफल होना है तो फालतू समय न बर्बाद करें। संसार की सबसे मूल्यवान चीज है-’समय’। समय किसी के लिए भी नहीं रुकता। जो इस समय का सही उपयोग कर लेता है, वह सफल व्यक्ति है।

लक्ष्य नहीं तरीका बदलो





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                                                                 सफलता की ओर





सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब सभी चीज़ें आपके विरोध में हो रहीं हों और हर तरफ से निराशा मिल रही हो| चाहें आप एक प्रोग्रामर हैं या कुछ और, आप जीवन के उस मोड़ पर खड़े होता हैं जहाँ सब कुछ ग़लत हो रहा होता है| अब चाहे ये कोई सॉफ्टवेर हो सकता है जिसे सभी ने रिजेक्ट कर दिया हो, या आपका कोई फ़ैसला हो सकता है जो बहुत ही भयानक साबित हुआ हो |


लेकिन सही मायने में, विफलता सफलता से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है | हमारे इतिहास में जितने भी बिजनिसमेन, साइंटिस्ट और महापुरुष हुए हैं वो जीवन में सफल बनने से पहले लगातार कई बार फेल हुए हैं | जब हम बहुत सारे काम  कर रहे हों तो ये ज़रूरी नहीं कि सब कुछ सही ही होगा| लेकिन अगर आप इस वजह से प्रयास करना छोड़ देंगे तो कभी सफल नहीं हो सकते |

हेनरी फ़ोर्ड, जो बिलियनेर और विश्वप्रसिद्ध फ़ोर्ड मोटर कंपनी के मलिक हैं | सफल बनने से पहले फ़ोर्ड पाँच अन्य बिज़निस मे फेल हुए थे | कोई और होता तो पाँच बार अलग अलग बिज़निस में फेल होने और कर्ज़ मे डूबने के कारण टूट जाता| लेकिन फ़ोर्ड ने ऐसा नहीं किया और आज एक बिलिनेअर कंपनी के मलिक हैं |

अगर विफलता की बात करें तो थॉमस अल्वा एडिसन का नाम सबसे पहले आता है| लाइट बल्व बनाने से पहले उसने लगभग 1000 विफल प्रयोग किए थे |

अल्बेर्ट आइनस्टाइन जो 4 साल की उम्र तक कुछ बोल नहीं पता था और 7 साल की उम्र तक निरक्षर था | लोग उसको दिमागी रूप से कमजोर मानते थे लेकिन अपनी थ्ओरी और सिद्धांतों के बल पर वो दुनिया का सबसे बड़ा साइंटिस्ट बना |

अब ज़रा सोचो कि अगर हेनरी फ़ोर्ड पाँच बिज़नेस में फेल होने के बाद निराश होकर बैठ जाता, या एडिसन 999 असफल प्रयोग के बाद उम्मीद छोड़ देता और आईन्टाइन भी खुद को दिमागी कमजोर मान के बैठ जाता तो क्या होता?

हम बहुत सारी महान प्रतिभाओं और अविष्कारों से अंजान रह जाते |

तो मित्रों, असफलता सफलता से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है…..

असफलता ही इंसान को सफलता का मार्ग दिखाती है। किसी महापुरुष ने बात कही है कि –

“Winners never quit and quitters never win”
जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते


आज सभी लोग अपने भाग्य और परिस्थियों को कोसते हैं। अब जरा सोचिये अगर एडिसन भी खुद को अनलकी समझ कर प्रयास करना छोड़ देता तो दुनिया एक बहुत बड़े आविष्कार से वंचित रह जाती। आइंस्टीन भी अपने भाग्य और परिस्थियों को कोस सकता था लेकिन उसके ऐसा नहीं किया तो आप क्यों करते हैं।

अगर किसी काम में असफल हो भी गए हो तो क्या हुआ ये अंत तो नहीं है ना, फिर से कोशिश करो, क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

मित्रों असफलता तो सफलता की एक शुरुआत है, इससे घबराना नहीं चाहिये बल्कि पूरे जोश के साथ फिर से प्रयास करना चाहिये..
 
Towards success

There comes a time in everyone's life when all things are happening against you and there is disappointment from all sides. Whether you are a programmer or something, you stand at that point of life where everything is going wrong. Now, whether it can be a software that has been rejected by everyone, or you can have a decision that has proved to be very terrible.
But in reality, failure is more important than success. All the businessmen, scientists and great men in our history have failed many times before becoming successful in life. When we are doing a lot of work, it is not necessary that everything will be perfect. But if you stop trying because of this, you can never succeed.

Henry Ford, a billiard and owner of the world famous Ford Motor Company. Ford failed in five other businesses before becoming successful. If someone else had broken five times due to failure in different business and drowning in debt. But Ford did not do this and today is owner of a bilinear company.

If you talk of failure, Thomas Alva Edison's name comes first. He made about 1000 failed experiments before making light bulbs.

Albert Einstein, who did not know anything until the age of 4, and was illiterate until the age of 7. People considered him as mentally weak but on the basis of his theory and principles, he became the greatest scientist in the world.
Now imagine what would have happened if Henry Ford had sat down disappointed after failing in five business, or Edison would have given up hope after 999 unsuccessful experiments and Iintin would have thought of himself as a weak brain?
We would have been unaware of many great talents and inventions.

So friends, failure is more important than success… ..

Failure shows the path of success to a human being. Some great man has said that -

"Winners never quit and quitters never win"

Winners never give up and losers never win

Today all people curse their fate and circumstances. Now think if Edison too had stopped trying to think himself alone then the world would have been deprived of a very big invention. Einstein could also curse his fate and circumstances, but he did not do so, why do you.

If you have failed in any work, then what is the end? Is it not, try again, because those who try will never give up.


Friends, failure is the beginning of success, it should not be nervous, but try again with full enthusiasm ..


जिंदगी | को देखने का नजरिया , hindi stories motivational, hindi stories with morals,

                                                     जिंदगी को देखने का नजरिया



सचिन और गौरव बचपन के जिगरी दोस्त थे| लेकिन काम में व्यस्त होने के कारण दोनों ज्यादा नहीं मिल पाते थे| गौरव पढ़ लिखकर एक बैंक में अच्छे पद पर नौकरी कर रहा था लेकिन फिर भी वह अपने काम से खुश नहीं था| दूसरी और सचिन एक फोटोग्राफर बन गया था|

क्योंकि उसे बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक था| और वह अपनी जिंदगी से बहुत खुश था| एक दिन गौरव, सचिन के घर खाने पर गया| गौरव ने सचिन से कहा यार, मैंने नौकरी करके गलती कर दी| मुझे भी तेरी तरह फोटोग्राफर ही बनना चाहिए था|


कम से कम मैं तेरी तरह जिंदगी में खुश तो रह पाता| आज मेरे पास सब कुछ है लेकिन खुशी नहीं है|

यह सुनकर सचिन बोला, देखो भाई, अगर तुम्हें फोटोग्राफी इतनी ही पसंद है तो फोटोग्राफर बन जाओ इसमें कौन सी बड़ी बात है|

गौरव बोला, यार फोटोग्राफी तो मुझे हमेशा से ही पसंद थी लेकिन अब ज्यादा पसंद आती है क्योंकि मेरे काम में वह मजा नहीं है जो तुम्हारे काम में है|

अगर मैं फोटोग्राफी शुरु कर दूंगा तो मैं भी तुम्हारी तरह खुश रहूंगा| तब तो तुम एक काम और करना| मुझे करेले भी बहुत पसंद है और मैं दिन में दो बार करेले खाता हूं| इसीलिए मैं इतना खुश नजर आता हूं| गौरव हंसने लगा|

सचिन बोला:-  खुशी किसी काम से नहीं बल्कि अपने अंदर से आती है| सब कुछ मिलने के बाद भी हम दुखी रह सकते हैं या फिर कुछ नहीं मिलने पर भी खुश रह सकते हैं| यह सब हमारी जिंदगी को देखने का नजरिया है|







आग की भीख ,रामधारी सिंह "दिनकर ,ramdhari singh dinkar poems urvashi

   आग की भीख


धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासा
कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसा
कोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा है
मुंह को छिपा तिमिर में क्यों तेज सो रहा है
दाता पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला दे
बुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला दे
प्यारे स्वदेश के हित अँगार माँगता हूँ
चढ़ती जवानियों का श्रृंगार मांगता हूँ
बेचैन हैं हवाएँ, सब ओर बेकली है
कोई नहीं बताता, किश्ती किधर चली है
मँझदार है, भँवर है या पास है किनारा?
यह नाश आ रहा है या सौभाग्य का सितारा?




आकाश पर अनल से लिख दे अदृष्ट मेरा
भगवान, इस तरी को भरमा न दे अँधेरा
तमवेधिनी किरण का संधान माँगता हूँ
ध्रुव की कठिन घड़ी में, पहचान माँगता हूँ
आगे पहाड़ को पा धारा रुकी हुई है
बलपुंज केसरी की ग्रीवा झुकी हुई है
अग्निस्फुलिंग रज का, बुझ डेर हो रहा है
है रो रही जवानी, अँधेर हो रहा है
निर्वाक है हिमालय, गंगा डरी हुई है
निस्तब्धता निशा की दिन में भरी हुई है
पंचास्यनाद भीषण, विकराल माँगता हूँ
जड़ताविनाश को फिर भूचाल माँगता हूँ
मन की बंधी उमंगें असहाय जल रही है
अरमान आरजू की लाशें निकल रही हैं
भीगी खुशी पलों में रातें गुज़ारते हैं
सोती वसुन्धरा जब तुझको पुकारते हैं
इनके लिये कहीं से निर्भीक तेज ला दे
पिघले हुए अनल का इनको अमृत पिला दे
उन्माद, बेकली का उत्थान माँगता हूँ
विस्फोट माँगता हूँ, तूफान माँगता हूँ
आँसू भरे दृगों में चिनगारियाँ सजा दे
मेरे शमशान में आ श्रंगी जरा बजा दे
फिर एक तीर सीनों के आरपार कर दे
हिमशीत प्राण में फिर अंगार स्वच्छ भर दे
आमर्ष को जगाने वाली शिखा नई दे
अनुभूतियाँ हृदय में दाता, अनलमयी दे
विष का सदा लहू में संचार माँगता हूँ
बेचैन जिन्दगी का मैं प्यार माँगता हूँ
ठहरी हुई तरी को ठोकर लगा चला दे
जो राह हो हमारी उसपर दिया जला दे
गति में प्रभंजनों का आवेग फिर सबल दे
इस जाँच की घड़ी में निष्ठा कड़ी, अचल दे
हम दे चुके लहु हैं, तू देवता विभा दे
अपने अनलविशिख से आकाश जगमगा दे
प्यारे स्वदेश के हित वरदान माँगता हूँ
तेरी दया विपद् में भगवान माँगता हूँ




माँ ---- बाप father and mother,love parents,love parents quotes in hindi

                                                                     माँ ---- बाप



जीवन में कुछ समय ऐसा भी आता है हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते आज हम आपको एक सुपर हिट कहानी सुनाते है
एक लड़का पढ़ने में बहुत ही अच्छा था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एक कंपनी में नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गया।

उसका इंटरव्यू बहुत ही अच्छा गया। इंटरव्यू के बाद उससे पूछा गया। क्या तुम्हे पढाई के दौरान scholarship मिली थी।

उस लड़के ने कहा नहीं। उन्होंने फिर से पूछा – अगर तुम्हे scholarship नहीं मिली तो तुम्हारी फीस कौन देता था।

लड़के ने कहा मेरी फीस मेरे पिताजी देते थे। उन्होंने फिर से पूछा – तुम्हारे पिताजी क्या काम करते है। लड़के ने कहा – वो एक किसान है।
यह सुनने के बाद उनमे से एक बोला – क्या तुम मुझे अपना हाथ दिखा सकते हो। लड़के के हाथ रेशम की तरह मुलायम थे।

उससे पूछा गया। क्या तुमने कभी काम में अपने पिताजी की मदत की है। लड़के ने कहा – नहीं।
उन सभी ने उस लड़के को कहा – तुम आज अपने घर जाकर अपने पिता के हाथो को पानी से धोना और कल वापस कंपनी में आना। वह लड़का खुश हो गया की उसकी नौकरी लगभग पक्की हो गयी।

घर पहुँचने के बाद उसने साडी  बात अपने माता पिता को बताई और अपने पिता से अपने हाथ दिखाने को कहा।

पिता को पता था की उनके हाथ किस तरह के है इसलिए वे बहाने बनाकर इस बात की टालने लगे। जब लड़का बहुत ही जिद्द करने लगा तो उन्होंने अपने हाथ दिखा दिये।
जैसे ही लड़के ने पिता के हाथ देखे और उन्हें धोना शुरु किया तो उसकी आँखों में आँशु आ गये। पिता के हाथ सकखत थे।

जगह – जगह से फटे हुए थे और हाथो पर छाले भी पड़े हुए थे। उस लड़के को पहली बार अहसास हुआ की ये वो ही हाथ है।

जो खेतो में दिन – रात काम करके उसके लिए अच्छे कपड़े, खाना और फीस का इंतज़ाम करते थे। वह लड़का पूरी तरह से टूट चुका था।

उसके पिता ने उसे सभाला और साथ ही साथ उसे ऐसी बहुत सी बाते बताई जो वह नहीं जानता था। उसे उस दिन ही पता चला की उसे यहाँ तक पहुँचाने के लिए उसके माँ – बाप ने किन – किन चीजों की कुर्बानी दी है।

अगले दिन वह कंपनी में गया। उससे कहा गया। कल तुमने घर पर जो भी अनुभव किया। मेरे साथ शेयर करो। उस लड़के ने बताया।

मैंने पहली बात सीखी की सरहाना क्या होती है। अगर मेरे पिता न होते तो मैं कभी भी पढाई में इतने आगे नहीं आता।
दूसरी बात मैंने सीखी। किसी भी मुश्किल काम को करने के लिए हिम्मत होना बहुत ही जरुरी है। तीसरी बात ने मुझे रिस्तो की अहमियत को सिखाया। उन्होंने उस लड़के से कहा – अब तुम पूरी तरह से इस नौकरी के लिए तैयार हो।

दोस्तों इस life changing  में आपको यह समझाना चाहता हूँ की आपको पता होना चाहिए की आपके ऊपर लगने वाला पैसा कहाँ से और कैसे आ रहा है। ताकि आप उस पैसे का सही इस्तेमाल कर सके। आपके माँ – बाप आपको कभी भी नहीं बतायेंगे की वे कितनी मेहनत कर रहे है।

मैं आपसे ये नहीं कह रहा की आप लोग खर्चा ही मत करो। पढ़ो, घूमो – फिरो मस्ती करो क्योकि यह समय दोबारा नहीं आयेगा लेकिन आपको पता होना चाहिए की यह पैसा कितने संघर्ष से आ रहा है और इसे कैसे खर्च करना सही है।

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